राजू के घर के पास एक छोटा सा घोंसला था उस पर गाने वाली चिड़िया रहती थी। वह चिड़िया इतना मीठा गाना सुनाती कि राजू चिड़िया की मधुर गुंजन से भावविभोर होकर घोंसले के पास स्कूल से आकर घंटों बैठा रहता। वह चिड़िया भी उसे बेहद प्यार करती थी जब तक वह उसे दाना नहीं डालता तब तक उसे चैन नहीं पड़ता था। वह मंत्रमुग्ध होकर उसे घंटो यूं ही निहारा करता था। उस चिड़िया ने छोटे छोटे बच्चे दिए थे। उसकी चहचहाटसे से राजू मस्त रहता था। एक दिन उसने देखा की चिड़िया बेहद डरी हुई थी। राजू को भी चिंता होने लगी। वह आज अपना मधुर संगीत भी नहीं सुना रही थी। उसे ना जाने आज क्या हुआ है?उसे पक्षियों की भाषा कैसे समझ आती? अपनी प्यारी दोस्त को उदास देखकर वह भी उदास हो गया और दौड़ता दौड़ताअपनी मां के पास आया और बोला मां मेरी चिड़िया के घोंसले में चलो। आज पता नहीं वह क्यों उदास है? आज वह इतना मधुर संगीत भी नहीं सुना रही है। चिड़िया रोज उसके घर के पास चींचींकरके प्यारी-प्यारी मधुर तान से उसे जगाती थी। उसकी मां ने कहा बेटा अभी उसे फुर्सत नहीं है इस से राजू और भी उदास हो गया और पैर पटक कर वहां से चला गया। काफी देर तक जब राजू घर नहीं आया तो उसकी मां राजू के पास आई उसने चिड़िया के घोंसले में झांका। उसमें से चिड़िया का एक बच्चा मर चुका था। उसकी मां की आंखों में आंसू आ गए और उसे पता चल चुका था कि चिड़िया का बच्चा मर गया है। उसने राजू को कहां बेटा इसका एक बच्चा मर गया है। किसी ने उस चिड़िया को पत्थर मारा था जिससे उसकी चोंच से खून बह रहा था। दूसरा बच्चा भी चुप डरा हुआ चुप सा था राजू को पता चल गया था कि चिड़िया का बच्चा मर चुका है इसलिए वह बेहद उदास है। उनकी आंखों में भी आंसू बहने लगे वह जल्दी से दौड़कर गया और उसने वहां से घोसला उठाया वह अपने घर के सामने रख दिया। अपने घर के आंगन में एक पेड़ पर उसने उस के पिंजरे को रख दिया। उसने उस चिड़िया को बहुत ही प्यार किया। वह चिड़िया राजू के आंगन वाले पेड़ पर रहने लगी थी। राजू, चिड़िया और उसके बच्चे को बहुत ख्याल रखता था। वह उसकी दोस्त बन चुकी थी। वह उन्हें दाना डालता फिर स्कूल जाता। धीरे-धीरे उसका बच्चा भी बड़ा होने लगा था। वह भी उड़ना सीख रहा था। वह बच्चा उसके पढ़ाई वाले कमरे में उड़कर आ जाता। एक दिन की बात है कि राजू काफी देर तक स्कूल से नहीं लौटा राजू के स्कूल में सांस्कृतिक कार्यक्रम था वह उस में भाग लेने में लगा था। काफी देर तक प्रोग्राम चलता रहा। देर रात तक कार्यक्रम चलता रहा उसके पापा उसे स्कूल में लेने आने वाले थे उसके पापा का स्कूटर रास्ते में खराब हो गया। राजू का स्कूल बहुत ही दूर था। राजू के पापा को चिंता हो गई थी कि जैसे तैसे करके राजू के स्कूल पहुंचे। उन्हें मालूम पडा कि रास्ते में कोई दुर्घटना हो चुकी थी। जिसके कारण वाहन बाहर आ जा नहीं रहे थे। पैदल राजू के स्कूल तक पहुंचना मुश्किल था। राजू के स्कूल के सारे बच्चे घर जा चुके थे। राजू अपनी कक्षा में ही बैठा इंतजार कर रहा था। स्कूल पूरी तरह से बंद नहीं हुआ था। अचानक राजू बहुत थक चुका था उसे अपनी कक्षा में बैठे-बैठे ही नींद की झपकी आ गई। राजू की कक्षा का कमरा अंधेरे वाला था। चौकीदार जैसे ही आया उसने ब्लैक बोर्ड अंदर की और लगाया। स्कूल का कमरा बंद करके चला गया चौकीदार ने ब्लैक बोर्ड रखा और चौकीदार स्कूल बंद करके चला गया। राजू के पिता जैसे-तैसे स्कूल पहुंचे वहां राजू को ना पाकर बेहद परेशान हुए। उन्होंने स्कूल के प्रिंसिपल को फोन कर दिया। उन्होंनें ने कहा कि सारे बच्चे घर चले गए हैं। राजू के पिता बहुत ही चिंतित हो गए। चौकीदार भी घर जाने के लिए तैयार ही था। उसने चौकीदार को कहा, क्या तुमने राजू को देखा है? राजू के पिता ने कहा कि स्कूल के कमरे को खोलो। चौकीदार ने कमरा खुलवा दिया मगर चौकीदार ने कहा कि साहब जी देखो परंतु वहां पर भी राजू दिखाई नहीं दिया। राजू तो ब्लैक बोर्ड के पीछे सो रहा था। चौकीदार भी दरवाजा बंद कर के चला गया राजू की मां ने तो रो रो कर बुरा हाल कर दिया अगले दिन स्कूल में रविवार की छुट्टी थी। जब राजू की नींद खुली तो वह जोर जोर से रोने लगा परंतु वहां पर उसकी आवाज सुनने वाला भी कोई नहीं था। राजू ने देखा कि वह ब्लैक बोर्ड के पीछे कैसे आया? उसे समझते देर नहीं लगी कि उसे नींद आ गई थी। उसने सोचा कि मुझे चौकीदार ने क्यों नहीं देखा?
उसने स्विच ऑन किया तो लाइट नहीं थी। रात भी हो चुकी थी। उसे डर लग रहा था। उसे बडे ही जोर की भूख भी लग रही थी। चिड़िया का बच्चा और चिड़िया चीं-ची करके उसके घर के पासआकर अपने दोस्त को ढूंढ रहे थे। चिड़िया और उसका बच्चा अपने दोस्त को ढूंढने की कोशिश कर रहे थे। चिड़िया को जब काफी देर तक राजू नहीं दिखा तो वह अपने बच्चों को राजू के घर की स्टडी टेबल के पास छोड़कर राजू को ढूंढने के लिए उड़ गई। स्कूल के पास पहुंच गई। राजू स्कूल की खिड़की के पास खिड़की से झांक रहा था। रो-रोकर उसका बुरा हाल हो चुका था। चिड़िया ने खिड़की के पास आकर मधुर संगीत सुनना शुरू कर दिया। राजू ने उसे पुकारा चूं चूं मुझे बचाओ। चिड़िया ने अपने दोस्त को पहचान लिया। राजू ने अपने बस्ते से पैन निकाला और कागज पर लिखा पापा मैं स्कूल में बंद हूं ब्लैक बोर्ड के पीछे मुझे नींद आ गई थी। प्लीज मुझे यहां से बाहर निकालो उसने कागज चिड़िया की चोंच में डाल दिया। चिड़िया ने वह कागज अपनी चोंच में इतनी जोर से पकड़ा और उठ कर जल्दी से राजू के घर पहुंच गई। वहां पर राजू के माता-पिता ने पुलिसवालों को भी फोन कर दिया था कि राजू अपने घर से गायब है। पुलिस वाले राजू की तलाश कर रहे थे इतने में चिड़िया ने चींचीं करके राजू के पिता के सामने कागज गिरा दिया। राजू की मां ने जब चिड़िया की चोंच में कागज का टुकड़ा देखा तो उसने वह कागज का टुकड़ा उठा लिया। उन्होंनें पढा तो हैरान रह गए राजू स्कूल में बंद है और और क्लास रूम में है। जब यह बाते राजू के मम्मी पापा पढ़ रहे थे तो वहां पर दो अजनबी चोरी करने के लिए उनके घर आए थे। उन अजनबी लोगों ने उनकी बातें सुनी तो उन्हें पता लग चुका था कि इस घर का बेटा पास ही के स्कूल में बंद हो गया था। उन्होंने राजू के स्कूल का पता भी मालूम कर लिया था कि राजू कौन से स्कूल में पढ़ता है
? वह चुपचाप वहां से भागकर स्कूल पहुंच गए थे। वह दोनों चोर उस बच्चे को किडनैप करने की ताक में थे। उन्होंने उसके स्कूल का पता मालूम कर जल्दी से स्कूल का ताला तोड़ा और राजू को कुछ सूंघा कर उसे बेहोश कर दिया और उसे अपनी जीप में डाला और उसे लेकर चले गए। पुलिस वालों आकर जल्दी से स्कूल में स्कूल खोलने के लिए जैसे ही चाबी लगाने लगे तो राजू के पिता के होश गुम हो गए। उन्होंने जब टूटा हुआ ताला देखा तो जल्दी से स्कूल के अंदर जाकर देखा राजू वहां पर नहीं था। उसका बस्ता वही पड़ा हुआ था। निराश होकर राजू के पापा घर पहुंचे। चिड़िया के छोटे को बच्चे को उन्होंने पिंजरे में डाल दिया। चिड़िया ने देखा कि राजू अभी तक नहीं लौटा है फिर एक बार फिर चिड़िया उड़ उड़ कर राजू को पुकारने लगी। चिड़िया ने दूर तक दौड़ते हुए जिप्सी की आवाज सुनी तो उसे वहां पर अपने दोस्त की गंध महसूस हुई। वह चिडि़या जिप्सी की खिड़की के पास फुदकनें लगी। एक जगह उस आदमी ने गाड़ी रोक दी अभी तक राजू को होश नहीं आया था। दोनों अजनबी उतर कर सामने वाले ढाबे पर चाय पीने चले गए तो चिड़िया ने चुपचाप जिप्सी की खुली खिड़की देख कर फुर्र से उड़ कर गाड़ी में राजू के पास पहुंच गई। उसने जोर-जोर से राजू को चोंच मारी तो राजू की आंख खुल गई राजू ने देखा वह कंहा है।? उसकी आंख न जानें कब लग ग्ई। मैं यहां कैसे आ गया हूं? मुझे यहां पर कौन लाया है? उसने सामने ढाबे पर बैठे हुए दो अजनबी व्यक्तियों को देखा जो बैठे चाय पी रहे थे। वह समझ चुका था कि चोर उसे किडनैप करके कहीं दूर ले जाने का प्लान कर रहे थे। उसने चिड़िया को अपने साथ लिया और जल्दी से गाड़ी से उतरकर जल्दी जल्दी भागने लगा। भागते-भागते वह एक दुकान में पहुंचा। उसने दुकानदार को सारी घटना सुनाई कि वह स्कूल में बंद हो गया था। वहां पर चोरों ने उसे कुछ सूंघा कर उसे किडनैप करके कहीं दूर ले जाने की योजना बना रहे थे। उसने दुकानदार को कहा कि प्लीज मेरे पापा को फोन कर दो। दुकानदार ने उसके पापा को फोन किया कि आपका बच्चा हमारे पास है। आप उसे यहां से ले जाओ।
राजू ने चिड़िया को बहुत ही प्यार किया क्योंकि एक बार फिर राजू की जान चिड़िया ने बचा ली थी राजू ने उस गाड़ी का नंबर भी नोट कर लिया था। पुलिस ने उन लोगों को जल्दी ही ढूंढ निकाला और उन्हें सलाखों के पीछे कैद कर दिया। राजू की जान बच गई वह सुरक्षित अपनें घर पहुंच गया।