(शेरु और वीरु की दोस्ती)

शेरु अपनें  मालिक संग एक छोटे से घर में था रहता।

अपने मालिक के संग रहकर खूब आनंद  से था  जीया  करता।।

शेरू हरदम अपने मालिक के आगे पीछे दुम हिलाता जाता था।

उसका मालिक भी उसे देखकर प्रसन्नता से फूला नहीं समाता  था

शेरु था बहुत ही होशियार।

उस से बढ़कर कोई नहीं था वीरू का यार। वीरू हर रोज ऑफिस था जाता।

ऑफिस से घर आकर शेरू संग था खेला करता।

वीरू ने उसे  लड़ाई करने के गुर थे सिखलाए।

शेरु के वह बहुत ही काम आए।

सुबह  का अखबार लाकर मालिक को देता था।

दूध का पैक्ट भी  उसे थमा देता था।

वीरू को अपने शेरू पर था बहुत ही मान।

वह तो था उसकी जान।

वीरू की गाड़ी एक दिन ऑफिस से आते वक्त दुर्घटनाग्रस्त हो गई।

शेरू को भी उसकी भनक थी लग गई।

शेरु अपने दोस्त वीरु से मिलने के लिए  मचलनें लगा।

वह अपने मालिक बिन तड़पने लगा।

पड़ोसियों ने उसे अकेला देख कर खाना था गिराया।

शेरू ने खाने को मुंह तक ना था लगाया।

वह दौड़ा-दौड़ा अपने मालिक को ढूंढने निकल पड़ा।।

ढूडता ढूंडता हुआ उस स्थान पर पहुंच गया।।

वह अपने मालिक की गाड़ी को खाई में गिरा देख कर जोर जोर से भौकनें लगा।

शेरु को खाई के पास एक झाड़ी थी दिखाई।

अपनें मालिक को पहचान कर झाडी में छलांग  लगाई।

झाडियों में अपने मालिक को फंसा देख जोर जोर से भौकनें लगा।

वह अपनें मालिक को इस अवस्था में देखकर  और भी जोर जोर से चिल्लानें लगा।।

वीरु की चीख पुकार एक ट्रकवाले को दी सुनाई।

लहूलुहान वीरु नें राहगीरों को भौंक भौंक कर वह राह थी दिखाई।।

ट्रक वाला ट्रक से उतर कर नीचे आया।

उसे तब सारा मामला समझ में आया।।

ट्रक वालें नें उसी वक्त ऐम्बूलैन्स बुलवाई।

वीरु को बचानें के लिए ऐम्बूलैन्स अस्पताल पहुंचाई।

शेरू भी दुम हिला हिला कर उस के साथ हो लिया।

ट्रक वाले नें उस की दोस्ती को सलाम किया।

उसे सही समय पर अस्पताल पहुंचा कर नेक काम किया।।

वीरु को जैसे ही होश था आया।

अपनें सामने शेरु को देख कर मुस्कुराया। दौड़ा दौड़ा ट्रकवाले को पुचकारनें लगा।

अपनें मालिक को बचानें का तोहफा उसे देनें लगा।।।

शेरु को  गाड़ी के पास से रुपयों से भरा थैला था मिला। ट्रक वाले को वह थैला सौंप कर ही दम लिया।

ट्रक वाले नें सारी कहानी वीरू को सुनाई।

तुम्हारी जान  कैसे इस बेजुबान  प्राणी नें बचाई।।

ट्रक वालाबोला भाई मेरे तुम्हारी दोस्ती यूं ही सलामत रहे।

जिन्दगी में तुम्हारी दोस्ती को किसी की नजर न लगे।।

वीरु ने शेरु को गले से लगाया।

शेरु भी  उस की तरफ प्यार भरी नजरों से मुस्कुराया।।

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