हे पर्वत राज हिमालय

हे! पर्वत राज हिमालय भारत मां की देवभूमि,गौरव की खान ।
विशालता,विस्तृतता,उच्चता की पहचान ।
उतर में कश्मीर से ले कर पश्चिम में असाम तक फैला हुआ गिरीराज ।
साकार,दिव्य विश्वकी सबसे ऊंची चोटी एवरैस्ट चोटी का सरताज।
हे पर्वतराज हिमालय तू गुणों की खान ।
युगों-युगों से अचल रह कर , करता हर कोई तुम्हारा गाता गुणगान।
हे पर्वतराज वंदनीय हिमालय
शत शत कोटि-कोटि प्रणाम।। शत शत कोटि-कोटि प्रणाम।

पर्वत श्रंखलाओं का ताना बाना ले कर युगों-युगों से भारत कि रक्षा का भार उठाता आया।
दुश्मन भी तुम्हारे आगे घुटने टेकता आया।।
यहां तक पहुंचनें में सदा ही असमर्थ पाया।
तिब्बत की बर्फिली हवाओं और तुफानों से रक्षा करता आया !
मानसून का रास्ता रोक कर उन्हें बरसनें पर विवश करता आया।


भारत को हरा भरा और उपजाऊ बनाता।
महानायक,महासंरक्षक हिमालय कहलाता।।
संस्कृति का संरक्षक और मेरुदंड है कहलाता।

नदियों का उद्गम स्थल और औश्धियों का भंडार ।
वेदों की रचना का साकार अवतार।
ज्ञान के प्रकाश का अद्भूत प्रसार।।


हे पर्वत राज हिमालय तुझे कोटि कोटि नमन।।
तुझे हम भारतवासियों का सैंकड़ों वंदन।

जड़ी बूटियों,फल-फूल,खनिज पैदार्थों का विशाल भंडार
पशु-पक्षियों के कलरव की सुखद अनुभूति का प्रसार।।
वन्यजीवों का आश्रयदाता,ऋषि,मुनियों का पवित्र स्थल।


भगवान के अलौकिक स्वरुप को दर्शाने वाला।
हिन्दुओं के मानसरोवर भाल के मुकुट वाला।
हे पर्वत राज तुझे कोटि-कोटि नमन।।

हौंसलों की उड़ान कविता

कदम बढ़ाए जा कदम बढ़ाए जा विश्वास दिल में थामें तू यूं ही कदम बढ़ाए जा।
अंधेरी राह में भी तू ना हौसला खोए जा।।
धीरज दिल में थामें तू यूं ही कदम बढ़ाए जा।
मुश्किलों में भी तू यूं ही उम्मीदों का दामन थामें जा।।
डर कर तूं यूं न अपने कदम पीछे उठाए जा

आस का दीपक जलाए जा।।
विश्वास दिल में थामें तो यूं ही कदम बढ़ाए जा ।

एकता में अनेकता की मिसाल कायम किए जा।।
अपने ख्वाबों को पूरा करने की उमंग दिल में जगाए जा।
कदम बढ़ाए जा कदम बढ़ाए जा विश्वास दिल में थामें तू यूं ही कदम बढ़ाए जा।।
नवभारत के जागरण की मशाल मन में जगाए जा ।
अपने हुनर और कौशल से विश्वास जग में जगाए जा।।
कदम बढ़ाए जा कदम बढ़ाए जा विश्वास दिल में थामे तूं यूं ही कदम बढ़ाए जा
सब का विश्वास जीत कर तू नेक राह पर चल कर दिखाए जा।
कदम बढ़ाए जा कदम बढ़ाए जा। विश्वास दिल में थामें तो यूं ही कदम बढ़ाए जा।
राष्ट्र के साथ जुड़ कर नेक काम करने की लहर सब में जगाए जा।
विश्वास और हौसले से कदम बढ़ाए जा
कदम बढ़ाए जा कदम बढ़ाए जा विश्वास दिल में थामें तू यूं ही कदम बढ़ाए जा ।
हौसलों की उड़ान भर, पथ में अपने कदम पीछे मत हटाए जा।
विश्वास दिल में थामें हौसले से कदम बढ़ाए जा कदम बढ़ाए जा।
कदम बढ़ाए जा कदम बढ़ाए जा विश्वास दिल में थामें तू यूं ही कदम बढ़ाए जा।

आओ सब मिलकर एक हो जाएं हम

आओ हम सब मिलकर एक हो कर गाएं,
हम सब मिलकर एक हो कर गाएं।

अच्छे काम कर के सभी को दिखाएं।
अच्छे काम करके सभी को दिखाएं।
नेक काम करके जीवन सफल बनाएं ।।

आओ हम सब मिलकर एक हो कर गाएं, ,
आओ सब मिल कर गुनगुनाएं।
सब मिल कर गाएं,आओ हमसब मिल कर गांए।।

इज्जत से हम जीना सीखें, इंसानियत का पाठ सभी को पढ़ाएं।
ईमानदारी के गुणों को अपनाकर,आगे बढ़ते जाएं।
आओ हम सब मिल कर एक हो कर गांएं।।
उपकार की भावना अपनें मन में जगाएं,
झूठ और ऊंच नीच का भेद मिटाकर सब को गलें लगाएं।।

ऋषियों की वाणी समान मधुरता का समावेश अपनाएं।।
उनकी राह पर चल कर सदाचार अपनाएं।
अच्छे काम करके सभी को दिखाएं ,
अच्छे काम करके सभी को दिखाएं ।।

नेक राह पर चलकर अपना जीवन सफल बनाए,
नेकी की राह पर चल कर अपना जीवन सफल बनाएं।।

एकता और ऐतबार की मशाल जगा कर,सब को समता का पाठ पढ़ाएं। आओ हम सब मिलकर एक हो कर गांए।
हम सब मिलकर एक होकर गाएं।।

ओंकार की ध्वनि का जाप कर के एक स्वर में हम गुनगुनाएं,
मिल कर कदम बढ़ाएं।मिल कर कदम बढ़ाएं।
औरों के खातिर जी कर अपना कर्त्तव्य निभाएं,
अंहकार की भावना कभी न मन में लाएं।।

आओ स्वर्ग से भी सुन्दर अपना भारत देश बनाएं,
आओ सब के हित में अपना सर्वस्व लुटाएं।
अहा: के ठहाकों से सब के चेहरों पर खुशी बिखराएं।।

इस कविता द्वारा बच्चों को अ से अ:तक के स्वरों का ज्ञान भी मिलता है।गानें के साथ विद्या को भी अर्जित कर सकतें हैं।।
:

चींटी

चींटी है इस धरा की नन्हीं सी जीव।
संघर्षों से भरी हुई है इस की नींव।।
श्रम की साक्षात मूर्ति है कहलाती।
मुश्किलों से झूझनें में कमाल है दिखलाती।।
यह दिनों में मिलोंमिल है चलती।
मकड़ी की तरह यह कभी नहीं है थकती।।
कभी भी आराम नहीं है करती।
झून्डों में है वास करती,
तन्मयता से है संघर्ष करती।।
अपनें पथ से कभी भी विचलित नहीं है होती।
अपना लघू आकार उसे कभी नहीं है अखरता,
वह तो निरन्तर संघर्ष से दिनोंदिन और भी है निखरता।।

परिश्रम से अंधकार को चांदनी में है बदल सकती।
सफलता के अंतिम छोर तक पहुंच अदम्य साहस है दिखलाती।।
संघर्षों से खेलना उसका स्वभाव है बन जाता।
यह उसकी तरक्की का द्वार है कहलाता।।
कालचक्र की परवाह किए बिना वह तो अपने लक्ष्य को प्राप्त करनें के लिए प्राणों की बाजी है लगाती।
रुकावटों का पूरी जिंदादिली से सामना है करती।।
ऊपर नीचे से घुसकर ,कोनों से निकल कर ,जैसै जैसे वह अपना मार्ग खोज कर ही चैन की सांस ले पाती।
बुजदिलों की भांति पिछे मुडकर कभी नहीं भागती।।
चीटीं को भी है ज्ञात होता,
हाथ पर हाथ धर कर बैठे रहनें से कुछ भी हासिल नहीं होता।।
मुश्किलें हमें कमजोर बनानें के लिए नहीं आती।
हमारी सोई प्रतिभाओं को जगानें के लिए है आती।।

हिन्दी भाषा

अपनी भाषा से न रहो अनजान तुम।
हिन्दी को सीखे बिना न रहो बेजान तुम।

हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा जन जन को है सुहाती
प्रेम का मार्ग प्रशस्त कर, राष्ट्र की उन्नति का मुल आधार है कहलाती।
इससे अछूता नहीं है कोई यह तो सभी के मनों को है लुभाती
अपनें भावों की अभिव्यक्ति को सरल और सुगम है बनाती।।
विभिन्न धर्म के अनुयायियों की वाणी का है आधार है हिन्दी ।
क्षमा सत्य,अहिंसा,त्याग कर्मक्षेत्र आदि गुणों का विकास हैं हिन्दी।।

अंग्रेजी का चाहे कितना भी बोलबाला है।
हर कोई इसके पिछे कितना भी मतवाला है।।
हिन्दी को जो सही सही लिख और बोल न पाए।
वह तो पढ़ लिख कर भी असभ्य ,अज्ञानी मानव कहलाए।।
अपनी मातृभाषा को व्यवहार में प्रयोग करते समय अंग्रेज खुशी हैं झलकाते।
वे अपनी भाषा का प्रयोग कर अपना मान सम्मान हैं बढ़ाते।।

अपने देश में फले फूले यह भाषा, यह उक्ति तो हम चरितार्थ हैं कर सकते।।
अपनें व्यवहार में ला कर इस के प्रसार को और अधिक हैं बढ़ा सकते।।

अंग्रेजी का प्रयोग करनें में,वार्त्तालाप करनें में हम गौरव हैं अनुभव करते।
इसका अशुद्ध उच्चारण कर भी हम खुशी से फूले नहीं समाते।
एसी मानसिकता का परित्याग करनें में झिझक कभी न लाओ।
हिन्दी का प्रयोग करनें में गौरवान्वित हो कर मुस्कुराओ।
हिन्दी के बाद अंग्रेजी का बोलबाला है।अंग्रेजी बोलनें के लिए हर  कोई उतावला है।

सही और शुद्ध उच्चारण हो तभी है यह सार्थक।अधूरा ज्ञान तरक्की में है बाधक।।

अंग्रेज़ी भाषा के साथ इसको भी सम्मान दे कर स्वीकारें।इसके गौरव को बढ़ा कर स्वर्णिम  अध्याय का सूत्रपात कर इसे न अस्वीकारें।।

पुर्व पश्चिम उत्तर दक्षिण सभी देशों में है बोली जाती।
यह तभी तो सम्मान की भाषा सभी को है भाती।
जैसे बोलो वैसे ही लिखी है जाती।
अंग्रेजी की तरह अन्तर नहीं है करवाती ।
96%लोगों की आवाज है हिन्दी।

संस्कृत भाषा की पहचान है करवाती।एकता और भाईचारे का संदेश है दिलाती।।

लोगों को परस्पर एक हो कर जोड़ने का संदेश है देती।
हिन्दी की यह प्रकृति एकता की है द्योतक ।
अनेकता में एकता के एहसास का है सूचक।।

हिन्दी भाषा का न करो तुम अपमान।
इससे जन-जन को मिलता है ज्ञान।।
बढ़ाओ इसका विस्तार।
करो इसका अधिक से अधिक प्रसार।।
यह तो है मानव की तरक्की के संघर्ष का है द्वार।।

हिन्द देश के वासी हम हिन्दी हमारी शान है।
इससे बढ कर नहीं दूजा यह तो हमारी आन है।।

दिलोजान से हम इसका करते गुणगान हैं।।
आओ हिन्दी भाषा का सम्मान बढ़ाएं ।
इसको भारत माता की एक भाषा बनानें का गौरव प्रदान कर  खुशी हर्षाएं।

आओ हिन्दी का सही उच्चारण कर इसे उपयोग में लाएं।
इसे अपना कर अपनें पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता दर्शाएं ।।
अपनें पूर्वजों द्वारा दिए गए संस्कारों का स्वयं में बोध कराएं।।

हिन्दी भाषा को दिल से अपनाएं।

अपनी भाषा को समृद्ध और सशक्त बनाएं।।

26जनवरी 1950 को हिन्दी का अपना संविधान बनने के पश्चात राजभाषा का दर्जा  दे पाई।

14सितम्बर 1949कोहिन्दी भाषा अस्तित्व में आई।। राष्ट्र भाषा का रुप ले कर जनमानस के पटल पर छाई।।


(गूंज उठे भारत की धरती,हिन्दी के जय गानों से।
पूजित,पोषित, परिवर्धित हो बालक वृद्ध जवानों से)।।

हिन्दी भाषा के के प्रचार का जयघोष दूर दूर तक फैलाओ।

इसके महत्व को समझा  इसे तरक्की और ऊंचाइयों कि बुलन्दियों  तक पहुंचाओ।।


(जगदीश चन्द्र त्यागी कि यह पंक्तियां).