शिक्षा और अक्षर ज्ञान

एक दिन मिन्नी मां से बोली मैं भी स्कूल पढ़ने जाऊंगी।
नई नई किताबे पढनें का अवसर पाऊंगी।।
मां बोली बेटा तू तो है अभी बहुत ही छोटी ।
खा पीकर पहले हो जा मोटी ।।
तू तब स्कूल पढ़ने जाना ।
पढ़कर बड़ा बन कर दिखलाना।।
मिन्नी बोली मां देख ,मैं कितनी बड़ी दिखती हूं।
भैया से भी ज्यादा सुंदर लेख लिखती हूं ।।
तू अब मुझे स्कूल भेज ही डाल।
मेरे दिमाग में भी कुछ तो डाल।।
कुछ अक्षर ज्ञान स्कूल में सीख पाऊंगी।
घर आकर पहले तुझे ही पढ़ना सिखलाऊंगी।।
जल्दी से कॉपी भी दे दे ।
साथ में दो चार टॉफी भी देदे।।
बच्चों को कॉपी दिखलाऊंगी।
अपनी नन्हें नन्हें हाथों से कलाकारी दिखा कर सभी को हंसाऊंगी।।

मिनी बोली मां तू अगर पढी होती तो मैं भी कुछ सीख पाती।
नहीं तो तेरे जैसी बन कर निरक्षर ही कहलाती।
मां बोली बेटा तुझे आज ही स्कूल ले कर जाऊंगी ।
तेरी प्यारी प्यारी बातों से मैं ना जीत पाऊंगी ।।
तूने तो मेरे मन से अज्ञान का अंधकार मिटा डाला।
मेरी आंखों से नकाब को हटा डाला ।।
मां तू अब नहीं रहेगी निरक्षर।
तुझे भी पढ़ा कर कर दूंगी साक्षर।।

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