आओ मेरे पास आओ मेरी प्यारी बुलबुल।
रानी भैया से बोली हम खेल खेलेंगे मिलजुल।।
बुलबुल रानी बुलबुल रानी,तुम तो लगती हो कोई महारानी।
भूरे और काले रंग वाली, तुम्हारी उड़ान भी है अजब मस्तानी।।
बुल बुल रानी बुलबुल रानी ,तुम हमें क्यो सताती हो?
तेज आवाज कि ध्वनि से क्या तुम हमें डराती हो?
हमें देख पीपल या बरगद के पेड़ के पीछे छुप जाती हो।
मीठे मीठे फल और कीट पतंगों को खा कर अपनी भूख मिटाती हो।।
हमारे घर कि बगिया के पास तुम नें अपना घौंसला बनाया है।
हमारे घर कि फुलवारी को महका कर चार चांद लगाया है।।
तुम्हें क्या अकड़ कर उड़ान भरना तुम्हारी नानी नें सिखाया है।
कलगी जैसा सुन्दर मुकुट पहना कर तुम्हें सजाया है।
गुलदुम और सिपाही बुलबुल कह कर तुम्हें बुलाया है।।
सुन्दर मधुर संगीत सा जादू क्या तुम ने अपनें दादा मादा बुलबुल से पाया है।
दो धुनों में गाना का गुण यह तुम नें जन्मजात पाया है।।
सब से मीठा मीठा बोलो क्या यह भी उन्होनें तुम्हें सिखाया है?
मधुर कलरव का स्वर सुन कर क्या मादा बुलबुल तुम्हें लुभाता है?
तुम्हारी और आकर्षित हो कर क्या वह तुम्हें रिझाता है?
पीपल के पेड़ को छोड़ , उड़ कर हमारे पास आओ न।
अमरूद के फलों को खा कर हमारा भी जी ललचाओ न।।
मटर कि फलियां मजे से कुतर कर हमें भी तरसाओ न।।
अपनें अंडों को देख देख कर डर से पेड़ के पीछे न छुप जाओ।।
अपनें कटोरे कि तरह आकार वाले घौंसलें कि ओट में बच्चों को छिपा कर पीठ ना दिखाओ ।।
हल्के गुलाबी रंग वाले अंडे तुम्हारी तरह हमें भी लगतें हैं प्यारे।
लाल,भूरी और बैंगनी विन्दियो वाले अद्भुत और न्यारे न्यारे।।
पतली गर्दन और पूंछ के नीचे लाल रंग और भूरे रंगके धब्बे हमें लुभातें है।
हम खेल छोड़ कर तुम्हारी ओर खींचें चलें आंतें हैं।।
तुम्हारे साथ मस्ती करनें को आतुर हो जाते हैं।
तुम पिंजरें में न रह कर इधर उधर आजाद हो कर इठलाती हो।
अपनें अन्डो को सुरक्षित देख फुर्र से उड़ जाती हो।।