नंदन वन में बहुत सारे जानवर रहते थे। उस वन में पीपल के पेड़ पर दो चिड़िया रहती थी बिन्नी और चिन्नी। वे दोनों पक्की सहेलियां थी। उन दोनों के दो नन्हे नन्हे बच्चे थे,चन्गु मंगु टप्पू गप्पू । नंदनवन के पास ही एक स्कूल था। उसमें वन में रहने वाले जीव जंतुओं के बच्चे पढ़ते थे। सभी जानवरों ने अपने बच्चों को उस स्कूल में दाखिल करवा दिया था। बच्चे सुबह स्कूल चले जाते थे। नंदन-वन के अन्य जानवर और वृक्षों पर रहने वाली चिड़ियां सभी पशु पक्षी उन दोनों से ईर्ष्या किया करती थी।
चिन्नी और बिन्नी उन्हें अपनें घौंसलें में इसलिए नहीं आने देती थी क्यों कि वह डरती थी कि अगर और जानवरों नें भी यहां कब्ज़ा कर लिया तब वह क्या करेंगी। उस पेड़ पर भी इसलिए वे किसी को भी नहीं आने देती थीं। जिस पेड़ पर वह दोनों रहती थी।
वह बहुत ही पुराना पेड़ था। वह उस पेड़ पर पली बढी। वह बहुत ही बड़ा पेड़ था। एक बार की बात हे जंगल में बहुत सूखा पड़ा। चारों ओर अकाल छा गया। वर्षा भी नहीं हुई। उस पेड़ के सारे पते सूख गए थे। सारी की सारी चिड़िया और जीव जन्तु आपस में कहने लगे हम यहां से कंही और चले जाएंगे। चिन्नी और बिन्नी को भी और चिडि़या कहनें लगी यंहा से चलो। वे दोनों बोली कि हम इस पेड़ को छोड़कर कहीं नहीं जाएंगी। इस पेड़ नें हमें ठन्ड आंधी वर्षा से बचाया। अपनें फायदे के लिए उस पेड़ को छोड़कर हम दोनों कहीं नहीं जाएंगी। यंहा पर मर भी जाएंगी तो भी हमें दुःख नहीं होगा। हमारे बच्चे भी यहां सुरक्षित महसूस करतें हैं। वह दोनों कंही नहीं जाएंगी। पेड़ भी उन की बातें सुन कर रो दिया। इनदोंनों को हम पर कितना विश्वास है।हम इन दिनों को कोई खुशी नहीं दे सकते। वह दोनों उस पेड़ का बहुत ही ध्यान रखती। वे दोनों काफी दिनों तक वहीं पर रही। सूखे पतों को खा कर गुजारा किया। उस पेड़ को छोड़कर सब पशु पक्षी कहीं दूसरी जगह रहने चले गए। उन की देखभाल रेख के कारण पेड़ भी हरा भरा होनें लगा। एक बार खुब जम कर वर्षा हुई वह पेड़ हरा भरा हो गया। सारे के सारे पक्षी फिर से वहीं रहने आ गए। वह दोनों इस कारण से किसी भी पक्षी को वहां नही आने देती थी।
सभी चिड़िया चाहती थी कि हमें इन दोनों की दोस्ती तोड़नी है। जब हम इन दोनों में दरार पैदा कर देंगे तब इनकी एकता छिन्न-भिन्न हो जाएगी। वे टूट कर बिखर जाएंगी। हम सब मिलजुलकर यहां पर रहेंगे। बिन्नी जब जंगल में दाना चुगने उड़ जाती तब उसके बच्चों की देखभाल और अपनें बच्चों की देखभाल चिन्नी करती थी। बच्चें अपनी मौसी के पास रहते थे। जब चिन्नी भोजन की तलाश में जाती थी तब बिन्नी भोजन बनाती दोनों बारी-बारी भोजन तलाश करने जंगल में जाती। साथ में रहने वाली सिम्मी हर बार चुपके से चिन्नी से कहती थी कि जब तुम काम पर चली जाती हो तब तुम्हारी दोस्त बिन्नी बच्चों का ध्यान नहीं रखती। बच्चे उस के डर के मारे आपसे कुछ नहीं कह पाते हैं। चिन्नी सोच रही थी कि नहीं नहीं मेरी दोस्त मेरे साथ ऐसा कभी नहीं कर सकती। आज जब चिन्नी दाना ले कर वापस आई तो बिन्नी उसके बच्चों को डांट रही थी। आते ही चिन्नी ने जब अपनी आंखों से अपने बच्चों को डांटते हुए देखा तो वह अपनी दोस्त से नाराज़ हो गई। बिन्नी ने कारण पूछा कि तुम मुझसे नाराज़ क्यों हो? तो वह बोली तुम्हें इससे क्या तुम मेरे बच्चों को हमेशा डांटती रहती हो। बिन्नी कहने लगी कि मेरी बात तो सुनो मगर चिन्नी ने उसकी बातों को सुना अनसुना कर दिया और वहां से गुस्सा हो कर चली गई। वह उसके साथ पहले की तरह अब ठीक से बात नहीं करती थी। बिन्नी नें वहां से जाना ही उचित समझा। वह पास के पेड़ पर अपने बच्चों को लेकर रहने के लिए उड़ गई। कुछ वन के पक्षी तो यही चाहते थे कि उन दोनों की दोस्ती टूट जाए। आज उन्होंने अपने मन में एक बहुत बड़ी दावत दे डाली। उन दोनों की दोस्ती में वन के जीव जंतुओं नें दरार डाल दी थी। उस वन में रहने वाले जंगल के जानवर मस्ती में झूम रहे थे। जब बिन्नी दूसरे पेड़ पर रहने चली गई उसके बच्चे बहुत उदास रहने लगे। चिन्नी के बच्चों का भी यही हाल था। जब स्कूल में एक दूसरे को देखते तो आपस में गले मिलते। वे आपस में कहते की मौसी को ना जाने क्या हो गया? वह तो हमें बहुत ही प्यार किया करती थी।
आज उनके स्कूल में फंक्शन था। उसमें एक नाटिका दिखाई गई। उस में दर्शाया गया था कि हमें दूसरों की बातों में आकर कभी भी दोस्ती नहीं तोड़नी चाहिए। दोस्ती में दरार पड़ जाए तो उसको जोड़ना बहुत ही मुश्किल होता है। हमें कारण का पता लगाना चाहिए, बच्चों ने सोचा। जब नाटिका समाप्त हुई तब मैडम ने बताया कि मिलजुल कर काम करने से ही सारी समस्या हल हो जाती है। एकता में इतनी शक्ति होती है कि टूटे बंधन फिर से जुड़ जाते हैं।
चिड़िया के बच्चे आपस में बोले कि हमें अपनी माँओं को समझाना होगा। पहले हमें कारण पता करना होगा कि हमारी मां के मन में संदेह किस कारण पैदा हुआ है। चंगू मंगू जब स्कूल से आते तो उस पेड़ के पास नज़रें चढ़ा कर रखते। एक दिन स्कूल से छुट्टी होने पर जब वापस आए सभी जानवर समारोह मना रहे थे। उन्होंने कुछ पक्षियों को कहते सुना अच्छा हुआ कि हमने उन दोनों सहेलियों में दरार पैदा कर दी। वे अब टूट कर बिखर जायेंगी। हम उन को हराकर उस पेड़ पर रहने चलें जाएंगे। बच्चों को कारण का पता लग गया था।
एक दिन जब चिन्नी बहुत देर बाद वापस आ कर उस पेड़ के पास आ कर इधर उधर उड़ रही थी।उसने देखा कि बच्चे उदास बैठे थे। वह अपनें बच्चों चंगु और मंगु के पास आ कर बोली तुम उदास क्यों हो? बच्चे बोले आप दोनों ने बिना कारण जाने आपस में लड़ाई क्यों की? वह बोली तुम्हारी मौसी तुम पर बिना कारण गुस्सा हो रही थी। बच्चे बोले वह इसलिए डांट रही थी कि जंगली कुत्ते हमारे घोंसले के पास आ गए थे। जंगली कुते जैसे ही झपटा मारते बच्चे पीछे से चोंच से उन पर प्रहार करते। जब वे पीछे मुड़ कर देखते तो दूसरे बच्चे उस पर आगे से प्रहार करते। उन छोटे छोटे बच्चों नें उन को छठी का दूध याद दिलवा दिया। बिन्नी कह रही थी कि अच्छा हुआ मैं कहीं नहीं गई? हम बात नहीं मान रहे थे और बाहर जानें की ज़िद कर रहे थे। इसलिए वह गुस्सा हो रही थी। आपने तो दूसरों की बातों में आकर हमको भी अपने दोस्तों से भी अलग करवा दिया। हमने उन वन के जानवरों को दावत उड़ाते देखा। वे सभी कह रहे थे कि आज हमने इन की एकता को खंडित कर दिया। अच्छा ही हुआ एक तो उस पेड़ को छोड़कर चली गई। दूसरी को भी थोड़े दिन में ही यहां से हटा देंगे। हम चैन से आ कर यहां पर अपना घोंसला बना लेंगे। चिन्नी अपनी करनी पर बहुत पछता रही थी।
जब एक दिन बिन्नी भोजन की तलाश में गई हुई थी तो कुछ जंगली भेडिए उसके पीछे पड़ गए। जंगली भेडिए उस पर झपटनें ही वाले थे कि चिन्नी ने अपनी दोस्त बिन्नी को बचा लिया। उसे घर ले कर आई। उसके बच्चों की भी उसी प्रकार देखरेख कि जैसे वह अपनें बच्चों की करती थीं। चिन्नी ने बिन्नी से अपनी गल्ती के लिए माफी मांगी। कहनें लगी बहन मैने उस दिन दूसरों के बहकावे में आ कर तुम्हारे साथ बहुत ही बुरा बर्ताव किया। आप फिर से आ कर उस पेड़ पर रहो। बिन्नी ने मुस्कुरा कर चिन्नी को माफ कर दिया था।
बिन्नी एक बार फिर से अपने बच्चों को वापस ला कर पेड़ पर रहने आ गई थी।
दूसरे दिन सभी जीव जन्तुओं ने सोचा कि चलो आज एक बची हुई चिड़िया की भी खबर लेते हैं। वे सब के सब उस पर टूट पड़े। दोनों चिड़िया ने उनके बच्चों ने मिलकर सभी पक्षों को वहां से जाने पर मजबूर कर दिया।
आज बच्चों की नसीहत नें हमें एकता निभाने पर मजबूर कर दिया। आज उन्हें समझ आया कि बच्चों को शिक्षा देना बहुत ही जरूरी है। बच्चों ने हमें सत्य से अवगत नहीं कराया होता तो हमारा परिवार और हमारा घर बिखर गया होता। आज हमारी एकता ने इस परिवार को फिर से जोड़ दिया आगे से हम कभी भी झगड़ा नहीं करेंगे। सारे परिवार में खुशी की रौनक छा गई थी।
वन में रहने वाले जीव जन्तु उनकी सूझबूझ के कारण हार कर पीछे हट गए। सिमी नें भी अपनी गल्ती मान ली। उसनें चिन्नी और बिन्नी को बताया कि मैनें ही जंगली जीव जन्तुओं के सिखानें पर इनकी दोस्ती को तोड़ने की कोशिश की। सभी जीव जन्तु बिन्नी और चिन्नी के पास आ कर बोले हमारे बच्चे भी हम से बात नहीं कर रहें हैं वे कह रहें हैं की जब तक आप उन दोनों से अपनी करनी पर माफी नहीं मांगोगे तब तक हम भी आप से बात नहीं करेंगें। हम सब बच्चे इस वन को छोड़कर कहीं चले जाएंगे। आप हमें ढूंढ भी नहीं पाओगे। उन्होनें हमें बताया वह दोनों यहां पर बचपन से रह रही हैं। हमारे बच्चों नें हमें बताया कि आप के घर में कोई यूं ही जानबूझ कर कब्जा कर ले तो आप सब को कैसा लगेगा। वह दोनों तो बेचारी अकेली हैं फिर भी कितने अच्छे से अपनें बच्चों का पालन पोषण कर रही थी। आप नें इनकी दोस्ती में दरार डाल दी। सिमी को उनकी दोस्ती तोड़ने भेजा। आप जब तक उन दोनों से माफी नहीं मांगोगे तब तक हम भी आप से बात नहीं करेंगे। आज से हमारी भूखहडताल है। हम भी गप्पू टप्पू चंगू मंगू के साथ हैं। बच्चे भूख हड़ताल पर बैठ गए थे। नंदन वन के जीव जन्तुओं नें बिन्नी और चिन्नी से माफी मांगी। वे दोनों अपनें सामने सभी जानवरों को माफी मांगते देख रही थी। वे दोनों बोली आप नें अपनी लगती मान ली। हम भी आप सभी को माफ करतें हैं। वनमें एक बार फिर से खुशी की लहर छा गई थी। सभी बच्चे बोले समारोह तो आज करना चाहिए। सभी खुशी से उत्सव में शामिल हो गए।