मंजिल

अपनी मंजिल को तलाशते तलाशते।
यूं ही राही चला चल चला चल चला चल।
यूं ही मुस्कुरा कर यूं ही बेखौफ होकर चला चल चला चल चला चल।।
सपनों के भवर में तुम यूं ना खो जाना।

कठिनाइयों से घबराकर अपने पथ से यूं न विचलित हो जाना।।
परेशानियों में जो ना डगमगाए।
वही इंसान तो अपनी मंजिल खुशी-खुशी पाए।।
राह में अच्छे और बुरे की पहचान करते-करते। ठोकरें खा कर भी जो संभल पाए।
वही तो भला इंसान कहलाए।।

सुनहरेभविष्य की तलाश में।
ऊंची उड़ान भरने से मत हिचकिचाना।।

बुलंदियों को छूने से पहले अपने मार्ग से यूं ना विचलित हो जाना।
कुछ पाने की चाहत में कुछ खोना ही पड़ता है।
अपनों से दूर जाकर दर्द को सहना ही पड़ता है।।
कांटो पर चलकर ही कर ही मेहनत रंग लाती है।
खुद पर यकीन कर के ही कामयाबी हासिल हो जाती है।।
कांटो पर चलकर ही मेहनत रंग लाती है।

वही से तो उसको उज्जवल भविष्य की किरण नजर आती है।।

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