ऐ मेरे दाता, जगत विश्वविधाता।
सर्व जगत कल्याण कारण, दुःख- संहारक प्रख्याता।।
अपनी अद्भुत छटा से ज्ञान का उज्जवल प्रकाश कर दे।
मेरे मन से अंधकार की अंधेरी परत को हटा कर मुस्कुराहट भर दे।।
हर सुबह शाम और चारों पहर बस लूं तेरा ही नाम।
होठों पर हंसते-हंसते आए बस एक तेरा ही नाम।।
अपने कर्तव्य पथ से कभी पीछे ना हटूं।
आलस्य और बेचैनी का कभी नाम ना लूं।
मुस्कुराहट का दामन थाम सभी के चेहरों पे खुशियां बिखेर दूं।
अपनी मुस्कुराहट के बल पर हर मुकाम हंसते-हंसते हासिल कर लूं।।
सफर चाहे जितना भी लंबा हो भंवर से निकलकर ही सांस लूं।
ए मेरे दाता विश्व भाग्यविधाता।
सर्व जगत कल्याण कारक विष्णु विधाता।
हंसते हंसते हर खुशी से अपना काम कर सकूं।
मित्रता भाईचारे और जात पात के बंधन को मिटा कर सबको बराबरी का दर्जा दिला सकूं।
ए मेरे दाता जगत विश्व विधाता।
सर्वजन कल्याण कारक दुःख संहारक प्रख्याता।।
तिनका तिनका जोड़कर आशियाना बना सकूं।
टूटे हुए दिलों को जोड़ कर प्रेम की गंगा बहा सकूं।।