किसी गांव में मोनू और सोनू दो भाई थे। मोनू अपने परिवार में बड़ा बेटा था। सोनू छोटा। मोनू और सोनू के माता-पिता नहीं थे। मोनू अपने भाई को बहुत ही प्यार करता था। वह उसकी आंखों में कभी भी आंसू नहीं देखना चाहता था। उसने बचपन से ही अपने भाई को मां और बाप दोनों का प्यार दिया था। वह अपने भाई को पढ़ा लिखा कर डाक्टर बनाना चाहता था। वह उसकी हर एक इच्छा को पूरी करता था उसको मेहनत मजदूरी करके उसको पढ़ा रहा था सोनू ने मैट्रिक परीक्षा पास कर ली। उसे आगे कॉलेज में पढ़ने के लिए बाहर भेजना चाहता था। । किसी तरह उसने और मेहनत करनी शुरू कर दी और अपने भाई को कॉलेज में डाल दिया उसका भाई भी उससे बहुत ही प्यार करता था वह सदा अपने भाई का साथ दिया करता था। सोनू कॉलेज में जाते सोचने लगा कि वह खूब मन लगाकर पढ़ाई करेगा और अपने भाई का नाम रोशन करेगा। हॉस्टल में जा कर गलत सोसाइटी में पड़ गया और बिगड़ गया। वह देर रात तक बैठ कर गप्पे लडाता शराब नशा सब कुछ करनें लगा। झूठमूठ ही अपनें भाई से खूब रुपये मंगवाता रहा। मोन सारी रात मेहनत करके उसे रुपया भेजता था। सोनू अपने भाई से बहुत रुपया मंगवाने लगा। उसका भाई कभी भूखा रहकर और ज्यादा मेहनत करने के कारण बीमार पड़ गया इतना बीमार पड़ गया कि वह बिस्तर से उठ भी नहीं सकता था। उसने अपने भाई को सन्देश भेजा और अपने भाई को लिखा कि मुझे आकर देख जा। सोनू ने कहा कि अभी उसकी परीक्षा चल रही है। उसकी कॉलेज में एक दोस्त थी। वह उसे बहुत ही प्यार करता था। उसने अपनी दोस्त से कहा कि मेरा भाई बिमार है उसने मुझे गांव बुलाया है। सोनू ने अपने भाई को लिख दिया कि वह अभी नहीं आ सकता। इस पर तो सोनू की दोस्त उस से बेहद नाराज हो गई।उसकी दोस्त नें कहा तुम्हे अपनें भाई की बिमारी की सूचना पाकर पर भी जरा दुःख नहीं हुआ। तुम्हारे लिए अपनें भाई के प्रति जरा भी हमदर्दी नहीं है। तुम ऐसे तो नहीं थे। मैंनें तो एक बहादुर सोनू से प्यार किया था।।
उसने अपने दोस्त को कहा कि जिस प्रकार तुम अपने भाई को ही नहीं देख सकते जिसने तुम्हें मां और बाप बन कर पाला जिस ने तुम्हे पढाने की खातिर शादी नहीं की कि तुम्हें किसी चीज की तंगी ना हो पर तुम्हारे दिमाग में जरा सी भी अपने भाई के प्रति मोह माया नहीं है। आज अगर मैं तुम्हारी जगह होती तो परीक्षा छोड़कर पहले अपने अपनों की जान बचाती। सचमुच सोनू की दोस्त के इतना सब कुछ कहने पर भी उसका अपने भाई के लिए जरा सा भी प्यार नहीं उमड़ा। उसने अपनी दोस्त की तरफ से किनारा कर लिया और आग बबूला हो कर दूसरे कमरे में चला गया। उसकी दोस्त वापस जानें लगी थी। वह सोचने लगी उसने क्यों उस इंसान के साथ प्यार किया जो कि अपनों को दुख पहुंचाने के सिवा कुछ नहीं करता था। उसने योजना बना डाली उसने सोनू के भाई से गांव में जा कर मिलने का निश्चय किया। सोनू का भाई बहुत बीमार पड़ गया था। उसका चेहरा पीला पड़ चुका था। वह चुपचाप सोनू को बताए बगैर मोनू से मिलन गांव में आई। वहां पर उसकी मुंहबोली मौसी रहती थी। उसकी मुंहबोली मौसी का घर भी मोनू के घर के समीप ही था। वह जब अपनी मौसी राधा के घर पंहूंची तो उसने बताया कि वह आज ही गांव में कुछ दिनों के लिए रहने आई है। उसने सारी कहानी अपनी मौसी को सुनाई वह अपने किसी खास रिश्तेदार को देखने आई हूं। जिस लड़के से मैं प्यार करती हूं उसके बड़े भाई को देखने आई हूं। सोनू की परीक्षा चल रही है वह अपने भाई को देखने नहीं आ सका सोचा मैं ही उस इन्सान से मिलना चाहती हूं जिस नें अपने छोटे भाई को पढाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। ऎसे रामतुल्य भाई से वह मिलना चाहती हूं। मौसी आप कुछ मत कहना।
वह मोनू के घर पंहूंच गई। वहां पर पंहूंच कर राधा नें कहा भाई मैं तुम्हे देखने आई हूं। बातों ही बातों में राधा नें शिवानी का परिचय अपनी भतीजी से करवाया। राधा नें उसे बताया वह भी शहर में रह कर डाक्टरी की पढाई कर रही है। मोनू उस समय मिल कर खुश हो कर बोला मेरा भाई भी शहर में पढता है। तुम उस से जरुर मिलना। खांसते खांसते बोला। मैं तुम्हारी खातिरदारी भी नहीं कर सकता। वह बोला बेटी पास मे ही रसोई है। चाय बना लो। वह बोली आप तो मेरे लिए एक फरिश्ते से भी बढ़ कर हो जो अपनें भाई की खुशी के लिए कुछ भी कर सकता है। वह बोली जब तक मैं यहां हूं मैं आपकी देखभाल करुंगी। मैने भी आप को भाई माना है। जितना भी बिमारी का खर्चा होगा मैं उठाऊंगी। मुझे पता है आप नें रात रात जागकर अपने भाई के लिए रुपये इकट्ठे किए होंगें इस ऐसी घड़ी में आपको भाई को आपके साथ होना चाहिए था। मोनू की आंखे छलछला आई बोला मेरा भाई नासमझ है। उसकी परीक्षा चल रहीं हैं। वह जरुर मुझ से मिलने आता। इसमें उसका कोई कसूर नहीं है। मैं आप की बिमारी का जितना भी खर्चा होगा उठाऊंगी।मोनू नें कहा कि तुम मेरे लिए अजनबी हो। मोनू अपनें मन में सोचने लगा तुम अजनबी होकर मेरे लिए इतना कर रही है। एक मेरा भाई है जिसको मैंनें अपने बच्चे से भी ज्यादा बढ़कर प्यार किया वह मुझे देखने तक नहीं आया। उसने चिट्ठी में लिख दिया कि मेरी परीक्षा चल रही है। नहीं नहीं यह मैं क्या सोचने लगा। मेरे भाई की अगर परीक्षा नहीं होती तो वह जरुर यहां मुझे देखनें दौड़ा दौड़ा आता। बहन मैं एक शर्त पर तुम से रुपया लूंगा अगर तुम सचमुच वादा करो कि जब मैं ठीक हो जाऊंगा तब तुम्हारे रुपए मैं तुम्हें लौटा दूंगा। और तुम रुपये ले लोगी तभी तुम्हारे रुपये लूंगा अन्यथा नहीं। शिवानी ने कहा भैया ठीक है जब तुम ठीक हो जाओगे तब तुम मेरे रुपये लौटा देना।
मोनू के स्वास्थ्य में धीरे-धीरे सुधार होने लगा था। उसने शिवानी को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि मेरी भी एक भाई है मैंने उसे पढ़ने के लिए बाहर भेजा। उसका भी कोई खत नहीं आया पता नहीं शायद उसकी परीक्षा चल रही होगी या समाप्त होनें वाली हों। शायद इतना पढ़ाई में व्यस्त होगा कि उसे मेरा ख्याल ही नहीं आया होगा। यह कहते कहते मोनू की आंखें छल छला आई। सोनू की दोस्त गांव से वापिस शहर आई तो वह सोनू से मिलने गई। उसनें सोनू से कहा कि अब तो मैं तुम्हें तभी पसंद करूंगी जब तुम अपने भाई को खुश रखोगे और जो तुमने नशा करने की तरफ अपने कदम बढ़ा लिए हैं। शराब की लत लगा दी है जब तक तुम इन सब व्यसनों को छोड़ दोगे तभी तुम्हारी दुनिया में वापस आऊंगी वर्ना मैं किसी और को अपना जीवन साथी बना लूंगी। अच्छा मैं जाती हूं। तुमसे अब कभी भी नहीं मिलूंगी। यह कहकर सोनू की दोस्त वहां से चली गई।
सोनू की आंखों के आगे अंधेरा सा छा गया। वह डबडबाई आंखों से अपनी दोस्त को जाते देखता रहा। उसके सारे शब्द उसके दिमाग में एक नश्तर की तरह चुभ रहे थे। यह मैंने क्या कर दिया। अपने प्यार को सदा सदा के लिए खो दिया। उसे अब अपने ऊपर पछतावा हो रहा था। मैंने अपने राम जैसे प्यारे भाई के साथ अन्याय किया। उसका दिल दुखाया। उन्होंने मेरी खातिर शादी नहीं कि मुझे खुश रखने के लिए ना जाने क्या-क्या प्रयास किये और मैंने उन्हें मृत्यु के मुंह में धकेल दिया। बार-बार वह अपनें आप को कोस रहा रहा था। मैंने एक साथ दो दो रिश्तो को खो दिया।
काफी दिनों तक सोनू की दोस्त उस से नहीं मिली। जाते-जाते उसे सीख दे कर गई कि जो अपने परिवार का नहीं हो सका वह दूसरों का क्या होगा। जैसे ही उसके दोस्त उसे पीने के लिए कहते वह कहता चले जाओ तुम सब। तुम सब ने मेरी जिंदगी को नर्क बना दिया है। उसने एक-एक करके अपने दोस्तों से किनारा कर लिया और फिर अपने आप को सुधारने की कोशिश करने लगा और पढ़ाई में मन लगाने लगा। सोनू की दोस्त एक बार फिर से मिलने आई तो उसके सीने से लगभग कर फफक फफक कर रोने लगा और उससे माफी मांगने लगा। उसकी दोस्त ने कहा कि मुझसे माफी मांगने से क्या होता है आज मैं तुम्हें यह कहने आई हूं कि तुम्हें अपने बड़े भाई का आदर सत्कार करना नहीं भूलना चाहिए। तुम अगर मुझसे अभी भी सच्चा प्यार करते हो तो अपने राम जैसे भाई के गले लग कर उसके सपनों को साकार करो। और तुम्हारे भैया जहां तुम्हारा रिश्ता करेंगे वही तुम शादी करना। उन्हें दुःख नहीं देना। भगवान ने मुझे तो कभी भाई का प्यार नहीं दिया। यह कहते हुए यहां से जा रही हूं कि अगर तुम अपने भाई से माफी मांग लोगे और जहां भी तुम्हे शादी करने के लिए कहेंगे वहां तुम खुशी से शादी कर लोगे तब मैं भी तुम्हें माफ कर दूंगी। नहीं तो मैं भी कहीं ना कहीं इसके लिए अपने आप को दोषी मानती रहूंगी
सोनू की दोस्त शिवानी उसे अलविदा कह कर वहां से चली गई। सोनू की समझ में आ चुका था। वह मन लगा कर पढ़ाई करने लग गया था उसने भाई को खत में लिखा कि मैं आपको देखने नहीं आ सका क्योंकि मैं परीक्षा में व्यस्त था। आप दुःखी मत होना। मेरी भगवान से यही प्रार्थना है कि भगवान आप जल्दी से जल्दी स्वस्थ हो जाएं। जल्दी ही परीक्षा के पश्चात आपसे मिलने आऊंगा। जब मैं बडा औफिसर बन जाऊंगा तब मैं आपको कोई काम नहीं करने दूंगा।
कुछ दिनों के लिए सोनू की दोस्त फिर से अपनी मौसी के यहां छुट्टियों में आई हुई थी। मोनू पूरी तरह से स्वस्थ हो चुका था। उसनें शिवानी को रुपये लौटाते हुए कहा बहन आज मैं तुम्हारी जैसी बहन पा कर खुश हो गया हूं। आज अगर मैं तुम से कुछ मांगू तो तुम मना नहीं करोगी। मुझे बताओ। सोच समझ कर उतर देना। तुम अगर ना भी करोगी तब भी तुम को मैं सदा अपनी छोटी बहन ही मानता रहूंगा। सोनू की दोस्त ने कहा मैं आप जैसा प्यारा भाई पाकर अपने आप को धन्य मानती हूं। जो आप जैसा समझदार और नेक भाई मुझे दिया। नहीं तो मैं सदा आप जैसे भाई के प्यार से सदा वंचित रह जाती? आज अगर आप मेरी जान भी मांगेंगे तो मैं हंसते हंसते हुए वह भी आपके कदमों में न्योछावर कर दूंगी। सोनू की दोस्त के मूंह से इतने ममता भरे शब्दों को सुनकर बहुत खुश हो गया और उसकी आंखों से आंसू बहने लगे। अपने आंसूओं को छिपाते हुए कहने लगा अगर तुम्हें ठीक लगे तो मैं अपने छोटे भाई सोनू के साथ तुम्हारा विवाह कराना चाहता हूं। वह भी डाक्टरी की पढाई करनें के लिए गया हुआ है। उसका भी डाक्टरी का अन्तिम वर्ष है। तुम्हारे परिवार वालों को यह रिश्ता मंजूर होगा तो मैं अपनें भाई सोनू के लिए तुम को चुनता हूं। शिवानी चुपचाप शर्मा कर वहां से भाग गई।
छुट्टियों में जब सोनू घर आया तो उसने अपने भाई से कहा भैया मैं आपसे अपनी भूल के लिए क्षमा मांगता हूं। आप मुझे अपना छोटा भाई जान कर क्षमा कर दोगे। मैंने अनजाने में आपका दिल दुःखाया उसके लिए उसे भगवान भी क्षमा नहीं करेंगे। मोनू नें प्यार भरी मुस्कान से उसकी तरफ देखा। तुम अगर अपने भाई से माफी मांगना चाहते हो तो जहां मैं तुम्हें कहूं वहीं शादी कर लेना क्योंकि मैंने तुम्हारे लिए एक लड़की देख रखी है। तुम अगर उस लड़की को अपना लोगे तो मैं समझूंगा कि तुम मेरे सच्चे भाई हो।
सोनू की आंखों से आंसू बहने लगे। वह सोचनें लगा कि अब तो उसे अपने दोस्त को भूलना ही होगा। उसने अपनी दोस्त से वादा किया था कि वह अपने भाई का सदा सम्मान करेगा अब उसके कहे हुए शब्दों का मान करेगा इसलिए उसने अपने भाई से कहा कि मैं जहां आप कहते हैं वही शादी करने के लिए तैयार हूं। सोनू ने अपनी दोस्त को खत लिखा प्यारी दोस्त आज से तुम मुझे भूल जाना। मैंने तुम्हारी तुम्हारी सीख को मन से स्वीकार कर लिया है। मै जहां मेरा भाई चाहेंगे वही शादी करूंगा। अच्छा जहां भी रहो खुश रहो। तुमने मुझे सीख दे कर सच्चा रास्ता दिखाया है। तुम सदा मेरी दोस्त ही रहोगी। यह कहकर वह जोर-जोर से रोने लगा। उसके भाई ने उससे कहा भाई मेरे तुम क्यों रो रहे हो? उसने कहा भाई नहीं कुछ नहीं यह तो खुशी के आंसू हैं। यह सब कुछ उसने खत में लिखकर अपनी दोस्त को भेज दिया। सोनू की दोस्त को जब वह खत मिला तो वह पढ़ कर फूली नहीं समाई। उसे बहुत ही खुशी हुई कि उसने अपने साथी को सुधार कर उसमें आत्मविश्वास ही नहीं बल्कि उसमें सच्चाई का बीज बो दिया है और बड़ों का आदर सत्कार करना और उनका सम्मान करना सिखा दिया है। धीरे-धीरे शादी का दिन भी आ गया। सोनू की साथी ही उसकी पत्नी बनने जा रही थी। यह सोनू को मालूम नहीं था। फेरे लेते समय भी उसकी आंखों के सामने अपनी दोस्त ही नजर आ रही थी। अब क्या किया जा सकता है। वह सोचनें लगा जो भी उसकी किस्मत में भाग्य में जो लिखा होगा वही होगा। वह जल्दी जल्दी फेरे लिए नें लगा।
शादी समाप्त होने के पश्चात उसने जैसे ही अपनी दुल्हन का घूंघट उठाया तो उसे विश्वास ही नहीं हुआ कि उसके भाई ने उसकी दोस्त को ही उसके लिए पत्नी के रूप में चुना था। इस तरह वह खुशी खुशी अपना तथा अपने भाई के साथ अपना जीवन व्यतीत कर लगा।