सुन्दरता की पहचान हो।
भोली सूरत और ममता की खान हो ।।
करुणा,दया और ममता कि साक्षात मिसाल हो।
चिन्तनशीलता और गुणों की बेमिसाल हो ।।
सोच समझ से हर काम को करती हो ।
अपनों से दिलोजान से मोहब्बत करती हो।।
आप से बढ़ कर कोई नहीं है सानी।।
आप तो सभी से हो स्यानी।।
आप के हाथों से बनें पकवानों कि महक आज भी आती है।
आप के हाथों से बनें हलवे कि सुगन्ध मन को भाती है।।
रुठनें मनाने की कहानी आज भी याद है।
पापा मम्मी कि झलक आज भी आप में विद्यमान हैं ।।
घर में चुल्हा चौंका, और करती झाड़ू बुहारी।
सब कि करती घर में खातिरदारी।।
आप के हाथों में कहानी कि पुस्तक लगती प्यारी।
आज भी आप कि सूरत लगती है सब से न्यारी।।
चचंल ,चुलबुली और नटखट।
मेरी बहना प्यारी,सिलौनी और चटपट।।
एक से एक वस्त्र पहन कर स्कूल को जाती।
दो चोटीयां गूंथ बालों को सजाती।।
पजामी पहन कर शर्माती।
अलग अलग परिधान पहन कर सखी सहेलियों को दिखाती।
छोटे भाई के सामने अपनी धाक है जमाती।।
आप हर दम यूं ही बिंदास रहें।
हर फ़िक्र और चिंता से मुक्त रहें।।
हर पल,हर क्षण आप सदा ही यूं ही मुस्कुराएं।
अपनों कि झलक हम आप में सदा पाएं।।
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