कुटिल वचन न बोलिए,
जो सब का मन दुखाए।
मीठे वचन अति लुभावने।
जो सब को सुहाए।।
गोविन्द गोविन्द रटते रहो,जब तक मुंह में जुबान।
भवसागर से तर जाएगा जब निकलेंगें प्राण।।
माया है सब से बुरी,इससे हमेशा रखो दुरी।
प्यार,ममता,स्नेह और विश्वास से प्रभु की पकड़े रखो डोरी।।
विवेक से उत्पन्न होए प्रेम की धारा।
ज्ञान की परिपूर्णता से बहेगी स्वच्छ निर्मल धारा।।
श्रद्धा तत्परता को है दर्शाती।
संयम का मार्ग है सुझाती।।
पुरुषार्थ , ईमानदारी और विवेक से काम करनें का कर लें तप।
मोह,अज्ञानता,भय त्याग कर सच्चाई से काम करनें का ले ले जप।।
मां-बाप कि आज्ञा मानकर बनेंगे सभी काम।
उनके दोषों को गिनानें वालों को भुगतनें पडेंगें भयंकर परिणाम।।
दया,क्षमा,त्याग उदारता का खजाना है बेजोड़।
जीवन भर साथ निभा कर बनता है और भी अनमोल।।
परहित कर कभी गर्व न करो।
भगवत कृपा समझ कर हर्ष करो ।।