चंदा मामा भाग-२

प्यारे प्यारे चंदा मामा।न्यारे न्यारे चंदा मामा।तुम हो सब के राजदुलारे मामा।मां कहती हैं तुम अपनी किरणों की प्रखरता से सारे जग को चमकाते हो। किरणों की चकाचौंध से सभी के मनों को लुभाते हो।।कभी गोल-मटोल बन कर दिखाते हो।कभी तिरछी कलाओं का जाल दिखाते हो।कभी आधी, कभी पुरी आकृति बनाते हो। आमावस की रात… Continue reading चंदा मामा भाग-२

ऋतुराज बसंत

प्रकृति के सौंदर्य में चार चांद लगाता है ऋतुराज बसंत।मलय पवन की सुगन्ध से लता कूंज को महकाता है बसंत।। पीली सरसों से खेतों को सुसज्जित करता है बसंत।झूम झूम के पक्षियों के कलरव से वन को महकाता है बसंत।। प्रकृति के कोनें कोनें में अपनी छटा को बिखराता है बसंत।हर्ष आनन्द प्रेम प्रसन्नता और… Continue reading ऋतुराज बसंत