बुद्धू राम का कारनामा

किसी गांव में एक भोला भाला आदमी रहता था। वह बुधवार को पैदा हुआ था इसलिए उसकी मां ने उसका नाम बुधराम रखा था।  बाद में सब लोग बुद्ध राम न कह कर उसे सब बुद्धू राम बुलाते थे। इतना भोला था कि वह किसी को भी तंग तो क्या करना किसी को भी कुछ नहीं कहता था। उसकी मां को अपने बेटे की बहुत चिंता होती थी इसके लिए वह सोचती थी कि  वह लड़की ही शादी के लिए ठीक रहेगी जो इसकी बात माना करें। नहीं तो उसके बेटे की जिंदगी बर्बाद हो जाएगी। उसने अपने बेटे के लिए एक ऐसे ही भोली सी लड़की ढूंढ ली। अपनी बेटे की शादी उसके साथ करवा दी। उसकी मां उसे जो भी कहती वह काम करता था। अपनी मां को इन्कार करना उसे आता नहीं था।

एक बार गांव के भोले भाले बुद्धू को गांव के कुछ दोस्तों ने कहा कि अच्छा हम तुम्हारा इम्तिहान लेना चाहते हैं। चलो आज हमारे साथ चलो हम देखना चाहते हैं कि तुम कितने काबिल हो। हमारा एक दोस्त बिमार है उसको पेट दर्द हो रहा है।दीनू वैद्य की दुकान से  पेट दर्द की गोलियां ले आओ। वह भोलाभाला तो था ही उसे गांव वाले लड़कों ने कहा कि पटमर की गोलियां लानी  है। दिनू वैद्य के पास ही मिलती है। उसका घर 4 किलोमीटर की दूरी पर है। भोला भाला बुद्धू राम अपने दोस्त के पेट की दर्द की दवा लांनें   वैध के पास चार किलोमीटर  पैदल चलकर गया। वैद्य के पास जाकर बोला मुझे पटमर की गोलियां दे दो। वैद्य हैरान हक्का-बक्का उसकी तरफ देख कर बोला। यह कैसी दवाई है? उसका नाम तो मैंने आज ही सुना है। दवाइयां तो बहुत सारी होती है मगर यह पटमर कौन सी दवाई है? तभी एक ग्राहक वैद्य की दुकान पर आया। वैद्य उसको बोला यह पटमर कौन सी दवाई है? वह ग्राहक हंसते हुए बोला यह ठहरा बुद्धू राम उसके दोस्त ने उसे बेवकूफ बनाने के लिए ऐसे ही मजाक में कह दिया होगा।पट का मतलब होता है जल्दी, मर का मतलब होता है खत्म।

दूसरे रोगी ने उससे पूछा कि तुम्हें यहां पर किसने भेजा। उसने कहा कि हमारे दोस्त के पेट में दर्द है इसलिए  मेरे दोस्तों नें मुझे कहा कि तुम जल्दी से पटमर की गोलियां ले  कर आओ। वह भी हंसने लगे। उन्होंने ऐसी दवाई मंगाई होगी जिससे पेट दर्द समाप्त हो जाए। पेट दर्द की दवाई दे दी और कहा कि यही है पटमर की गोलियां। घर आकर उसने अपनी मां को सारा किस्सा सुनाया। उसके सारे के सारे दोस्तों नें उसका मजाक उड़ाया और   सब के सब जोर जोर से  हंसनें लगे।

उसकी मां बोली तुम इतने भोले हो कि सब तुम्हारा बेवकूफ बनाना चाहते हैं। तुम मुझसे पूछ कर ही काम किया करो। वह बोला हां मां। वह अपने मां के कहे मुताबिक काम करने लगा एक दिन उसकी पत्नी ने उससे कहा कि जा धनिया लेकर आओ। उसकी पत्नी शहरी लड़की थी। उसे मालूम नहीं था धनिए को पहाड़ी भाषा में क्या कहतें हैं। वह गांव में। जाकर धनिया को बुलाकर ले आया। उसकी पत्नी हंसते-हंसते अपने पति को बोली अरे पगले सब्जी वाला धनिया मंगवाया। जो सब्जी दाल में पड़ता है। परंतु तुम तो धनिए को बुला कर ले आए। उसकी पत्नी ने अपनी  गांव की भाषा में  एक दिन कहा कि बिजली जला दो। उसे जला तो सुनाई नहीं दिया वह अपनी बहन बिजली को बुला कर ले आया। उसकी मां उसकी हरकत देख रही थी वह बोली भोले राम तू रहा नीरा का नीरा बेवकूफ। बुद्धूराम तेरा नाम ठीक ही रखा है बुद्धू राम।

उसकी पत्नी अपने पति की इन हरकतों से परेशान आ गई वह बोली मैं कुछ दिनों के लिए मायके जा रहे हूं। अपने मायके चली गई।कुछ दिन तो अच्छे ढंग से गुजरे। थोड़े दिनों बाद बुद्धू राम और भी उदास रहने लगा। उसकी मां को महसूस हो गया कि उसको अपनी पत्नी की याद आ रही है। उसने अपने बेटे से कहा कि तुम्हें अगर अपनी पत्नी की याद सता रही है तो तुम उसकी ससुराल जाओ। वह मान गया उसने उसने अपने बेटे को समझाया कि अपनी ससुराल में जाकर हां और ना के सिवा कुछ भी नहीं कहना।  तुम्हारी  सास तुम्हे खाने के लिए तो जो कुछ भी रूखा-सूखा दे ज्यादा नखरे मत करना। जो भी रूखा-सूखा मिले वही खाना। वह बोला हां।

वह अपनी ससुराल पहुंच गया। उसकी पत्नी उसको देख कर खुश हो कर बोली मैंने तो सोचा था कि जब तुम मुझे लेने आओगे तभी मैं तुम्हारे साथ चलूंगी। शाम को जब उसकी सास ने उसको पूछा कि तुम अपनी पत्नी को लेने आए हो। वह बोला हांजी। घर में सब कैसे हैं वह बोला। नां जी। उसकी पत्नी जल्दी से  अपनी मां से बोली कि इनके कहने का मतलब है कि मां जी ठीक नहीं है। उसकी मां बोली तुम्हारी मां ठीक ठीक है। वह बोला नां जी। उसकी सास बोली उन्हें क्या हुआ? उन्होंने दवाई ली या नहीं वह बोला नां जी।  उसकी पत्नी बोली इसलिए नही  ली होगी क्योंकि उन्हें पता ही नहीं चला होगा कि कौन सी दवाई पहले लेनी है? इसलिए  ही वह मुझे लेने आए हैं।

मां जी यह बहुत ही भोला है। उसे यह नहीं पता लगा होगा कि कौन सी दवाई देनी है? उसकी सास बोली यह बात है। वह बोला हां जी। उसकी पत्नी ने बहुत ही झुंझला गई। उसकी सास बोली क्या खाओगे? वह बोला रुखा सुखा बना दो। उसकी सास अपने दामाद की भोली-भाली बातों को सुनकर हैरान हो कर बोली।।

उसकी सास ने  शाम को तरह तरह के व्यंजन बना कर कहा   खाना खा लो। वह बोला मैं तो कुछ रुखा सूखा ही खा लूंगा। उसकी सास सोचने लगी शायद उसे किसी डॉक्टर ने कहा होगा। यह अपनी सेहत का कितना ख्याल रखता है? एक मेरे घर में बच्चे हैं जो बिना घी के तो बात ही नहीं करते। उसकी सास ने उसे छलीरे  की रोटी बना दी। वह भी नमक लगाकर खाने लगा। उसकी पत्नी नें देखा कि वह  शर्मा कर भूखा ही उठ गया। रात को उसको बड़ी जोर की भूख लगी वह अपनी पत्नी के पास दौड़ता हुआ गया। पेट पर हाथ फेरते हुआ बोला भूख। उसकी पत्नी ने  कहा शाम को यह सारा ड्रामा क्यों  किया? खाना क्यों नहीं खाया?

रात को उसको जब इतनी भूख लगी तो उसकी पत्नी बोली हमारे घर के साथ वाले कमरे में एक पशुओं को बांधनें के लिए एक कमरा है। उसके साथ वाले कमरे में  एक शहद का एक घडा है। उस कमरे में  जाकर शहद पी लेना।

वह दौड़ा दौड़ा रात को उस कमरे में पहुंच गया।। उसने देखा छज्जे पर एक घड़ा लटक रहा था। उसने उसमें छेद कर दिया और शहद को दोनों हाथों से पीने लगा। और घड़े को कहने लगा बस कर बस कर। उसे नींद भी बड़े जोर की आ रही थी। वह साथ वाले कमरे में गया। वहां पर वह भेड़ों की ऊन रखी की हुई थी। उसी पर उसको नींद आ गई । उसके सारे के सारे  भेड़ों की ऊन उसके सारे शरीर में चिपक गई थी।

रात को चोरी करने के लिए चोर घर में घुसे  वैसे ही उसकी नींद खुल गई। उसने देखा कि उसके तो सारे के सारे भेडों की ऊन चिपकी हुई है। चोर अंदर घुस गए। बुद्धू राम नें  उन्हें देख लिया। कोई आया है। वह भी उन भेडों के साथ छुप कर बैठ  गया। चोरों ने एक दूसरे को देखा बोले चलो। इस भेडों में से जो बड़ी सी भेड होगी उसे हीे ले चलते हैं। उन्होंने एक बड़ी सी भेड को पसंद कर लिया और उसे  बोरी में भरकर ले जा रहे थे। रास्ते में जा रहे थे वह मन ही मन खुश हो रहे थे कि आज तो मौज बन गई। इतनी बड़ी भेड हाथ लगी है। तभी दूसरा चोर बोला बहुत ही भारी है। उस बोरी में से बुद्धू राम बोला संभलकर नीचे रखना मैं हूं। उन्होंने एक दूसरे को देखा बोले क्या तूने मुझे कुछ कहा वह बोला नहीं तो। दूसरा वाला चोर बोला मैंने भी सुना। उस बोरे में से किसी ने कुछ कहा उन्होंने जल्दी से बोरे को खोला। उसमें से बुद्धू राम निकला। उन चोरों ने कहा तुम कौन हो? उन्होंने कहा तुम नें हमें चोरी करते देख लिया है।  तुम्हें भी हमारे साथ  चोरी करनी होगी अगर तुमने हमारी बात नहीं मानी तो हम तुम्हें मार देंगे। तुम भी हमारे साथ चोरी करने चलो।  तुम भी हमारे साथ चोरी करने नहीं चलोगे तो हम तुझे मार देंगे। वह भी उनके साथ चोरी करने चल पड़ा

 उन्होंनें बुद्धू राम को कहा कि जब भी तुम्हें कोई  चीज  चुरानी  हो तो भारी सी चीज उठाना। चोरों के कहने का मतलब था कि सबसे महंगी चीज उठाना। परंतु उस बुद्धू राम की समझ में नहीं आया। कि उसे  तो भारी वस्तु शील और बट्टे के इलावा कुछ दिखाई नंही दिया। वहां पर उस घर में   सबसे से भारी एक शील और बट्टा ही दिखाई दिया। उसने वह उठा लिया। तभी उसको चोरों ने देख लिया और उसे कहा अरे बुद्धू राम यह सिलबट्टा नहीं। हमने तो तुम्हें कहा था कि कोई भारी सी वस्तु अर्थात बहुत ही महंगी वाली वस्तु उठाना। यह तुम क्या ले आए? चलो जल्दी से अगर हमें किसी ने यंहा देख लिया तो बहुत ही बुरा होगा। भूख  भी बडी़ जोर की लग रही है। अंदर चल कर देखते हैं। अंदर गए तो वहां पर  देखा एक बुढ़िया  रसोई में ही खाना बनाते-बनाते सो गई थी। उसने वहां पर खीर बनाई हुई थी और उसने अपना हाथ आगे किया हुआ था। उन्होंनें डट कर खाना खाया।

चोर  एक दूसरे से कहने लगे कि यह बुढ़िया भी खीर मांग रही है। झठ से उसने वह खीर उस बुढ़िया के हाथ पर डाल दी। बुढ़िया चिल्लाने लगी हाय मर गई। हाय मर गई।  जब वह चिल्लाने लगी तो वह बुद्धू राम तो जल्दी से  छज्जे के ऊपर चढ़ गया और बाकी चोर  घर के एक कोने में, कोई बिस्तर के नीचे, कोई एक कोने में छिप गया।

सारे मोहल्ले के लोग इकट्ठे हो गए। उन्होंने उस बुढ़िया को पूछा कि क्या हुआ? वह बोली मुझे नहीं पता मेरे हाथ पर गर्म-गर्म किसी ने कुछ  फेंका तो मैं चिल्लाई । मोहल्ले वालों ने उससे पूछा क्या तुमने किसी को यहां पर देखा? वह बोली मैं क्या जानूँ। ऊपरवाला जाने।  ऊपर बुद्धू राम छिपा हुआ था। वह बोलने लगा  ऊपर वाला क्या जाने? जो नीचे छुपे हुए हैं वह जाने।  तभी मोहल्ले वालों को पता चल गया था कि वह जो इधर-उधर छुपे हुए  हैं वह चोर हैं। वह बुढिया की खीर खा गए।

उन्होंने जल्दी से चोरों को पकड़ लिया। उसकी पत्नी भी वहां पर  अपनें पति की आवाज सुन कर पहुंच गई थी। रात को वह अपनी ससुराल में पहुंच गया था। साथ वाले घर में उसकी पत्नी ने लपक कर उसे पकड़ लिया और उसे एक कमरे में बंद कर दिया। उसकी पत्नी ने अपने पति की जान बचा ली थी। दोनों चोरों को पकड़ लिया  गया। उसके पति बुद्धू राम ने अपनी पत्नी को सारी कहानी सुना दी थी कैसे वह दोनों चोर  उसे भी पकड़ कर ले गए थे?  पुलिस वालों नें बुद्धू राम को छोड़ दिया। जब शाम को वह घर आए तो वह बोली कि बेटा तुम कहां चले गए थे? तभी उसकी पत्नी बोली कि  वह अपनी मां की दवाई लेने चले गए थे। वह अपने पति से बोली जल्दी से अपने बोलने में सुधार लाओ तुम बोलते तो ठीक हो परंतु तुम जुबान क्यों नहीं खोलते ? उसने अपनी पत्नी से कहा कि मेरी मां ने मुझे कहा था कि हां जी और ना जी के ईलावा तुम कुछ मत बोलना। इसलिए मैंने अपनी जुबान नहीं खोली। उसकी पत्नी बोली सचमुच ही तुम  मेरे बुदधू राम हो। तुम जैसे भी हो मेरे हो।