मिट्टी का माधो बनकर तू एक दिन रह जाएगा।
बुराइयों के दलदल में पड़ कर बचाखुचा समय यूं व्यर्थ गंवाएगा।।
मानव जीवन है अनमोल।
सच्चाई से बढ़कर नहीं है इसका तोल।।
झूठ के बल पर तू कब तक मुकाम हासिल कर पाएगा?।
जिंदगी में सदा अकेला होकर फिर तू पछताएगा ।
जीवन में जिन को समझता है तू अपना, वे सभी तेरा साथ छोड़ जाएंगे।
तेरे बुरे कर्म कब तक तुझ से पीछा छुड़ाएंगें?।।
गली में तू फिरता रहेगा मारा मारा ।
भुखमरी और गरीबी से बेहाल होकर कह उठेगा ,हाय! मैं मरा ,हाय! में मरा।।
बकरे की मां कब तक खैर मनाएगी?।
तेरे झूठी नकाब का पर्दाफाश कर पाएगी।
बुराइयों के दल में जो एक बार तू पड़ जाएगा।
सारी जिंदगी न तू सुखचैन पाएगा।
तेरे मां बाप भी समय से पहले ही मर जाएंगे।
तेरे बुरे कर्मों से तेरे पत्नी और बच्चे भी बिलख बिलख कर मर जाएंगे।।
दुनिया वाले तेरे बनकर पीठ पीछे तेरी हंसी उड़ाएंगे।
तुझे दुःखी देखकर वे मन ही मन मुस्कुराएंगे ।।
गुनाहों के दल में फंस कर तू कभी ना इससे निकल पाएगा।
सच्ची खुशी तू कभी ना हासिल कर पाएगा।।
झूठ के दम पर कमाया धन दौलत रुपैया काम नंही आएगा।
यह सब कुछ तो बिमारियों और दवाईयों में सारा खर्च हो जाएगा।।
एक दिन तुझ से सब कुछ छीन जाएगा।
तुझे घूंट घूंट के आंसू रुलायेगा।।
तब तक वक्त हाथ से निकल जाएगा।
बिलख बिलख कर यूं अपना दुखड़ा किसे सुनाएगा?
अकेला हो कर ऐ मानव!तू बहुत पछताएगा।
तेरा परमार्थ ही एक दिन तेरे काम आएगा।।