एक छोटे से गांव में देवी शरण और उसकी पत्नी माधवी अपने बेटे साहिल के साथ रहते थे। वह मध्यम वर्गीय परिवार से संबंध रखते थे। उनका बेटा साहिल उनके घर के समीप ही गवर्नमेंट स्कूल में पढ़ता था।। माता-पिता अपने बच्चे के भविष्य को लेकर बहुत ही सतर्क थे। उन्होंने अपने बेटे को डॉक्टर… Continue reading अभिलाषा
भिखारी
मैं जब भी सुबह सुबह कार्यालय से निकलती तो रेलवे प्लेटफॉर्म पर और बस स्टैंड पर भिखारियों को देखा करती। पटरियों पर एक तरफ सिकुडते हुए छोटे बच्चों को फटे वस्त्रों और नंगे पैरों से इधर उधर भागते हुए देखकर मेरी रूह कांप जाती और सोचती यह बेचारे छोटे-छोटे बच्चे इनका बचपन इस तरह क्यों… Continue reading भिखारी
हिरन और बंदर की सूझबूझ
किसी जंगल में एक शेर रहता था। वह जंगल का राजा था ।वह जानवरों को मारकर खा जाया करता था। सभी जीव-जंतु अपने राजा के अत्याचारों से तंग आ चुके थे। एक बार शेर ने सभी जीव जंतुओं को बुलाकर सभा बुलाई और कहा कि अगर तुम मुझे हर रोज एक जानवर या प्राणी मुझे… Continue reading हिरन और बंदर की सूझबूझ
फुर्सत के क्षण (कविता)
फुर्सत के क्षणों में आ बैठ मेरे पास। अपने मन के भावों को आ बांट मेरे साथ।। कल्पना की दुनिया से बाहर आ। यथार्थ की दुनिया में अपना भाग्य आजमा।। बीता समय लौटकर नहीं आता। वर्तमान से विमुख होकर जिया नहीं जाता।। भविष्य में अच्छे कार्य करके दिखा। अपनी मंजिल खुद तलाश करके दिखा।। जीवन… Continue reading फुर्सत के क्षण (कविता)
डैनियल और चम्पू
एक घना जंगल था। उस जंगल में बीचो-बीच चट्टानों को तोड़ कर एक गुफा बनी हुई थी। यह गुफा इतनी लंबी चौड़ी थी कि उस गुफा मे अंदर जाने का रास्ता पैदल चल कर तय करना पड़ता था। इस गुफा में एक राक्षस अपनी पत्नी और बेटे के साथ रहता था। एक दिन राक्षस कहीं… Continue reading डैनियल और चम्पू
दुष्ट जादूगर
यह कहानी बहुत वर्ष पुरानी है दो दोस्त थे सलिल और पुनीत। सलील के पिता आदिवासी थे उन दोनों में इतनी गहरी दोस्ती थी ऐसा लगता था कि उन दोनों का पुनर्जन्म का संबंध हो ।सलिल नटखट शरारतों से भरपूर और पुनीत एक दम शांत और गंभीर स्वभाव का था वक्त पड़ने पर एकदम दोनों… Continue reading दुष्ट जादूगर
गांव का मेला (कविता)
गांव के मेले का पर्व आया, पर्व आया। हम सब नें अपने गांव में जाकर मेला देखने का भरपूर आनंद उठाया।। इधरउधर पांडाल सजे हैं। लोग सज धज कर मेले मेंआतुर हो कर जमघट लगाएं खड़े हैं।। बच्चे सजधज कर मेला देखनें चलें हैं। बूढ़े और युवा वर्ग सभी अपने साथियों संग मेला देखने चले… Continue reading गांव का मेला (कविता)
कौवों की सूझबूझ
एक घना जंगल था। उसमें बहुत सारे पशु पक्षी रहते थे। पास में ही पेड़ पर बहुत सारे बंदर रहते थे। उन बंदरों में से एक बंदर बहुत ही शातिर था। वह उन सब बंदरों का लीडर था। वह उन पर रोब झाडता रहता था। सारे के सारे बंदर इधर-उधर उछल कूद कर मंडराते रहते।… Continue reading कौवों की सूझबूझ
जादुई बावड़ी
एक बच्चा था दीनू। वह अपनी मां का लाडला था। उसकी मां खेतीबाड़ी करती पशुओं के देखरेख करती उन्हें चराने को लेकर जाती। दीनू अपनी मां से हर रोज नई नई कहानियां सुनता था। कभी राक्षस की, कभी राजा रानी की, कभी परियों की, जब तक उसकी मां उसे कहानी नहीं सुना लेती थी उसका… Continue reading जादुई बावड़ी
दशहरा
दशहरे का त्योहार अपनें साथ ढेर सारी खुशियां लाया। बुराई पर अच्छाई की जय का विश्वास लाया।। सारे जंहा की खुशहाली और तरक्की का पैगाम लाया। दशहरा अपनें मन में पनपे कलुषित रावण को त्यागने का संकल्प लाया।। मिलजुल कर इस पावन त्यौहार को हंसी खुशी से मनाओ। सब वैर भाव छोड़ कर सब एक… Continue reading दशहरा