निकली मैं शाम को बाग में,
मैं शाम को बाग में घुमनें निकली।।
चमक रही थी सूरज कि किरणें।
सूरज कि किरणें थी चमक रही।।
हंसी एकाएक जोर से।
जोर से यकायक हंसी।
मुझे गिलहरी एक दिखी, बाग के एक ओर।
बाग के एक ओर एक गिलहरी दिखी
थी बैठी तार का सहारा ले कर।
तार का सहारा ले कर थी बैठी।
हंसी यकायक जोर से मैं।
मैं जोर से यकायक हंसी।
समझ बैठी थी दूर से देख कर उसे टिटहरी।
उसे दूर से देख कर टिटहरी समझ बैठी।।
सामने आता देख अचानक मुस्कुराई।
अचानक सामने उसे देख मुस्कुराई।।
चबा रही थी टिटहरी फलियों को।
टिटहरी फलियों को चबा रही थी।।
मुस्कुराई आसमान कि ओर देख कर अकस्मात मैं।
मैं अकस्मात आसमान कि ओर देख कर मुस्कुराई।
नहीं थी वह टिटहरी,
वह नहीं थी टिटहरी।
थी वह तो एक गिलहरी।
वह तो थी एक गिलहरी।।
भूरे,बालों वाली एक सुनहरे।
सुनहरे,भूरे बालों वाली एक गिलहरी।
(छोटे बच्चों के लिए कविता)