बरसो बादल

 

घुमड़ घुमड़ कर बरसो बादल ।
गरज गरज कर गरजो बादल।।
रिमझिम रिमझिम वर्षा कर।
झमझम झमझम बरसो बादल।।

कड़क कड़क कर कड़को बादल।
घुमड़ घुमड़ कर बरसो बादल।।
हमारे सुखचैन और उल्लास के लिए जमकर बरसो बादल।
बिजली की घोर गर्जना कर ।
शंख रुपी नाद के समान बिगुल बजा कर बरसो बादल।।
नए नए पौधों के अंकुर तुम्हें हम पुकार रहे।
अपनी व्यथा सुनानें को आतुर तुम से गुहार कर रहे ।।
घुमड़ घुमड़ कर बरसो बादल।
गरज गरज कर घोर गर्जना कर गरजो बादल।

तुम्हारे आते ही पृथ्वी पर सुगंधित वनस्पतियां खिल खिल कर मुस्कुराएंगी।
वातावरण की शोभा को बढ़ाकर चार चांद लगाएंगी।।
रिमझिम वर्षा से पक्षी भी चहचाएंगे।
अपनी मधुर गुंजन कर पत्ते और पौधे भी मुस्कुराएंगे।।
नए धानो के बीज नव अंकुरित हो जाएंगे।
रंग बिरंगे फूल भी खिलखिला कर उपवन की शोभा को बढ़ाएंगे।।
तुम ही हमारे अन्नदाता ।
तुम ही हमारे पोषण दाता।।
तुम ही रक्षक ।
तुम ही भक्षक।।
पानी के अभाव में हम ना सुखचैन पाएंगे
यूं ही तड़प तड़फ कर बिना जल के बेमौत मर जाएंगे।।
तुम्हारे जल को पी कर ही हम अपनी प्यास बुझाएंगे।
आनन्द से मग्न हो कर तुम्हारा ही गुणगाएंगें।।
तुमने ही हमारे जीवन में इंद्रधनुष के समान रंग बिखराएं हैं।
हमने तुमसे ही वृद्धि के लिए शक्ति रुपी पंख पाए हैं ।।
तुम ही हमारे प्राण दाता।
तुम्ही हमारे अन्नदाता।।
तुम्हीं पर हम हैं आश्रित।
तुम्ही पर हमारा जीवन समर्पित।।

अपनी कृपा कर निर्मल जल हम पर बरसाओ।
भीषण ध्वनि कर गरज गरज कर बिजली को चमकाओ।।
तुम्हारी अनुकम्पा से नए धानों के पौधे बीज बन कर नवअंकुरित हो जाएंगे।
खेतों में उग कर सभी को अन्न दिला पाएंगे।
किसानों की चेहरों पर खुशी की लहर देख पाएंगे।।
बादलों को आते देख कर बच्चे भी खुश हो जायेंगें।।
सब काम छोड़ छाड़ कर वर्षा में भीगनें को आतुर हो जाएंगे।।

Leave a Reply

Your email address will not be published.