दशहरा

दशहरे का त्योहार अपनें साथ ढेर सारी खुशियां लाया।

बुराई पर अच्छाई की जय का विश्वास लाया।।

सारे जंहा की खुशहाली और तरक्की का पैगाम लाया।

दशहरा अपनें मन में पनपे कलुषित रावण को त्यागने का संकल्प लाया।।

मिलजुल कर  इस पावन त्यौहार को हंसी खुशी  से मनाओ।

सब वैर भाव छोड़ कर सब एक हो जाओ।।

लूटपाट चोरी डकैती और झगड़ों को आपसी सुलह से सुलझाएं।

हर झगड़े को मिटाकर अपने प्रयत्नों से सब मिल जुल कर अपने प्रयासों को सफल बनाएं।।

असहाय लोगों के लिए कुछ भी कर के दिखाना।

उनकी मदद कर उनमें भी उम्मीद की किरण जगाना।।

 

दशहरे  के इस पावन पर्व पर सारे देशवासियों को मीना शर्मा की बहुत-बहुत बधाई।

 

मैंने आप सभी की चाहत को देखते हुए कहानी की और कविता की एक और गुल्लक बनाई।।

 

कविता को पढ़कर भी दिखाना।

मेरी छवि को यूंही दिन-रात महकाना।।

 

इस उत्सव को बच्चे बुढे और जवान सभी मिल कर मनाओ।

इस त्योहार में आपस में एक दूसरे को गले लगा कर उन सभी की खुशियों में चार चांद लगाओ।।

हंसते झूमते गाते मिल कर बांटो मिठाई।

सब लोग   आपस में मिल कर एक दूसरे को दो बधाई।।

अपने माता पिता के संग  खूब खुशियाँ मनाना।

उनके साथ भी  शामिल हो कर उनकी खुशी को और भी बढाना।।

अपनें बूढे दादा दादी की लाठी बन जाना।

उन्हें अपने  हाथों से मिठाई खिला कर  उन के चेहरों पर खुशी का नूर लाना।।

तुम यूं ही मेरे कोशिशों को सहराते  रहोगे।

मेरी इस मुस्कुराहट को यूंही बनाते रहोगे।।

इस दिशा में किए गए प्रयत्नों को यूं ही सफल बनाते रहोगे।

मेरी कोशिसों को कामयाबी का सबब बनाते रहोगे।।

 

दशहरे  के इस पावन पावन पर्व पर यही कसम खाना।

देशवासियों अपने देश को स्वच्छ और समृद्ध बनाना।।

 

प्रदेश वासियों हर घर में एकता की  लहर जगाना।

एकता की अलख जगा कर उन में मिलजुल कर काम करनें का जज्बा जगाना।।

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