सीता और गीता स्कूल में इकट्ठे शिक्षा ग्रहण कर रही थी। सीता के माता पिता ऑफिस में काम करते थे।सीता मेहनती लड़की थी एक दिन उसके माता-पिता ने उसे अपने पास बुलाया और कहा बेटा हम चाहते हैं कि तुम हमें बताओ कि तुम आगे चलकर क्या बनना चाहती हो। वह बोली मां पापा यह मैंने निश्चित नहीं किया है ।उसके मम्मी पापा बोले हमें जिंदगी में कुछ ना कुछ बनने के लिए एक मकसद भी कायम करना पड़ता है। इसलिए तुम्हें एक महीने का वक्त हम देते हैं। तुम्हें यह निश्चित करना होगा कि तुम किस विषय में आगे जाना चाहती हो? तुम अगर ध्येय कायम नहीं करोगी तब तक तुम जिंदगी में कुछ भी हासिल नहीं कर पाओगी। वह बोली मम्मी पापा मैं सोच कर बताऊंगी। उसके मम्मी पापा बोले तुम अगर हमें नहीं बता पाई तो जो हम तय करेंगे वह तुम्हें करना पड़ेगा। सीता बहुत ही चिंता में पड़ गयी।
क्योंकि उसने अभी तक कोई भी लक्ष्य निर्धारित नहीं किया हुआ था। उसकी सहेली गीता वह भी उसके साथ दसवीं कक्षा में पढ़ती थी। बहुत होशियार बालिका थी। वह मन की बात अपनी सहेली गीता से कर दिया करती थी। सीता को उदास देखकर गीता बोली तुम उदास क्यों हो।? वह बोली मेरे माता-पिता ने आज मेरे सामने एक प्रश्न रखा उस प्रश्न का हल मैं नहीं दे सकी क्योंकि मैंने उस विषय में आज से पहले कभी सोचा नहीं। उसकी सहेली मजाक करते हुए बोली क्या तुम्हारे माता-पिता ने तुम्हारे लिए कोई लड़का देखा है? वह बोली नहीं अभी शादी के बारे में मेरा कोई विचार नहीं है। उसकी सहेली गीता बोली ऐसी कौन सी बात है? जो इस प्रश्न का उत्तर क्यों नहीं दे पाई।? सीता बोली मेरे माता-पिता ने मुझसे पूछा तू क्या बनना चाहती है? वह बोली यह तो मुझे भी पता नहीं है कि मैं क्या बनना चाहती हूं? वह बोली उन्होंने मुझसे कहा कि तुम्हारी परीक्षा भी आने वाली है तुम अब दसवीं कर लोगी आगे जिस क्षेत्र में जाना चाहती हो वह तुम्हें ही तय करना पड़ेगा। मुझे तो पता ही नहीं है मुझे तो सभी विषय में रुचि है।
गीता बोली नहीं’ तुम्हारे माता-पिता एकदम सही कहते हैं तुम किस विषय में आगे जाना चाहती हो?
यह तो तुम्हें ही तय करना पड़ेगा सीता बोली मुझे नहीं पता इस विषय में तू मेरी मदद करोगी वह बोली देख मैंने संगीत को अपना नहीं चुना है। मैं बड़े होकर एक बहुत बड़ी संगीतकार बनना चाहती हूं। अच्छा मैं तुम्हें बताऊंगी। तुम अपने सारे परीक्षा के प्रश्नपत्र इकट्ठे करके लाओ और पूरे साल की उत्तरपुस्तिका यहां पर ले आओ ।पिछली बार जब स्कूल में मैडम ने कहा कि जिन विषयों में तुम सब बच्चों की रुची है उन्हीं विषयों का हम टेस्ट लेंगे। तुमने सारे विषयों का टेस्ट दे डाला और किसी भी विषय में तुम्हें इनाम नहीं मिला। तुम सारे साल के टैस्ट की उत्तर पुस्तिका यहां इकट्ठा करके लाओ। हम देखेंगे कि किस विषय में तुम्हारे सबसे अच्छे अंक है। जिस विषय में तुम्हारी सबसे अच्छे अंक होंगें तुम इस विषय को ही अपना चुनाव-करना होगा। इसके लिए हमें तीन लोगों की राय लेनी पड़ेगी। एक तुम्हारे माता पिता। तुम अपने माता पिता के पास जांच पत्रिका ले जाकर पूछना कि सभी विषयों को देख कर बताओ मुझे क्या विषय चुनना चाहिए।? उसने अपने माता-पिता के पास ले जाकर सारी साल भर की जांच पत्रिकाएं दिखाकर पूछा आपको क्या लगता है? मुझे कौन सा विषय चुनना चाहिए? उसके पिता ने कहा बेटा अंग्रेजी विषय इसमें तुम्हारे सभी सेमेस्टर में सबसे अच्छे अंक है। दूसरे दिन सीता अपनी सहेली गीता के पास जाकर बोली धन्यवाद।गीता बोली मेरी मम्मी लैक्चरार के पद पर कार्यरत हैं उनसे भी राय ले लेते हैं। उन्होंने भी उन्हें अंग्रेजी विषय चुनने के लिए कहा। इसलिए वह अपने स्कूल के प्रधानाचार्य जी के पास जा कर बोली। जांच पत्रिका को देखने के बाद बताओ मैं कौन सा विषय चुनूं।
बेटा मुझे जांच पुस्तिकाओं को देखने के बाद महसूस होता है कि तुम अंग्रेजी को ही अपना विषय चुनना। अगले महीने एक टेस्ट है हम तुम सब बच्चों को लेने जा रहे हैं उस टेस्ट में जो बच्चा जिस विषय में ज्यादा अंक लेकर आएगा उसे इनाम मिलेगा। और एक शील्ड भी।
सीता के मन से बोझ हट चुका था। वह पिछली बार कभी संगीत में अपना नाम लिखवाती कभी गायन में कभी वाद-विवाद प्रतियोगिता में उसे समझ में नहीं आता था कि वह किस विषय में भाग ले। आज उसने चुपचाप अपना अंग्रेजी का भाषण लिखित रूप में देने के लिए अंग्रेजी विषय को चुना था। उसनें सिर्फ एक ही विषय चुना था। वह अब की बार अंग्रेजी में सबसे अच्छे अंक लेकर सारे स्कूल में दूसरे स्थान पर रही थी। वह आज बहुत ही खुश थी। उसे आज अपना ध्येय मिल चुका था। सबसे पहले वह अपनी सहेली गीता के पास गई और बोली मैं तुम्हारा शुक्रिया अदा कैसे करूं? वह बोली तू आज रात मुझे रात के खाने पर आमंत्रित कर रही है। घर आकर
सीता ने अपने मम्मी पापा को कहा मां पापा अब मैंने निश्चय कर लिया है कि मैं अंग्रेजी विषय में ही अपना कैरियर बनाऊंगी उसके माता-पिता खुश होकर बोले बेटा तुम अपने मकसद में कामयाब हो। हम तो यही चाहते थे तुम हर विषय के पीछे भागती थी अब हम समझ चुके हैं कि तुम्हें अकल आ गई है हम तुम्हारे ऊपर किसी और विषय को चुनने के लिए तुम्हें बाध्य नहीं करेंगे। सीता बोली पापा आज स्कूल में में मैंनें अंग्रेजी निबंध प्रतियोगिता में दूसरा स्थान प्राप्त किया है यह सब सुनने में मुझे मेरी सहेली गीता ने मेरी मदद की। मैं तभी ठीक ढंग से निर्णय ले पाई। इसके लिए मैंने ठंडे दिमाग से सोचा। तीन विशेषज्ञों की राय के आधार पर चुना है आपकी राय भी यही थी ताकि भी मम्मी से भी पूछा तीसरे प्रधानाचार्य महोदय के पास जांच पुस्तिकाओं के आधार पर मैंने यह विषय चुना। और स्कूल में पार्टिसिपेट किए गए कार्य के आधार पर सभी ने मुझे मेरा कैरियर चुनने में मेरी मदद की। आप सभी को मेरा बहुत-बहुत धन्यवाद नहीं तो मै हर क्षेत्र की तरफ भाग रही थी। मैं किसी भी क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ पा रही थी हमें अपने बच्चों के लिए भी इसी तरह उन्हें अपने मकसद में सफलता हासिल करने के लिए प्रयत्न करना चाहिए।
भविष्य को निर्धारित करने में कोई भूल चूक ना करें। नहीं तो मां बाप अपने बच्चों पर उसी विषय को करने के लिए तत्पर हो जाते हैं जो वही चाहते हैं। उन्हें अपने बच्चों की चाहत के बारे में कुछ लेना देना नहीं होता। वह क्या करना चाहता है?ंहमें अपने बच्चों पर उस विषय को करने के लिए अग्रसर नहीं करना चाहिए जिस क्षेत्र में उसकी इच्छा नहीं होती। इसलिए वह बच्चा किसी भी क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ सकता। आगे चलकर सीता अंग्रेजी विषय में पीएचडी करके एक प्रोफेसर के पद पर नियुक्त हो गयी।
उसकी सहेली एक बड़ी संगीतकार बन चुकी थी। दोनों सहेलियां खुशी खुशी अपनें मकसद में सफल हुई।