नंदलाल अपना परीक्षा परिणाम जानने के लिए स्कूल गया था। उसका बारहवीं कक्षा का परिणाम आने वाला था। वह मन ही मन सोच रहा था कि हे भगवान इस बार तो मुझे पास कर ही दो। यह पढ़ाई वढ़ाई मेरे बस की बात नहीं। बस इंटरव्यू देकर कहीं नौकरी कर लूंगा। उसको पढ़ने का शौक नहीं था वह अपना परिणाम जानने के लिए बड़ा आतुर था। इंटरनेट पर सूचना आ चुकी थी। उसके अध्यापकों ने कहा हमें अपना रोल नंबर दे दीजिए। हम तुम सब बच्चों का परिणाम बता देंगे।
थोड़ी देर बाद अध्यापक बच्चों के पास आए और सभी को उनके अंक बताएं। नंदलाल पास हो गया था। खुशी के मारे उसके पैर जमीन पर नहीं पड रहे थे। शाम को उसके पिता ने कहा बेटा पढ़ाई वढाई तुम्हारे बस की बात नहीं यह तो शुक्र करो पास हो गए। फॉरेस्ट ऑफिसर का पद रिक्त है तुम्हें इंटरव्यू के लिए बुलाएंगे। अगर तुम सिलेक्ट हो जाओगे तो ठीक है नंदलाल सोचनेंलगा मुझसे क्या क्या पूछेंगे। इंटरव्यू के लिए नंदलाल को बुलाया गया वह जरा भी नहीं डरा। उसने सभी प्रश्नों के उत्तर दिए। बिना सोचे समझे लिखित परीक्षा में उसने अपने दोस्त श्याम की नकल कर दी। और फॉरेस्ट गार्ड के लिए उसको लैटर आ गया। नौमहीने की ट्रेनिंग के बाद उसको चुन लिया गया। अब उसे फारेस्ट के तौर पर पहले जंगलात विभाग में गार्ड के पद पर तैनात किया गया। उसने अपने पद को कभी भी गंभीरता से नहीं लिया। जंगल में कई बार लोग पेड़ों को काटने आते तो उनको कभी सजा नहीं देता था। लोग पेड़ों को बड़ी बेरहमी से काट काट देते थे। उन्हें बाहर बेच देते थे। उस काम में उसने उन सभी लोगों को कहा तुम पेड़ों को काट लो जब तक मेरी ड्यूटी इस क्षेत्र में है। तब तक तुम भरपूर आनंद उठाओ तुम इन को बाजार में बेचोगे तो उसका आधा हिस्सा मुझे भी मिलना चाहिए। लोग उसकी बात मान जाते। उसे जरा सी भी लाज नहीं आती। बस सारा दिन जंगल में ड्यूटी तो नाम मात्र को करता। वहां पर पेड़ के नीचे काफी काफी देर तक सोता रहता। उनके बॉस ने उसे क्यारियों पौधों की देखभाल का दायित्व भी सौंपा था। लोग चुपचाप फूल तोड़ कर ले जाते बागों में फल फूल सब चुरा कर ले जाते वह चुपचाप सोया रहता। उसकी पत्नी उतनी ही नेक थी। उसका स्वभाव अपने पति के बिल्कुल विपरीत था। उसने अपने घर में इतना बड़ा बगीचा लगा रखा था। उसकी देखभाल करती थी। बगीचे में तरह तरह की सब्जियां लगाई थी। उसके लिए उसनें इतने बड़े बड़े दो खेत लिए हुए थे। जिसमें दिन रात मेहनत करके सब्जियों उगाती थी। उनके सब्जियों को बाजार में बेचती। उसे काफी रुपए मिलते।
एक दिन की बात है कि वह जंगल में एक वृक्ष के नीचे सोया हुआ था। उसको सपना दिखाई दिया। उस सपने में एक औरत दिखाई दी। वह बोली तुम एक बहुत ही बेईमान इंसान हो। रुपयों के लालच में इतना गिर जाओगे। तुम्हारे पास नौकरी नहीं थी जब तुम भगवान के मंदिर में माथा टेकने जाते थे और हर रोज प्रार्थना करते थे कि हे भगवान मुझे जब नौकरी मिल जाएगी तब मैं कभी भी लालच नहीं करूंगा। ईमानदारी का जीवन जीऊंगा। तुमने तो धरती मां का अपमान किया है। तुम कभी खुश नहीं रहोगे। जिन पेड़ों से हमें जीवन दान मिलता है तुम हर रोज ना जाने कितने पेड़ों को काटते हो। कहां तुम्हें पेड़ लगाने चाहिए। और कहा अंधाधुंध पेड़ोको कटवाकर गोश्त खाते हो। तुम्हें तो इन सभी चोरी करने वालों को सलाखों के पीछे भेजना चाहिए था। कहां तुम भी इस काम में संलिप्त हो गए। देखने में भोले और अंदर से शातिर तुझे धरती की धरोहर का अपमान किया है इसके लिए तुम्हें सजा अवश्य मिलनी चाहिए अचानक उसकी नींद टूट गई। कि वह आंखें मलता उठ बैठा। यह मैंने सपने में क्या देखा। धरती मां ने मुझे सचमुच में भी मेरी सच्चाई मुझे दिखा दी। मैं भोला-भाला दिखाई देता हूं परंतु भोला नहीं हूं।
हे भगवान आज से मैं कान पकड़ता हूं अब मैं अपने आप को सुधार कर ही दम लूंगा। मैं भटक गया था मेरी मां ने मुझे रास्ता दिखाया है। जब घर पहुंचा तो उसकी पत्नी रो रही थी वह बोला भाग्यवान क्या हुआ है। वह बोली मेरे खेत को कोई उजड़ गया है। सारी सब्जियां लगाई थी। सारी नष्ट हो चुकी है। पता नहीं किसके पशु आकर हमारे खेत को तहस-नहस कर गए। अब की बार हमारे खेत में कुछ भी फसल नहीं होगी। यह कहकर वह जोर जोर से रोने लगी। अचानक उसे भी अंदर से दर्द महसूस हुआ। अब नंदलाल को लगा जब मेरे जंगल में कोई पेड़ काटने आता था तब मैं सब को कहता था हां भाई काट लो। मुझे अंदर से दर्द महसूस नहीं होता था। जब मेरे घर की हरी-भरी खेती नष्ट हुई तब मुझे जाकर यह बात समझ में आई।
उसकी पत्नी ने 2 दिन तक खाना नहीं खाया। वह भी बहुत उदास हो गया था। दूसरे दिन जंगल चला गया। अचानक बीच-बीच में उसे जंगल में नींद आ जाती थी। उसे फिर वही सपना दिखाई दिया। धरती मां ने उसे कहा बेटा अब तो तुम्हें समझ आ ही गया होगा। जब चोट अपने ऊपर ऊपर लगती है तभी इन्सान समझता है।
अच्छा आज इस जंगल के दूसरे छोर में कुछ लोगों ने जंगल में आग लगाई है। तुम्हें उन लोगों को सलाखों के पीछे पहुंचाना है। तुम समझ गए होंगे अभी भी समय है। सुधर जाओ उसनें धरती मां के पैर पकड़ लिए। उसे जाग आ गई थी। उसने सच में धरती मां के पैर छुए और कसम खाई कि मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि आज मैं नेक काम करने जा रहा हूं। मुझे आशीर्वाद दो। वह नीचे जमीन पर लेट गया। उसने देखा कि उस वाटिका में लगा हुआ फूल उसके पांव के पास गिरा। उसने उस फूल को उठाया और अपनी जेब में भर लिया।
उसनें जंगल के दूसरे छोर में जाकर उन आग लगाने वाले लोगों को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। उसने सभी अपराधियों को सजा दिलाई जो पेड़ों को काटते थे। वह समझ गया था कि धरती मां की इस मूल्यवान धरोहर को हमें बचाना होगा। अगर हम इस धरोहर को बचा नहीं पाए तब तक हम एक सच्चे अर्थों में भारत मां के सच्चे सपूत नहीं कहला सकते।