कौवा लोमड़ी ओर रोटी(कविता)

एक लोमड़ी भूखी प्यासी आई पेड़ के नीचे।

लगी देखने उस पेड़ को आंखें मींचे मींचे।।

पेड़ पर था एक कौवा बैठा।

नटखट चुलबुल  काला कौवा।।

अपनी चोंच में रोटी का टुकड़ा भींचे भींचे।

लगा देखनें लोमड़ी  को कर के नजरे नीचे।।

लोमड़ी सोच रही थी मन में, क्यों न इसे बहलाती हूं।

इस बेसूरे की तारीफें कर के क्यों न इसे फुसलाती हूं।।

बोलूंगी,  कौवे  मामा कौवे मामा।

एक सुरीला गीत सुना दो।

अपने सुरीले गीत से मेरे मन को बहला दो।।

अपनी प्रशंसा सुनकर फुल कर कुप्पा  होगा कौवा।  

जैसे ही मुंह खोलेगा गाने को।

रोटी गिरेगी नीचे, मैं भागूंगी खाने को।

यह सोच कर लोमड़ी बोली

कौवे  मामा कौवे मामा,

एक सुरीला गीत सुना दो।

अपने सुरीले गीत से मेरे मन को बहला दो।।

वह  था एक चतुर कौवा। न आया उसके झांसे  में।

सिर  हिला कर मुस्काया कौवा,

लोमड़ी नें  सोचा, लो मेरी बातों मैं आया कौवा।।

लोमड़ी के मुंह में आया पानी।

सोचा मैं हूं कितनी स्यानी।

कौवा तो था चालाक।

जल्दी से रोटी खाकर आया उसके पास।

कानों में उसके कांय कांय करके बेसुरा गीत सुनाया।

अपनी कर्कश ध्वनि से उसका होश उड़ाया।

हंस कर बोला कौवा, लोमड़ी मौसी, लोमड़ी मौसी, कैसा लगा मेरा मधुर संगीत?

रोकर लोमड़ी बोली, बहुत ही प्यारा गाना था।

कौवा बोला, हां उतना ही स्वादिष्ट मेरा खाना था।।

क लोमड़ी भूखी प्यासी आई पेड़ के नीचे।

लगी देखने उस पेड़ को आंखें मींचे मींचे।।

पेड़ पर था एक कौवा बैठा।

नटखट चुलबुल  काला कौवा।।

अपनी चोंच में रोटी का टुकड़ा भींचे भींचे।

लगा देखनें लोमड़ी  को कर के नजरे नीचे।।

लोमड़ी सोच रही थी मन में, क्यों न इसे बहलाती हूं।

इस बेसूरे की तारीफें कर के क्यों न इसे फुसलाती हूं।।

बोलूंगी,  कौवे  मामा कौवे मामा।

एक सुरीला गीत सुना दो।

अपने सुरीले गीत से मेरे मन को बहला दो।।

अपनी प्रशंसा सुनकर फुल कर कुप्पा  होगा कौवा।  

जैसे ही मुंह खोलेगा गाने को।

रोटी गिरेगी नीचे, मैं भागूंगी खाने को।

यह सोच कर लोमड़ी बोली

कौवे  मामा कौवे मामा,

एक सुरीला गीत सुना दो।

अपने सुरीले गीत से मेरे मन को बहला दो।।

वह  था एक चतुर कौवा। न आया उसके झांसे  में।

सिर  हिला कर मुस्काया कौवा,

लोमड़ी नें  सोचा, लो मेरी बातों मैं आया कौवा।।

लोमड़ी के मुंह में आया पानी।

सोचा मैं हूं कितनी स्यानी।

कौवा तो था चालाक।

जल्दी से रोटी खाकर आया उसके पास।

कानों में उसके कांय कांय करके बेसुरा गीत सुनाया।

अपनी कर्कश ध्वनि से उसका होश उड़ाया।

हंस कर बोला कौवा, लोमड़ी मौसी, लोमड़ी मौसी, कैसा लगा मेरा मधुर संगीत?

रोकर लोमड़ी बोली, बहुत ही प्यारा गाना था।

कौवा बोला, हां उतना ही स्वादिष्ट मेरा खाना था।।

Leave a Reply

Your email address will not be published.