मेहनती मनु

अगर इंसान में कुछ कर दिखाने का जज्बा हो तो वह बड़े से बड़ा संघर्ष करके ऊंचाइयों के शिखर पर आसानी से पहुंच सकता है। इसके लिए उसमें सच्ची लगन मेहनत और दृढ़ संकल्प की जरूरत होती है, चाहे उसे कैसे भी परिस्थितियों से गुजर ना पड़े । अपने उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए उसके कदम कभी भी डगमगाते नहीं हैं।

संघर्ष के सफर से ही यह कहानी शुरू होती है एक छोटा सा बच्चा आंखें मलता हुआ उठा वह केवल  तीन वर्ष का था जैसे ही वह सो कर उठा उसने देखा कि उसके चारों और औरतें इकट्ठे होकर जोर-जोर से रो रही है। वह मासूम क्या समझता था जिसको मारने का मतलब भी पता नहीं था ।उसकी मां उसको छोड़कर ऐसी जगह जा चुकी थी जहां से कोई इंसान अगर एक बार चला जाए तो वह कभी भी वहां से वापस नहीं आ सकता था ।अब तो वह बच्चा बिल्कुल बेसहारा हो चुका था उसके तीन भाई थे। वह उससे उम्र में बड़े थे ।मनु अपनी मां की लाश को ले जाता हुआ टुकुर-टुकुर कर देख रहा था उसके पिता सरकारी नौकरी पर कार्यरत थे।

 

घर में उन बच्चों के ताया ताई जी थे ,उनका भी साथ  आठ बच्चों का परिवार था। वह कभी ताई के पास रहता ,कभी अपनी नानी के पास गांव चला जाता ।एक बार जब वह नानी के यहां गया तो आते वक्त उसके नानाजी ने उसे एक आना दिया।उस समय एक आने की कीमत भी बहुत हुआ करती थी। बच्चे के नाना ने उसे कहा कि इंसान को धन दौलत कमाने के लिए रुपयों की जरूरत होती है। अगर इंसान के पास रुपए हो तो वह कुछ भी खरीद सकता है ।उस नन्हे बालक ने कहा नाना क्या कॉपी भी खरीद सकते हैं? उस मासूम के प्रश्नों का उत्तर देते हुए उसके नाना ने कहा था कॉपी भी टॉफी भी बिस्किट भी तब तो वह नन्हा सा बच्चा बहुत खुश हो गया और सोचने लगा कि मैं इस आने को किसी को भी नहीं दूंगा। वह उस आने को बहुत ही संभाल कर रखता था वह सोचने लगा कि इस आने को मैं  कंही सुरक्षित रख देता हूं ताकि इस आने को कोई मुझसे चुरा कर ना ले जाए। उसके घर के बाहर एक अमरूद का पेड़ था।

 

उसकी मां जब जिंदा थी तब वह अपने बच्चों को हर रोज एक कहानी सुनाया करती थी तब अपने भाइयों के साथ बैठकर वह भी कहानी सुना करता था। वह कहानी को बड़े ध्यान से सुना करता था उसकी मां ने कहा था कि हमें पेड़ों को हर रोज और पौधों को पानी दे तो बहुत सारे रुपए आ सकते हैं ।अब उस नन्हे से बालक ने सोचा क्यों ना मैं इस आने को अमरूद के पेड़ के नीचे दबा देता हूं ।मैं इस आने से बहुत सारे रुपए बना दूंगा। वह उस आने  को एक डिब्बे में छुपा कर रखता था। मनु ने उस आने को डिब्बे से निकालकर अमरूद के पेड़ के नीचे एक छोटा सा गड्ढा खोदकर उसमें उस आने को दबा दिया था ।यह बात उसने किसी को भी नहीं बताई थी ।उसके नानाजी ने उसे कहा था कि अगर तू उसे हर रोज पानी देगा तो तुझे उससे बहुत से रुपए मिल जाएंगे अब तो उसको अपनी मां की याद आई वह हर रोज पेड़ों को पानी देने लगा। वह सोचने लगा कि कुछ दिनों बाद मेरे पास बहुत सारे ऊपर हो जाएंगे। उसको किताबों और कॉपियों का बहुत ही शौक था ।वह भी अपने मन में सोचने लगा कि मैं भी अपने दोस्तों की तरह नई-नई कॉपियां लूंगा और मिठाइयां खरीदूंगा हर रोज स्कूल से आने के बाद वह अपने घर के बाहर पेड़ पौधों को अमरूद के पेड़ पर पानी डालने लगा। सुबह भी स्कूल जाने से पहले वह पेड़ों को पानी देना नहीं   भूलता था। इस बात को 8 महीने हो चुके थे।

 

एक दिन उस बच्चे ने स्कूल से आकर सोचा क्यों ना आज मैं इस पेड़ को   खोद कर देखता हूं? परंतु खुदाई करनें पर भी उसे वहां पर आना दिखाई नहीं दिया। वह रोता रोता हुआ अपनी ताई के पास आया और बोला तूने मुझे झूठ बोला इस आने में से कुछ भी नहीं मिला वह आना भी वहां से गायब हो चुका था। उसकी ताई ने उसे  प्यार से उसे गोद में बैठाते हुए कहा तो तुम इस पेड़ को हर रोज पानी देते हो। तुम्हारी मेहनत बेकार जाया नहीं जाएगी तुमने इतनी मेहनत करी है अब कुछ दिनों बाद इस पेडों से बहुत से मीठे मीठे अमरूद लगेंगे जब हम इन अमरूदों को फलों को बाजार में बेच देंगे  तो इन रुपयों से हमें बहुत कुछ खरीद सकते हैं अगर इसी तरह मेहनत करोगे तो एक दिन तुम बहुत बड़े ऑफिसर बन जाओगे। तुम्हारे पास अपनी गाड़ी होगी बंगला होगा नौकर-चाकर होंगे।

अब बच्चा धीरे-धीरे बड़ा हो रहा था  कुछ कुछ समझ आने लगी थी। इन्सान अगर मेहनत करे तो कोई भी असंभव काम को भी संभव बनाया जा सकता है। उसने ठान लिया था कि अब वह खूब मन लगाकर पढाई करेगा।

 

स्कूल जाने के लिए उसे बहुत संघर्ष करना पड़ा।  पांचवीं कक्षा के बाद उसके गांव में हाई स्कूल बहुत दूर था। छठी कक्षा में उसके पिता ने उसे हॉस्टल में दाखिल करवा दिया। पांव में कभी जूते नहीं कभी ड्रेस नहीं। एक ही ड्रेस को खुद धो धो कर स्कूल जाना पड़ता था। हॉस्टल से भी स्कूल बहुत दूर था एक दिन खेल-खेल में एक बच्चे ने उसकी ड्रेस फाड़ दी अब तो उस मासूम के दिल पर क्या गुजरी खुद उसने अपनी कमीज सुई धागा लेकर  उस कमीज को खुद सिलाई कर पहना। जिसको उसने 3 साल चलाया पिता ने रुपया पैसा देने के इलावा बच्चों की कभी भी सुध नहीं ली।

 

एक दिन जब वह हॉस्टल से अपने भाई के पास आया था  कुछ दोस्तों ने उससे कहा कि आज हम पेड़ पर चढ़कर अमरुद खाते हैं तो सब बच्चों ने मनु को पेड़ पर चढ़ा दिया। उसने सब बच्चों के अनुरोध पर उसने बच्चों को खूब अमरुद खाने के लिए दिए।  उसके सब दोस्त अमरूद खाने के बाद उसको अकेला छोड़ कर सब के सब अपनें घरों को भाग गए। वह छोटा सा बच्चा पेड़ के ऊपर से नीचे गिर गया था। और उसकी आंखों में बुरी तरह कांटे घुस गए थे। और सिर से  भी खून बह रहा था परंतु जब वह नीचे गिरा तो उसके सिर से खून बह रहा था। उसने सोचा अगर घर वालों ने उसे देखा तो उसकी बहुत पिटाई होगी। वह रात को पेड़ के नीचे सारी रात सोता रहा सारी रात खून से लथपथ और उसकी आंखे तो पांच छह महीने बाद ठीक हुई।

 

मनु इतना होशियार था कि बच्चों को गणित के बदले में उनसे कॉपियां  ले लिया करता था। जब जब मनु ने 10वीं की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली तब उसके पिताजी ने कहा कि अब मैं तुम्हें आगे नहीं पढ़ा सकता। बच्चा संघर्ष करके जीना सीख चुका था। उसने सोचा कि क्यों ना कहीं ना कहीं कोई इंटरव्यू दिया जाए।

 

उसने टाइप सीखने के लिए अपने पिता से रुपए मांगे। उसके पिता ने कहा कि तुम्हें टाइप सीखने के लिए मैं तुम्हें एक ही बार होता है दूंगा। बाकी अब तुम खुद      कमाओ और पढ़ो। बड़ी मुश्किल से टाइपराइटर वाले वाले के साथ दोस्ती करके टाइप सीखता था। जिस दिन कोई बच्चा टाइप सीखने नहीं आता था उस दिन अधिक देर तक उसकी जगह टाइप सीखता था। वह था  ही इतना मासूम और प्यारा की सब के मनो को मोहित कर लेता था। तीन महीने बाद उसने इंटरव्यू दिया और सेलेक्ट हो गया। और अब तो उसे सरकारी नौकरी भी मिल चुकी थी।

 

नौकरी पाकर वह बहुत खुश था अब वह नौकरी पाकर सोचने लगा कि अब मैं अपना पढ़ना जारी रखूंगा। प्राइवेट कॉलेज में दाखिला ले कर ऑफिस के बाद अपनी पढ़ाई को पूरी करुंगा। उसके पिता ने  वहां पर एक मकान किराए पर लिया हुआ था। जहां उसके पिता सर्विस करते थे। उसके पिता ने कहा कि तू सारा वेतन मुझे दे दिया करो और घर का सारा काम करके ऑफिस जाता फिर घर आकर प्राइवेट कॉलेज में अपनी पढ़ाई पूरी करता। इस तरह उसने स्नातक की पढ़ाई पूरी कर ली।

 

एक बार गांव में किसी की शादी में जाना था बच्चे ने अपने पिताजी से कहा कि मेरे पास एक ही जोड़ी सूट है मैंने भी नए कपड़े बनवाने हैं परंतु उसके पिता ने कहा कि अभी मेरे पास रुपए नहीं है।  मनु ने कहा कि पिताजी मेरी वेतन में से ही सूट सिलवाने के लिए पैसे दो तो उन्होंने उसे साफ इन्कार कर दिया। मनु को अपने पिता की बात पर क्रोध आ चुका था क्योंकि पिता ने कभी बचपन से लेकर नौकरी करने तक उसकी कभी सुध नहीं ली थी। उस बच्चे ने अपने पिता से कहा आपको इस बार मेरी बात तो माननी ही होगी। मुझे इस बार कपड़े जरूर सिलवाने हैं ऑफिस में हर रोज लड़के नए-नए परिधान पहनकर आते हैं अगर मैं एक नया सूट सलवार लूंगा तो क्या बिगड़ जाएगा। अगले महीने जब मुझे बोनस मिलेगा तो वह रुपए आप रख लेना। अगर मैं सूट   सिलवाऊंगा तो वह सूट मुझे शादी में जाने के लिए भी काम आ जाएगा।

 

मनु के पिता इस बात पर उस से  नाराज हो गए। उन्होंने गुस्से में जाकर मनु से कहा कि तू यहां से चला जाता। मनु ने सोचा कि वह गलत बात अपने पिता की कभी बर्दाश्त नहीं करेगा। बड़े बुजुर्गों की बातें तो हमें अवश्य माननी चाहिए मगर यह भी सच नहीं है कि बच्चे ही  हर दम गलत होते हैं कभी-कभी बच्चों के माता-पिता भी आपने व्यवहार के कारण गलत हो सकते हैं। मनु ने अपने पिता की बात नहीं मानी और वहां से चला गया अपने दोस्त के साथ कुछ दिनों तक उसके साथ रहा फिर सोचने लगा कि वह एक अलग मकान लेकर रहेगा। अब तो जब उसके पिता ने देखा कि उसका बेटा उसकी बात नहीं मान रहा है तो वह अपने बेटे को समझा बुझाकर किसी तरह वापस घर ले आए।  उन्हें अपनी गलती का एहसास हो चुका था।

 

मनु अपने संघर्ष के दम पर  एक दिन बहुत बड़ा वकील बना। वकील बनकर वह गरीबों के प्रति अपना फर्ज कभी नहीं भूला। गरीब व्यक्ति की सहायता करने के लिए वह हरदम दिलो जान से तत्पर रहता था। उसने अपनी काबिलियत के दम पर ऊंचाइयों की शिखर पर पहुंचकर बहुत ही नाम कमाया।

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धरती का लाल

चीकू रास्ते में जल्दी-जल्दी अपने कदम बढ़ा रहा था। उसका मालिक जब वह समय पर काम पर नहीं
पहुंचता था उसको कहता था तब तक तुम्हें खाना नहीं मिलेगा जब तक तुम काम नहीं करोगे। चीकू 12 वर्ष
का था रास्ते में फुटपाथ पर उसके मालिक को पड़ा मिला था। मुश्किल में उस समय चीकू तीन वर्ष का
था चीकू को धुंधला धुंधला याद है। उसकी मां उसे फुटपाथ पर छोड़ गई। जब से उसने होश संभाला
अपने आपको फुटपाथ पर पाया जो कोई भी वहां से जाता उससे खाने को मांगता कोई ना कोई आदमी
उस पर दया करके उसे खाने को दे दिया करता था। उसका मालिक उस से डटकर काम करवाता था।
बदले में उसे खाने को देता था वह भी खुश था क्योंकि उसे खाने को मिल जाता था। रात को वह सड़क के
किनारे पेड़ के नीचे चुपचाप आ कर सो जाता था। उसका वही घर था
एक दिन उसके मालिक ने उसे खाने को नहीं दिया उसे बड़ी जोर की भूख लगी थी। सामने से उसने कुछ
बच्चों को स्कूल जाते देखा उसने बच्चों से पूछा तुम कहां जा रहे हो? वह बोले हम स्कूल जा रहे हैं तुम्हें
इतना भी नहीं पता वह अपने दिमाग में सोचने लगा यह स्कूल क्या होता है? जब वह मालिक के पास
पहुंचा तो बोला मलिक जी मुझे बताओ स्कूल क्या होता है? उसका मालिक बोला तू जान कर क्या करेगा
तूने कौन सा पढ़ाई करनी है? वह बोला यह पढ़ना क्या होता है? उसने एक बार जोरदार चांटा चीकू के
गाल पर मार दिया। आगे से कभी मत पूछना जिसका जो काम हो उसको वही शोभा देता है। जाओ
अपना काम करो उसका मालिक उसे कभी बाहर नहीं जाने देता था। कहीं इस बच्चे ने किसी को बता
दिया कि इतने छोटे से बच्चे से काम करवाया जाता है इसलिए उसे कहीं नहीं जाने देता था। चीकू ने भी
कभी अपने मालिक को कभी पूछने का कष्ट नहीं किया। क्योंकि अगर वह उसे पूछता था उसका मालिक
उसे खाने को भी नहीं पूछता था।
एक दिन जब उसका मालिक बाहर गया हुआ था वह एकदम बाहर निकला अच्छा मौका है बाहर घूमने
का वह सड़क पर अपनी ही धुन में चला जा रहा था।
। बच्चे स्कूल जा रहे थे। वे आपस में बातें कर रहे थे आप आज अगर तुमने प्रश्नों के उत्तर ठीक दिए तो
आज उन्हें स्कूल में बढ़िया-बढ़िया खाने को मिलेगा। सबसे बढ़िया उत्तर देने वाले को ₹500 और उन्हें एक
दिन का होटल में खाने को मुफ्त दिया जाएगा। बच्चों की बातों को सुनकर चीकू को बहुत ही अच्छा लग
रहा था। कोई बात नहीं शायद मैं भी उनके प्रश्नों के उत्तर सही दे पाऊं। इसी तरह चला जा रहा था बच्चे
स्कूल के अंदर घुस गए सभी स्कूल के बच्चे और बाहर से 15 साल तक के बच्चे स्कूल में आए थे। चीकू
भी अंदर घुसने की कोशिश कर रहा था।।
पुलिस वालों ने अंदर आने के लिए उसे कहा बेटा क्या तुम भी इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले हो?
बच्चों ने कहा सर यह हमारे स्कूल का बच्चा नहीं है। अधिकारी महोदय ने कहा तो क्या हम 15 साल तक
के सभी बच्चों को यहां आमंत्रित कर रहे हैं? चाहे कोई भी बच्चा हो कहीं का भी हो हम 15 साल तक के

सभी बच्चों को इस प्रतियोगिता में शामिल करने के लिए आमंत्रित करते हैं। वह अंदर आ कर खुश हो
रहा था कब जैसे मैं इनके प्रश्नों के उत्तर दूं और कब मुझे ईनाम मिले और भरपेट खाने को तो मिलेगा।
आज तो मेरा मालिक भी कुछ नहीं कह सकता। उस के आदमियों ने आज मुझे छूट दे दी है। आज तो मैं
अपने मन की हर इच्छा को पूरी करूंगा। मेरा मालिक आ जाएगा तो मैं कहीं नहीं घूम सकता। सब लोग
अतिथि महोदय के आने का इंतजार कर रहे थे। बड़ी सी गाड़ी में एक लंबे से आदमी ने उतरकर जैसे ही
स्कूल के मैदान में कदम रखा चीकू ने देखा सब उसको सलाम कर रहे थे। कोई झंडे लेकर कोई माला
पहनाकर उनका स्वागत कर रहे थे। चीकू तो आज यह सब देख कर मन ही मन खुश हो रहा था वाह वाह
इस सेठ के खूब ठाठ ह उसको सब माला क्यों पहना रहे हैं ? इसकी तो बड़े ही ठाठ है कोई उसको मिठाई
खिला रहा है ? कोई इसको टीका लगा रहा है? कोई उसको ना जाने क्या-क्या ढेर सारी वस्तुएं दे रहे हैं ?
इसके बदले अगर इतनी सी इतनी सारी वस्तु किसी ने मुझे दी होती तो कितना अच्छा होता जरूर आज
तो इस सेठ जी से ही दोस्ती करूंगा। यह तो मेरी मालिक से भी बहुत अच्छे हैं शायद यही मुझे ज्यादा खाने
दे दिया करेगा। चीकू ने देखा लाउडस्पीकर की ध्वनि से सभी बच्चों को बैठने को कहा गया। और जो
बच्चा हमारे तीन प्रश्नों के अच्छे ढंग से उत्तर देगा वही आज का विजेता घोषित किया जाएगा ।
अधिकारी महोदय ने कहा 15 साल से कम उम्र का बच्चा ही इस प्रतियोगिता में भाग ले सकता है। एक
एक करके सभी बच्चों को बुलाया गया अधिकारी महोदय ने 10 बच्चों को सिलेक्ट किया अधिकारी
महोदय ने कहा कि एक बच्चा हम बाहर का भी ले सकते हैं जो बच्चा सबसे पहले हाथ खड़े करेगा उस बच्चे
को बुला लिया जाएगा। अधिकारी महोदय ने देखा इतनी बड़ी भीड़ में सबसे पीछे एक बच्चे का हाथ खड़ा
दिखाई दिया। उन्होंने जोर से कहा जो सबसे पीछे बच्चा खड़ा है वही आगे आएगा। चीकू ने खुश हो कर
कहा वह जल्दी-जल्दी उस भीड़ में से निकलने का पर्यत्न करने लगा। उन बच्चों की लिस्ट में शामिल हो
गया। सभी बच्चों को अधिकारी महोदय ने कहा तुम कहां तक पढ़े हो? सभी बच्चों ने कहा हम इसी स्कूल
में पढ़ते हैं चीकू से पूछा उसने कहा मुझे स्कूल का पता नहीं है स्कूल क्या होता है? अधिकारी महोदय
हैरान होकर उसकी तरफ देखने लगे पहले बच्चे से अधिकारी महोदय ने प्रश्न किया तुम्हारे मां तुम्हारे
परिवार और तुम्हारे परिवार म कौन-कौन सदस्य हैं। इन 3 प्रश्नों के उत्तर सबसे अच्छा जो उत्तर देगा वही
हमारा आज का विजेता घोषित होगा ।।
सभी बच्चे कहने लगे हमारी असली गुरु हमारी मां है। स्कूल में अध्यापक महोदय हैं। हमारे रिश्तेदार और
हमारे सगे संबंधी हमारा परिवार है। चीकू बोला महोदय मेरा असली गुरु मेरी धरती मां है। जिसकी गोद में
मैं बड़ा हुआ हूं। यहां पर आकर मुझे पता चला कि यहीं पर सब कुछ है जब मां अपने बेटे को पुचकारती है
दुलारती है तब मेरी मां ने मुझे रास्ते में चौराहे पर फेंक दिया। मैंने अपनी असली मां बाप को तो नहीं
देखा। जब से मैंने होश संभाला तबसे मैं अपनें आप को चौराहे पर भीख मांगता फिरा करता था। जब

थोड़ा बड़ा हुआ तो एक सेठ ने जी ने मुझे यहां पर काम पर रख लिया। मैं वहां उनके जूठे बर्तन साफ करने
का काम करता हूं। वह मेरा मालिक क्या गुरु हो सकता है पर उसे मैं अपना गुरु नहीं मानता। क्योंकि गुरु
तो वह होता है जो अपने शिष्य को सब कुछ बांट सके । मेरा मालिक तो मुझे जब मेरा काम करने का मन
नहीं करता वह मुझे कहता है तुम्हें आज खाना नहीं दूंगा थक हार कर मैं वहां से हरी-भरी पहाड़ों के बीच में
हरियाली खेतों के बीच में अपने आप को वहां पहुंचकर बहुत ही खुशी महसूस करता हूं । जब मैं शाम को
थक हार कर घर आता हूं तो किसी पेड़ के नीचे या बगीचे में टहल कर सो जाता हूं। तितलियां पक्षी भंवरे
फूल यह सब मेरा परिवार है । प्रकृति की मूल्यवान संपदा मेरा घर है । यही मेरी मां है । यही मेरा परिवार
है।
अधिकारी महोदय जी आप जल्दी से मेरा इनाम दे दो। वर्ना अगर मैं आज देर से होटल पहुंचा तो मेरा
मालिक आज मेरे साथ न जाने क्या-क्या कर डालेगा। अधिकारी महोदय इस बच्चे की बात सुनकर
अवाक रह गए। वह बोले यही बच्चा इस ईनाम का असली हकदार है उन्होंने उस बच्चे को कहा यह लो
₹500 वह बोला साहब यह मुझे पता है एक नोट 500 का है दूसरा हजार का। चलो मुझे किसी अच्छे से
होटल में मुझे ले चलो। मैं अपनी मनपसंद की वस्तु खाना चाहता हूं। अधिकारी महोदय उस बच्चे की
कहानी सुनकर हैरान रह गए। उन्होंने शाम को जाकर उस होटल का पता किया होटल के मालिक को
जेल में डाल दिया। तुमने इतने छोटे से बच्चे के साथ अन्याय किया है। छोटे बच्चों से काम करवाना जुर्म है।
उन्होंने उस दुकानदार को जेल में डलवा दिया। चीकू ने कहा जब मैं बडा बन जाऊंगा तब मै अपने परिवार
की देखभाल करूंगा मै कभी भी किसी को पेडो को काटने नंदी दूंगा। अपने जन्म दिन पर एक पेड़ अवश्य
ही लगाऊंगा। सरकार नें चीकू की पढाई का खर्चा अपनें ऊपर ले लिया। पढ लिख कर चीकू एक बहुत ही
बडा औफिसर बना।

विचित्र न्याय

किसी शहर में दो दोस्त रहते थे। दोनों घनिष्ट मित्र थे  ।एक का नाम था राम दूसरे का नाम था श्याम ।दोनों एक दूसरे की सहायता करने के लिए हमेशा तैयार रहते थे । राम एक राजा के यहां पर माली का काम करता था जो कुछ मिलता था उसे अपना और अपनी पत्नी का पालन पोषण कर रहा था ।श्याम की शादी को तो अभी मुश्किल से ही एक ही साल हुआ था। श्याम ने जिस लड़की से शादी की थी वह भी गरीब परिवार से संबंध रखती थी ।उसने अपने माता पिता के खिलाफ जाकर शादी कर ली थी क्योंकि उसके पिता ने जो लड़का उसके लिए देख रखा था वह बहुत ही लालची था । इसलिए उस लडके साथ शादी करना नहीं  चाहती थी।

श्याम को मधु ने सब कुछ पहले ही बता दिया था कि तुम जल्दी से जल्दी मुझे दुल्हन बनाकर ले जाओ। वरना मेरे  माता पिता मेरी शादी किसी ऐसे नवयुवक से करने जा रहे हैं जो मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है। श्याम ने मधु के साथ भाग कर शादी कर ली थी ।मधु के माता-पिता ने उसे कह दिया था कि अब हमारे घर में तुम्हारे लिए कोई जगह नहीं है ।वह मधु को लेकर एक छोटे से किराए के मकान में रहने लग गया था ।उसकी श्याम ने बहुत सहायता की। उसके घर में अब एक छोटी सी गुड़िया भी आ चुकी थी जिसका नाम उन्होंने दिशा रखा था प्यार से वह उसे दिशु बुलाता था । एक दिन उसकी पत्नी चक्कर खाकर गिर पड़ी उसने   कुछ एक अस्पताल में दिखाया डॉक्टरों ं ने कहा कि आपकी पत्नी का तो ऑपरेशन करना पड़ेगा क्योंकि आपकी पत्नी के ब्रेन ट्यूमर है। उसका ऑपरेशन जल्दी से जल्दी नहीं किया गया तो वह इस दुनिया से सदा के लिए चली जाएगी अपनी पत्नी की रिपोर्ट सुनकर श्याम बहुत ही उदास रहने लग गया था। उसने इस रिपोर्ट के बारे में अपनी पत्नी मधु को भी नहीं बताया था और दिशु तो अभी एक महीने की ही थी वह सोचने लगा कि काश मेरी पत्नी ठीक हो जाए कैसे मैं इसकी जिंदगी को बचाऊूं ‘और कैसे मैं इस छोटी सी नन्ही कली जिसने तो अभी तक कुछ भी नहीं देखा है इसके लिए ऐसा क्या करूं जिससे मैं उसकी मां को बचा सकता हूं। मैं इसकी जिंदगी बचाने के लिए जो कुछ भी हो सकेगा मैं पीछे नहीं हटूंगा क्योंकि अब तो इसको मेरे सिवा और कोई देखने वाला भी नहीं है ।श्यामअब बहुत ही उदास रहने लग गया था। वह सारा दिन मजदूरी करके जो कुछ मिलता था उसी से अपना और अपनी पत्नी का पेट पालता था।

एक दिन उसको दुखी  देखते हुए उसका दोस्त राम  बोला भाई मैंने तुम्हें कुछ दिनों से बहुत ही उदास देखा है क्या बात है।? तुम आजकल बहुत ही चिंता में दिखाई देते हो। मुझ से अपना दुख नहीं कहोगे तो किससे कहोगे? मैं ही तुम्हारा दोस्त हू। ं श्याम राम के के गले लगकर फूट-फूट कर रो पड़ा भाई मेरे बात ही इतनी गंभीर है। राम बोला तुझे मेरी कसम है अपने दोस्त को अपने मन की बात बता कर अपने मन को हल्का करो अगर मेरे करने लायक कुछ होगा तो मैं भी तुम्हारी मदद करुंगा ।श्याम बोला तुम यह बात अपनी भाभी को मत बताना। एक दिन तुम्हारी भाभी चक्कर खा कर नीचे गिर गई थी। डॉक्टर ने मुझे बताया कि उसके दिमाग में ट्यूमर है ।अगर इस ट्यूमर का जल्द से जल्द इलाज नहीं करवाया गया तो वह जल्दी ही मर जाएगी उसके ऑपरेशन के लिए डॉक्टर ने एक लाख रुपया फीस बताई ।मेरे पास 100’000 रुपए कहां से आएंगे? अब मैं क्या करूं एक लाख रुपए में मैं सारी जिंदगी कमाऊं तो  भीनहीं मिल सकते। उसका दोस्त बोला अब तो हम यह फैसला भगवान पर ही छोड़ देते हैं जैसी ईश्वर की मर्जी होगी वही होगा ।राम बोला थोड़ी मदद तो मैं भी कर दूंगा परंतु एक लाख तो इतनी अधिक है क्या करू।ं वह बोला मैंने आजकल रिक्शा चलाना भी शुरू कर दिया है

राम माली के रूप में राजा के यहां काम कर रहा था। वह भी अपने दोस्त मदद नहीं कर सकता था। उस उसको भी बड़ी मुश्किल से 5000 6000 रूपए  मिलते थे। राजा की बेटी को घुमाना और फूलों की माला बनाना क्यारियों में पानी डालना और बगीचे की देखभाल करना है ःउसका काम था। वह पौधों को पानी दे रहा था और अपने दोस्त के बारे में सोच रहा था तभी राजा की बेटी उसके पास आकर बोली अंकल अंकल आप पौधों को पानी दे रहे हैं ।आप अंकल आज उदास क्यों है? वह बोला हां आज मैं बहुत ही उदास हूं मेरा एक दोस्त है ।वह भी मेरी ही तरह गरीब है उसकी छोटी सी बेटी है। वह केवल अभी एक महीने की हुई है और उसकी मां जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है क्योंकि उसे डॉक्टरों ने भी ब्रेन ट्यूमर बताया है ।हम गरीबों के पास खाने के लिए भी इतने रुपए नहीं है ब्रेन ट्यूमर का इलाज करवाने के लिए उसे 100000 रुपए चाहिए। मेरा दोस्त एक लाख रुपए कहां से लाएगा यह सोचकर मैं उसके लिए दुखी हो रहा हूं। आज तो मेरा दोस्त मुझे कह रहा था कि अगर मेरी पत्नी मर गई तो मैं भी उसके साथ ही मर जाऊंगा। तू मेरी बेटी को पा ल लेना मैं उसके बारे में सोच सोच कर दुखी हो रहा हूं ।मालिक को इस प्रकार कहता सुन छोटी सी नेहा बहुत ही दुखी हुई बोली अंकल आप भगवान पर भरोसा रखो आपकी भाभी को कुछ नहीं होगा ।वह ठीक हो जाएगी। राम घर आ गया उसके दिमाग में यही विचार आ रहा था कि वह अपनी भाभी की जान कैसे बचाए ।।।

राजा अपनी बेटी से बहुत प्यार करता था ।नेहा अपने पापा के पास गई और बोली आप एक राजा है और राजा का फर्ज़ होता है अपने राज्य में गरीब दीनों और लाचारों की मदद करना। राजा बोला हां बेटा, नेहा बोली आप आज अपनी बेटी के सामने कसम खाओ आपके राज्य में जो कोई भी इंसान फरियाद लेकर आएगा आप उसकी व्यथा जरूर सुनेंगे। उसको बिना सुने वापस लौट आने को विवश नहीं करेंगे। आप धनुर्विद्या में बहुत ही निपुण है पापा आप को धनुर्विद्या में कोई नहीं हरा सकता ।मैं आप के कौशल को देखना चाहती हूं ।आज अपने राज्य में घोषणा कर दो जो मुझे राजा को धनुर्विद्या में हरा देगा उसे मैं एक लाख रुपए दूंगा। राजा बोला ठीक है बेटा मैं कल ही घोषणा कर दूंगा राजा ने दूसरे दिन घोषणा कर दी कि जो मुझ को धनुर्विद्या में हरा देगा मैं उसे 100000 रुपए दूंगा

दूसरे दिन जब राम बगीचे में आया तो वह वहां पर  नेहा पहले ही मौजूद थी नेहा बोली अंकल आप अपने दोस्त को कहा कि आपके राज्य में राजा ने घोषणा की है कि जो मुझे धनुर्विद्या में हरा देगा उसे मैं 100000 रूपय दूंगा। वह बोला बेटी धनुर्विद्या में तो हम दोनों दोस्त निपुण है ।आपके पापा का मुकाबला हम नहीं कर सकते अगर मैं जीत गया तो मैं खुशी-खुशी अपने दोस्त को एक लाख रुपए देने के लिए तैयार हूं। ं हम दोनों ही कल आपके महल में आएंगे।

राजा ने अपने राज्य में ऐलान कर दिया था कि जो कोई मुझे धनुर्विद्या में हरा देगा उसे मैं एक लाख रुपए दूंगा। यह बात श्याम नेे भी सुनी श्याम अपनी पत्नी की जान बचाने के लिए धनुर्विद्या में हिस्सा लेने के लिए चला गया।

नेहा ने जैसे ही राम और श्याम को आते देखा उसने देखा श्याम बहुत ही उदास था। वह सचमुच ही अपनी पत्नी की जान बचाने के लिए आतुर था। आकर दोनों ने अपने अपने फार्म जमा करवा दिए थे ।दूसरे दिन प्रतियोगिता थी और उसे अगले दिन उसकी पत्नी का ऑपरेशन था ।।वह सोच रहा था कि मुझे हर हालत में अपनी पत्नी की जान बचानी है ।उसने अपने दोस्त को एक  कागज का परचा देकर कहा मैं यह सब कुछ होश में लिख रहा हूं अगर मैं जिंदा बच गया तो ठीक है नहीं तो मेरी बेटी की जिम्मेदारी मैं अपने दोस्त श्याम को सौंपता हूं क्योंकि डॉक्टरों ने मेरी पत्नी को ब्रेन ट्यूमर के इलाज के लिए एक लाख रुपया खर्चा बताया है ।मैं अगर धनुर्विद्या में जीत गया तो मैं अपनी पत्नी और बेटी को ढेर सारी खुशियां दूंगा। और मैं अगर नहीं जीत पाया, तो   मेरा दोस्त मेरी बेटी को पालेगा।क्योंकि मैं भी अपनी पत्नी के साथ अपनी जीवन लीला समाप्त कर लूंगा।

अगर मैं हार गया तो, इसलिए मेरे प्यारे दोस्त अलविदा यह कहकर उसने कागज का टुकड़ा अपने दोस्त राम को देने के लिए मेज पर रख दिया।

जैसी ही प्रतियोगिता शुरु होने वाली थी नेहा ने अपने पापा को बुलाया पापा आपको मेरी बात याद है या नहीं ।उसके पापा ने कहा कौन सी बात तब उसने अपने पापा को वह कागज का टुकड़ा थमा दिया जिसमें श्याम ने अपने दोस्त को पत्र लिखा था।उसके पापा ने वह खत पढाऔर बोला बेटा इस खत को मैंने पढ़ लिया है तभी उसकी बेटी बोली पापा आपने अपने वायदेे पर  कायम हैं। राजा बोला हां बेटा ।।।

नेहा बोली पापा धन्यवाद ,आपने मुझे आज जो खुशी दी है जिसकी मैं कभी कल्पना भी नहीं कर सकती थी। दूसरे दिन सारे लोग प्रतियोगिता में भाग लेने आए थे। सभी को राजा ने पूछ लिया था कि तुम क्यों आए हो सभी के बारे में राजा ने अच्छी प्रकार समझ लिया था तभी उसने श्याम को बुलाया और कहा तुम्हारा यह खत यही छूट गया था।  उसने राजाको देखा और बोला राजा जी धन्यवाद यह खत मुझे बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि यह खत आपके सामने मैं अपने दोस्त राम को देना चाहता हूं । राजा बोला इस खत में ऐसा तुमने क्या लिखा है जो तुम अभी नहीं दिखा सकते श्याम बोला आप पर अपने राज्य के राजा पर विश्वास करके यह खत मैं अपने दोस्त को देना चाहता हूं तब राजा बोला ठीक है यह खत मुझे दे दो। मैं तुम्हारे दोस्त को जरुर दे दूंगा ।

राजा का महल खचाखच भरा हुआ था। सब लोग धनुर्विद्या को देखने के लिए दूर दूर से आए थे सब लोगों को राजा ने हरा दिया था। राजा को छः निशाने लगाने  थे जो पांच निशाने लगा देगा वही जीता हुआ समझा जाएगा। अब तो केवल शाम ही रह गया था श्याम की जैसे ही बारी आई वह अपने दोस्त के गले लग कर बोला भाई मेरे मेने एक खत राजा के पास तुम्हारे लिए लिख छोड़ा है। उसे तुम देख लेना वह जल्दी जल्दी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने चला गया ।

उसने सबसे पहले धरती माता के पैर छुए ।उसे  नेहा बड़े ध्यान से देख रही थी ।राजा ने तीन निशाने तो लगा दिए मगर राजा तीन ही निशाने लगा पाया था अब शाम की बारी थी। पांच निशाने ठीक लगाए। अब् तो श्याम जीत चुका था ।नेहा अपने पापा की तरफ देखकर मुस्कुराई।  वह जान गई थी कि उसके पापा ने जानबूझकर श्याम से हारे थे ।सब लोगों ने तालियां बजाई । अब तो शाम को भी पता चल चुका था की राजा जान बूझ कर हारे थे क्योंकि वह शाम को हारते हुए नहीं देख सकते थे। उन्होंने सच्चा न्याय करना था ।सत्य न्याय करने के लिए उनकी बेटी ने उन्हें प्रेरित किया था। तालियों की गड़गड़ाहट से श्याम को माला से नवाजा गया और उसे वादे के   अनुसार एक लाख रुपए दिए ।

नेहा ने आकर कहा अपने पापा को कहा कि सही मायने में आज आपने न्याय किया है। आज मैं गर्व से कह सकती हूं मेरे पापा जैसा न्याय करने वाला राजा कोई और हो ही नहीं सकता। राजा ने अपनी बेटी को गले से लगा लिया रुपए पाकर शाम बहुत ही खुश हुआ। उसने अस्पताल जाकर अपनी पत्नी का ऑपरेशन करवा दिया था ।ऑपरेशन सफल हो गया था। दिशु को अपनी मां के प्यार से वंचित नहीं होना पड़ा।

भेडू के बच्चे की वापसी

जंगल में सभी जानवर एक ही स्कूल में शिक्षा ग्रहण करते थे। सभी जानवर दूर-दूर के जंगलों से आकर हॉस्टल में पढ़ने आए थे। वहां पर सब जीवजन्तु मिल जुल कर रहते थे कोई भी जानवर किसी को नुकसान नहीं पहुंचा सकता था। स्कूल के हैडमास्टर  जी ने उन्हें सख्त हिदायत दी थी कि कोई भी जानवर एक दूसरे को नहीं मारेगा वर्ना उस बच्चे को स्कूल छोड़ना पड़ेगा। सभी जानवर प्यार से रहते थे।

सभी जीव जंतुओं की गर्मियों की छुट्टियां आने वाली थी सभी अपने-अपने घरों में जाने के लिए उत्सुक थे। एक भेड़ का बच्चा वह भी अपनी नानी अम्मा के पास जा रहा था उसकी मां घर पर नहीं थी उसकी मां उसकी मौसी से मिलने गई थी भेड़ का बच्चा भी घर जाने के लिए तैयार बैठा था जब वह चलने लगा वह बिल्कुल अकेला था उसका कोई भी रिश्तेदार उसे लेने नहीं आया था वह अकेला ही घर जाने की तैयारी कर रहा था। भेड़ का बच्चा वह अपनी धुन में चला जा रहा था। रास्ते में भेड़ के बच्चे को शेर मिला शेर बोलां खाडू खाडू तुझे  खा लूं या छोड़ दूं। अपनी भाषा में खाडू खाडू ताखे खाई लूं या छाडी दूं। भेड़ का बच्चा बोला नानकडे कर जाई आऊं।ं मोटा टेढा होई आऊं आऊंदडे तू माखे खा लिओ। मोटा टेढ़ा हो आऊं आऊंदडे तू माखे खा लिओ। मैं अपनी नानी अम्मा के घर जा रहा हूं मैं वहां से खूब मोटा खूब बलवान बनकर आऊंगा तब तुम मुझको खा लेना। शेर को उस पर दया आ गई शेर ने उसे छोड़ दिया।

 

आगे उसको बहुत सारे जानवर मिले आगे भालु चीता खरगोश हिरण बंदर बहुत सारे जानवर मिले सभी को उसने कहा।  आऊं मोटा टेढ़ा हो आऊं आऊंदडे तू माखे खा लेना। खाडू ने कहा मैं अपनी नानी के घर जा रहा हूं मैं वहां से खूब मोटा ताजा बनकर आऊंगा वापसी में तुम मुझे खा लेना। इस प्रकार बहुत सारे जानवर मिले सब को  उसने कहा मैं अपनी नानी अम्मा के घर जा रहा हूं वहां से खूब मोटा-ताजा बनकर आऊंगा तब वापसी में तुम मुझे खा लेना।

 
अपनी नानी अम्मा के घर पहुंच गया था। वहां पर उसने अपनी खूब सेहत बनाई। एक दिन उदास होकर बैठा था तो उसकी नानी अम्मा ने उसको पूछा कि बेटा तू उदास क्यों है? भेड़ू बोला अम्मा माखे े रास्ते में बहुत सारे जानवर मिले।तिना ने माखे खाई लेना।   छोडना नी। नानी अमा मेरे को रास्ते में बहुत सारे जानवर मिले उन्होंने मुझको खा लेना है उन्होंने मेरे को छोड़ना नहीं है। उसकी नानी अम्मा बोली तेसरी नानी बोली। पाऊआ तू किझी के डरो ए। बेटा तू क्यों डर रहा है मैं ताखे एक तुमरी दूंगी। तू तिस बच्चे छिपी जाया। मैं तुझे एक तुमडी देती हूं तूं उस में छिप जाना। ताखे तेस तुमडी के अन्दर कोई नंहीदेख पाएगा। तुझे उस तुमडी के अन्दर कोई नंही देख पाएगा। उस तुमडी के अन्दर भेड़ के बच्चे को छिपा दिया। तेसरी नानी अमा ने तेसखे एक मिर्ची का बूरा भी दे दित्या। ताखे अगर कोई छेडो गा तेस पान्दे तू मिर्ची फैंक दिओ।

 

चलते चलते जब भेड़ का बच्चा बहुत दूर आ गया रास्ते में उसे भालू मिला भालू ने पूछा तुमडी तुमडी तैं खाडू तो नी देखा। तुमडी बोली। खाडू न जानू लाड्डू न जानू तुमडी जानो बाट तुमडी साथे छेडया तो तुमडी मारेगी चंडाक। । तुमडी को भालू ने पूछा तुमडी तुमडी तुने भेड़ को तो नहीं देखा। तुमडी बोली। खाडू न जानू लाड्डू न जानू तुमडी जाने बाट तुमडी साथे छेडया तो तुमडी मारेगी चंडाक। तुमडी के साथ अगर तुमने कोई छेड़छाड़ की तो तुम्हे तुमडी एक जोरदार झांपड मारेगी। इस तरह से तुमडी को सारे  के सारे जानवर मिले।

 

लोमड़ी बडी़ ही चालाक थी उसे पता लगता गया था कि उस तुमडी के अन्दर भेड़ का बच्चा है। वह तुमडी से बोली। तुमडी लुडकती जा रही थी। उसने तुमडी को रोक कर कहा तुमडी तुमडी तू ने खाडू तो नही देखा। तुमडी बोली खाडू न जाने लड्डू न जाने तुमडी  जानो बाट तुमडी साथे छेड़ा तो तुमडी मारेगी चंडाक। तुमडी साथे छेड़या तो तुमडी मारेगी चंडाक। लोमड़ी बोली ठहर जा माखे पता चल गया है। इस बिच्चे खाडू के बच्चे तू छिपी रा है। जल्दी बाहर निकल। भेड़ का बच्चा बोला। ठहर पहले मेरी गल सुन। तब मुंह खोलिए। लोमड़ी बोली चल बोल क्या बोलना चाहो है। भेडू का बच्चा बोला आऊं ताखे एक बड़ी ही सुन्दर चीज ल्ई आया। देखा किसी खे  बतांदी। । मैं तेरे लिए एक बहुत ही सुन्दर उपहार लाया हूं देखना किसी को मत बताना। लोमड़ी बोली में तो झूठ बोल रही थी। भेडू का बच्चा बोला मेरे पास आ। लोमड़ी उसके पास जा कर बोली ला मेरा ईनाम। भेडू के बच्चे नें मिर्ची का बुक्का लोमड़ी की आंखों में फैंक दिया। लोमड़ी हाय मर गई मर गई कहते कहते नीचे गिर पड़ी। भेडू का बच्चा होशियार था जल्दी ही वह वहा से नौ दो ग्यारह हो गया। वह खुशी खुशी अपनें घर पंहुच गया था।

कविता मौसी

कविता के नाम से पहचाने जाने वाली महिला इतनी मशहूर नहीं थी। उसको कविता नाम से कोई नहीं पहचानता था जितना कि सारे मोहल्ले के बच्चे उन्हें मौसी के नाम से पुकारते थे। मौसी-मौसी कहकर सारे बच्चे उन्हें घेर लेते। उनसे हर रोज कहानी की फरमाइश करते हुए भी बच्चों को जिस दिन ना देख ले उनको खाना  हजम नहीं होता था। बेचारी अकेली ही अपने परिवार में बची थी ।वह उसे दो वक्त की रोटी दे । बेचारी वह अपाहिज थी दुर्घटना में केवल एक वह ही बची थी। उसके चाचा उसे अपने घर ले आए थे तभी से वह उनके यहां पर रह रही थी ।वह अपने आप को कभी भी अपाहिज नहीं समझती थी ।वह हर वक्त खुश रहती थी। वह अपना सारा समय बच्चों के साथ मस्त रहती। सारे मोहल्ले के बच्चों की जान थी कविता मौसी ।सारे मोहल्ले वालों मे मौसी के नाम से पहचाननेे जाने लगी थी । वह  उनके बच्चों की चहेती थी ।वह जब तक बच्चे मौसी से नहीं मिलते बच्चों के गले से खाना हजम नहीं होता । मोहल्ले वाले तो उन्हें यह तक कह देते थे कि इस जादूगरनी ने हमारे बच्चों पर ना जाने क्या जादू कर दिया है कि बच्चों के गले से भोजन का एक निवाला भी नहीं निकलता जब तक वह मौसी के पास उन्हें नहीं भेज देते ।मौसी थी ही इतनी प्यारी कि वह सभी बच्चों को इतने प्यार से कहानी सुनाती कि बच्चे उन्हें घेर कर कहते कि मौसी आगे क्या हुआ   । कविता मौसी उन बच्चों को भी थोड़ा बहुत। पढा। दिया करती थी ।आठवीं तक पढ़ी हुई थी वह एक दिन मौसी बहुत ही बीमार हो गई ।सारे बच्चे उन्हें देखने आए। वे बहुत ही बेचैन हो गए। उन्हें बीमारी की हालत में तपता हुआ देखकर वह अपने अपने घरों में मौसी की सलामती की दुआ मांगने लगे। उनके चाचा जी सोचते कि कविता मौसी यहां से कहीं चली जाती ।मोहल्ले वाले उनसे कह देते थे कि मौसी के आने के बाद हमारे बच्चे हमारे घर पर टिकते नहीं हैं ।वह पढ़ते भी नहीं है ।यह बातें कविता के चाचा ने कविता से कह दी कि मोहल्ले वाले तुमसे बहुत ही नाराज है ।तुमने बच्चों को अपने घर पर बुलाकर अच्छा नहीं किया ।तुम उन्हें पढ़ने के बजाए उनके जीवन के साथ खिलवाड़ कर रही    हो ।तुम यह बात कहां समझोगी। तुम्हें अपने घर पर रख कर एक तो तुम को हमने तुम्हें पनाह दी और अब तुम इन बच्चों को यहां पर आने से मना करो गी नहीं तो हम तुम्हें अनाथालय में भिजवा देंगे ।इस बात को कविता मौसी ने अपने दिल से लगा लिया और वह बहुत ही बीमार हो गई। उसकी आंखों से आंसू छलक आए बच्चों में तो उसकी जान बसती थी वह सोचने लगी की जब वह थोड़ा ठीक हो जाएगी तब वह चाची जी से कह देगी कि उन्हें अनाथालय में छोड़ दें ।एक दिन जब सारे के सारे बच्चे कविता मौसी के यहां आए तो उन्हें बुखार से तड़पता हुआ देखकर कोई कहता मौसी हमें बताओ कौन सी दवाई देनी है? ।इतने में कविता मौसी के चाचा आए और कटाक्ष शब्दों से बोले चले जाओ आज के बाद यहां पर कभी मत आना नहीं तो मैं तुम्हारी मौसी को अनाथालय में भेज दूंगा ।मेरे पास इसकी दवाई के लिए रुपए नहीं है एक तो यह अपाहिज है और तुम्हारे मां बाप भी मुझे ही कहते रहते हैं कि इन की मौसी ने हमारे बच्चों पर जादू कर दिया है ।सारे के सारे बच्चे चाचा की बातों को सुनकर दंग रह गए। वह दौड़े-दौड़े मौसी के पास आए और बोले मौसी आप यहां से कहीं नहीं जाओगी ।आप हमारे घर पर रहोगी। आपको यहां से कोई नहीं निकालेगा। मौसी की आंखों में खुशी के आंसू छलक पड़े वह बोली बच्चों मैंं अपाहिज हूं ।मैं किसी पर भी बोझ बनकर जीना नहीं चाहती। दुर्घटना में मेरी दोनो टांगे बेकार हो गई थी । मै अगरं चल फिर सकती तो मैं भी मेहनत मजदूरी करके अपने चाचा जी को खुशियां देती ।तुम बच्चो  मेरे चाचा जी की बातों का बुरा मत मानना और एक वायदा मुझसे करो कि मुझे खुशी खुशी अनाथालय जाने दोगे जब मैं तंदुरुस्त हो जाऊंगी तब मैं यहां से चली जाऊंगी ।सारे के सारे बच्चों में अपनी गुल्लक में जो जो रुपए इकट्ठे किए थे उनसे वह कविता मासी की दवाइयां ले आए और चाचा को देते हुए बोले चाचा जी ये। हमारी मौसी की दवाईया है। उनमें से एक बच्चा बोला चाचा जी हम चुपके से अपने घर से एक एक बच्चा अपनी मौसी के लिए खाना लेकर आया करेगा ।पीयूष जब घर आया तो वह वह बहुत ही उदास था ।उसकी मां ने जब उससे उसकी उदासी का कारण पूछा तो उसने कहा कि पापा आज मैं आप दोनों से एक चीज मांगता हू।ं आप अगर दोनों मेरी बात मानोगे तो मैं खूब पढूगा । आपकी सारी बातें मानूंगा पहले आप भगवान जी के पास मंदिर जाकर कसम खाओ कि आप मेरी बात मानोगे ।उसके मम्मी पापा दोनों डॉक्टर थे ।अपने बच्चे की आंखों में आंसू नहीं देखना चाहते थे। वह उसे खूब पढ़ाना चाहते थे ।वह बोले बेटा हमें बताओ तो सही क्या बात है तभी उसने अपने पापा से कहा। आप एक डॉक्टर है और ममी जी आप भी एक डाक्टर हैं। आप मेरी मौसी को ठीक कर दो ।आप उनकी टांगों को ठीक कर दो और उनको अपने घर में रहने की जगह दे दी।  तो उस के यह वचन सुनकर और अपने दोनों बच्चे की दरिया दिल्ली देखकर वे प्रसन्न हो गये और उन्होंने कहा कि बेटा

तुम्हारी मौसी की टांगे  ठीक हो जाएगी तो हम उन्हें नहीं जिंदगी देंगे। पीयूष बोला पापा डॉक्टर का कर्तव्य होता है अपने रोगी की जान बचाना हमारी मौसी बुखार से तप रही है। आप उन्हें जल्दी से ठीक कर दो। और उन्हें अपने घर में रहने के लिए आश्रय दे दो बाकी मोहल्ले के बच्चों ने अपने अपने घरों में अपने मां-बाप से कहा कि हमारी मौसी को बदनाम दुआ क्यों देते हो? आप हमें उनके घर जाने से क्यों रोकते हो। आप लोगों ने हमारी मौसी को यहां से निकलवाकर अच्छा नहीं किया। उनके चाचा उन्हें अनाथालय भेज देंगे ।ठीक है मम्मी पापा जब हम बड़े होंगे तब हम भी आपको अनाथालय भेज देंगे । हमारी   बेचारी मौसी हमें कहानी ही तो सुनाती है ।वह हमें अच्छी लगती है । मोहल्ले वालों को अब तो अपनी गलती का एहसास हो गया था। कविता मौसी के यहां जाकर उनके चाचा जी से कहने लगे कृपया करके आप हमें माफ कर दो। हमने मौसी और बच्चों का दिल दुखाया है। तुम चिंता मत करो मौसी की दवाइयों में जितना खर्च होगा हम सब मिलकर उन का खर्चा उठाएंगे यह हमारे बच्चों की मौसी ही नहीं आज से हम भी उन्हें मौसी जी पुकारा करेंगे मौसी बच्चों का अपने प्रति इतना प्रेम देखकर फूल नही समाई। ं उसकी आंखों में खुशी के आंसू थे कि चलो कोई तो उन्हें प्यार करता है कौन कहता है इस संसार में ईश्वर नाम की कोई शक्ति नहीं। ईश्वर नें हीं तो उन्हें बच्चों से मिलवाया था वह मन ही मन प्रभु को धन्यवाद देनें लगी। पीयूष के माता-पिता मासी को अपने क्लीनिक पर लेकर गए। वह जब पूरी तरह ठीक हो गई तब उसकी टांगों का ऑपरेशन किया गया उसकी एक टांग तो ठीक हो गई। और एक टांग उसके  नकली लगा दी थी। उसके माता पिता ने मौसी को अपने क्लीनिक में नौकरी पर लगा दिया वहां पर वह रोग ग्रस्त मरीजों को पट्टी बांधना मरहम लगाना और बिमार लोंगों को दवाइयां देना यह छोटे-छोटे काम करने लगी। अब वह बहुत ही खुश थी क्योंकि बच्चों ने उसकी मदद करके उसे इस काबिल बना दिया था कि वह अब किसी पर भी बोझ नहीं थी। वह खुद कमा सकती थी अब तो उसने अपने चाचा जी को कहा चाचा जी आपने मेरे लिए इतना किया अब मैं इसी मोहल्ले में रहकर रोग ग्रस्त पीड़ितों की मदद करके अपना सारा समय इस मोहल्ले में रहकर ही गुजार दूंगी। अब तो शाम को फिर वह सब बच्चों को घेर कर कहानी सुनाती थी और सुबह अपने काम पर चली जाती थी। उसके चाचा जी भी अपनी भूल पर पश्चाताप कर रहे थे। परंतु कविता ने अपने चाचा जी को कहा की आप को शर्मिंदा होने की कोई जरुरत नहीं है आप अगर इतना बड़ा फैसला नहीं लेते तो आज मैं अनाथालय में होती इसके लिए मैं आपसे कभी भी नाराज नहीं हूं। मैं अपने नए घर में प्रस्थान करना चाहती हूं अलविदा उसने अपने चाचा चाची जी के पैर छुए और वहां से उनके घर से सदा सदा के लिए चली गई

 

 

दक्षिणा

पीहू एक छोटी सी बस्ती में रहती थी उसकी मां उसे अच्छी शिक्षा नहीं दिलवा सकती थी।  उसकी मां इधर उधर घरों घरों में जाकर बर्तन साफ कर और झाड़ू पोछा लगा कर अपनी आजीविका चला रही थी। पीहू तो मौज मस्ती में सपने देखने में अपना समय व्यतीत कर रही थी। वह हर रोज नए नए सपने देखा करती थी। उसकी मां सोनाली उसे हर वक्त कहती कि बेटा सपने देखना छोड़ो सपने वही देखनी चाहिए जो पूरे हो सके। मैं तेरे सपनों को कभी पूरा नहीं कर सकती।

 

एक दिन उसकी सहेलियां घर पर आई हुई थी उसकी मां बोली तुम्हारी सहेली तो सपने देख रही है। उसकी सहेलियाँ बोली “जरा हमें भी बताओ कि कि पीहू कहां है” ? उसकी मां सोनाली ने कहा अपने कमरे में सोते रहती है और सपने देखा करती है। उसके कमरे में चली गई उन्होंने पीहू को जगाते हुए कहा उठो ना जाने कितनी देर हो गई है। सपने देखना छोड़ दो। स्कूल नहीं जाना है क्या? वहबोली मैं सपना देख रही थी कि मैं विदेश चली गई हूं। उनकी सहेलियां हंसने लगी उसकी मम्मी बोली बेटा सपने वही देखने चाहिए जो पूरे हो सके। अपनी मां को बोली मां देखना एक दिन मैं अपने बल पर अपने सपनों को साकार कर कर दिखाऊंगी। मैं विदेश जरूर जाऊंगी उसकी सहेली हंसने लगी थी बोली अच्छा बाबा अपने सपनों के बाद में पूरा करना अभी तो स्कूल जल्दी पहुंचना है।पीहू ने जल्दी अपना बस्ता लिया और स्कूल चली गई।

 

पीहू मेहनती लड़की थी। वह  हरदम मस्त रहती थी उसे देखकर कोई नहीं कह सकता था कि वह पढ़ाई भी करती है। स्कूल में जो भी प्रश्न मैडम पूछती उसका जवाब हमेशा देती। इसलिए उसकी अध्यापिका उसे डांटती नहीं थी। उसके पास कॉपी किताबें कम ही होती थी। इसी तरह आठवीं कक्षा में पहुंच गई थी।

 

उसके घर के पास एक परिवार रहने के लिए आया था। उसने उस परिवार की आंटी से दोस्ती कर ली थी। उसके घर में हर रोज आने लगी थी अंकल के साथ भी वह बहुत घुल मिल गई थी। वह रसोई में तुषार की पत्नी के साथ हाथ बंटाने लगी। एकदिन बोली मैंने सुना है कि आप एक गणित के अध्यापक हो। आप मेरी इस विषय को पढ़ाने में मदद करो। मैं आंटी का सारा काम कर दिया करूंगी। मुझे गणित का विषय बहुत ही अच्छा लगता है तुषार बोले बेटा ज्ञान बांटने से बढ़ता है मैं तुम्हें पढ़ा दिया करूंगा वह बोली अंकल पर मेरे पास आपको देने के लिए फीस नहीं है। मैं जब बड़ी ऑफिसर बन जाऊंगी मैं गणित विषय की बड़ी प्रोफेसर बनना चाहती हूं। मैं सपनें देखा करती हूं तुषार बोले बेटा सपने देखना तो ठीक होता है मगर इसके लिए संघर्ष करना बहुत ही जरूरी होता है। अंकल मेरी मां दूसरे घरों में कपड़े साफ कर और पोछा झाड़ू लगाकर मुझे बड़ी मुश्किल से पढ़ा रही है। तुम्हें तब तोअपने सपनों को  अवश्य साकार करने की कोशिश करनी चाहिए। इस काम के लिए मुझ से जो हो सके जो भी बन पड़ेगा मैं तुम्हारे लिए करूंगा।

 

पीहू ने रात दिन एक कर दिया। उस स्कूल में ओलिंपियाड के गणित के पेपर थे। मैडम ने कहा जिसने फार्म भरना होगा वह भर देना। पीहू सोचने लगी मैं भी इस परीक्षा को अवश्य दूंगी। पीहू सोचने लगी कि मैं इस परीक्षा को अवश्य दूंगी उसने अपनी मैडम के पास जाकर कहा मैडम आज से  मैं आपके सभी काम कर दिया करूंगी। आपके कक्षा में पहुंचने से पहले आपकी मेज साफ होगी। बच्चों को चुप करवाना मेरा काम है। सभी बच्चों की कॉपियां आप के कक्षा में पंहुचने से पहले ही मेज पर मैं रख दूंगी। आपके घर में भी काम कर दिया करूंगी। इसके लिए आपको मैडम मेरा एक काम करना पड़ेगा। मैडम को बोली   मैं भी गणित ओलंपियाड की परीक्षा देना चाहती हूं। इसके लिए आप मेरी फार्म की फीस दे देना मेरी मेरी भी गणित में रुचि है। मैडम पीहू की बात सुनकर चौंकी। उन्होंने तीन बच्चों के फार्म भरे थे मगर उस होनहार छात्रा के साहस और लग्न को देख कर पीहू की मैडम अनीता को खुशी हुई इस लड़की के अंदर मेहनत करने का जज्बा है। शायद वह निकल जाए। वह फॉर्म भरने के लिए शर्तों के अनुकूल थी। मगर किसी ने भी इस लड़की की तरफ ध्यान ही नहीं दिया था। इसलिए कि इस लड़की के पास फार्म भरने के लिए रुपए नहीं थे। मैडम से कहा तुमने मुझसे पहले क्यों नहीं कहा इसके लिए  तुम्हें कहीं कोई काम करने की आवश्यकता नहीं है। मैं तुम्हारा फॉर्म भर दूंगी मैडम ने उसका फॉर्म भर दिया था।

 

वह ओलंपियाड परीक्षा में निकल गई थी। उसके स्कूल से केवल वही लड़की चयनित हुई थी सभी अध्यापक-अध्यापिकाओं भी उसकी थोड़ी बहुत मदद कर दिया करते थे। वह दसवीं कक्षा में पहुंच गई थी जब वह ऑलंपियाड की परीक्षा में निकली तो उसके  तुषार अंकल बहुत ही खुश हुए। दसवीं में भी ओलंपियाड की परीक्षा दे देना फार्म भरने के लिए मैं तुम्हें तुम्हारी फीस दे दूंगा। वह किसी से भी रुपए लेना नहीं चाहती थी। घर में उसने सभी रास्तों से अखबार के टुकड़े इकट्ठे किए’ स्कूल में बच्चे जो कागज  थे वह सभी कागज अपने बस्ते में भर लेती थी। उन सभी कागजों को इकट्ठा करके उसके लिफाफे बनाती थी। जितने भी लोग डिब्बे प्लास्टिक की बोतलें कूड़ा कबाड़ समझ कर फेंक देते थे उन सभी को इकट्ठा करके वह बाजार में बेच देती थी। इस तरह से वह रुपए इकट्ठे किया करती थी। इस बार जब दसवीं की ओलिंपियाड परीक्षा के लिए  बच्चे फार्म जमा करवा रहे थे तब वह सबसे पहले फीस देने आई। उसके स्कूल के प्रधानाचार्य ने उसे लिफाफे बेचते और प्लास्टिक की बोतलें बेचते देख लिया था। उनकी आंखों से आंसू बहने लगे उन्होंने पीहू को अपने पास बुलाया बेटा ऐसी बेटी सब को दे। एसी बेटी पर नाज होना चाहिए। लोग कहते हैं हमारी बेटी नहीं होनी चाहिए मगर मैं आप सब लोगों के पास तुम्हारा उदाहरण दूंगा। ऐसी बेटी सबको दे इतनी मेहनती छात्रा वह भी अपने बल पर फीस देने का जज्बा कायम रखती है अबकी बार वह ओलंपियाड परीक्षा में भी निकल गई थी।

 

उसके लिए इसकी अगली पढ़ाई के लिए विदेश में किसी यूनिवर्सिटी ने बुलाया था। उसके प्रधानाचार्य ने लिख दिया था कि यह लड़की बहुत ही होनहार छात्रा है मगर उसके पास आगे पढ़ाई का खर्चा उठाने के लिए रुपए नहीं है। विदेश की एक यूनिवर्सिटी ने उसे ऑफर दिया कि इस लड़की की पढ़ाई के लिए सारा खर्चा हम उठाएंगे। स्कूल में सभी अध्यापक अध्यापिका आपस में बातें कहे थे| इस बार लेक्चरार पद के लिए गणित के अध्यापकों की लिस्ट जारी कर दी गई है। आज फार्म भरने की लास्ट डेट है।

 

इन सभी अध्यापकों की सूची है पीहू ने देखा तुषार सर का नाम देखकर चौकी। वह दौड़ी दौड़ी प्रधानाचार्य के पास गई एक  फार्म मुझे भी दे दो सर मेरे जानने वाले अध्यापक हैं। वह मेरे अंकल हैं उनके लिए अगर मैं कुछ कर सकूं तो भी कम है उन्होंने मेरा भाग्य संवारा है उन्होंने मुझे पढ़ाने के लिए कोई फीस नहीं ली। उनका फार्म भर दो प्रधानाचार्य बोले बेटी इसके लिए उसमें उनके हस्ताक्षर करने जरूरी है वह बोली कि चिंता ना करो मैं घर जाकर उनके हस्ताक्षर करवा कर लेकर आती हूं। वह छः सात किलोमीटर स्कूल से घर आई और आंटी को बोली।  आंटी आप इस फार्म पर अंकल के हस्ताक्षर करावा दो | अध्यापकों की सूची कहने देखा तुषार सर का नाम भी, देखकर चौकी वह दौड़ी-दौड़ी प्रधानाचार्य के पास गई पर एक फार्म मुझे भी दे दो मेरे जाने वाले अध्यापक हैं वह मेरे अंकल हैं उन्होंने मुझे गणित पढ़ाया उनके लिए अगर मैं कुछ कर सकूं तो भी कम है । अंकल आप इस फार्म पर हस्ताक्षर कर दो अंकल ने उस फार्म पर हस्ताक्षर कर दिए उन्होंने कहा बेटी यह कैसा काम है वह बोली अंकल यह आपका फॉर्म है उनकी पद पत्नी भी यह सब देख रही थी तू बोली अंकल के लेक्चरार के पद का आखिरी दिन उनके स्कूल में एक गणित का पद रिक्त था अंकल सरकारी स्कूल में लग जाएंगे उनकी पत्नी माधवी भी इस लड़की के जज्बे को देखकर बहुत ही खुशी हुई यह लड़की बहुत ही खुद्दार है उनके पति स्कूल में जब उसे पता चला कि कल गणित के लेक्चरर की परीक्षा है उसने सर का रोल नंबर अपने पास रख लिया घर आकर उसने तुषार सर की चरण स्पर्श किए बोले में इस बार भी ओलिंपियाड की गणित टेस्ट में निकल गई हूं | कल आखिरी दिन था उनके स्कूल में गणित का पद रिक्त था सरकारी स्कूल में लग जाएंगे उनकी पत्नी माधवी  छात्रा के जज्बे को देखकर बहुत ही खुशी हुई। यह लड़की बहुत ही खुदार है।

 

काम की तलाश करते वह अंकल को देखा करती थी।    स्कूल में उसे पता चला कि कल गणित के लेक्चरर की परीक्षा है उसने सर का रोल नंबर लेकर अपने पास रख लिया। घर आकर उसने तुषार सर के चरण स्पर्श किए बोली। मैं इस बार भी ओलिंपियाड के गणित  की परीक्षामें निकल गई हूं। मुझे विदेश जाने की स्वीकृती मिल गई है। जो सपनें मैं बचपन में देखा करती थी वह सपना सच होने जा रहा है। इस सपने को पूरा करने का सारा श्रेय मैं आप दोनों को देती हूं। आपने मुझे इस काबिल बनाया विदेश जाकर मैं आप दोनों को कभी नहीं भूलूंगी। जब अखबार वाले उससे इंटरव्यू लेने आए तो उसने अपने गुरु तुषार का नाम लिखा। जिन्होंने गणित की पढ़ाई उससे कोई फीस लिए बिना करवाई थी। अगले सप्ताह  विदेश जाने वाली थी। उसने अपने गुरु तुषार के पास आकर कहा कि आज आपको आपकी पढ़ाई की दक्षिणा देना चाहती हूं। वह बोले बेटी मैं तुमसे कोई दक्षिणा नहीं लेना चाहता। उसे विदेश में नौकरी के साथ साथ पढाई करनें का मौका दिया था। और इस लड़की की पढ़ाई के लिए सारा खर्चा देनें का सुनहरा अवसर दिया था। मुझे विदेश से ऑफर आई है मैं जो बचपन में सपने देखा करती थी वह सपना सच्चा होने जा रहा है इस तुषार सर की नियुक्ति का पत्र उन्हें थमाया क्योंकि वह लेक्चर पद पर नियुक्त हो गए थे उनकी पत्नी बोली ने कि तुम्हारे फार्म की फीस भरी थी इसने अपनी गुल्लक में जोड़ जोड कर जो रूपये इकट्ठे किये थे  वह सभी आप के फार्म भरने के लिए दे दिए थे और आप का फार्म भर दिया था। यह इनकी यह इसकी अनमोल दक्षिणा थी। उषा ने उसे कहा बेटा तुम्हारी जैसी बेटी सबको दे बाद में वह भी विदेश में सेटल हो गई थी। वह अपनी मां को भी विदेश ले गयी उसके सपने साकार हो गए।

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ईमानदारी का सबक

किसी गांव में एक व्यापारी रहता था वह शॉल बेचकर अपना तथा अपने परिवार का भरण पोषण करता था। शॉल बेचने के लिए उसको अपने काम से बाहर जाना पड़ता था। ईमानदारी से शॉल बेचता था जो कुछ मिलता उसी से खुश रहता था। एक बार की का बात है कि उसका दोस्त गांव में आया और उसे बोला चलो आज दोनों साथ मे शॉल बेचने चलते है। उसका दोस्त  स्वायटर बेचने कां काम करता था। उसका दोस्त बहुत ही लालची था दीनू बहुत ईमानदारी से शॉल बेचता था। धनीराम बहुत ही चालाक था। वह अपने दोस्त को समझाबुझा कर अपने साथ दूसरे गांव में ले गया। दीनू तो मुश्किल से बीस ही शाल बेच पाया। उसका दोस्त उसने तो सारे स्वायटर दुगनी किमत पर बेच दिए। उसको देख कर दीनू बोला तुमने तो लोगों को सौ रुपए वाला स्वेटर भी ₹200 में बेच दिया। उसका दोस्त धनीराम उससे बोला ऐसे ही थोड़े मैं धनवान बना हूं लोगों को थोड़ा बेवकूफ भी बनाना पड़ता है। तुम भी मेरी तरह ही शौल को ज्यादा कीमत में जकर उसके अच्छे दाम वसूल कर सकते हो। उसके अच्छे दाम वसूल कर सकते हो। दीनूं सोचने लगा मेरा दोस्त ठीक ही कहता है। आजकल ईमानदारी का कोई जमाना नहीं ईमानदार लोगों की ईमानदारी कि इस दुनिया में कोई कीमत नहीं। मुझसे अच्छा तो मेरा दोस्त है जो मुझसे ज्यादा कमाता है। वह भी आधी पहर में। मैं तो सारा सारा दिन मेहनत करके थक जाता हूं परंतु फिर भी मुझे शौल के इतने अच्छे दाम नहीं मिलते जितने में इच्छा रखता हूं चलो कल से मैं भी अपने दोस्त की तरह अपनी शौलों के अच्छे दाम लूंगा। दूसरे लोगों को बेवकूफ बनाकर फिर खूब रुपया कमा लूंगा। मेरी बेटी बेचारी के पास ले दे कर एक-दो ही फ्रॉक है। उसको ही धो – धोकर पहनती है और मेरा बेटा उसके पास भी ले देकर दो ही सूट है बेचारे मेरे दोनों बच्चे अपने पापा से कुछ नहीं कहते। बेचारे  वे समझते हैं कि मेरे पापा सारा दिन शॉल बेच बेचकर गुजारा करते हैं जो कुछ मिलता है उससे घर का खर्चा चलाते हैं इसलिए वह मुझसे कभी मिठाई वह फल की कभी आस नहीं करते। मेरी पत्नी तो बिचारी ग्ऊ है। जैसे कहो वैसे ही मान जाती है मुझे और मेरे बच्चों को आज तक किसी वस्तु की कमी महसूस नहीं होने दी अपने आप भूखी रह जाएगी मगर मुझे और मेरे बच्चों पर कभी आंच नहीं आने देती। इस बार तो मैं भी इन तीनों के लिए कुछ बढ़िया सी चीजें घर पर लेकर जाऊंगा तो वे तीनों बहुत ही खुश होंगे।। सोचते सोचते वह घर वापिस आ गया। शाम को जब उसकी पत्नी बोली कि तुम क्या बेच कर आए तो उसने सारी कहानी सुना दी कि मैं तो मुश्किल से ही बीस ही बेच पाया मगर मेरे दोस्त ने मुझसे जल्दी सारे स्वेटर बेच डाले और वह भी दुगनी कीमत में। वह अपनी पत्नी से बोला भाग्यवान कल मैं अकेले ही दूसरे गांव माल लेकर बेचनेे जाऊंगा कल मैं भी अपने दोस्त की तरह ही ज्यादा दाम में सारी सारी शौलेंबेच दूंगा। उसकी पत्नी ने अपने पति को समझाया कि तुम ज्यादा लालच मत करना ज्यादा लालच करना अच्छा नहीं जो कुछ मिलेगा वह हमें मंजूर है। वह कुछ नहीं बोला दूसरे दिन व्यापारी अपनी पत्नी से विदा लेकर दूसरे गांव में शॉलों को बेचने चला गया उस ने शॉल की दुगनी कीमत लगाई उसने किसी ना किसी तरह पन्द्रह शौलें बेच दी। पन्द्रह शौलें अभी भी बाकी थी। वह उनको बेचने ही वाला था कि उसकी नजर वहां पर सुंदर नए डिजाइन की साड़ी शोलों पर पड़ी। उसने दुकानदार से पूछा कि यह नए डिजाइन की शौलें कितने की है। दुकानदार ने उसे कहा कि सोलह शक्लें ₹4800 की है  एक शौल तुम्हें ₹300 की पड़ेगी। वह उसको शॉल दिखा रहा था तभी उस दुकानदार को उसकी पत्नी ने बुलाया वह अपनी पत्नी की बात सुनने लग गया। व्यापारी नें दुकान में देखा वैसी डिजाइन कि ना जाने कितने बंडल पड़े थे। उसने उनमें से पन्द्रह नए डिजाइनर शौलें चुरा ली। और अपनी पुरानी डिजाइन की पन्द्रह शौंलें वहां पर रख दी। जल्दी में दुकानदार आया और उससे बोला क्या तुम यह सब खरीदना चाहते हो।? उसने कहा आपकी शौलें तो बहुत ही महंगी है। मैं इन्हें नहीं खरीद सकता। तुम मुझे एक फ्रॉक दिखाओ मेरी बेटी छः साल की है। मुझे उसे फ्राक लेकर जाना है। दुकानदार ने कहा कि यह फ्रॉक तुम्हें ₹300 की पड़ेगी। उसने वह फ्रॉक अपनी बेटी के लिए खरीद ली। वह दूसरी दुकान पर गया उसने अपने बेटे के लिए कमीज पेंट खरीदा। उसे भूख भी बड़े जोरों की लग रही थी वह एक होटल में गया वहां उसने तरह तरह के व्यंजन देखें। तरह तरह के पकवान देखकर उसके मुंह में पानी आ गया। आज वह बेहद खुश था उसने आज अपने दोस्त की तरह शौलों को बेचकर काफी ग्राहकों को बेवकूफ बनाया था। पन्द्रह शौलेंउस दुकानदार से हड़प कर ली थी। उसकी शौल तो मुश्किल से ₹50 तक की थी परंतु उस दुकानदार की सौ शौलें ₹300की थी। वह बहुत ही खुश नजर आ रहा था आज उसे बहुत ही खुशी हो रही थी खुशी-खुशी खाने की मेज पर पकवान खाने के लिए मंगवा रहा था। उसने खूब पेट भर कर खाना खाया और खुशी-खुशी वहां से चलने लगा वहां से जाते हुए सोचने लगा कि आज तो वह अपनी पत्नी के लिए भी कुछ ना कुछ अवश्य ही खरीदेगा। उसने एक दुकान में जाकर एक सूट पसंद किया और उसे पैक करवाया घर को खूब सारी मिठाई भी ले गया घर पहुंचने ही वाला था कि उसके पेट में बहुत ही जोर का दर्द होने लगा जैसे तैसे वह घर पहुंचा उसे उसकी तबीयत बहुत ही खराब हो रही थी। उसने अपनी बेटी को फ्रॉक दी उसकी बेटी फ्रॉक पाकर फूली नहीं समाई। वह दौड़ी-दौड़ी अपनी सहेलियों को फ्रॉक पहन कर दिखाने चली गई उसका बेटा भी पीछे नहीं रहना चाहता था वह भी अपनी मां से बोला मुझे भी पैंट शर्ट दे दो मैं भी पहन लूंगा। जैसे वह पेंट  पहनने लगा पहनते ही वह पूरी तरह से फट गई। वह अच्छे ढंग से सिली हुई नहीं थी वह बहुत जोर जोर से रोने लगा उसकी मां बोली बेटा रोते नहीं तुम्हारी यह पैंट में दर्जी से ठीक करवा दूंगी। अपनी मां से बोला मैं खुद दर्जी की दुकान पर ठीक करवाने जाता हूं। वह दर्जी की दुकान पर लेकर गया दर्जी ने कहा इसकी तो सारी सिलाइयां निकल गई है अगर तुमने इसको ठीक करवाना है तो तुम्हें इसके सौ रुपए लगेंगे। वह घर आकर अपनी मम्मी को बोला मां मुझे ₹100 दे दो दर्जी पेंट को ठीक करने के सौ रुपए मांग रहा है। उसकी मां ने उसे सौ रुपए दे दिए। वह खुशी-खुशी पैंट सिलवाने चला गया उसकी पत्नी ने जब सूट देखा तो वह बिल्कुल भी अच्छा नहीं था वह भी जगह-जगह से फटा हुआ था। दुकानदार ने उसे ढक दिया था ₹500 में वह फटा हुआ सूट थोड़ी देर बाद उसकी बेटी भी रोती रोती अपनी मां के पास आकर बोली मां मेरी फ्रॉक के सारे मोती निकल गए हैं। काली और अपनी पुरानी डिजाइन की 15 शोले दुकानदार की दुकान में रख दी जल्दी में दुकानदार आया अब उसे बोला क्या तुम यह शौलें खरीदना खरीदना चाहते हों? उसने कहा आपकी शोले तो बहुत ही महंगी है मैंने नहीं खरीद सकता तुम मुझे एक फर्राक दिखाओ मेरी बेटी 6 साल की है मुझे उस लेकर जाना है। दुकानदार ने उस से कहा यह तुम्हें ₹300 की पडेगी। उसने वह फ्रॉक अपनी बेटी के लिए खरीद ली। वह दूसरी दुकान पर गया उसने अपने बेटे के लिए कमीज पैंट खरीदा। उसे भूख री बड़े जोरों की लग रही थी वहां एक होटल में गया वहां उसने तरह तरह की व्यंजन देखे तरह तरह के पकवान देकर उसकी मुंह में पानी आ गया। आज वह बेहद खुश था। उसने आज अपने दोस्त की तरह शक्लें बेच कर काफी ग्राहकों को बेवकूफ बनाया था। उसनें पन्द्रह शौलें उस दुकानदार से हड़प कार ली थी। उसकी शाल तो मुश्किल से ₹50 तक की थी। परंतु उस दुकानदार की शक्लें बहुत ही बढिया थी। वह बहुत ही खुश नजर आ रहा था आज उसी बहुत ही खुशी हो रही थी खुशी खुशी खाने की इमेज पर पकवान खाने के लिए मंगवा रहा था उसने पेट भरकर खाना खाया और खुशी खुशी वह से चले लगा, वहां से जाते हुए सोचने लगा कि आज तो वह अपनी पत्नी के लिए भी कुछ ना कुछ अवश्य ही खरीदेगा। उसे एक सूट ले लेता हूं। उसने एक दुकान में जाकर एक सूट पसंद किया और उसे पैक करवाया। घर को खुशी-खुशी खूब सारी मिठाई लेकर गया घर पहुंचने ही वाला था कि उसके पेट में बहुत जोर की दर्द होने लगी। जैसे तैसे वह घर पहुंचा उसकी तबीयत बहुत  खराब हो रही थी। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। इंजेक्शन के रुपये अलग दवाइयों के अलग? और इतना ही नही एक हफ्ते की दवाईयों का बिल जब उसे थमाया तो वह धक्क सा रह गया। उसकी इतनी कमाई भी नही हुई थी जितना कि उसकी दवाइयों का खर्चा हो गया था। उसकी पत्नी नें कहा तुम नें यह सामान लालच करके कमाया था हदूसरे से ज्यादा रुपये एंठ कर खुश हो रहे थे। तुम ने रुपया ज्यादा कमाने के लालच में जो तुम्हे मिल रहा था वह भी गंवा दिया। तुम ने दुकानदार की नई सौलें चुरा कर अच्छा काम नंही किया। भगवान जो ईमानदारी से देता है उसे ही स्वीकार करना चाहिए। हमें ज्यादा रुपयों का लालच नंही करना चाहिए। आज से मेरी बात को गांठ बांध लो इमानदारी से कमाया गया रुपया ही फलता फूलता है। बेइमानी से कमाई गईं धन दौलत गडडे में चली जाती है। और हाथ में कुछ नंही लगता। कल तुम न्ई डिजाइन की पन्द्रह शौलों उस दुकानदार को वापिस कर के आओगे। मै समझूंगा आप नें ईमानदारी का रास्ता अपना कर मुझे ही नंही अपनें बच्चों के जीवन को भी सुखी बना दिया है। जो इंसान ईमानदारी के रास्ते पर चलता है

चाहे उसे कम ही मिलता हैं के  उस के जीवन में कभी निराशा नंही होती। उसे हर काम में सफलता मिलती है। हमें कम खाना मंजूर है बेइमानी से कमाए हुए रुपयों को हम कभी भी हाथ नंही लगाएंगे। तुम मुझसे से आज एक वायदा करोकि तुम कभी भी लालच नंही करोगे। दीनू नें आंखे भरते हुए कहा ठीक है मैं कान पकड़ कर मौफी मांगता हूं। मैं अपने दोस्त के बहकावे में आ गया था। ठीक है जो मिलेगा उसी में मैं खुश रहूंगा। दूसरे हफ्ते उसने दुकानदार के पास जा कर कहा-आपकी न्ई डिजाइन की शौलों का एक बंडल मेरे पास  आ गया था। ये लो। दुकानदार उसकी ईमानदारी को देख कर बहुत खुश हुआ। मुझे ऐसे ईमानदार लोग ही पसन्द है। मैं कपडा बेचने के लिए तुम्हे 10’000रू दे दिया करूंगा। दस हजार रूपये सुन कर उसकी तो बोलती ही बन्द हो गयी। वह बोला हे भगवान आप का-धन्यवाद हो तुम नें मुझे बुराई के दल दल में फंसने से

बचा लिया। उसने खुशी खुशी से उसकी दूकान पर काम करने का निश्चय कर लिया। घर आ कर उसने अपनी पत्नी को सारा व्योरा कह सुनाया। उसकी पत्नी बहुत ही खुश हुई।

अपनें दोनों बच्चों को मिठाई खिलाते हुए बोली ये हमारी ईमानदारी की कमाई है।

 

नई दिशा

हेम शरन के परिवार में उसकी पत्नी और उसकी एक बेटा बेटी थे। हेमशरन इतना अमीर नहीं था गांव में उसकी थोड़ी बहुत जमीन थी। जिस में वह खेती-बाड़ी करता था। उसकी बेटी नौ साल की थी और बेटा बीनू से चार साल बड़ा था। उसका भाई आठवी कक्षा में था। हेमशरन अपनी पत्नी से कहने लगा हम अपनी बेटी को पांच कक्षा तक ही पढ़ाएंगे उसके बाद उसकी शादी कर देते हैं। यह बात हेमशरन की बेटी बीनू सुनरही थी वह दौड़ दौड़ी आई और बोली पापा आप मेरी शादी क्यों करना चाहते हैं। मैं तो पढ़ना चाहती हूं। हेम शरण बोला बेटी तुम पढ लिखकर क्या करोगी। तुझे पढ लिखकर दूसरे घर ही तो जाना है। आपने भी तो विक्की को अंग्रेजी स्कूल में डाला। मैंने आपको कुछ नहीं कहा ‘मैं शादी नहीं करुंगी मैं भी पढ़ना चाहती हूं। हेम शरण बोला तू पढ़ लिख कर क्या करेगी। तुझे दूसरे के घर ही तो जाना है बिनु बोली पापा आपने भी विकी को अंग्रेजी स्कूल में डाला मैंने आपको कुछ नहीं कहा मैं शादी नहीं करुंगी। मैं पढ़ना चाहती हूं वीनू बोली अच्छा आप विकी की भी शादी कर दो। अगर आप मेरी शादी कर रहे तो आपको भाई की भी शादी करनी होगी वरना मै भी शादी नहीं करुंगी। उसके पिता ने कहा बेटी तुम पढ लिख कर क्या करोगी। तुम्हें विवाह कर दूसरे घर ही तो जाना है। विककी तो हमारे पास ही रहेगा वह हमें कमा कर देगा। बोली पापा मैं भी कमा कर लूंगी। उसके पापा नें एक जोरदार चांटा मार कर अपनी बेटी को चुप करा दिया। तुम अपने पापा के सामने जुबान चलाती हो बीनू रोते-रोते अपनी मां के पास जा कर बोली
मां मुझे शादी नहीं करनी। उसके पिता गांव के जंमिदार के बेटे के उसका रिश्ता पक्का कर आए थे। जमीदार का बेटा उसके साथ ही स्कूल में पढ़ता था। उन्होंने 2’000’00 रुपये दहेज के पहले ही एडवांस में मांग लिए थे। घर आने पर हेमशरन ने अपनी पत्नी को कहा कि मैं भी आज रिश्ता पक्का कर आया हूं। आज शाम को लड़की वाले हमारी बेटी को देखने आ रहे हैं। वीनू बड़ी तेज थी। शाम को जैसे ही लड़की वाले देखने आए तो उसने दरवाजे के पास ही तेल गिरा दिया ताकि जो कोई उस के कमरे में उसे देखने आए वह गिर कर वही ढेर हो जाए। शाम को जमीदार का लड़का उसे देखने आया बिनु चाय बगैरा लेकर आई। बिनु की मां ने कहा तुमने लड़की से अकेले में बातें कीं। कैसी है बिनु की मां ने कहा यह है हमारी बीनू का कमरा विनु तो पहले ही जाकर अपने कमरे में बैठी थी जैसी वह उसकी कमरे की ओर जाने लगा वह धडाम से नीचे गिर पड़ा उसके पांव में फ्रैक्चर हो गया था। किसी ना किसी तरह लड़के वालों ने मंगनी निश्चित कर दी। वे शादी को टालना नहीं चाहते थे क्योंकि इसके बदले में वीनू के पिता ने उन्हें दो लाख की मूंह मांगी रकम दी थी। वह भी बिनु के पिता ने किसीसे उधार ले कर दिए थे। बिनु को अपने माता-पिता पर गुस्सा आ रहा था। बिनु बहुत ही चुस्त थी। गुरुजी ने उसे कहा था कि बेटा आजकल पढ़ाई करना बहुत जरुरी होता है। बिना ज्ञान के मनुष्य का जीवन कुछ नहीं होता। बेटी को भी पढ़ाना बहुत जरुरी होता है। किसी भी परिवार की बेटी पढ़ लिख गई तो मानो वह अपने पूरे परिवार को शिक्षित कर सकती है इसलिए तुम सब बच्चे आज कसम खाओ खास कर लड़कियां तुम कभी भी कमजोर नहीं होंगी। तुम्हारे मां बाप अगर तुम्हारी शादी छोटी उम्र में करें तो तुम पुलिस को इसकी सूचना दी सकती हो। मैं आज तुम को पुलिस वालों का नंबर देता हूं। वह भी न मिले तो हर कभी मुझसे से संपर्क करसकती हो। मैं लड़कियों की शिक्षा के पक्ष मैं हूं। बिनू नें सोचा कि वह गुरु जी को अवश्य सारी बात बताएगी। वह दूसरे दिन अपनी सहेली मीतू से मिली उसने मीतू को कहा कि मेरे मां बाप मुझे पढ़ाना नहीं चाहते। आज से पांच दिन बाद मेरी शादी है। उससे पहले अगर हमने पुलिस को फोन नहीं किया तो मेरे मां बाप मेरी शादी जबरदस्ती उस जंमीदार के लड़के से कर देंगें। उसकी सहेली ने जल्दी से पुलिस वालों को फोन लगा दिया। इस गांव के ठाकुर साहब अपनी बेटी की जबरदस्ती शादी करने जा रहे हैं। वहलड़की नाबालिक है। छोटी उम्र में विवाह करना गुनाह है। बीनू ने अपने पिता को कुछ नहीं कहा। उसके पिता ने कहा कि आज से तुम स्कूल भी नहीं जाओगी जाओ विवाह की तैयारी करो। पांच दिनों बाद तो तुम ऐसे ही तुम दूसरे घर बहू बन कर चली जाओगी। विनु ने अपने पापा को कुछ नहीं कहा। शादी के फेरे होने ही वाले थे पुलिस वालों ने आकर ठाकुर साहब को पकड लिया और बोले तुम्हें अपनी बेटी की छोटी उम्र में शादी करते शर्म नहीं आती। इस प्रकार पुलिस वालों ने जमीदार को और बीनू के पापा को जेल में डाल दिया। बीनू के पिता को जबमालूम हुआ कि मेरी बेटी ने ही पुलिस बुलाई है तो वे अपनी पत्नी से बोले और भेजो अपनी बेटी को स्कूल में। स्कूल में शिक्षा देने का यह नतीजा है ठकुराइन कुछ नहीं बोली। बीनू की शादी टल चुकी थी। जंमिदार को जेल से रिहा किया गया तो वहआगबबूला हो उठा बोला ठाकुर साहब। तुमने हमसे दुश्मनी लेकर कर अच्छा नहीं किया। तुम्हें इसकी लिए पछताना पड़ेगा। ठाकुर भी अपनी बेटी से नाराज ही रहने लग गया। वह कभी उससे सीधे मुंह बात नहीं करता था। बिनु भी हार मानने वाली नहीं थी। उसने गुरुजी को कहा कि गुरुजी मैंने तो पढ़ना जरूर है। मेरे माता पिता मुझे पढ़ाई के लिए रुपया नहीं देते कृप्या मुझे आगे पढ़ना है। उसने पांचवी की परीक्षा भी पास कर ली थी। उसने छोटे बच्चों को पढ़ा पर उनसे वह कापी पैंसिल ले लेती थी गुरुजी ने भी उसको पढ़ाने में उसकी काफी मदद की। ठाकुर साहब नें अपने बेटे को पढ़ाई की लिए उसकी ट्यूशन भी रख दी थी। वे चाहते थे कि मेरे बेटे की पढ़ाई में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए। इस बात से बीनू बहुत ही नाराज होती थी उसके पापा बीरू पर ही सब रुपया खर्च करना चाहते थे। उसे पढ़ाई तो दूर की बात उसकी मां उसे कहती नहीं बेटा ऐसी बात नहीं है तुमसे भी तुम्हारे पापा बहुत प्यार करते हैं। मगर वह कहते हैं कि लड़को को ही आगे पढना चाहिए। वह तुम से भी बहुत प्यार करतें हैं

दोनों बच्चे बड़े हो चुके थे लड़के को ठाकुर साहब ने पढ़ने विदेश भेज दिया था। बिनु बेचारी घर पर ही बैठ कर बारहवीं की परीक्षा पास कर चुकी थी। वह कॉलेज की पढ़ाई प्राइवेट कर रही थी। जमीदार अपनी बेइज्जती को भुला नहीं था। उसने सोचा कि ठाकुर से एक दिनअपने अपमान का बदला जरुर लेगा।उसने सोचा कि इसके लिए पहले ठाकुर से मित्रता का हाथ बढ़ाना आवश्यक है। उसने फिर से ठाकुर से मित्रता करना आरंभ कर दिया और आकर बोला हम छोटे-छोटे बच्चों की शादियां करवाना चाहते थे। जमाना भीबदल चुका है अब तो हमारे बच्चे भी बड़े हो चुके हैं। हम दोनों तो पहले ही समधी बन चुके थे। हम इसशादी को करवानें के लिए क्यों ना फिर एक बार तैयार हो जाएं। आपकी बेटी भी बड़ी हो चुकी है और मेरा बेटा भी वह हमारे घर में बहू बनकर आ जाएगी तो बहुत ही अच्छा होगा। ठाकुर साहब आश्चर्य से जमीदार की ओर देखते हुए बोला पहले मुझे बीनू से पूछना होगा। बिनू बोली अगर विरेंद्र को ऐतराज़ ना हो तो मैं शादी के लिए तैयार हूं। जंमिदार बोला वह तो तैयार है। उसकी कोई चिंता नहीं। ठाकुर को मिठाई खिलाते बोला तो क्या मैं रिश्ता पक्का समझूं। उन दोनों नें मिल कर बिनु का रिश्ता पक्का कर दिया। जंमिदार के घर में उसके दोस्त का बेटा रहता था। उसका दोस्त मर चुका था। वह उस बच्चे को सदा के लिए जमीदार की गोद में डालकर मर गया था। जंमिदार उससे जी भरकर काम लेता था। उसकी दुकान पर नौकरों की तरह काम करता था। बेटा भी उसको अपने पिता जैसा ही प्यार देता था। विनय सोचता था कि उसका परिवार तो अभी यहीं है। घर आकर जमीदार अपनी पत्नी से बोला हम ठाकुर साहब से अपनी बेइज्जती का बदला लेना चाहते हैं। हम अपनें दोस्त के बेटे से बीनू की शादी करेंगे। उसे क्या पता चलेगा। सेहरे से क्या मालूम होगा? ठाकुर साहब के घर पर बारात आ चुकी थी। घर में सब खुश थे वीनू ने जमीदार जी से शर्त रखी थी वह शादी के लिए तभी हां करेगी जब वह मेरी एक बात मानेंगें। बीनू नें कहा शादी के बाद भी मैं अपने माता-पिता को अकेला नहीं छोडूंगी। इन्हें देखनें अवश्य आऊंगी। तुम्हें यह मेरी बातें माननी ही होगी। जमीदार नें कहां बेटी तुम अपनी मां बाबा को मिलने आ सकती हो। विकी विदेश में पड़ लिखकर बड़ा ऑफिसर बन चुका था।वह एक बार भी अपने माता-पिता को देखने नहीं आया था। एक बार विक्की के पिता ने कहा कि मुझे रुपयों की आवश्यकता है तोउसने कह दिया कि अभी मेरे पास रुपए नही है। जब मेरे पास बहुत सारे रुपए होंगें मैं आपको अवश्य रूपए भेजा करुंगा। यहां पर मैंने एक लड़की पसंद कर ली है उसकी भी जिम्मेवारी अब मुझ पर हमें। मुझे उसकी भी देखभाल करनी है। ठाकुर साहब नें जब अपने बेटे का खत पड़ा तो रूंधे गले से अपनी पत्नी को बोले हमने बेटे को पढ़ने विदेश इसलिए भेजा था ताकि बुढ़ापे में हम दोनों को देख सके। उस बेटे से तो मेरी बीनू ही अच्छी है। वह हमारी कितनी देखभाल करती है। उसनें कभी हमें तंगी महसूस होने नहीं दी। प्राइवेट स्कूल में नौकरी करके जो कुछ उसके पास रुपए इकट्ठे होते थी वे भी हमारी दवाईयों के लिए खर्च कर दिया करती थी। आज हमें एहसास हुआ कि हमारे मन में बेटी को लेकर कितनी गलत धारणा थी बेटी तो पराया धन होती है। बेटी ने तो आज विदा होते हुए भी अपनी ससुर से वादा कर लिया कि वह अपनी मम्मी पापा को कभी भीअकेला नंही छोड़ेगी। हमारी सोच कितनी गलत थी। अच्छा हुआ हम हमारी बेटी ने पढ़कर हमें सीख दे डाली। वह दोनों रोते-रोते अपनी जान से प्यारी बेटी को रोते रोते विदा कर रहे थे। उन्हें अपनी बेटी के जाने का एहसास हो रहा था। विदेश में विकी ने जिस लड़की से शादी की थी वह कोई और नहीं वह जमीदार की बेटी थी। जंमिदार दार नें भीउसे बाहर पढ़ने भेजा। और उसे समझा बुझा कर कहा कि तू वंहां जा कर ठाकुर साहब के बेटे से शादी के जाल में उसे फंसा देनाऔर उसे ऐसा मोहरा बनाना ताकि वहअपने मां बाप को कभी देखने ना आए। अपने मां बाप को तडफनें के लिए छोड़ दे। और उन्हें कोई भी रुपया ना भेजे। जंमिदार की लड़की ने विदेश में जाकर विकी को अपने प्यार के जाल में फंसा दिया उसने कभी भी अपनें बारें में विक्की को नहीं बताया कि वह जमीदार की बेटी है। उन दोनों ने शादी भी कर ली। जंमिदार अपनी बेटी की शादी से खुश था वह ठाकुर साहब से अपने अपमान का बदला लेना चाहता था। बीनू जैसे ही अपने ससुराल में आई उसने अपने पति का देखा तो एकदम चौकी और बोली आप कौन है।? जमीदार नें आकर कहा यह तुम्हारे पति हैं। यह मेरे दोस्त का बेटा है इसी से तो तुम्हारी शादी के लिए तुम्हारे पिता को कहा था बीनू अपने आंसू रोक न सकी। उसने सोचा कोई बात नहीं अब तो विनय ही मेरा पति है। उसने अपनी सास को बातें करते सुन लिया था कि आज हमारा बदला पुरा हुआ। आज मैं सचमुच ही खुश हूं। इस लड़की को हम मजा चखाते हैं। विनय को पाकर वीनू बहुत खुश थी। जब ठाकुर साहब को पता चला कि जो लड़का उन्हेंदिखाया था उस से उनकी बेटी की शादी नहीं हुई। उसने बदला लेवें के लिएं अपने दोस्त के बेटे को दूल्हा बना के उसके घर भेज दिया था। अब क्या किया जासकता था। शादी तो हो चुकी थी। ठाकुर साहब को पता चल चुका था कि जमीदार ने उस से अपने अपमान का बदला ले लिया था। हेमशरन ने कहा बेटा तू अपने घर आ। जा। ं हम अभी जिंदा है। बीनू बोली मैंने इन्हें ही तन मन और धन से अपना पति स्विकार किया है। वही अब मेरे पति हैं। विनय को सारे दिन दुकान में काम करते देख वह अपने पति की बहुत मदद किया करती थी। वीरेंद्र भी कहीं ना कहीं उस से नाराज था उसके पिता ने उसकी शादी उसके मुंह बोले भाई से कर दी थी। वह उसे भाभी कहता था। वह अंदर ही अंदर उस से नफरत करता था। वह उस से काम करवाता था। मेरे जूते पॉलिश करो। मुझे खाने के लिए पूरीयां बनाओ। मेरे कपड़े धो डालो। उतना कान तो उसका पति भी उससे नहीं करवाता था। बिनु सब कुछ सहन करती जा रही थी। वह कुछ नहीं कहती थी। एक दिनविरेंद्र काफी देर तक घर नहीं आया। उसके मां बाप तो उसकी चिंता नहीं करते थे। परंतु वह तो उसका दोस्त बन चुका था। वह सोचने लगी की कंही मेरा देवर किसी मुसीबत में तो नहीं फंस गया। वह रात को अकेली ही उसे देखने निकल पड़ी। उसके साथियों ने उसे इतनी अधिक पिला दी थी कि उन्होंने उस के देवर के सारे रुपए छीनकर उसको चाकू मार दिया था। विनु ने जैसे ही उसको अधमरा पडा देखाउसको अस्पताल ले कर ग ई और तुरंत मौके पर जा कर उसको बचा लिया। डॉक्टर्स को उसे बचाने के लिए खून की जरुरत पड़ी तो उस ने अपना ब्लड उसे दे दिया क्योंकि उसका खून विरेंद्र से मिल गया था। उसने उसे मौत के मुंह से बचा लिया था। विरेंद्र की जान बचा कर उसने अपने भाभी होने का कर्तव्य पूरा किया। उसका पति अपनी पत्नी की अपनी परिवार वालों की इतना चिंता करते देख बहुत ही खुश था। मेरी पत्नी बहुत ही अच्छी है। उसकी पत्नी ने भी शादी के वक्त उस से कहा कि आप मुझसे आज एक वादा करो कि आप सुख दुःख में सदा मेरा साथ दोगे और मुझ पर कभी शक नहीं करोगे। विनयने उससे वादा किया कि चाहे जो भी हो जाए मैं तुम पर कभी भी शक नहीं करूंगा। बिनु को पता चल गया था कि इन्होंने धोखे से मेरी शादी भी विनय से कि है। वे चाहते हैं कि किसी तरह से वीनू को विनय की नजरों से गिरा कर अपमानित किया जाए। वीनू ने अपने पति को बताया कि मैंने अपनी सास की सारी बातें सुनी थी। वह चाहती है कि किस तरह से मुझे यातना दे। तुम अगर सच्च मुँह में ही मुझे अपनी पत्नी के रुप में स्वीकार ते हो तो मैं भी तुम्हें अपने पति के रूप में स्वीकार करती हूं वरना मैं यहां से आज ही चली जाती हूं। शादी वाले दिन भी बीनू नें विनय से कहा था। एक दिन दिन वीनू के माता पिता को जन्मदिन की पार्टी पर बुलाया गया। समारोह में उसकी माता पिता आ चुके थे। बीनूंं ने खुद अपनें हाथों से तरह-तरह के पकवान बनाए उसकी सास नें जल्दी ही खीर में विषैला पैदार्थ मिला दिया यह सब विरेन्द्र देख रहा था अपनी भाभी के पास आकर बोला भाभी भाभी जल्दी इधर आ ओ। उस खीर को जल्दी ही फेक दो नहीं तो आज आपके मां बाप यहां से जिंदा वापिस नहीं जाएंगे। वह अपने देवर
की बातों को सुनकर कर बहुत ही खुश हुई कि उसका देवर सुधर चुका था। उसने चुपचाप उस खीर को फैंक दिया। उसके माता-पिता जब पार्टी समाप्त हुई तो घर जा चुके थे। वे खुश थे कि उनकी बेटी खुश है। विरेन्द्र अपनी मां के पास आकर बोला मां आप कब सुधरोगी। आज तो आपने भाभी के परिवार को ऊपर पहचाने कि योजना बना दी थी। यह तो शुक्र है मैं देख रहा था वर्ना आपने तो आज इतना अनर्थ कर डाला होता मैं आपको कभी भी माफ नहीं करूंगा। आप लोग ही भाभी को हर कभी नीचा दिखाना चाहतें हैं। मैं पुलिस वालों को सूचित कर दूंगा अगर आपने आगे से कोई ऐसी हरकत की तो मैं आपको बक्शूंगा नहीं। उसकी ननंद भी कुछ दिन के लिए अपनी मम्मी पापा के पास विदेश से आई थी। घर आकर उसने अपनी भाभी के साथ बहुत ही अच्छा महसूस किया। उसके स्कूल काफी घुल मिल गई। उसको पछतावा हुआ कि बेचारी बीनू नें विनय को अपनी पति की के रूप में स्वीकार कर दिया। मेरे भाई की जान भी बचाई। मेरे माता पिता ने विक्की के साथ कितना बुरा बर्ताव करने के लिए उसे भड़काया था कि तू विदेश में जाकर विकी को अपनेप्रेम के प्यार में फंसा कर उस से शादी कर लेना और उसके सारे वेतन पर अपना अधिकार जमा लेना। घर में कुछ भी ना भिजवाना। बिनु को समझते देर नहीं लगी कि जमीदार ने तो मेरे भाई को भी नहीं छोड़ा। अपना बदला लेने के लिए अपनी बेटी को विदेश में भैया को फंसाने के लिए भेज दिया ताकि वह अपने अपमान का बदला ले सके। एक दिन बीनू अपने देवर के साथ हंसकर बातें कर रही थी उसकी सास आई और बोली विनय देख तेरी पत्नी की हरकतें अच्छी नहीं है। विनय को तो अपनी पत्नी पर पूरा विश्वास था। शाम को विनय नेंअपनी पत्नी को सारी बातें बताई। विनय ने कहा कि तुम्हारी सास तुम्हारी शिकायत कर रही थी तुम्हारी पत्नी की हरकतें ठीक नहीं है। विनु ने वीरेंद्र को बुलाया और कहां कि मैं तुमसे क्या कर रही थी।।? तुम्हें मेरी सहेली का रिश्ता पसंद है या नहीं वह एक प्रवक्ता के पद पर काम कर रही है तुम भीअपनी पढ़ाई पूरी कर के उसके साथ विवाह सूत्र में बंध जाओ। तुम्हें अगर मेरी सहेली विभा पसंद है तो मैं आगे बात चला सकती हूं। विरेन्द्र नें हां में सिर हिला कर भाभी को कहा मैं तुम्हारी पसन्द को कैसे टाल सकता हूं। विनय बहुत ही खुश हुआ। बाबा के पास आकर वीनू ने अपने पिता को बताया कि हमारे भाई ने विदेश में जिस लड़की से शादी की है वह कोई और नहीं जमीदार की लड़की है। जमीदार नें ही उसे विदेश में पढ़ने भेजा था। भैया को शादी के चक्कर में फसाने के लिए जमीदार नें ही उसे सिखाया था।इस कारण वह रुपयानहीं भेज रहा था क्योंकि जमीदार की बेटी उसे रुपया नहीं भेजने देती थी। वह रुपा देने से इंकार करती थी। जंमिदार हमसे अपने अपमान का बदला लेना चाहता था। परंतु अब सब कुछ ठीक हो चुका है। उसके माता-पिता यह बात सुनकर हैरान हो गए। शाम को अपनी बहू को घर आया देख कर ठाकुर साहब खुश हुए और बोले बेटा आओ हम अपने बेटे और बहुत को देखने के लिए तरस गए थे। नीतीश नेअपने व्यवहार के लिए अपने सांस ससुर से क्षमा मांगी और कहा कि मेरे पिता ने ही मुझे ऐसा करने के लिए कहा था। विक्कू को अपने घर में एक भी रूपया पैसा मत भेजना। वे आपके साथ बहुत ही बुरा करना चाहते थे। हमें अपने किए पर पछतावा है मैं जल्दी ही अपने पति के साथ अवश्य आऊंगी उसने अपनी सास ससुर के पैर छुए और उनसे आशीर्वाद लिया। उस के सास ससुर ने अपने बेटे और बहु की गल्तियों को माफ कर दिया और कहा बेटी गिले शिकवे भूल कर गले लग जाओ। उनके दिलों से सारा मलाल हट गया था।

डेनियल और चंपू

एक घना जंगल था। उस जंगल में बीचो-बीच चट्टानों को तोड़ कर एक गुफा बनी हुई थी। यह गुफा इतनी लंबी चौड़ी थी कि उस गुफा मे अंदर जाने का रास्ता पैदल चल कर तय करना पड़ता था। इस गुफा में एक राक्षस अपनी पत्नी और बेटे के साथ रहता था।
एक दिन राक्षस कहीं गया हुआ था। घर पर राक्षस की पत्नी और उसका बेटा अकेले थे। वहां से कुछ आदिवासी गुजरे उन्होंने तीर कमान चलाया। वह सीधा राक्षस की पत्नी को लगा। उसका बेटा चिल्लाया आदिवासियों ने नहीं देखा। राक्षस की पत्नी मर गई थी उन्होंने सोचा अगर राक्षस जिंदा होगा तो वह हमें मार डालेगा। यह बच्चा बड़ा होकर राक्षस ही बनेगा हमें उसे नहीं बचाएंगे। उन्होंने उस बच्चे पर भी तीर चला दिया , उसकी पत्नी को मारना नहीं चाहते थे। गलती से तीर राक्षस की पत्नी को लग गया था।
राक्षस जब घर वापस आया तो उसने पत्नी और बच्चे को मरा हुआ पाया। अब राक्षस जो कोई भी वहां से गुजरता उसको मार डालता था। वह अपनी पत्नी और बच्चे की मौत का बदला लेना चाहता था। उसने ना जाने कितने लोगों को मार गिराया था। अब तो राक्षस भी बूढ़ा हो चुका था उसे अपनी बेटे की बहुत याद आती थी। वह उसके साथ खूब मस्ती करता था ।
एकदिन वहां से कुछ साधु जा रहे थे। उसने एक साधू को पकड़ लिया वह साधु बोला तुम मुझ क्यो मारना चाहते हो ।तुम जा करअपने शत्रुओं को मारो। मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है। तुम राह चलते राहगीरों को मारते फिरते हो। यहां से लोगों ने आना – जाना भी कम कर दिया है। तुम्हारे डर से सब लोगों ने अपना रास्ता ही बदल दिया है मैंने तुम्हारी पत्नी को मारते देख लिया था हम यहां से गुजर रहे थे। तुम्हारे शत्रुता आदिवासियों से होनी चाहिए। उनके कबीलों ने तुम्हारी पत्नी और तुम्हारे बेटे को मारा है। तुम जाकर उन्हें मारो। तुम सब को मारोगे तो कोई भी इस रास्ते से नहीं आएगा। तुम अकेले ही रह जाओगे।
वह सोचने लगा अब जिंदगी के कितने दिन बचे होंगे मुझे अपनी जिंदगी को अच्छे ढंग से खुशी-खुशी जीना चाहिए। वह राक्षस अब बिल्कुल बदल चुका था मगर लोगों में तो उस राक्षस की दहशत थी । एकदिन की बात है कि बच्चों के स्कूल का एक ग्रुप वहां से गुजरा। बड़ी तेज वर्षा हो रही थी। सब के सब बच्चे गुफा में जाने लगे थे। सब बच्चों के अध्यापकों ने आवाज लगाई जल्दी आओ हमारी गाड़ी छूट जाएगी। सभी बच्चे गाड़ी की और भागने मगर चंपू वही गुफा में अंदर घुस गया। चंपू ने देखा एक बड़ी बड़ी सिंह वाला’ बड़ी बड़ी मूछ वाला’ बड़े मोटे पेट वाला बड़ा सा भीमकाय शरीर वाला आदमी खर्राटे ले रहा था। चुपचाप उसके घर के पास खड़ा हो गया उससे उसे उसे जरा भी डर नहीं लगा। उसने कहानियों में सुना था कि राक्षस खतरनाक होते हैं उनके साथ प्यार से पेश आना चाहिए। उसने दानव के कान में पेंसिल से कुरेदना शुरू कर दिया। बह चिल्लाने लगा कौन है। उसको इस प्रकार बोलते देखकर चंपू जोर-जोर से हंसने लगा। उसको हंसता देख कर डेनियल की नींद खुल गई। डेनियल ने देखा एक छोटा सा बच्चा उसके कान कुरेद रहा था। वह बोला नमस्कार आपका क्या नाम है। आप मुझसे दोस्ती करोगे चंपू ने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया चंपू बोला आहिस्ता बोलो, बच्चे मुझे ढूंढने आ जाएंगे। अपने घर में इतने दिनों बाद किसी बच्चे को देखकर दिल खुश हो गया। डेनियल ने अपने बच्चे के बड़े-बड़े कपड़े उस बच्चे को दिए और कहा बदल लो। तुम तो वर्षा से भीग गए हो। डेनियल के बेटे के कपड़े चंपू ने पहन लिए थे। चंपू ने डैनियल को कहा दोस्त आहिस्ता बोलो, मेरे अध्यापकों को पता चला तो वह मुझे यहां से ले जाएंगे। घर में मेरे पिता माता मुझे मारते रहते हैं। हर वक्त कहते हैं कि पढ़ाई करो पढ़ाई करो रोज रोज की पढ़ाई से मैं तंग आ गया हूं। मां तो हर वक़्त मेरे पीछे पड़ी रहती है तुमने होमवर्क किया या नहीं तुम हर वक्त खेलते रहते हो। अध्यापक तो और भी आगे है। बेंच पर खड़ा कर देते हैं। और पिटाई भी करते हैं अच्छा है इन सब से छुटकारा मिलेगा । चंपू बोला दोस्त चलो खेलते हैं तुम्हारे पास खेलने के लिए गैंद है। डेनियल बोला नहीं है। वह बोला यह गैंद क्या होवे है । चंपू बोला अरे वह तुम्हें बोलकर भी नहीं पता चला। कपड़े की बनती है। सुई धागा लाओ। मैं बनाता हूं। चलो मैं बनाता हूं। चंपू ने बहुत सारे कपड़ों की गोल गोल गोल बना दी। अब डैनियल के साथ वह खेलने लग गया था। डैनियल को इतने दिनों बाद चंपू के साथ खेलते खेलते बहुत ही खुशी हुई। चंपू को भूख लगने लग गई थी। चंपू बोला खाना लाओ। वह तो जानवरों को मार-मार कर खाता था। चंपू बोला मैं जानवरों का मांस नहीं खाता। मुझे खाना लाओ। डेनियल ने कहा तुम थोड़ी देर अकेले खेलो। मैं तुम्हारे लिए खाने का प्रबंध करता हूं। वहां से कुछ राहगीर चल रहे थे। उन्होंने नदी का किनारा देखकर अपने खाने का डिब्बा वहां रख दिया था । उसने उनका खाने का डिब्बा चुरा लिया था। और दूध की बोतल भी वह दौड़ा दौड़ा चम्पू के पास आकर बोला खाओ। चंपू बोला मैं ठंडा खाना नहीं खाता गर्म करके लाओ। डेनियल बोला यह गर्म क्या होता है। चंपू बोला गर्म करने के लिए आग जलाने पड़ती है। माचिस लाओ। वह बोला माचिस क्या होती है? वह बोला आग राक्षस बोला आग क्या होती है? आग जैसे सूर्य होता है। उससे गर्मी निकलती है। आग से भी गर्मी पैदा होती है। और माचिस से जल जाएगी । चंपू ने दो पत्थरों को आपस में रगड़ा। उसके रगड़ने से उनमें आग उत्पन्न हो गई थी। उसने कागज से आग जलाई। वह चोरी करके खाने के बर्तन भी ले आया था। उसे खाना बड़ा स्वाद लगा तो चंपू ने बताया की पत्तों को काटकर भी सब्जी बनाई जाती है। उसने दूध से चाय बनाने भी डेनियल को सिखाई उसने डैनियल को लिखना पढना भी सिखाया। चंपू उसका गुरु बन गया था और डैनियल विद्यार्थी। उसने डेनियल को उसका नाम लिखना भी सिखा दिया था। चंपू को डेनियल के साथ रहते हुए 10 दिन हो चुके थे चंपू के माता पिता अपने बेटे को ढूंढ कर थक गए थे। उन्होंने तो सोच लिया था कि हमारा बच्चा मर गया है। क्योंकि उस राक्षस की गुफा में जाने का कोई भी साहस नहीं करता था। एकदिन सभी बच्चे अपने दोस्त को ढूंढते-ढूंढते थक गए थे। उन्होंने गुफा को देखा था उन्होंने सोचा क्यों ना अपने दोस्त को उसी गुफा में ढूंढा जाए। गुफा में पहुंचने पर उन्होंने अपने दोस्त को आवाज लगाई। उन्हें अंदर से अपने दोस्त की आवाज सुनाई दे रही थी। वह अंदर जाने का साहस नहीं कर रहे थे। उस राक्षस को दूसरे दूर से भी देख कर सारे के सारे बच्चे वापस घर चले गए थे। उन्होंने चंपू के माता पिता को बताया कि चंपू जिंदा है। उसे अंदर से चंपू की आवाज सुनाई दे रही थी। अंदर एक भयानक राक्षस को देखकर हमारी तो जान ही निकल गई। हम बाहर से ही वापिस आ गए चंपू के माता-पिता ने पुलिस का सहारा लिया पुलिस चंपू को ढूंढते-ढूंढते उस गुफा तक पहुंच गई थी। उन्होंने जोर से चंपू को पुकारा चंपू चंपू क्या हम तुम ही सुन सकते हैं। चंपू डरकर डेनियल से बोला मुझे लेने पुलिस वाले आ गए हैं। तुम बाहर गए तो वह तुम्हें मार डालेंगे मैं अपने दोस्त को खोना नहीं चाहता इतने दिनों तक वह राक्षस उसे अपने ही पलंग पर सुलाता था जैसे एक बेटे को उसका पिता सुलाताथा। चंपू डेनियल से बोला तू बाहर मत आना। डैनियल बोला मैं किसी से नहीं डरता। वह बाहर आकर गुस्से में चिल्लाया कौन है पुलिस वालों ने कहा यह दुष्ट राक्षस चंपू को छोड़ दे नहीं तो हम बंदूक चला देंगे। उसने एक पुलिस वाले को अपने एक हाथ से ऊपर उठा दिया था। चंपू ने कहा दोस्त डेनियल तुम इस पुलिसवाले को मत मारना। पुलिस वाले तुम पर गोली चला देंगे। डैनियल चंपू की हर एक बात मानता था। डोनिलोन नें उस पुलिस इंस्पेक्टर को एक और फेंक दिया। पुलिस वालों ने कहा चंपू को हमारे हवाले कर दो नहीं तो हम तुझे मार देंगे वह बोला चंपू को मैं तुम्हें किसी भी हालत में नहीं दूंगा अब उन्होंने सचमुच ही डेनियल पर गोली चला दी थी। अपने दोस्त को बचाने के लिए चंपू आगे आ गया था। चंपू के बाजू में गोली लगी थी खून का फव्वारा जैसे ही निकला डेनियल चिल्लाया, तुमने मेरे दोस्त को मारा मैं तुम सबको मार दूंगा, तभी अपने हाथ के इशारे से चंपू ने आहिस्ता से कहा अगर तुम सचमुच ही मुझे अपना दोस्त मानते हो तो तुम इन पुलिस वालों को गोली नहीं चलाओगे। मुझे अपना दोस्त मानते हो राक्षस ने कहा तुमने मेरे बेटे को मारा है। डैनियल नेंउसकी बाजू में गोली निकाल दी थी। उस पर पट्टी बांध दी थी। राक्षस को रोता देखकर सारे पुलिस वाले हैरान थे। इस इस छोटे से बच्चे की दोस्ती ने उस राक्षस को बदल दिया था। चंपू ने पुलिसवालों को कहा कि मैं तुम्हारे साथ चलने के लिए तैयार हूं। तुम अगर मेरे दोस्त को नहीं मारोगे पुलिस वालों ने कहा हमें तुम्हारी बात मंजूर है। उन्होंने डेनियल को छोड़ दिया। चंपू नें रोते-रोते डेनियल को कहा मेरे दोस्त अभी तो मैं जाता हूं परंतु बहुत जल्दी मैं तुमसे मिलने आया करुंगा। साथ में अपने दोस्तों को भी लाया करूंगा। डेनियल को चंपू ने कहा अलविदा उसका मन अपने दोस्त डेनियल को छोड़कर जाना नहीं चाहता था। चंपू घर वापिस आ चुका था तो चंपू ने अपने माता पिता को डेनियल की सारी बातें बताई कि किस तरह उसके साथ खेलता था। अपने दोस्तों के साथ डेनियल के साथ खेलने आता था। एक दिन जब वह अपने दोस्त से मिलने आया तो उसने डेनियल को जगाने के लिए उसके कान में कुरेदना शुरू कर दिया मगर उसका दोस्त डेनियल नहीं जागा। उसके हाथ में एक कागज का पर्चा था। उस पर लिखा था मेरे दोस्त अलविदा डेनियल खूब पढ़ाई करना मेरे जाने के बाद यहां पर कभी कभी आकर अपने साथी दोस्त कि यादों को तराताजा करना। तुम सब दोस्त मेरे बगीचे में आ कर खेलोगे तो मैं अपने जीवन को धन्य समझूंगा। तुम्हारा प्यारा साथी।

हाय तौबा!

 

रमोला के परिवार में उसका पति रवि और उनका बेटा था। रवि एक छोटी सी दुकान में काम करता था। रमोला ने अपने पति को आवाज दी जल्दी आओ खाना मेज पर लग गया है। उसी समय उसके दरवाजे पर दस्तक हुई रमोला ने देखा कि एक भिखारी उसके घर का दरवाजा खटखटा रहा था

रामलाल ने भिखारी को देख कर कहा तुम फिर आ गए तुम बाज नहीं आओगे चलो निकलो यहां से । भिखारी की आंखों में आंसू आ गए। सचमुच में ही उसे भूख लगी थी। रमोला ने दरवाजा बंद कर दिया था। सभी खाने की मेज पर आ चुके थे। रमोला के बेटे ने बाहर बालकनी में जाकर देखा उसकी गेंद बालकनी से बाहर गिर गई थी। रमोला ने देखा कि वह भिखारी वही पर दरवाजे की ओर टकटकी लगाए  यूं ही बैठा था। उस भिखारी की आंखों में उसे सच्चाई नजर आई सचमुच उसे भूख लगी है। उसने कहा बैठे रहो। दरवाजा खुला रखना उसके पति ने कहा उसे अंदर बिठा दो और उसे हिदायत दे दी आज के बाद यहां नहीं दिखना चाहिए। वह बोला बीवी जी मुझे बहुत ही जोर की भूख लगी है।

रमोला अपने मन में सोचने लगी जब यह भिखारी आता है कहता है जो दे उसका भी भला और जो ना दे उसका भी भला। डांट फटकार सब सह लेता है। भिखारी जल्दी-जल्दी खाना खाने लगा था। रमोला ने अपने पति को खाने की मेज पर उदास बैठे देखा जोर से बोली क्या बात है आजकल आप खाना भी ठीक प्रकार से नहीं खा रहे हो। कहीं शेर बजा-री में फिर से गड़बड़ी तो नहीं कर दी क्या। मैंने आपको शेयर बाजार में निवेश करने से मना किया था। आप तो करोड़पति बनने का सपना देख रहे थे अब बोलती क्यों बंद हो गई भिखारी खाना खा चुका था। अविनाश ने कहा बोलती  ही रहोगी या चुप भी रहोगी। मैं कुछ देर आराम करना चाहता हूं। भिखारी खाना खाने के बाद बोला बीबी जी आप अपने पति को अभी ही रोक दो वरना एक दिन आपको पछताना पड़ेगा। इस शेयर बाजारी के चक्कर में कुछ नहीं रखा है। निवेश करना है तो अच्छे से शेयर ले लो उनको बेचने के बारे में भूल जाओ थोड़ा सा सबर करो कुछ सालों के बाद आपको उनसे ही फायदा होगा। बीबी जी आप मेरी हालत देख रही हो मेरा भी अपना परिवार था। मुझे देखकर कोई नहीं कह सकता था कि मैं भी एक सेठ था मेरे पास काफी धन दौलत थी। मेरी पत्नी और दो छोटे छोटे बच्चे मैं भी शेयर बजारी के धंधे में फंस गया था इस शेयर बजारी के चक्कर में मैंने अपना सब कुछ गंवा दिया। इसकी लत तो शराब से भी ज्यादा हानिकारक है। शराब से तो इंसान धीरे-धीरे मरेगा मगर शेर जारी नहीं तो 2 सेकंड में ही काम तमाम बंदे को पता ही नहीं चलेगा कि वह एकदम कब भगवान के पास पहुंच गया रमोला के पति ने आवाज दी जरा पानी को लेकर आना अंदर गई तो उसके पति नीचे चक्कर खाकर गिर गए थे। उनके हाथ में लेपटॉप भी नीचे गिर गया। रमोला चिल्लाई बचाओ-बचाओ भिखारी जल्दी से अंदर आया बोला आप घबराइए मत। वह बोलाआप जल्दी से इन्हें अस्पताल लेकर जाना। मुझे तो गाड़ी चलाना नहीं आता रमोला बोली। भिखारी बोला बीवी जी गाड़ी में  मैं आपके पति को अस्पताल ले कर जाऊंगा। मेरी बात पर आपको यकीन तो करना ही होगा। रमोला ने कहा जल्दी चलो भिखारी ने सचमुच अविनाश को अस्पताल पहुंचाया। अविनाश को होश आ गया था। भगवान का शुक्र है आप ठीक हैं रमोला ने देखा भिखारी की आंखों में भी खुशी के आंसू थे भिखारी रमोला से बोला मेरी पत्नी मुझे छोड़ कर अपने मायके चली गई। मेरे माता पिता हार्ट अटैक से मर गए। मेरा घर बार सब नीलाम हो गया। उसकी दर्दनाक गाथा सुनकर रमोला की भी आंखों मेंभी आंसू छलक आए। बाबा मुझे माफ कर दो मैंने आपको गलत समझा अपने पति की ओर इशारा करती हुए बोली आगे से शेयर बाजार से तौबा कर लो नहीं तो आप की हालत भी इस भिखारी की तरह हो जाएगी। सुबह का भूला शाम को घर आ जाए उसे भूला नहीं कहते।