(वन्दना) प्रार्थना

मेरे प्रभु आओ,   अपनी आंखों में  तुम को बसाऊं।

तेरी शरण  में आ कर के बस एक तेरा ही ध्यान मन में लाऊं।।

  हर दम बस तेरी महिमा के ही गुण गाऊं।

तेरा ही स्मरण कर  अपनें जीवन को सार्थक बनाऊं।।

मेरे प्रभु——

मेरे विकारों को हे प्रभु! जड़ से मिटा देना। अज्ञानता से भूल हो जाए तो माफ कर देना।।

बुद्धि और ज्ञान की  ज्योति  जला कर,

सत्य ज्ञान और नेकी की राह पर चलनें का मार्ग दिखा देना।

तुम्हारे स्मरण में कोई त्रुटी रह जाए तो मुझ को न बिसरा देना।।

मेरी खामियों  से  मुझे  अवगत करवा देना।

मेरी बुद्धि को निर्मल कर उसमें ज्ञान की ज्योति जला देना।।

धरती मां की रज को माथे से लगा के धन्य हो जाऊं।

आकाश में उडते हुए नभचरों की तरह उड़ान भर पाऊं।।

मेरे प्रभु आओ–

सुर्य की तरह रौशनी की किरणें बिखराऊं। चन्द्रमा की तरह सभी को शीतलता प्रदान करके दिखाऊं।।

मेरे प्रभु आओ—-

मां-बाप के सम्मान को कभी ठेस न पहुंचाऊं। बडो के आशीर्वाद से सब काम हंसते हंसते कर जाऊं।।

तुम्हारा ध्यान, तुम्हारा हर स्वर हर जप है, शक्ति दाता।

 है गूढ़ तुम्हारा अर्चन, मगर है सौभाग्य दाता।।

तुम्हारी अलौकिक कृपा से हर एक  का भाग्य  संवर   जाता।

बुरा वक्त आने पर भी  सभी को सही मार्ग दिखा जाता।।

मेरे प्रभु आओ—

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