दक्षिणा

पीहू एक छोटी सी बस्ती में रहती थी उसकी मां उसे अच्छी शिक्षा नहीं दिलवा सकती थी।  उसकी मां इधर उधर घरों घरों में जाकर बर्तन साफ कर और झाड़ू पोछा लगा कर अपनी आजीविका चला रही थी। पीहू तो मौज मस्ती में सपने देखने में अपना समय व्यतीत कर रही थी। वह हर रोज नए नए सपने देखा करती थी। उसकी मां सोनाली उसे हर वक्त कहती कि बेटा सपने देखना छोड़ो सपने वही देखनी चाहिए जो पूरे हो सके। मैं तेरे सपनों को कभी पूरा नहीं कर सकती।

 

एक दिन उसकी सहेलियां घर पर आई हुई थी उसकी मां बोली तुम्हारी सहेली तो सपने देख रही है। उसकी सहेलियाँ बोली “जरा हमें भी बताओ कि कि पीहू कहां है” ? उसकी मां सोनाली ने कहा अपने कमरे में सोते रहती है और सपने देखा करती है। उसके कमरे में चली गई उन्होंने पीहू को जगाते हुए कहा उठो ना जाने कितनी देर हो गई है। सपने देखना छोड़ दो। स्कूल नहीं जाना है क्या? वहबोली मैं सपना देख रही थी कि मैं विदेश चली गई हूं। उनकी सहेलियां हंसने लगी उसकी मम्मी बोली बेटा सपने वही देखने चाहिए जो पूरे हो सके। अपनी मां को बोली मां देखना एक दिन मैं अपने बल पर अपने सपनों को साकार कर कर दिखाऊंगी। मैं विदेश जरूर जाऊंगी उसकी सहेली हंसने लगी थी बोली अच्छा बाबा अपने सपनों के बाद में पूरा करना अभी तो स्कूल जल्दी पहुंचना है।पीहू ने जल्दी अपना बस्ता लिया और स्कूल चली गई।

 

पीहू मेहनती लड़की थी। वह  हरदम मस्त रहती थी उसे देखकर कोई नहीं कह सकता था कि वह पढ़ाई भी करती है। स्कूल में जो भी प्रश्न मैडम पूछती उसका जवाब हमेशा देती। इसलिए उसकी अध्यापिका उसे डांटती नहीं थी। उसके पास कॉपी किताबें कम ही होती थी। इसी तरह आठवीं कक्षा में पहुंच गई थी।

 

उसके घर के पास एक परिवार रहने के लिए आया था। उसने उस परिवार की आंटी से दोस्ती कर ली थी। उसके घर में हर रोज आने लगी थी अंकल के साथ भी वह बहुत घुल मिल गई थी। वह रसोई में तुषार की पत्नी के साथ हाथ बंटाने लगी। एकदिन बोली मैंने सुना है कि आप एक गणित के अध्यापक हो। आप मेरी इस विषय को पढ़ाने में मदद करो। मैं आंटी का सारा काम कर दिया करूंगी। मुझे गणित का विषय बहुत ही अच्छा लगता है तुषार बोले बेटा ज्ञान बांटने से बढ़ता है मैं तुम्हें पढ़ा दिया करूंगा वह बोली अंकल पर मेरे पास आपको देने के लिए फीस नहीं है। मैं जब बड़ी ऑफिसर बन जाऊंगी मैं गणित विषय की बड़ी प्रोफेसर बनना चाहती हूं। मैं सपनें देखा करती हूं तुषार बोले बेटा सपने देखना तो ठीक होता है मगर इसके लिए संघर्ष करना बहुत ही जरूरी होता है। अंकल मेरी मां दूसरे घरों में कपड़े साफ कर और पोछा झाड़ू लगाकर मुझे बड़ी मुश्किल से पढ़ा रही है। तुम्हें तब तोअपने सपनों को  अवश्य साकार करने की कोशिश करनी चाहिए। इस काम के लिए मुझ से जो हो सके जो भी बन पड़ेगा मैं तुम्हारे लिए करूंगा।

 

पीहू ने रात दिन एक कर दिया। उस स्कूल में ओलिंपियाड के गणित के पेपर थे। मैडम ने कहा जिसने फार्म भरना होगा वह भर देना। पीहू सोचने लगी मैं भी इस परीक्षा को अवश्य दूंगी। पीहू सोचने लगी कि मैं इस परीक्षा को अवश्य दूंगी उसने अपनी मैडम के पास जाकर कहा मैडम आज से  मैं आपके सभी काम कर दिया करूंगी। आपके कक्षा में पहुंचने से पहले आपकी मेज साफ होगी। बच्चों को चुप करवाना मेरा काम है। सभी बच्चों की कॉपियां आप के कक्षा में पंहुचने से पहले ही मेज पर मैं रख दूंगी। आपके घर में भी काम कर दिया करूंगी। इसके लिए आपको मैडम मेरा एक काम करना पड़ेगा। मैडम को बोली   मैं भी गणित ओलंपियाड की परीक्षा देना चाहती हूं। इसके लिए आप मेरी फार्म की फीस दे देना मेरी मेरी भी गणित में रुचि है। मैडम पीहू की बात सुनकर चौंकी। उन्होंने तीन बच्चों के फार्म भरे थे मगर उस होनहार छात्रा के साहस और लग्न को देख कर पीहू की मैडम अनीता को खुशी हुई इस लड़की के अंदर मेहनत करने का जज्बा है। शायद वह निकल जाए। वह फॉर्म भरने के लिए शर्तों के अनुकूल थी। मगर किसी ने भी इस लड़की की तरफ ध्यान ही नहीं दिया था। इसलिए कि इस लड़की के पास फार्म भरने के लिए रुपए नहीं थे। मैडम से कहा तुमने मुझसे पहले क्यों नहीं कहा इसके लिए  तुम्हें कहीं कोई काम करने की आवश्यकता नहीं है। मैं तुम्हारा फॉर्म भर दूंगी मैडम ने उसका फॉर्म भर दिया था।

 

वह ओलंपियाड परीक्षा में निकल गई थी। उसके स्कूल से केवल वही लड़की चयनित हुई थी सभी अध्यापक-अध्यापिकाओं भी उसकी थोड़ी बहुत मदद कर दिया करते थे। वह दसवीं कक्षा में पहुंच गई थी जब वह ऑलंपियाड की परीक्षा में निकली तो उसके  तुषार अंकल बहुत ही खुश हुए। दसवीं में भी ओलंपियाड की परीक्षा दे देना फार्म भरने के लिए मैं तुम्हें तुम्हारी फीस दे दूंगा। वह किसी से भी रुपए लेना नहीं चाहती थी। घर में उसने सभी रास्तों से अखबार के टुकड़े इकट्ठे किए’ स्कूल में बच्चे जो कागज  थे वह सभी कागज अपने बस्ते में भर लेती थी। उन सभी कागजों को इकट्ठा करके उसके लिफाफे बनाती थी। जितने भी लोग डिब्बे प्लास्टिक की बोतलें कूड़ा कबाड़ समझ कर फेंक देते थे उन सभी को इकट्ठा करके वह बाजार में बेच देती थी। इस तरह से वह रुपए इकट्ठे किया करती थी। इस बार जब दसवीं की ओलिंपियाड परीक्षा के लिए  बच्चे फार्म जमा करवा रहे थे तब वह सबसे पहले फीस देने आई। उसके स्कूल के प्रधानाचार्य ने उसे लिफाफे बेचते और प्लास्टिक की बोतलें बेचते देख लिया था। उनकी आंखों से आंसू बहने लगे उन्होंने पीहू को अपने पास बुलाया बेटा ऐसी बेटी सब को दे। एसी बेटी पर नाज होना चाहिए। लोग कहते हैं हमारी बेटी नहीं होनी चाहिए मगर मैं आप सब लोगों के पास तुम्हारा उदाहरण दूंगा। ऐसी बेटी सबको दे इतनी मेहनती छात्रा वह भी अपने बल पर फीस देने का जज्बा कायम रखती है अबकी बार वह ओलंपियाड परीक्षा में भी निकल गई थी।

 

उसके लिए इसकी अगली पढ़ाई के लिए विदेश में किसी यूनिवर्सिटी ने बुलाया था। उसके प्रधानाचार्य ने लिख दिया था कि यह लड़की बहुत ही होनहार छात्रा है मगर उसके पास आगे पढ़ाई का खर्चा उठाने के लिए रुपए नहीं है। विदेश की एक यूनिवर्सिटी ने उसे ऑफर दिया कि इस लड़की की पढ़ाई के लिए सारा खर्चा हम उठाएंगे। स्कूल में सभी अध्यापक अध्यापिका आपस में बातें कहे थे| इस बार लेक्चरार पद के लिए गणित के अध्यापकों की लिस्ट जारी कर दी गई है। आज फार्म भरने की लास्ट डेट है।

 

इन सभी अध्यापकों की सूची है पीहू ने देखा तुषार सर का नाम देखकर चौकी। वह दौड़ी दौड़ी प्रधानाचार्य के पास गई एक  फार्म मुझे भी दे दो सर मेरे जानने वाले अध्यापक हैं। वह मेरे अंकल हैं उनके लिए अगर मैं कुछ कर सकूं तो भी कम है उन्होंने मेरा भाग्य संवारा है उन्होंने मुझे पढ़ाने के लिए कोई फीस नहीं ली। उनका फार्म भर दो प्रधानाचार्य बोले बेटी इसके लिए उसमें उनके हस्ताक्षर करने जरूरी है वह बोली कि चिंता ना करो मैं घर जाकर उनके हस्ताक्षर करवा कर लेकर आती हूं। वह छः सात किलोमीटर स्कूल से घर आई और आंटी को बोली।  आंटी आप इस फार्म पर अंकल के हस्ताक्षर करावा दो | अध्यापकों की सूची कहने देखा तुषार सर का नाम भी, देखकर चौकी वह दौड़ी-दौड़ी प्रधानाचार्य के पास गई पर एक फार्म मुझे भी दे दो मेरे जाने वाले अध्यापक हैं वह मेरे अंकल हैं उन्होंने मुझे गणित पढ़ाया उनके लिए अगर मैं कुछ कर सकूं तो भी कम है । अंकल आप इस फार्म पर हस्ताक्षर कर दो अंकल ने उस फार्म पर हस्ताक्षर कर दिए उन्होंने कहा बेटी यह कैसा काम है वह बोली अंकल यह आपका फॉर्म है उनकी पद पत्नी भी यह सब देख रही थी तू बोली अंकल के लेक्चरार के पद का आखिरी दिन उनके स्कूल में एक गणित का पद रिक्त था अंकल सरकारी स्कूल में लग जाएंगे उनकी पत्नी माधवी भी इस लड़की के जज्बे को देखकर बहुत ही खुशी हुई यह लड़की बहुत ही खुद्दार है उनके पति स्कूल में जब उसे पता चला कि कल गणित के लेक्चरर की परीक्षा है उसने सर का रोल नंबर अपने पास रख लिया घर आकर उसने तुषार सर की चरण स्पर्श किए बोले में इस बार भी ओलिंपियाड की गणित टेस्ट में निकल गई हूं | कल आखिरी दिन था उनके स्कूल में गणित का पद रिक्त था सरकारी स्कूल में लग जाएंगे उनकी पत्नी माधवी  छात्रा के जज्बे को देखकर बहुत ही खुशी हुई। यह लड़की बहुत ही खुदार है।

 

काम की तलाश करते वह अंकल को देखा करती थी।    स्कूल में उसे पता चला कि कल गणित के लेक्चरर की परीक्षा है उसने सर का रोल नंबर लेकर अपने पास रख लिया। घर आकर उसने तुषार सर के चरण स्पर्श किए बोली। मैं इस बार भी ओलिंपियाड के गणित  की परीक्षामें निकल गई हूं। मुझे विदेश जाने की स्वीकृती मिल गई है। जो सपनें मैं बचपन में देखा करती थी वह सपना सच होने जा रहा है। इस सपने को पूरा करने का सारा श्रेय मैं आप दोनों को देती हूं। आपने मुझे इस काबिल बनाया विदेश जाकर मैं आप दोनों को कभी नहीं भूलूंगी। जब अखबार वाले उससे इंटरव्यू लेने आए तो उसने अपने गुरु तुषार का नाम लिखा। जिन्होंने गणित की पढ़ाई उससे कोई फीस लिए बिना करवाई थी। अगले सप्ताह  विदेश जाने वाली थी। उसने अपने गुरु तुषार के पास आकर कहा कि आज आपको आपकी पढ़ाई की दक्षिणा देना चाहती हूं। वह बोले बेटी मैं तुमसे कोई दक्षिणा नहीं लेना चाहता। उसे विदेश में नौकरी के साथ साथ पढाई करनें का मौका दिया था। और इस लड़की की पढ़ाई के लिए सारा खर्चा देनें का सुनहरा अवसर दिया था। मुझे विदेश से ऑफर आई है मैं जो बचपन में सपने देखा करती थी वह सपना सच्चा होने जा रहा है इस तुषार सर की नियुक्ति का पत्र उन्हें थमाया क्योंकि वह लेक्चर पद पर नियुक्त हो गए थे उनकी पत्नी बोली ने कि तुम्हारे फार्म की फीस भरी थी इसने अपनी गुल्लक में जोड़ जोड कर जो रूपये इकट्ठे किये थे  वह सभी आप के फार्म भरने के लिए दे दिए थे और आप का फार्म भर दिया था। यह इनकी यह इसकी अनमोल दक्षिणा थी। उषा ने उसे कहा बेटा तुम्हारी जैसी बेटी सबको दे बाद में वह भी विदेश में सेटल हो गई थी। वह अपनी मां को भी विदेश ले गयी उसके सपने साकार हो गए।

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