नई दिशा

हेम शरन के परिवार में उसकी पत्नी और उसकी एक बेटा बेटी थे। हेमशरन इतना अमीर नहीं था गांव में उसकी थोड़ी बहुत जमीन थी। जिस में वह खेती-बाड़ी करता था। उसकी बेटी नौ साल की थी और बेटा बीनू से चार साल बड़ा था। उसका भाई आठवी कक्षा में था। हेमशरन अपनी पत्नी से कहने लगा हम अपनी बेटी को पांच कक्षा तक ही पढ़ाएंगे उसके बाद उसकी शादी कर देते हैं। यह बात हेमशरन की बेटी बीनू सुनरही थी वह दौड़ दौड़ी आई और बोली पापा आप मेरी शादी क्यों करना चाहते हैं। मैं तो पढ़ना चाहती हूं। हेम शरण बोला बेटी तुम पढ लिखकर क्या करोगी। तुझे पढ लिखकर दूसरे घर ही तो जाना है। आपने भी तो विक्की को अंग्रेजी स्कूल में डाला। मैंने आपको कुछ नहीं कहा ‘मैं शादी नहीं करुंगी मैं भी पढ़ना चाहती हूं। हेम शरण बोला तू पढ़ लिख कर क्या करेगी। तुझे दूसरे के घर ही तो जाना है बिनु बोली पापा आपने भी विकी को अंग्रेजी स्कूल में डाला मैंने आपको कुछ नहीं कहा मैं शादी नहीं करुंगी। मैं पढ़ना चाहती हूं वीनू बोली अच्छा आप विकी की भी शादी कर दो। अगर आप मेरी शादी कर रहे तो आपको भाई की भी शादी करनी होगी वरना मै भी शादी नहीं करुंगी। उसके पिता ने कहा बेटी तुम पढ लिख कर क्या करोगी। तुम्हें विवाह कर दूसरे घर ही तो जाना है। विककी तो हमारे पास ही रहेगा वह हमें कमा कर देगा। बोली पापा मैं भी कमा कर लूंगी। उसके पापा नें एक जोरदार चांटा मार कर अपनी बेटी को चुप करा दिया। तुम अपने पापा के सामने जुबान चलाती हो बीनू रोते-रोते अपनी मां के पास जा कर बोली
मां मुझे शादी नहीं करनी। उसके पिता गांव के जंमिदार के बेटे के उसका रिश्ता पक्का कर आए थे। जमीदार का बेटा उसके साथ ही स्कूल में पढ़ता था। उन्होंने 2’000’00 रुपये दहेज के पहले ही एडवांस में मांग लिए थे। घर आने पर हेमशरन ने अपनी पत्नी को कहा कि मैं भी आज रिश्ता पक्का कर आया हूं। आज शाम को लड़की वाले हमारी बेटी को देखने आ रहे हैं। वीनू बड़ी तेज थी। शाम को जैसे ही लड़की वाले देखने आए तो उसने दरवाजे के पास ही तेल गिरा दिया ताकि जो कोई उस के कमरे में उसे देखने आए वह गिर कर वही ढेर हो जाए। शाम को जमीदार का लड़का उसे देखने आया बिनु चाय बगैरा लेकर आई। बिनु की मां ने कहा तुमने लड़की से अकेले में बातें कीं। कैसी है बिनु की मां ने कहा यह है हमारी बीनू का कमरा विनु तो पहले ही जाकर अपने कमरे में बैठी थी जैसी वह उसकी कमरे की ओर जाने लगा वह धडाम से नीचे गिर पड़ा उसके पांव में फ्रैक्चर हो गया था। किसी ना किसी तरह लड़के वालों ने मंगनी निश्चित कर दी। वे शादी को टालना नहीं चाहते थे क्योंकि इसके बदले में वीनू के पिता ने उन्हें दो लाख की मूंह मांगी रकम दी थी। वह भी बिनु के पिता ने किसीसे उधार ले कर दिए थे। बिनु को अपने माता-पिता पर गुस्सा आ रहा था। बिनु बहुत ही चुस्त थी। गुरुजी ने उसे कहा था कि बेटा आजकल पढ़ाई करना बहुत जरुरी होता है। बिना ज्ञान के मनुष्य का जीवन कुछ नहीं होता। बेटी को भी पढ़ाना बहुत जरुरी होता है। किसी भी परिवार की बेटी पढ़ लिख गई तो मानो वह अपने पूरे परिवार को शिक्षित कर सकती है इसलिए तुम सब बच्चे आज कसम खाओ खास कर लड़कियां तुम कभी भी कमजोर नहीं होंगी। तुम्हारे मां बाप अगर तुम्हारी शादी छोटी उम्र में करें तो तुम पुलिस को इसकी सूचना दी सकती हो। मैं आज तुम को पुलिस वालों का नंबर देता हूं। वह भी न मिले तो हर कभी मुझसे से संपर्क करसकती हो। मैं लड़कियों की शिक्षा के पक्ष मैं हूं। बिनू नें सोचा कि वह गुरु जी को अवश्य सारी बात बताएगी। वह दूसरे दिन अपनी सहेली मीतू से मिली उसने मीतू को कहा कि मेरे मां बाप मुझे पढ़ाना नहीं चाहते। आज से पांच दिन बाद मेरी शादी है। उससे पहले अगर हमने पुलिस को फोन नहीं किया तो मेरे मां बाप मेरी शादी जबरदस्ती उस जंमीदार के लड़के से कर देंगें। उसकी सहेली ने जल्दी से पुलिस वालों को फोन लगा दिया। इस गांव के ठाकुर साहब अपनी बेटी की जबरदस्ती शादी करने जा रहे हैं। वहलड़की नाबालिक है। छोटी उम्र में विवाह करना गुनाह है। बीनू ने अपने पिता को कुछ नहीं कहा। उसके पिता ने कहा कि आज से तुम स्कूल भी नहीं जाओगी जाओ विवाह की तैयारी करो। पांच दिनों बाद तो तुम ऐसे ही तुम दूसरे घर बहू बन कर चली जाओगी। विनु ने अपने पापा को कुछ नहीं कहा। शादी के फेरे होने ही वाले थे पुलिस वालों ने आकर ठाकुर साहब को पकड लिया और बोले तुम्हें अपनी बेटी की छोटी उम्र में शादी करते शर्म नहीं आती। इस प्रकार पुलिस वालों ने जमीदार को और बीनू के पापा को जेल में डाल दिया। बीनू के पिता को जबमालूम हुआ कि मेरी बेटी ने ही पुलिस बुलाई है तो वे अपनी पत्नी से बोले और भेजो अपनी बेटी को स्कूल में। स्कूल में शिक्षा देने का यह नतीजा है ठकुराइन कुछ नहीं बोली। बीनू की शादी टल चुकी थी। जंमिदार को जेल से रिहा किया गया तो वहआगबबूला हो उठा बोला ठाकुर साहब। तुमने हमसे दुश्मनी लेकर कर अच्छा नहीं किया। तुम्हें इसकी लिए पछताना पड़ेगा। ठाकुर भी अपनी बेटी से नाराज ही रहने लग गया। वह कभी उससे सीधे मुंह बात नहीं करता था। बिनु भी हार मानने वाली नहीं थी। उसने गुरुजी को कहा कि गुरुजी मैंने तो पढ़ना जरूर है। मेरे माता पिता मुझे पढ़ाई के लिए रुपया नहीं देते कृप्या मुझे आगे पढ़ना है। उसने पांचवी की परीक्षा भी पास कर ली थी। उसने छोटे बच्चों को पढ़ा पर उनसे वह कापी पैंसिल ले लेती थी गुरुजी ने भी उसको पढ़ाने में उसकी काफी मदद की। ठाकुर साहब नें अपने बेटे को पढ़ाई की लिए उसकी ट्यूशन भी रख दी थी। वे चाहते थे कि मेरे बेटे की पढ़ाई में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए। इस बात से बीनू बहुत ही नाराज होती थी उसके पापा बीरू पर ही सब रुपया खर्च करना चाहते थे। उसे पढ़ाई तो दूर की बात उसकी मां उसे कहती नहीं बेटा ऐसी बात नहीं है तुमसे भी तुम्हारे पापा बहुत प्यार करते हैं। मगर वह कहते हैं कि लड़को को ही आगे पढना चाहिए। वह तुम से भी बहुत प्यार करतें हैं

दोनों बच्चे बड़े हो चुके थे लड़के को ठाकुर साहब ने पढ़ने विदेश भेज दिया था। बिनु बेचारी घर पर ही बैठ कर बारहवीं की परीक्षा पास कर चुकी थी। वह कॉलेज की पढ़ाई प्राइवेट कर रही थी। जमीदार अपनी बेइज्जती को भुला नहीं था। उसने सोचा कि ठाकुर से एक दिनअपने अपमान का बदला जरुर लेगा।उसने सोचा कि इसके लिए पहले ठाकुर से मित्रता का हाथ बढ़ाना आवश्यक है। उसने फिर से ठाकुर से मित्रता करना आरंभ कर दिया और आकर बोला हम छोटे-छोटे बच्चों की शादियां करवाना चाहते थे। जमाना भीबदल चुका है अब तो हमारे बच्चे भी बड़े हो चुके हैं। हम दोनों तो पहले ही समधी बन चुके थे। हम इसशादी को करवानें के लिए क्यों ना फिर एक बार तैयार हो जाएं। आपकी बेटी भी बड़ी हो चुकी है और मेरा बेटा भी वह हमारे घर में बहू बनकर आ जाएगी तो बहुत ही अच्छा होगा। ठाकुर साहब आश्चर्य से जमीदार की ओर देखते हुए बोला पहले मुझे बीनू से पूछना होगा। बिनू बोली अगर विरेंद्र को ऐतराज़ ना हो तो मैं शादी के लिए तैयार हूं। जंमिदार बोला वह तो तैयार है। उसकी कोई चिंता नहीं। ठाकुर को मिठाई खिलाते बोला तो क्या मैं रिश्ता पक्का समझूं। उन दोनों नें मिल कर बिनु का रिश्ता पक्का कर दिया। जंमिदार के घर में उसके दोस्त का बेटा रहता था। उसका दोस्त मर चुका था। वह उस बच्चे को सदा के लिए जमीदार की गोद में डालकर मर गया था। जंमिदार उससे जी भरकर काम लेता था। उसकी दुकान पर नौकरों की तरह काम करता था। बेटा भी उसको अपने पिता जैसा ही प्यार देता था। विनय सोचता था कि उसका परिवार तो अभी यहीं है। घर आकर जमीदार अपनी पत्नी से बोला हम ठाकुर साहब से अपनी बेइज्जती का बदला लेना चाहते हैं। हम अपनें दोस्त के बेटे से बीनू की शादी करेंगे। उसे क्या पता चलेगा। सेहरे से क्या मालूम होगा? ठाकुर साहब के घर पर बारात आ चुकी थी। घर में सब खुश थे वीनू ने जमीदार जी से शर्त रखी थी वह शादी के लिए तभी हां करेगी जब वह मेरी एक बात मानेंगें। बीनू नें कहा शादी के बाद भी मैं अपने माता-पिता को अकेला नहीं छोडूंगी। इन्हें देखनें अवश्य आऊंगी। तुम्हें यह मेरी बातें माननी ही होगी। जमीदार नें कहां बेटी तुम अपनी मां बाबा को मिलने आ सकती हो। विकी विदेश में पड़ लिखकर बड़ा ऑफिसर बन चुका था।वह एक बार भी अपने माता-पिता को देखने नहीं आया था। एक बार विक्की के पिता ने कहा कि मुझे रुपयों की आवश्यकता है तोउसने कह दिया कि अभी मेरे पास रुपए नही है। जब मेरे पास बहुत सारे रुपए होंगें मैं आपको अवश्य रूपए भेजा करुंगा। यहां पर मैंने एक लड़की पसंद कर ली है उसकी भी जिम्मेवारी अब मुझ पर हमें। मुझे उसकी भी देखभाल करनी है। ठाकुर साहब नें जब अपने बेटे का खत पड़ा तो रूंधे गले से अपनी पत्नी को बोले हमने बेटे को पढ़ने विदेश इसलिए भेजा था ताकि बुढ़ापे में हम दोनों को देख सके। उस बेटे से तो मेरी बीनू ही अच्छी है। वह हमारी कितनी देखभाल करती है। उसनें कभी हमें तंगी महसूस होने नहीं दी। प्राइवेट स्कूल में नौकरी करके जो कुछ उसके पास रुपए इकट्ठे होते थी वे भी हमारी दवाईयों के लिए खर्च कर दिया करती थी। आज हमें एहसास हुआ कि हमारे मन में बेटी को लेकर कितनी गलत धारणा थी बेटी तो पराया धन होती है। बेटी ने तो आज विदा होते हुए भी अपनी ससुर से वादा कर लिया कि वह अपनी मम्मी पापा को कभी भीअकेला नंही छोड़ेगी। हमारी सोच कितनी गलत थी। अच्छा हुआ हम हमारी बेटी ने पढ़कर हमें सीख दे डाली। वह दोनों रोते-रोते अपनी जान से प्यारी बेटी को रोते रोते विदा कर रहे थे। उन्हें अपनी बेटी के जाने का एहसास हो रहा था। विदेश में विकी ने जिस लड़की से शादी की थी वह कोई और नहीं वह जमीदार की बेटी थी। जंमिदार दार नें भीउसे बाहर पढ़ने भेजा। और उसे समझा बुझा कर कहा कि तू वंहां जा कर ठाकुर साहब के बेटे से शादी के जाल में उसे फंसा देनाऔर उसे ऐसा मोहरा बनाना ताकि वहअपने मां बाप को कभी देखने ना आए। अपने मां बाप को तडफनें के लिए छोड़ दे। और उन्हें कोई भी रुपया ना भेजे। जंमिदार की लड़की ने विदेश में जाकर विकी को अपने प्यार के जाल में फंसा दिया उसने कभी भी अपनें बारें में विक्की को नहीं बताया कि वह जमीदार की बेटी है। उन दोनों ने शादी भी कर ली। जंमिदार अपनी बेटी की शादी से खुश था वह ठाकुर साहब से अपने अपमान का बदला लेना चाहता था। बीनू जैसे ही अपने ससुराल में आई उसने अपने पति का देखा तो एकदम चौकी और बोली आप कौन है।? जमीदार नें आकर कहा यह तुम्हारे पति हैं। यह मेरे दोस्त का बेटा है इसी से तो तुम्हारी शादी के लिए तुम्हारे पिता को कहा था बीनू अपने आंसू रोक न सकी। उसने सोचा कोई बात नहीं अब तो विनय ही मेरा पति है। उसने अपनी सास को बातें करते सुन लिया था कि आज हमारा बदला पुरा हुआ। आज मैं सचमुच ही खुश हूं। इस लड़की को हम मजा चखाते हैं। विनय को पाकर वीनू बहुत खुश थी। जब ठाकुर साहब को पता चला कि जो लड़का उन्हेंदिखाया था उस से उनकी बेटी की शादी नहीं हुई। उसने बदला लेवें के लिएं अपने दोस्त के बेटे को दूल्हा बना के उसके घर भेज दिया था। अब क्या किया जासकता था। शादी तो हो चुकी थी। ठाकुर साहब को पता चल चुका था कि जमीदार ने उस से अपने अपमान का बदला ले लिया था। हेमशरन ने कहा बेटा तू अपने घर आ। जा। ं हम अभी जिंदा है। बीनू बोली मैंने इन्हें ही तन मन और धन से अपना पति स्विकार किया है। वही अब मेरे पति हैं। विनय को सारे दिन दुकान में काम करते देख वह अपने पति की बहुत मदद किया करती थी। वीरेंद्र भी कहीं ना कहीं उस से नाराज था उसके पिता ने उसकी शादी उसके मुंह बोले भाई से कर दी थी। वह उसे भाभी कहता था। वह अंदर ही अंदर उस से नफरत करता था। वह उस से काम करवाता था। मेरे जूते पॉलिश करो। मुझे खाने के लिए पूरीयां बनाओ। मेरे कपड़े धो डालो। उतना कान तो उसका पति भी उससे नहीं करवाता था। बिनु सब कुछ सहन करती जा रही थी। वह कुछ नहीं कहती थी। एक दिनविरेंद्र काफी देर तक घर नहीं आया। उसके मां बाप तो उसकी चिंता नहीं करते थे। परंतु वह तो उसका दोस्त बन चुका था। वह सोचने लगी की कंही मेरा देवर किसी मुसीबत में तो नहीं फंस गया। वह रात को अकेली ही उसे देखने निकल पड़ी। उसके साथियों ने उसे इतनी अधिक पिला दी थी कि उन्होंने उस के देवर के सारे रुपए छीनकर उसको चाकू मार दिया था। विनु ने जैसे ही उसको अधमरा पडा देखाउसको अस्पताल ले कर ग ई और तुरंत मौके पर जा कर उसको बचा लिया। डॉक्टर्स को उसे बचाने के लिए खून की जरुरत पड़ी तो उस ने अपना ब्लड उसे दे दिया क्योंकि उसका खून विरेंद्र से मिल गया था। उसने उसे मौत के मुंह से बचा लिया था। विरेंद्र की जान बचा कर उसने अपने भाभी होने का कर्तव्य पूरा किया। उसका पति अपनी पत्नी की अपनी परिवार वालों की इतना चिंता करते देख बहुत ही खुश था। मेरी पत्नी बहुत ही अच्छी है। उसकी पत्नी ने भी शादी के वक्त उस से कहा कि आप मुझसे आज एक वादा करो कि आप सुख दुःख में सदा मेरा साथ दोगे और मुझ पर कभी शक नहीं करोगे। विनयने उससे वादा किया कि चाहे जो भी हो जाए मैं तुम पर कभी भी शक नहीं करूंगा। बिनु को पता चल गया था कि इन्होंने धोखे से मेरी शादी भी विनय से कि है। वे चाहते हैं कि किसी तरह से वीनू को विनय की नजरों से गिरा कर अपमानित किया जाए। वीनू ने अपने पति को बताया कि मैंने अपनी सास की सारी बातें सुनी थी। वह चाहती है कि किस तरह से मुझे यातना दे। तुम अगर सच्च मुँह में ही मुझे अपनी पत्नी के रुप में स्वीकार ते हो तो मैं भी तुम्हें अपने पति के रूप में स्वीकार करती हूं वरना मैं यहां से आज ही चली जाती हूं। शादी वाले दिन भी बीनू नें विनय से कहा था। एक दिन दिन वीनू के माता पिता को जन्मदिन की पार्टी पर बुलाया गया। समारोह में उसकी माता पिता आ चुके थे। बीनूंं ने खुद अपनें हाथों से तरह-तरह के पकवान बनाए उसकी सास नें जल्दी ही खीर में विषैला पैदार्थ मिला दिया यह सब विरेन्द्र देख रहा था अपनी भाभी के पास आकर बोला भाभी भाभी जल्दी इधर आ ओ। उस खीर को जल्दी ही फेक दो नहीं तो आज आपके मां बाप यहां से जिंदा वापिस नहीं जाएंगे। वह अपने देवर
की बातों को सुनकर कर बहुत ही खुश हुई कि उसका देवर सुधर चुका था। उसने चुपचाप उस खीर को फैंक दिया। उसके माता-पिता जब पार्टी समाप्त हुई तो घर जा चुके थे। वे खुश थे कि उनकी बेटी खुश है। विरेन्द्र अपनी मां के पास आकर बोला मां आप कब सुधरोगी। आज तो आपने भाभी के परिवार को ऊपर पहचाने कि योजना बना दी थी। यह तो शुक्र है मैं देख रहा था वर्ना आपने तो आज इतना अनर्थ कर डाला होता मैं आपको कभी भी माफ नहीं करूंगा। आप लोग ही भाभी को हर कभी नीचा दिखाना चाहतें हैं। मैं पुलिस वालों को सूचित कर दूंगा अगर आपने आगे से कोई ऐसी हरकत की तो मैं आपको बक्शूंगा नहीं। उसकी ननंद भी कुछ दिन के लिए अपनी मम्मी पापा के पास विदेश से आई थी। घर आकर उसने अपनी भाभी के साथ बहुत ही अच्छा महसूस किया। उसके स्कूल काफी घुल मिल गई। उसको पछतावा हुआ कि बेचारी बीनू नें विनय को अपनी पति की के रूप में स्वीकार कर दिया। मेरे भाई की जान भी बचाई। मेरे माता पिता ने विक्की के साथ कितना बुरा बर्ताव करने के लिए उसे भड़काया था कि तू विदेश में जाकर विकी को अपनेप्रेम के प्यार में फंसा कर उस से शादी कर लेना और उसके सारे वेतन पर अपना अधिकार जमा लेना। घर में कुछ भी ना भिजवाना। बिनु को समझते देर नहीं लगी कि जमीदार ने तो मेरे भाई को भी नहीं छोड़ा। अपना बदला लेने के लिए अपनी बेटी को विदेश में भैया को फंसाने के लिए भेज दिया ताकि वह अपने अपमान का बदला ले सके। एक दिन बीनू अपने देवर के साथ हंसकर बातें कर रही थी उसकी सास आई और बोली विनय देख तेरी पत्नी की हरकतें अच्छी नहीं है। विनय को तो अपनी पत्नी पर पूरा विश्वास था। शाम को विनय नेंअपनी पत्नी को सारी बातें बताई। विनय ने कहा कि तुम्हारी सास तुम्हारी शिकायत कर रही थी तुम्हारी पत्नी की हरकतें ठीक नहीं है। विनु ने वीरेंद्र को बुलाया और कहां कि मैं तुमसे क्या कर रही थी।।? तुम्हें मेरी सहेली का रिश्ता पसंद है या नहीं वह एक प्रवक्ता के पद पर काम कर रही है तुम भीअपनी पढ़ाई पूरी कर के उसके साथ विवाह सूत्र में बंध जाओ। तुम्हें अगर मेरी सहेली विभा पसंद है तो मैं आगे बात चला सकती हूं। विरेन्द्र नें हां में सिर हिला कर भाभी को कहा मैं तुम्हारी पसन्द को कैसे टाल सकता हूं। विनय बहुत ही खुश हुआ। बाबा के पास आकर वीनू ने अपने पिता को बताया कि हमारे भाई ने विदेश में जिस लड़की से शादी की है वह कोई और नहीं जमीदार की लड़की है। जमीदार नें ही उसे विदेश में पढ़ने भेजा था। भैया को शादी के चक्कर में फसाने के लिए जमीदार नें ही उसे सिखाया था।इस कारण वह रुपयानहीं भेज रहा था क्योंकि जमीदार की बेटी उसे रुपया नहीं भेजने देती थी। वह रुपा देने से इंकार करती थी। जंमिदार हमसे अपने अपमान का बदला लेना चाहता था। परंतु अब सब कुछ ठीक हो चुका है। उसके माता-पिता यह बात सुनकर हैरान हो गए। शाम को अपनी बहू को घर आया देख कर ठाकुर साहब खुश हुए और बोले बेटा आओ हम अपने बेटे और बहुत को देखने के लिए तरस गए थे। नीतीश नेअपने व्यवहार के लिए अपने सांस ससुर से क्षमा मांगी और कहा कि मेरे पिता ने ही मुझे ऐसा करने के लिए कहा था। विक्कू को अपने घर में एक भी रूपया पैसा मत भेजना। वे आपके साथ बहुत ही बुरा करना चाहते थे। हमें अपने किए पर पछतावा है मैं जल्दी ही अपने पति के साथ अवश्य आऊंगी उसने अपनी सास ससुर के पैर छुए और उनसे आशीर्वाद लिया। उस के सास ससुर ने अपने बेटे और बहु की गल्तियों को माफ कर दिया और कहा बेटी गिले शिकवे भूल कर गले लग जाओ। उनके दिलों से सारा मलाल हट गया था।

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