मेरी रानी बडी़ ही सयानी
जैसे हो वह घर की महारानी।
रंगइसका श्वेत और मखमल जैसा।
बिल्कुल मक्खन की टिकिया जैसा।
रानी सुनकर दौड़ लगाकर मेरे पास आती है।
अपनी नीली और चमकदार आंखों से सब के मन को लुभाती है।
दूध रोटी और बिस्किट चबा चबा कर खा जाती है।
कभी कभी चूहों को भी खा जाती है।
पूंछ हिला कर कहती है म्याऊं म्यांऊ।
जैसे कह रही हो चार कटोरे मलाई खाऊं।
चुपके से बालकनी में आ कर जोर से गुर्राती है।
पूंछ हिला हिला कर अपनी खुशी झलकाती है।
उसके साथ दौड़ लगा कर खुद भी बच्चा बन जाती हूं।
उसके साथ झूम झूम के गाना उसे सुनाती हूं।
द्वार की घंटी सुनकर कान खड़े कर देती है। द्वार की ओर भाग कर मेहमानों का स्वागत करती है।
कभी कभी चूहों को खाकर बाहर दौड़ लगाती है।
अपनी पूंछ हिला हिला कर अपना राग सुनाती है।
फुदक कर फुदक करकभी छज्जे पर चढ़ जाती है।
सर्दियों के दिनों में छत पर मंडराती रहती है।
हर आने जाने वाले पर नजरें गाढे रहती है। छोटे-मोटे कुत्तों को भी डरा कर धमकाती है पूंछ हिला हिला कर अपनी हेकडी उन्हें दिखाती है।
गर्मियों में कभी सोफे कभी कुर्सी के नीचे सो जाती है।
चुपके से आंख खोल कर मेरे साथ बिस्तर में घुस कर खूब शोर मचाती है।
नित्य कर्म के लिए उसे बाहर लेकर जाते हैं। कभी बाग में कभी खुले में उसके साथ दौड़ लगाते हैं।
मेरी रानी बडी़ ही सयानी।
जैसे हो वह घर की महारानी।