सच्ची राह कविता

वृद्धों का ना तुम करो अपमान। भविष्य की संचित निधि समझकर सदा करो उनका सम्मान।। इन कीमती निधि को यूं ना तुम ठूकराना।  अपने संस्कारों  से तुम यूं ना पीछे हट जाना।। उनके साथ रह कर ही आती है घर में खुशहाली। हीरे मोती से बढ कर है घर में उनकी शोभा निराली।। अपने मां… Continue reading सच्ची राह कविता