प्रकृति से प्यार करना सीखो।

प्रकृति ने ही हमें कण कण में परोपकार करना सिखाया।
उस की गोद में खेल खेल कर हम सब नें अपना बचपन बिताया।
अपनें बचपन के क्षणों का अद्भुत आनन्द उठाया।।
प्रकृति कि खुबसुरती को निहार मंत्र मुग्ध हो जाऊं।।
पौधों को खिलता देख कर के मैं शुद्ध वातावरण में रम जाऊं।
प्रकृति से जुड़ी हर चीज से जीवन में खुशहाली पाऊं।
नदियों, पेड़ों, पर्वतों कि छटा का मनमोहक आनन्द उठाऊं।।
हरी भरी लहराती खेती, चन्द्रमा से शीतलता, समुंद्र से वर्षा का अद्भुत तोहफा प्रकृति से ही हमनें पाया।

प्रकृति नें ही नदी कि कल कल धारा और झरनों को छलकाया।
कुदरत ने पेड़ों,फलों कि महकती खुशबू को चारों ओर बिखराया।
हवा के झौंकों नें शुद्ध वातावरण का आवरण चारों ओर फैलाया।
प्राणियों को प्रकृति कि गोद में विचरण करने का सुनहरा अवसर दिलाया।।
प्रकृति मां की सेवा करने का भरपूर आनंद उठाओ।
एक एक पौधा लगा कर अपनें जीवन कि दिशा में चार चांद लगाओ।
बागवानी से नाता जोड़ कर अपने आत्म विश्वास में वृद्वि लाओ।
औरों को भी इस काम के लिए प्रोत्साहित कर समृदधि और यश पाओ।।
यदि पेड़ों और फूलों को नष्ट करने से बचाओगे
बच्चों को भी प्रकृति से जुड़ना सखाओगे।
इससे शरीर लचीला ओर सुडौल, बनाओगे।
ताकतवर बन, सेहत में सुधार लाओगे।
वृद्धों में अकेले पन को दूर कर,
उन के मन में शान्ति का भाव जगाओगे।
उन से सुखी होने का आशीर्वाद पाओगे।
तुम जीवन में यश समृद्धि और वैभव सभी पाओगे।।

शुद्ध वातावरण और ताजी हवा कि महक, मनुष्य में जीने के अंदाज को है बढ़ाता।
पौधौं से प्यार कर के उन में भी खुशी भरा माहौल है जगाता।।

प्रकृति को तहस-नहस करना नहीं हो विकल्प हमारा।
उस से जुड़ी हर चीज का सम्मान करना हो संकल्प हमारा।।
बागवानी को अपनी जिंदगी का अहम हिस्सा बना डालो।
प्रकृति से प्यार करके इसे अपनी जिंदगी का सुनहरी किस्सा बना डालो।।
प्रकृति से जुड़ कर इन्सान शारीरिक और मानसिक शक्ति है पाता।
दिन भर कि थकान को मिटा कर चुस्ती और तन्दरूस्ती है पाता।
सकारात्मकता का भाव है जगाता।
अवसाद को दूर है भगाता।।
उसका मस्तिष्क अच्छे काम करनें की उमंग है जगाता।‌
प्रकृति को नज़दीक से है महसूस कराता।
और अपनों में अपनत्व कि मिठास घोल खुशी से गले है लगाता।
अपना अद्भुत करिश्मा कर हरेक प्राणी में विश्वास की ज्योत है जगाता।
मन में सच्ची शान्ति का आभास है करवाता।।
प्रकृति से खिलवाड़ करने पर ,प्रकृति विनाश कि ओर ले जाती है।
घोर तांडव कर मानव के दुष्कृत्य के लिए उसे सजा दिलवाती है।
पेड़ों को काटने,नदियों में कूड़ा कचरा फैंकने,
कारखानों में रसायनों व गैसों का छिड़काव ,
ये सभी कारक विनाश का रास्ता दिखाते हैं।
व्यक्ति को कड़ा सबक सिखा ,सही राह पर लाते हैं।
प्रकति तो है धरा कि बहुमुल्य धरोहर,
इसका सम्मान करना है श्रेयस्कर।।






















हृदय परिवर्तन

राहुल का रिपोर्ट कार्ड देख कर आयुक्ता चौंक कर पीछे हट गई।उसका बेटा चार विषयों में फेल था।ऐसा नहीं था कि राहुल पढ़नें में होशियार नहीं था।उसे समझ तो सब कछ आता था मगर वह पढ़ा हुआ याद नहीं करता था।उसके घर का माहौल ठीक नहीं था।मां आयुक्ता को पार्टी और क्लबों से ही फुर्सत ही नहीं मिलती थी।वह सुबह सुबह निकल जाती और देर शाम तक घर आती।उसके पिता एक बहुत बड़े व्यवसाय के मालिक थे।अमीर परिवार में जन्म ले कर राहुल बिल्कुल अकेला था।उसकी लालन पालन की व्यवस्था आया ही करती थी।शैली उसे बहुत ही प्यार से संभालती थी।उसे खाना खिलाती उसके संग थोड़ी देर बैठती प्यार से उसे मनाती।

आज वह जल्दी घर आ गई थी।बिमार होनें की वजह से पार्टी में भी उसका मन नहीं लग रहा था।रह रह कर उसे राहुल का चेहरा सामने आ रहा था।मेरा बेटा पढ़ाई ठीक ढंग से नहीं कर रहा है।शायद उसे अच्छे साथी नहीं मिले जिन की संगत कर वह बिगड़ गया।उसे अभी से नहीं सम्भाला गया तो वह कभी भी सुधर नहीं पाएगा।एक अच्छा औफिसर नहीं बन पाएगा।वह तो अपने पिता के व्यवसाय को भी डूबो देगा ,इसी कारण पार्टी में भी उसका मन नहीं लगा इस कारण वह जल्दी घर आ गई थी। घर आते ही शैली पर बरस पड़ी उसे कहनें लगी तुम राहुल पर ध्यान नहीं देती हो।इस बार भी राहुल तीन तीन विषयों में फेल हो गया है।शैली बोली बीबी जी मैं उसे पढ़नें के लिए कहती हूं वह पढ़ाई तो करता है आप को तो पता ही है कि मैं पढ़ी लिखी नहीं हूं।मैं उसे क्या पढ़ा सकती हूं?आयुक्ता को अपनें पर पछतावा हुआ मुझे ऐसा नहीं कहना चाहिए था।नम्र हो कर बोली तुम कहती तो ठीक है राहुल का कुछ तो करना ही पड़ेगा।शाम को जब अभिनव घर आया तो आयुक्ता अपनें पति से बोली कि आप अपनें बेटे की तरफ ध्यान ही नहीं देते हो आप उसे एक अच्छा औफिसर बनाना चाहते हो।औफिसर न ही बन पाए मगर आप के व्यापार को सम्हालने लायक तो बन जाए।
राहुल खेल कर घर वापिस आ गया था।आते ही बिस्तर पर सो गया।मां के बार बार जगानें पर भी नहीं जागा। पिता नें भी जगानें कि कोशिश कि मगर उन्हें भी नाकामी ही हाथ लगी।आयुक्ता अपनें बेटे की पाठशाला गई और अपनें बेटे की रिपोर्ट कार्ड के बारे में अध्यापिका से पूछा ।उसकी अध्यापिका बोली आप का बेटा बहुत ही चंचल स्वभाव का है।वह अपनें में ही मग्न रहता है ।पढ़ाते वक्त किसी भी पाठ को ध्यान से नहीं सुनता।वह होशियार तो है मगर पढ़ाई करनें के लिए तो कठिन मेहनत और लग्न से अपनें काम में दिल लगाना पड़ता है।उस से कहती हूं अपनी मम्मी या पापा के पास बैठ कर थोड़ी देर बैठ कर पढ़ाई क्यों नहीं करते ?आप के बेटे नें कहा कि मेरी ममी को पार्टीयों से ही फुर्सत नहीं होती और पिता जी तो मां से भी ज्यादा देर से घर आतें हैं तब तक तो मैं आधी नींद में होता हूं।कई कई दिनों तक पिता का चेहरा भी नहीं देखता। मैं जल्दी से होमवर्क करके खेलनें चला जाता हूं।मैडम बोली मैनें प्यार से उससे पूछा तुम्हें होमवर्क कौन करवाता है?वह बोला आया होम वर्क करनें के लिए कहती हैं मैं उसे झूठा बहाना बना कर कहता हूं कि मैं पढ़ाई कर रहा हूं।। वह बोला एक बात बताऊं मैम वह पढ़ी लिखी नहीं है।
मुझे आप के बेटे पर गुस्सा नहीं आया बल्कि उस पर प्यार आया। इस में उस बेचारे का क्या दोष है।आप नें जब अपनें बेटे कि प्रगति रिपोर्ट देखी तो आप मेरे पास खुद दौड़ी चली आईं।आयुक्ता जल भून कर बोली हम आप लोगों को इतनी-इतनी फीस देतें हैं आप लोगों की जिम्मेदारी होती है हमारे बच्चे के भविष्य बनानें की। अध्यापिका बोली हम सारे बच्चों को अच्छी तरह से पढातें हैं ।वह ही पढ़ाई में पिछड़ा हुआ है।इसके लिए तो आप को उस पर ध्यान देना होगा।
आयुक्ता नें अपनें बेटे को हौस्टल में डालनें का निर्णय कर लिया।अपनें पति के साथ दूसरे शहर में जा कर उसे सब से बढ़िया गुरूकुल विद्यालय और हौस्टल में डाल दिया।उन के पास रुपयों की तो कोई कमी नहीं थी।
राहुल जब हौस्टल पहुंचा तो वहां का मौहोल देख कर दंग रह गया। हौस्टल में तो हर काम समय के अनुसार करना पड़ता है ।ऐसा उसे वहां पर रह रहे बच्चों से मालूम पड़ा।
वार्डन नें राहुल को अपनें पास बुलाया और कहा यहां तो तुम्हें हर काम समय पर करना होगा।तुम्हारी प्रगति रिपोर्ट देख कर मालूम होता है तुम पढ़ाई नहीं करते। राहुल डर से कांपनें लगा।वह बोली यहां पर तो तुम्हें हर काम समय पर करना होगा।सुबह सुबह चाय पीने से पहले यहां प्रार्थना के लिए हाल में आना पड़ता है जो समय पर चाय लेनें नहीं आएगा उसे चाय पीनें को नहीं मिलेगी।पांच दिन तक तो चलेगा वर्ना चाय या खाना भी नहीं मिलेगा।
राहुल सारा दिन खोया खोया रहा ।वह तो कोई भी काम समय पर नहीं करता था।यहां तो सब बच्चे समय पर मैडम कि आज्ञा का पालन करतें हैं। उदासी भरे मन से जब राहुल अपने कमरे में आया तो उसके दोनों दोस्त जिन के साथ उसे रहना था बोला तुम दोनों मेरी मदद करना।।


विकी और रौनी बोले एक दिन तो हम तुम्हारी मदद कर देंगे आगे तो तुम्हें खुद ही सब काम करने पड़ेंगे।दोस्तों कि बात सुन कर उसे थोड़ा ढांढस बंधा।दो चार दिन तो उसके दोस्तों नें उसकी सहायता कर दी।पांचवें दिन उसके सहपाठियों नें जो उसके कमरे में ही रह रहे थे,वे आपस में बोले कल से इसके लिए चाए ले कर नहीं आएंगे।इसको प्रार्थना सभा में स्वयं जा कर चाय ले कर आनी होगी।कोई बात नहीं इसको अगर एक दो दिन चाय नहीं मिलेगी तो पता चलेगा।अपनें आप जल्दी उठनें कि आदत डालनी होगी।


हम अपनें कमरे में सफाई करतें हैं यह चारों तरफ गन्दगी ही गन्दगी, कूड़ा कर्कट कभी भी कूड़े दान में नहीं डालता है ।पहले हमारा कमरा बहुत ही साफ रहता था।जब सफाई कर्मचारी कूड़ा मांगनें आई तो उस को भी कमरे में चारों तरफ कागज ही कागज नजर आए। राहुल के बिस्तर पर गन्दे कपड़ों का ढेर लगा था।विकी और रौनी ने एक दूसरे से कहा अगर इसे अभी नहीं समझाया गया तो वह फेल हो जाएगा।यह तो किसी बिगड़े घर कि औलाद लगता है।इस के माता पिता नें इसे कोई काम नहीं सिखाया। कूड़ा कचरा साफ करनें वाली बाई आई तो वह रौनी और विकी से बोली तुम राहुल को कहना कि अपनें बिस्तर पर कागज फाड़ कर मत फैंका करें।तुम कागज उधर उधर फैलाना बन्द नहीं करोगे तो तुम्हारे दोस्त कि शिकायत वार्डन से कर देगी।

सुबह जब राहुल चाय लेने नहीं गया तो उन दोनों दोस्त ने उसे नहीं उठाया उसे चाय से वंचित होना पड़ा, जब उठा तो 9:00 बज चुके थे। उसे सारा दिन चाय नहीं मिली ।सारा दिन उदास होकर चक्कर काटता रहा। कूड़ा कचरे वाली आई तो वह राहुल से बोली जब तक तुम कूड़ा कचरा फैलाओगे मैं तुम्हारे कमरे में झाड़ू लगाने नहीं आऊंगी ।तुम जब हॉस्टल नहीं आए थे तो यह दोनों बच्चे अपने कमरे को साफ-सुथरा रखते थे तुम्हें शायद घर वालों ने कुछ नहीं सिखाया ।राहुल चुप रहा परीक्षा भी पास आ रही थी राहुल गणित में बहुत ही कमजोर था। वह रौनी को बोला भाई मुझे गणित के प्रशन हल करवा दे ।

रौनी बोला तुम्हें आए हुए 3 महीने हो गए हैं लेकिन तुमने एक दिन भी गणित के सवालों का अभ्यास नहीं किया जो बच्चे मेहनत नहीं करते आलस्य में समय बिता लेते हैं जीवन में कभी सफल नहीं होते। तुम्हारे पास इतना समय था मगर तुमने कभी भी हम से पूछने का कुछ साहस नहीं किया। तुमने चाय के लिए तो हमें कह दिया मगर पढ़ाई के बारे में हम से कुछ नहीं कहा। तुम अगर कुछ बनना चाहते हो तो तुम्हें मेहनत तो करनी पड़ेगी।
राहुल बोला मैं तुम दोनों की बात अवश्य मानुंगा। वह रोज रौनी के पास पढ़ने लगा। सुबह जल्दी उठने लगा। रौनी नें उसे बताया कि मेरी मां ने मुझे होस्टल में पढ़ाने के लिए अपने गहने तक बेच डाले थे। ताकि मैं बड़ा अफसर बन सकूं। मैं यहां पर सो सो कर समय व्यतीत कर लूंगा तो अपनी मां के गहनों का ऋण कभी भी उतार नहीं पाऊंगा। मैं कभी भी अपनी मां को सुख नहीं दे पाऊंगा। मेरी मां छोटे छोटे घरों में काम करती है। तब वह कहीं जा कर वह मेरी फीस जुटाती है। यहां पर जो कूड़ा कचरा उठाने आती है उसके बच्चों को छुट्टी वाले दिन मैं पढ़ाता हूं ताकि इसका बेटा पढ़ लिख कर अपनी मां को सब खुशियां दे सके ।मेरी मां ने सिखाया है कि हमें दूसरों कि मदद अवश्य करनी चाहिए इसके लिए जरुरी नहीं है तुम रुपये दे कर ही किसी कि भी मदद करो। हर यथा सम्भव तरीके से तुम सब कि सहायता कर सकते हो।

राहुल अपनें दोस्त कि बातें सुनकर हैरान हो गया। राहुल में थोड़े ही अन्तराल में काफी परिवर्तन आ चुका था। दोस्तों के उठने से पहले जल्दी उठ जाता।कमरे को साफ-सुथरा करता और पढ़ाई में खूब मन लगाने लगा। इस बार परीक्षा में उसके अच्छे अंक आ गए थे।
गर्मियों की छुट्टियां भी होने वाली थी सभी बच्चे अपने-अपने घरों को जाने की तैयारी कर रहे थे राहुल मायूस होकर गुमसुम सा बैठा था। रौनी उसके पास आ कर बोला तो तुम्हें खुश होना चाहिए तुम घर जा रहे हो तुम्हारा चेहरा फिर भी उदास है क्या कारण है?

राहुल बोला ऐसी कोई बात नहीं ।तुम्हारी कहानी सुनकर भावुक हो उठा। मैं तो इस मामले में खुशनसीब हूं। मुझे इतनी मुसीबतें उठाने नहीं पड़ी। मेरे माता-पिता आधुनिक विचारों के हैं ।उनके पास इतना रुपया है लेकिन उनके पास अपने बेटे के लिए समय नहीं है ।आया के पास पला बढ़ा हूं। मां तो किटी पार्टी में व्यस्त रहती है ।पिता का कारोबार अच्छा है । मां के पास मुझे पढ़ाने के लिए समय ही नहीं था। पिता तो शाम को देर रात तक घर आते ।उनसे तो पांच-पांच दिन तक मुलाकात भी नहीं हो पाती थी। मेरे माता-पिता मुझे अच्छा इंसान बनाना चाहते हैं। वह मुझे अच्छा ऑफिसर बनाना चाहतें हैं।अच्छा ही हुआ मैं यहां आया, तुम जैसे प्यारे प्यारे दोस्तों से मिला तो जीवन में बहुत कुछ सीखने को मिला। मैं अब पढ़ाई का महत्व समझ गया हूं। बेचारी आया के पास रहकर उससे भी बहुत कुछ सीखने को मिला। वह तो पढ़ी-लिखी भी नहीं थी ।वह तो अनपढ़ थी ।वह मुझे क्या पढ़ा पाती उसका अपना बेटा भी किसी सरकारी स्कूल में पढ़ता है ।राहुल ने अपने दोस्तों से हाथ मिलाया और कहा ठीक है छुट्टियों के बाद मिलेंगे। उसके दोस्त भी उस में आए परिवर्तन से बहुत ही खुश थे वह अपना काम अच्छे ढंग से करना सीख गया था। राहुल नें अपने घर वापसी के लिए ट्रेन कि टिकट बुक करवा ली थी।आज वह घर जानें वाला था। ट्रेन में सीट मिल चुकी थी ।छुक छुक और गार्ड कि सीटी की ध्वनि का स्वर उसे सुनाई दे रहा था। ट्रेन में काफी लोग थे ।वह अपने मन में सोच रहा था कि वह घर जाकर अपने मम्मी पापा को परेशान नहीं करेगा बल्कि अब हर काम सोच समझ कर और सूझबूझ से करेगा। ट्रेन में उसकी आंख ना जाने कब लग गई जब आंख खुली तो सुबह हो चुकी थी। अपने घर पहुंचने की खुशी का एहसास उसके चेहरे पर साफ नजर आ रहा था ।घर पर जल्दी ही सारी हॉस्टल की मधुर यादें अपने माता-पिता को बताऊंगा। घर पहुंच कर उसने बैल बजाई काफी देर बाद बालकनी का दरवाजा खुला।
शैली ने दरवाजा खोला बोली बाबा बेटा तुम आ गए। वह एकदम आया के गले से लिपट कर रो दिया। यह देखकर शैली की आंखों में भी खुशी के आंसू बह निकले बोली बेटा तुम्हारा तुम्हारे बिना तो यह घर काटने को दौड़ता था ।मेरा भी काम करने को मन नहीं करता था। वह बोला आप थोड़ी देर आराम करो ।आया बोली बाबा नहा लो तुम्हारे लिए चाय बनाती हूं ।चुपचाप वह नहाने चला गया।। आया उस में आए बदलाव को देखकर हैरान थी। जिस बच्चे को 10-10 बार बोलने पर भी सुनाई नहीं देता था वह चुपचाप बिना गुस्सा किए नहा धो कर आ गया।

आया चाय लेकर आ चुकी थी। घर में माता पिता को ना पाकर राहुल को थोड़ी मायूसी हुई लेकिन उसे याद आ गया उसकी मां तो घर पर होती ही नहीं थी।वह बोला आंटी आप बताओ आप का बेटा कौन सी कक्षा में है? आया बोली बेटा हम गरीब आदमी है बड़ी मुश्किल से अपने बेटे को पांचवी कक्षा में डाला है। मैं अपने बेटे को कैसे पढ़ा सकतीहूं? मैं तो खुद ही पढ़ी लिखी नहीं हूं। वह बोला आंटी में आपको, और साथ में आपके बेटे को पढ़ना लिखना सिखा दूंगा। माया हंसने लगी बोली बेटा हमारे अब पढ़ने लिखनें की उम्र नहीं है। वह बोला अगर आप थोड़ा बहुत भी पढ़ना लिखना सीख जाएंगे तो आप कभी भी किसी के आगे हाथ नहीं फैलाओगी। मुझे आप कितना प्यार करती है?। मैं आप को ही नहीं अपने आसपास मोहल्ले में बहुत सारे अनपढ़ व्यक्ति हैं और जो गरीब माता-पिता हैं उनके बच्चों की स्कूल की फीस नहीं दे सकते उन्हें पढ़ा दिया करूंगा ।उनकी इस तरह की बातें सुनकर शैली की आंखों में आंसू बहने लगे ।वह बोली ऐसा बेटा सब को दे।

दरवाजे पर घंटी बज रही थी। जैसे ही आया नें दरवाजा खोला राहुल की मां पार्टी से घर आ गई थी।अपने बेटे को घर आया देखकर बहुत ही खुशी हुई और उसके गले लग कर बोली रास्ते में कोई कठिनाई तो नहीं हुई, हमने तुम्हें गाड़ी भेजी थी। शायद तुम्हें पता ही नहीं चला। वह किसी दूसरे स्टेशन पर ही चला आया था। आते ही उसकी मां बोली बेटा थोड़ी देर मैं आराम कर लूं तब तुम से ढेर सारी बातें करूंगी ।मैं तो अपनी मां के स्वभाव से परिचित ही था इसलिए उसे जरा भी फर्क नहीं पड़ा ।अगले हफ्ते उसका जन्मदिन आने वाला था। वह बोला मैं इस बार अपने दोस्तों को अपने जन्मदिन पर बुलाना चाहता हूं। उसकी मां ने उसे इजाजत दे दी बोली बेटा जरूर बुलाओ। इस में पूछने वाली कौन सी बात है?
उसका जन्मदिन आ चुका था। घर हवेली की तरह चमक रहा था। उसके माता-पिता ने बड़े-बड़े रईस लोगों को घर पर बुलाया था। वे अपने बेटे के घर वापसी की पार्टी देना चाहते थे ।शाम को सारे लोग पार्टी में शरीक थे। धूमधाम से साज संगीत के साथ कार्यक्रम आरंभ हुआ ।राहुल तो बहुत सारी झुग्गी झोपड़ी वाले बच्चों को बुलाकर अपना जन्मदिन मनाने वाला था। उसका कमरा बच्चों से खचाखच भरा था ।।उसके मम्मी पापा बड़े बड़े रईस शाही परिवार के लोगों के साथ पार्टी का आयोजन कर रहे थे अचानक अभिनव के दोस्तों ने कहा अपने बेटे को बुलाइए। नौकर जाकर राहुल बाबा के पास जाकर बोला बेटा तुम्हारे पापा हॉल में तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं। वह जल्दी ही हॉल में आया। उसने बड़ों का सम्मान पूर्वक आदर किया और कहा कि आप सभी पार्टी का आनंद मनाएं। मैं तो अपने दोस्तों के संग पार्टी मना रहा हूं। उसके माता पिता बोले कि तुम अपने दोस्तों को भी यहां ही बुला लो। वह बहुत ही खुश हुआ और सभी बच्चों को वहां पर बुला कर लें आया। सभी लोग उन बच्चों को देखकर नाक भौं सिकोड़ कर बोले क्या यही है आपके बेटे के दोस्त? अपनी हैसियत का अंदाजा तो लगाया होता आप जल्दी से यहां से इन्हें बाहर का रास्ता दिखाइए वर्ना हम पार्टी छोड़कर चले जाएंगे। इनके कपड़ों से कितनी दुर्गंध आ रही है? वह बोला पापा मैं तो उन सब के साथ ही मौज मस्ती करूंगा नहीं तो मैं भी इन्हें यहां से ले कर जा रहा हूं! उसके माता पिता ने अपने बेटे को दूसरे कमरे में जाने के लिए कह दिया। वह उन बच्चों के साथ पार्टी मना कर खुश हो रहा था । उन सब बच्चों के चेहरे पर इतनी मुस्कान देख कर मुस्कुरा रहा था। बच्चे तरह तरह के उपाहरों को पा कर खुश थे। कुछ खाने का आनंद ले रहे थे ।
जब सारे मेहमान चले गए तो राहुल की मां अपने बेटे के पास आकर बोली तूने तो आज हमारी नाक कटवा दी। तुम्हें हॉस्टल क्या पढ़ने भेजा? अगर हमें पहले पता होता कि तू हमारी नाक कटवाएगा तो तुझे हम कभी भी हॉस्टल पढ़ने नहीं भेजते। हां तुम्हारे इस बार अंक तो बहुत ही अच्छे आए हैं इसलिए हम तुम्हें माफ करते हैं वर्ना तुम्हें हॉस्टल में पढ़ने नहीं भेजते ।मां आप मुझे बाहर भेजो या ना भेजो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता मैं सभी सुविधाएं और रुपए जुटा लूंगा ।आप अगर सचमुच ही मुझसे प्यार करती हो तो आप मेरी बात पर जरा गौर करना !

आप किटी पार्टी में जाने के बजाय कोई सोशल वर्क का काम कर सकती हो या अपना कोई भी व्यवसाय चला सकती हो जिससे आप उन बच्चों को भी पढ़ा सकती हो जिनके माता-पिता ज्यादा फीस देने में सक्षम नहीं है। वहां पर तो किटी पार्टी में आपको हर परिवार की अनेकों सहेलियां मिलेगी। वह आप से कहेंगी, मैंने यह साड़ी लखनऊ से मंगवाई है जरा यह सोने का नेकलेस तो देखो। दूसरी कहेगी कि मैंने यह डायमंड का सेट सबसे महंगा लिया है। इससे क्या होगा? जिनके पास इतना महंगा सेट नहीं होगा वे शाम को जाकर अपने अपने पतियों से उस वस्तु को मंगवाने के लिए फरमाइश करेंगी जब उनकी फरमाइश पूरी नहीं होगी तो भी या तो अपना ससुराल छोड़कर मायके चली जाएगी या किसी ना किसी कारण अपने पति पर दबाव डालकर उनसे अपनी बात मनवाने के लिए उन्हें राजी करेंगी।
मां अभी भी वक्त है आप मेरी बात पर जरा ठन्डे दिमाग से सोच समझ कर विचार करना। आपने मेरा जीवन बनाने के लिए, एक अच्छा औफिसर बनाने के लिए मुझे हॉस्टल में डाला। अब आपका बेटा आपको समझा रहा है कि इन आडम्बर भरी दुनिया से बाहर निकल कर देखो। मुझे तो मेरे दोस्त की बातों में सच्चाई नजर आई। मैं तो काफी बदल चुका हूं। आपने देखा नहीं जन्म दिन वाले दिन वह मासूम बच्चे कितने प्यार से उस खाने पर टूट पड़े थे। ना जाने कितने दिनों बाद उन्होंने इतना स्वादिष्ट खाना खाया था। मैं तो उनको इस प्रकार प्यार से खाते देख कर खुश हो गया। मेरी आत्मा की आवाज ने मुझे कहा कि सच सच मायने में आज तुम नें अपना जन्मदिन अच्छे ढंग से मनाया है। जितना पिज़्ज़ा केक बर्गर पर,और बैंड बाजों पर इतना रुपया खर्च करते हो उतना उन सब बच्चों को खिलाने और खर्च करने पर जो मजा है उतना किसी और कार्य में नहीं।
राहुल का हॉस्टल खुल गया था वह वापस हॉस्टल चला गया था। राहुल को गए हफ्ता हो चुका था। कुछ दिनों बाद आयुक्ता किटी पार्टी में पहुंची तो उसका दिल वहां पर नहीं लगा। बार-बार उसकी आंखों के सामने अपने बेटे का चेहरा और उसके कहे शब्द गूंज रहे थे। सारी की सारी सखियां चाय पार्टी में मस्त थी। आज कुछ सखियां बेहद उदास थी । आयुक्ता को मालूम पड़ा कि एक सहेली बीमार पड़ गई है जिस के कारण वह किटी पार्टी में नहीं आ सकी है। दूसरी सहेली नें बताया उसनें चुप्पी का आवरण ओढ़ लिया है। वह ना तो किसी से बोलती है और ना किसी से कुछ बात ही करती है ।उसे ना जाने क्या हुआ है? आयुक्ता सोचने लगी हो सकता है कि जो बात मेरा बेटा कह कर गया हो वह सही हो। उसे भी किसी का बहुत ही महंगा गिफ्ट देखकर आहत हुई होगी ना मिलने पर चुप्पी साध कर बैठ गई होगी। इस बात का पता लगाकर ही रहूंगी। चुपचाप एक दिन वह अपनी सहेली के घर पहुंच गई। उसकी सहेली बहुत ही दुबली पतली हो गई थी। प्यार प्यार से उसने कंचन से पूछा क्या बात है? तुम इतने दिनों तक पार्टी में भी नहीं आई क्या कारण है? वह बोली कुछ नहीं । दूसरी सहेली ने बताया कि कंचन कि अपने पति से कहा सुनी हो गई, जिस कारण उसने उसे तलाक दे दिया। उसे अब महसूस हो रहा है कि उसने गलत कदम उठा लिया है जिसके लिए अब वह पछता रही है।
आयुक्तों को पहली बार अपने बेटे की बातों में सच्चाई नजर आई। हम दिखावा क्यों करते हैं? इसकी जगह पर अगर हम किसी गरीब बच्चे की शिक्षा पर ध्यान दें तो उस बच्चे का जीवन तो सुधर जाएगा साथ ही साथ हमें भी कोई अच्छा काम करके खुशी हासिल होगी। उस दिन के बाद आयुक्ता ने कीटी पार्टी में जाना छोड़ दिया। उसने एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अपनी पहचान बनाई। उसने अपने आसपास के गरीब बच्चों को इकट्ठा करके उनके लिए पाठशाला का निर्माण करवाया। वहां पर उन बच्चों को पढ़ाना आरंभ किया जो बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते थे। आज उसे अपने बेटे पर गर्व महसूस हो रहा था ।वह गर्व से सर ऊंचा करके अपने बेटे पर नाज कर रही थी। उसके बेटे ने सही मायने में उस का हृदय परिवर्तन कर दिया था ।अच्छा कार्य करके उसे जो संतोष हासिल हुआ उसे आज तक कि जिंदगी में कभी हासिल नहीं हुआ था। असली मायनें में आज वह एक अच्छी मां साबित हुई।




अनमोल खजाना

एक छोटा सा कस्बा था ,जहां की आबादी ज्यादा नहीं थी ।उस कस्बे में दो दोस्त रहते थे। रामू और श्यामू। रामू अपने दोस्त शाम को बहुत ही प्यार करता था ।उन दोनों के घर पास पास ही थे।
रामू जब भी कुछ काम धंधा करता श्याम को बता दिया करता था। रामू की कपड़े की दुकान थी। और श्यामू की टेलीविजन की दुकान । उन दोनों परिवारों का घर में आना जाना लगा रहता था। रामू अपने कपड़े की दुकान में दिन रात काम किया करता था। ग्राहकों को बहुत ही मीठी मीठी बातों में बहला कर खूब बिक्री करता था। एक दिन वह सोचने लगा कि मैं और भी ज्यादा मेहनत करनें के लिए क्या करूं? जिससे अपने कस्बे में मेरी प्रशंसा हो। रामू थोड़ा गर्म मिजाज था। श्यामू का स्वभाव बिल्कुल विपरीत था वह कोमल स्वभाव का था, जब उसके दोस्त श्याम की प्रशंसा करते तो रामु के मन में भी आता था कि मेरे दोस्त से ज्यादा लोग उसकी भी प्रशंसा करें। वह अपने दोस्त के सामने कुछ नहीं कहता था उसका दोस्त हमेशा भगवान का भजन किया करता था ।उसकी पत्नी भी मृदु स्वभाव की थी। उन दोनों के बच्चे छोटे-छोटे थे। एक दिन जब वह श्याम के घर गया तो उसने देखा कि उसकी दुकान पर लोग टेलीविजन रेडियो और भी सामान खरीदने आ रहे थे। वहां की भीड़ देखकर आश्चर्यचकित रह गया। उसके दोस्त की बिक्री तो बहुत ही ज्यादा हो रही है। वह सोचने लगा काश मैं भी अपने दोस्त से ज्यादा कमाता। वह कौन सा दिन होगा ?जब मैं अपने दोस्त से ज्यादा अमीर बन जाऊंगा। वह अपने दोस्त को इस बात की भनक भी नहीं लगने देता था ।दिन-रात इसी चिंता में धन कमानें में लगा रहता था।
एक दिन उसे एक महात्मा मिले उनके चरणों में गिर कर रोने लगा कि मैं ऐसा क्या करूं कि भगवान मुझ पर प्रसन्न होकर मुझे आशीर्वाद दे। महात्मा बोले कि तुम भगवान का नाम जपा करो ,जब वे तुम्हें दर्शन दे तो तुम उनसे अपने मनपसंद की वस्तु मांग लेना, जो तुम चाहते हो ।उसे महात्मा की बातों में सच्चाई नजर आई ।रामु दिन रात भगवान की पूजा करनें लेगा ।दुकान में भी भगवान का नाम लेना नहीं भूलता था। एक दिन भगवान उसके सपने में आए बोले बेटा तुमने मेरी इतनी पूजा की मांगो तुम क्या चाहते हो? वह बोला कि मैं आपकी भक्ति सच्चे दिल से करता हूं आप मुझे जो मैं मांग लूंगा क्या दोगे ?भगवान उसकी तरफ मुस्कुरा कर बोले कि हां अवश्य दूंगा बोलो क्या ईच्छा है? भगवान मेरी आपसे एक छोटी सी विनती है मेरे पास सब कुछ है लेकिन मैं अपने दोस्त को आगे बढ़ता देखता हूं तो मुझे दुःख होता है वह मेरा पक्का दोस्त भी है लेकिन मैं कुछ कह नहीं पाता। उसे तो इस बात का जरा भी पता नहीं है। बस आप मुझे उससे ज्यादा दे देना। जो भी चीज दो उससे ज्यादा देना। भगवान को उसकी बात समझ आ गई ।वह अपने मन में सोचनें लगे कि इस पर मेरी भक्ति का कोई असर नहीं है ।वह तो सिर्फ मेरी इसलिए कह रहा है ताकि उसे अपने दोस्त से ज्यादा मिले । इन्सान धन दौलत प्राप्त करने के चक्कर में अंधा हो जाता है। अपने सबसे प्यारे दोस्त के साथ ही छल कर सकता है यकीन ही नहीं आता भगवान ने फिर भी रामू से कहा कि जो तुम मांगते हो वही होगा? ऐसा ही होगा। वरदान पाकर रामु बहुत ही खुश हो रहा था। वह तो अब श्यामु से ज्यादा अमीर हो जाएगा। इसी तरह दिन कब बीत गए पता ही नहीं चला। श्यामू के घर जब भी जाता देखता तो लोग उसकी अभी उतनी ही प्रशंसा करते जितने पहले किया क्या करते थे? श्यामु तो अपने ग्राहकों को कोई भी सामान हो उपलब्ध करा देता था। कभी-कभी तो वह उस वस्तु की कीमत भी लोगों से बाद में वसूल करता था। ग्राहकों की भीड़ फिर भी शाम की दुकान पर ही लगी होती थी ।उसकी प्रशंसा सुन -सुन कर रामू आग बबूला हो जाता था। एक दिन रामू श्यामू से बोलाभाई मैं तुमसे ज्यादा अमीर बन चुका हूं लेकिन लोग फिर भी तुम्हारी ही तारीफ करते हैं। मेरे दोस्त श्यामु बोला क्यों भाई तुम कहीं मुझसे ईर्ष्या तो नहीं करने लगे। इतने में एक ग्राहक को आया देख शाम उससे बात कर लेना।राहु अपनें को नजरंदाज करते देख श्यामु से बोला मैं तुम्हारी दुकान पर आया हूं। तुम फिर भी मुझ से बात न करके ग्राहक पर ही ध्यान दें रहे हो। तुम्हें तो मेरी जरा भी परवाह नहीं है श्यामू बोला भाई मेरे ,दोस्त तो दोस्त होते हैं ।हम दोनों इतने सालों के पक्के दोस्त हैं। क्या तुम्हें अभी भी मुझ पर विश्वास नहीं है ?तुम मुझसे ज्यादा अमीर बन जाओ तब भी हमारी दोस्ती में कोई फर्क नहीं आएगा। आजकल तो मेरा धंधा नहीं चल रहा है। आजकल तो आप बहुत ही लाभ कमा रहे हैं।उस कि बात सुनकर रामु बोला भाई मेरे मैं तो मजाक कर रहा था।वह जब अपने घर पहुंचा तो और भी चिंता में पड़ गया मैं इतना अमीर हो जाने पर भी लोगों की नजरों में भी नहीं आया ।मेरे दोस्त तो अब भी मुझ से ज्यादा मेरे दोस्त की ही प्रशंसा किया करते हैं।वह तो दिन प्रतिदिन भगवान की पूजा करने लगा।
एक दिन भगवान उसके सपने में आए बोले अब क्या बात है? तुम अपने दोस्त से ज्यादा अमीर बन गए हो ।अब क्या चिंता है? वह बोला मेरे दोस्त की सब बढ़ाई करते हैं। मेरी कोई भी प्रशंसा नहीं करता। क्या बात है ?तुम हर वक्त चिन्ता में घुलते था रहे हो।?भगवान बोले। बेटा अपने आप को बदलो। अपने व्यवहार को बदलो सब कुछ ठीक हो जाएगा। रामू तो इस बात को भूल ही गया। उसे तो बस अपनी प्रशंसा सुनना ही अच्छा लगता था ।तुम्हारा वरदान मुझे याद है सब ठीक ही होगा।यह कह कर भगवान अंतर्ध्यान हो गए।
एक दिन दोनों दोस्त गाड़ी में सामान लाने शहर जा रहे थे। वापस आते वक्त गाड़ी के ब्रेक फेल हो गए। गाड़ी पेड़ से जा टकराई। श्यामु को तो इतनी गंभीर चोट नहीं लगी मगर रामु को इतनी भयंकर चोट लगी डौक्टरों ने कहा कि इसका बचना मुश्किल है ।रामु का दोस्त श्याम जब थोड़ा ठीक हुआ तो उसने अपने दोस्त को अस्पताल के बिस्तर पर तड़पता पाया।वह बच तो गया था मगर कुछ बोल नहीं पाता था। वह किसी की बात को सुन तो पाता था मगर मुंह से कुछ भी बोल नहीं पाता था। उसका दोस्त उसके सामनें रात दिन रात बैठ कर उसकी मदद करता था।
रामू ने एक दिन सुना कि उसका दोस्त डॉक्टर को कह रहा था कि मेरे दोस्त को बचा लो। इसके बदले में मेरे पास जो कुछ भी धन दौलत है वह सब ले लो।दौलत तो फिर भी कमाई था सकती है लेकिन अगर मैनें अपनें दोस्त को नहीं बचाया तो मुझे भी जीनें का भी कोई अधिकार नहीं है। पहले मैं अपने दोस्त को बचाना चाहता हूं। मेरे धन धन से बढ़कर मेरे दोस्त की जान ज्यादा प्यारी है।डाक्टर बोले कि हमें इन्हें बचानें कि बहुत कोशिश कर रहे हैं देखिए क्या होता है? इसका ब्लड ग्रुप ही नहीं मिल रहा है। श्यामु बोला कि मेरे दोस्त से बढ़कर मुझे कोई प्यारा नहीं है आप मेरा खून लेकर देख लीजिए ।शायद यह मिल जाए।
रामू अपने दोस्त की बात सुन रहा था।वह फफक फफक कर रोने लगा एक वह है जो उसके लिए अपना सब कुछ दाव पर लगा रहा है और एक वह है जो अपने दोस्त से ईर्ष्या कर बैठा। वह प्रशंसा और धन के लालच में अपने अनमोल दोस्त को खो रहा था। एक वह जो मेरे लिए अपना सब कुछ दाव पर लगा रहा है भगवान ना जाने? यह सोच ही रहा था कब उसकी आंख लग गई ?
सपने में इक बार फिर भगवान नजर आए। वह बोला कि हे भगवान अगर आप आज मैं आपसे कुछ मांगू तो आप क्या मुझे दोगे ?भगवान बोले कि हां जरूर दूंगा, मगर उसके बाद तुम मुझसे कुछ मत मांगना रामु बोला कि आज के बाद मुझे आप से मांगने की जरूरत नहीं पड़ेगी। आप मेरा एक काम कर दे मेरे दोस्त को मुझसे ज्यादा देना। मैं लालच की चकाचौंध में पड़कर अपने दोस्त की अनमोल दोस्ती को ठूकरा रहा था आज मैं जान गया हूं कि ईर्ष्या का मार्ग इंसान को बुराइयों के दलदल में फंसा देता है ।आप मेरे शब्द वापस ले लीजिए। वह जोर-जोर से कह रहा था।
उसका दोस्त श्यामू हंसते हुए बोला चलो तुम्हारी जुबान तो खुली क्या शब्द वापिस लो? वह मुस्कुरा कर बोला कुछ नहीं आ दोस्त गले लग जा तेरी दोस्ती से बढ़कर मेरे लिए कुछ नहीं है।रामु बोला मेरे दोस्त तुझे इतना मिले जितना दुनिया में किसी के पास न हो।मैं तुम्हें किसी भी कीमत में खोना नहीं चाहता।मैनें बहुत ही भंयकर सपना देखा।मुझे खुशी है कि मैं भटकनें से बच गया।श्यामु बोला कहां भटक गए थे।रामु बोला कुछ नहीं भाई अच्छा जल्दी करो तुम्हारे भोजन का समय हो गया है।

खोटा सिक्का

गट्टू एक गरीब लड़का था। उसकी मां एक झोपड़ी में रहती थी। गट्टू जब भी स्कूल से घर आता तो रास्ते में मस्ती करते करते घर पहुंचता था । उसके सारे दोस्त घर पहुंच जाते मगर वह तो मानोअपनी ही धुन में चलता हुआ इधर-उधर नजाराे़ को देखता हुआ रास्ते में कंचे खेलने लग जाता ,इस प्रकार काफी देर से घर पहुंचता। उसकी मां अपने बेटे गट्टू की इस आदत से बहुत ही परेशान रहती थी। गट्टू तो मानो अपनी ही धुन में मस्त रहता था। एक दिन वह अपने स्कूल से घर आ रहा था रास्ते में ,उसे एक सिक्का मिला उसने वह उठा लिया घर आकर उसने वह सिक्का अपनी मां को दिखाया बोला मां मुझे आज एक सिक्का मिला है सिक्का बाकी सब सिक्कों से बहुत अलग दिखता है मुझे पैसे का बहुत ही सुंदर लगा। वह सिक्का मैं किसी को भी नहीं दूंगा । मैं उसे बहुत संभाल कर रखूंगा। उसकी मां पारो बोली बेटा दिखा जरा मैं भी तो देखूं तुम्हारा सिक्का उसने कहा, मां तुम मेरी मां हो इसलिए तुम्हें मैं दिखा रहा हूं कहीं मुझसे इस सिक्के को कोई छीन ना ले। उसकी मां ने जब सिक्के को उलट-पुलट कर देखा वह ठहाका मार कर हंसने लगी बोली, यह सिक्का तो खोटा है। यह यहां का सिक्का नहीं है इससे तो कुछ भी नहीं मिलेगा ।उसे अपनी मां की बातों में जरा भी विश्वास नहीं हुआ शायद वो मुझसे ऐसे ही कहना चाह रही हो? इसलिए ऐसा कह रही है । उसने कहा जाने दो मां उसने सिक्का अपने डिब्बे में संभाल कर रख लिया। स्कूल में दूसरे दिन उसने वह सिक्का अपने दोस्तों को दिखाया ।वह बोले अरे बुद्धू क्या कभी खोटा सिक्का भी कहीं चलता है? उसने सोचा यह दोस्त भी उसे धोखा दे रहे हैं वह छोटा सा बच्चा हंस कर बोला कोई बात नहीं, उस सिक्के काे कस कर अपनी कमीज की जेब में रख दिया। उसने ऊपर से पिन लगाकर उसे बंद कर दिया ताकि वह सिक्का नीचे ना गिर जाए। एक दिन स्कूल से आते उसके दोस्त हलवाई की दुकान पर जलेबी खा रहे थे गर्म गर्म जलेबी देखकर उसके मुंह में पानी आ गया। वह दुकानदार के पास गया इस सिक्के की मुझे जलेबी दे दो। हलवाई उस बच्चे की मासूम भोली शक्ल देखकर पसीज गया। उसने सिक्का गट्टू को लौटा दिया बोला बेटा, यह सिक्का तुम ही रख लो उसने दो जलेबी के टुकडे उसे दे दिए। वह खुश हो गया बोला वह सब तो कहते हैं कि यह सिक्का खोटा है उसे तो कोई भी सिक्केे नहीं देने पडे।इस सिक्के से वह हर चीज खरीद लिया करेगा । वह उस सिक्के को और भी संभाल कर रखने लगा। रात को भी कभी रात को उठ कर देखता कि इसी सिक्के को किसी ने चुरा तो नहीं लिया ।एक दिन जब वह घर आ रहा था तो एक गुब्बारे वाले की दुकान को देखकर उसका मन गुब्बारा पाने के लिए ललचाने लगा ।उसने उस गुब्बारे वाले को सिक्का

स्कूल में दूसरे दिन उसने वह सिक्का अपने दोस्तों को दिखाया ।वह बोले अरे बुद्धू क्या कभी खोटा सिक्का भी कहीं चलता है? उसने सोचा यह दोस्त भी उसे धोखा दे रहे हैं वह छोटा सा बच्चा हंस कर बोला कोई बात नहीं, उस सिक्के काे कस कर अपनी कमीज की जेब में रख दिया। उसने ऊपर से पिन लगाकर उसे बंद कर दिया ताकि वह सिक्का नीचे ना गिर जाए। एक दिन स्कूल से आते उसके दोस्त हलवाई की दुकान पर जलेबी खा रहे थे गर्म गर्म जलेबी देखकर उसके मुंह में पानी आ गया। वह दुकानदार के पास गया इस सिक्के की मुझे जलेबी दे दो। हलवाई उस बच्चे की मासूम भोली शक्ल देखकर पसीज गया। उसने सिक्का गट्टू को लौटा दिया बोला बेटा, यह सिक्का तुम ही रख लो उसने दो जलेबी के टुकडे उसे दे दिए। वह खुश हो गया बोला वह सब तो कहते हैं कि यह सिक्का खोटा है उसे तो कोई भी सिक्केे नहीं देने पडे।इस सिक्के से वह हर चीज खरीद लिया करेगा । वह उस सिक्के को और भी संभाल कर रखने लगा। रात को भी कभी रात को उठ कर देखता कि इसी सिक्के को किसी ने चुरा तो नहीं लिया ।एक दिन जब वह घर आ रहा था तो एक गुब्बारे वाले की दुकान को देखकर उसका मन गुब्बारा पाने के लिए ललचाने लगा ।उसने उस गुब्बारे वाले को सिक्कादेते हुए कहा कि मुझे दो गुब्बारे दे दो लो सिक्का ,सिक्के को देखकर गुब्बारे वाला बोला क्या कभी खोटे सिक्के का गुबबारा आता है बेटा ,यहां के लिए तो यह खोटा सिक्का है यहां पर यह सिक्का नहीं चलता चलो यह लो तो और यह लो अपना सिक्का । गट्टू और भी खुश हो गया मुझे तो कोई सिक्का भी खर्च नहीं करना पड़ता मुझे तो इस सिक्के से सब कुछ यूं ही मिल जाता है ।

अगले दिन स्कूल में वह मैडम के पास क्या बोला मैडम सभी सिक्के को खोटा कहते हैं यह खोटा क्या होता है ? मैडम उसके भोलेपन पर हंसते हुए बोली बेटा यह. सिक्का हमारे देश का नहीं है । यह विदेश का सिक्का है हमारे देश में यह सिक्का नहीं चलता है। उस छोटे से गट्टू के दिमाग में कुछ कुछ समझ आया उसने फिर उस सिकके को अपने बस्ते में रख लिया ।

उस सिक्के को रखे रखे कई साल गुजर गए थे । जब वह बड़ा हुआ तो उसे अपनी मासूमियत पर हंसी आई उसने खोटे सिक्के को आज तक संभाल कर रखा ।उस सिकके को वह फेंकना नहीं चाहता था ।उसे सब कुछ याद आ गया कैसे जलेबी वाले ने उसे खोटे सिक्के कीे उसे दो जलेबियां भी मुफ्त में दे दी थी और उस गुब्बारे वाले ने भी उसे दो गुब्बारे मुफ्त में दे दिए थे। वह सोचने लगा चाहे कुछ भी हो जाए मैं इस खोटे सिक्के को नहीं फेंकूंगा। मुझे अब समझ में आ गया है कि यह सचमुच ही खोटा सिक्का है। उसने मुझे इतनी ढेर सारी खुशियां दी है।

शादी के कुछ साल बाद उसे विदेश जाने का मौका मिला अपनी पत्नी के साथ ट्रेन में बैठा था ।उससे एक विदेशी नवयुवक आकर बोला क्या मैं तुम्हारे पास बैठ सकताहूं? गट्टू बोला बैठ जाओ ,उस सिक्के की ओर देख कर मुस्कुरा कर अपनी पत्नी को उसने सारा का सारा किस्सा सुना दिया। यह खोटा सिक्का कितने काम का है इसी सिक्के ने मेरे जीवन की काया ही पलट दी शायद ,आगे भी यह सिक्का मेरे भाग्य को संवारे ।औरों के लिए होगा यह खोटा सिक्का मैं आज भी इसे नहीं फैंकूँगा। पास बैठे व्यक्ति ने गट्टू से कहा
‌ये तुम्हारे किस काम का। ये मुझे दे दो। मैं तुम्हें इसके हजार रूपये दूंगा। गट्टू उस सिक्के को कभी बेचना नहीं चाहता था। वह सिक्का उस के लिए भाग्यवर्धक था। उस सिक्के के साथ उसके बचपन कि बहुत सारी यादें जुड़ी हुई थी।वह अचानक बचपन कि यादों में खो गया। कैसे जलेबी वाले के पास उस सिक्के से जलेबी खरीदनें निकला था उसे मुफ्त में जलेबी मिल गई थी। गुब्बारे वाली कि दुकान पर भी वह सिक्का देने चला था परन्तु उसे बिना सिक्का दिए ही सब चीजें उपलब्ध हो जाती थी।

आज भी वह उस सिक्के को बेचना नहीं चाहता था।वह अंग्रेज व्यक्ति उस को झिंझोड़ता हुआ बोला मैं उस सिक्के के तब से दाम बढ़ाया जा रहा हूं मैं अब एक लाख तक पहुंच चुका हूं। तब कहीं जा कर गट्टू को सुनाई दिया चलो दो लाख। गट्टू कि पत्नी बोली आप कहां खो गए। आप इस सिक्के को बेच ही दो। गट्टू को उसकी जल्दबाजी से थोड़ा शक हुआ सिक्का खरीदने में इतना इच्छुक क्यों है जरूर कुछ गड़बड़ है। वह बोला भाई साहब आप ठीक कहते हो। मैं होटल पैलेस में ठहरा हुआ हूं।( अंग्रेज को अपना गलत पता बताया था)। आप को फोन पर अपने होटल का पता दे दूंगा। सफर कि थकान के कारण अभी मैं कुछ भी कहने में असमर्थ हूं।‌ कल आप को मैं यह सिक्का बेच दूंगा। अंग्रेज बोला आप से मिल कर मुझे बड़ी खुशी हुई। आप के लिए तो यह सिक्का किसी भी काम का नहीं होगा। मुझे मुझे इस सिक्के को खरीद कर कोई फायदा नहीं है पर यह मेरे बचपन की याद दिलाता है और मेरी मेरी मां के पास बहुत साल पहले ऐसे कई सिक्के हुआ करते थे मेरी मां यह सिक्का देखकर बहुत खुश होगी। इसीलिए मैं यह सिक्का खरीदना चाहता हूं किसी भी कीमत पर। वह गट्टू से झूठ बोल रहा था यूं ही कोई कहानी सुना रहा था।अंग्रेज बोला मेरे और आप के बीच सिक्के को ले कर सौदा तय हुआ है।आप मुझे ही इसे बेचना।आप कि और मेरी बात हम दोनों तक ही रहनी चाहिए।

अंग्रेज व्यक्ति तो वापिस चला गया लेकिन गट्टू मन में शंका होने लगी उस व्यक्ति नें मुझे यह क्यों कहा कि आप यह बात किसी से कहना नहीं।

सारी रात उसे नींद ही नहीं आई। सुबह स्नान से निवृत हो कर वह अपनी पत्नी के साथ पुरातत्व विभाग में पहूंच गया और उस सिक्के को उन को दिखाया।वहां के प्रबन्धक महोदय बहुत ही हैरान हो कर बोले यह सिक्का तो बहुत ही पुराना है।आज तक तुम नें इसे कैसे संभाल कर रखा है।बाबू साहब आप को पता भी है आज इस सिक्के कि किमत करोड़ों है। यह सिक्के हमारी परम्परागत धरोहर है।यह तो विदेशी सिक्का है। गट्टटू तो उस सिक्के के दाम सुनकर भौंचक्का रह गया।आप अभी इस सिक्के के दाम ले सकते हैं।। गट्टू कि पत्नी भी खुशी के मारे फूली नहीं समा रही थी। गट्टू नें पुरातत्व विभाग को वह सिक्का बेच दिया।रातों रात गटू कि किस्मत चमक गईं वह करोड़ो का मालिक बन चुका था।

अपनी पत्नी के साथ विदेश घूमनें का उसे अद्भुत तोहफा मिला था। खोटे सिक्के ने तो गट्टू की किस्मत सचमुच में बदल दी थी।