अनमोल खजाना

एक छोटा सा कस्बा था ,जहां की आबादी ज्यादा नहीं थी ।उस कस्बे में दो दोस्त रहते थे। रामू और श्यामू। रामू अपने दोस्त शाम को बहुत ही प्यार करता था ।उन दोनों के घर पास पास ही थे।
रामू जब भी कुछ काम धंधा करता श्याम को बता दिया करता था। रामू की कपड़े की दुकान थी। और श्यामू की टेलीविजन की दुकान । उन दोनों परिवारों का घर में आना जाना लगा रहता था। रामू अपने कपड़े की दुकान में दिन रात काम किया करता था। ग्राहकों को बहुत ही मीठी मीठी बातों में बहला कर खूब बिक्री करता था। एक दिन वह सोचने लगा कि मैं और भी ज्यादा मेहनत करनें के लिए क्या करूं? जिससे अपने कस्बे में मेरी प्रशंसा हो। रामू थोड़ा गर्म मिजाज था। श्यामू का स्वभाव बिल्कुल विपरीत था वह कोमल स्वभाव का था, जब उसके दोस्त श्याम की प्रशंसा करते तो रामु के मन में भी आता था कि मेरे दोस्त से ज्यादा लोग उसकी भी प्रशंसा करें। वह अपने दोस्त के सामने कुछ नहीं कहता था उसका दोस्त हमेशा भगवान का भजन किया करता था ।उसकी पत्नी भी मृदु स्वभाव की थी। उन दोनों के बच्चे छोटे-छोटे थे। एक दिन जब वह श्याम के घर गया तो उसने देखा कि उसकी दुकान पर लोग टेलीविजन रेडियो और भी सामान खरीदने आ रहे थे। वहां की भीड़ देखकर आश्चर्यचकित रह गया। उसके दोस्त की बिक्री तो बहुत ही ज्यादा हो रही है। वह सोचने लगा काश मैं भी अपने दोस्त से ज्यादा कमाता। वह कौन सा दिन होगा ?जब मैं अपने दोस्त से ज्यादा अमीर बन जाऊंगा। वह अपने दोस्त को इस बात की भनक भी नहीं लगने देता था ।दिन-रात इसी चिंता में धन कमानें में लगा रहता था।
एक दिन उसे एक महात्मा मिले उनके चरणों में गिर कर रोने लगा कि मैं ऐसा क्या करूं कि भगवान मुझ पर प्रसन्न होकर मुझे आशीर्वाद दे। महात्मा बोले कि तुम भगवान का नाम जपा करो ,जब वे तुम्हें दर्शन दे तो तुम उनसे अपने मनपसंद की वस्तु मांग लेना, जो तुम चाहते हो ।उसे महात्मा की बातों में सच्चाई नजर आई ।रामु दिन रात भगवान की पूजा करनें लेगा ।दुकान में भी भगवान का नाम लेना नहीं भूलता था। एक दिन भगवान उसके सपने में आए बोले बेटा तुमने मेरी इतनी पूजा की मांगो तुम क्या चाहते हो? वह बोला कि मैं आपकी भक्ति सच्चे दिल से करता हूं आप मुझे जो मैं मांग लूंगा क्या दोगे ?भगवान उसकी तरफ मुस्कुरा कर बोले कि हां अवश्य दूंगा बोलो क्या ईच्छा है? भगवान मेरी आपसे एक छोटी सी विनती है मेरे पास सब कुछ है लेकिन मैं अपने दोस्त को आगे बढ़ता देखता हूं तो मुझे दुःख होता है वह मेरा पक्का दोस्त भी है लेकिन मैं कुछ कह नहीं पाता। उसे तो इस बात का जरा भी पता नहीं है। बस आप मुझे उससे ज्यादा दे देना। जो भी चीज दो उससे ज्यादा देना। भगवान को उसकी बात समझ आ गई ।वह अपने मन में सोचनें लगे कि इस पर मेरी भक्ति का कोई असर नहीं है ।वह तो सिर्फ मेरी इसलिए कह रहा है ताकि उसे अपने दोस्त से ज्यादा मिले । इन्सान धन दौलत प्राप्त करने के चक्कर में अंधा हो जाता है। अपने सबसे प्यारे दोस्त के साथ ही छल कर सकता है यकीन ही नहीं आता भगवान ने फिर भी रामू से कहा कि जो तुम मांगते हो वही होगा? ऐसा ही होगा। वरदान पाकर रामु बहुत ही खुश हो रहा था। वह तो अब श्यामु से ज्यादा अमीर हो जाएगा। इसी तरह दिन कब बीत गए पता ही नहीं चला। श्यामू के घर जब भी जाता देखता तो लोग उसकी अभी उतनी ही प्रशंसा करते जितने पहले किया क्या करते थे? श्यामु तो अपने ग्राहकों को कोई भी सामान हो उपलब्ध करा देता था। कभी-कभी तो वह उस वस्तु की कीमत भी लोगों से बाद में वसूल करता था। ग्राहकों की भीड़ फिर भी शाम की दुकान पर ही लगी होती थी ।उसकी प्रशंसा सुन -सुन कर रामू आग बबूला हो जाता था। एक दिन रामू श्यामू से बोलाभाई मैं तुमसे ज्यादा अमीर बन चुका हूं लेकिन लोग फिर भी तुम्हारी ही तारीफ करते हैं। मेरे दोस्त श्यामु बोला क्यों भाई तुम कहीं मुझसे ईर्ष्या तो नहीं करने लगे। इतने में एक ग्राहक को आया देख शाम उससे बात कर लेना।राहु अपनें को नजरंदाज करते देख श्यामु से बोला मैं तुम्हारी दुकान पर आया हूं। तुम फिर भी मुझ से बात न करके ग्राहक पर ही ध्यान दें रहे हो। तुम्हें तो मेरी जरा भी परवाह नहीं है श्यामू बोला भाई मेरे ,दोस्त तो दोस्त होते हैं ।हम दोनों इतने सालों के पक्के दोस्त हैं। क्या तुम्हें अभी भी मुझ पर विश्वास नहीं है ?तुम मुझसे ज्यादा अमीर बन जाओ तब भी हमारी दोस्ती में कोई फर्क नहीं आएगा। आजकल तो मेरा धंधा नहीं चल रहा है। आजकल तो आप बहुत ही लाभ कमा रहे हैं।उस कि बात सुनकर रामु बोला भाई मेरे मैं तो मजाक कर रहा था।वह जब अपने घर पहुंचा तो और भी चिंता में पड़ गया मैं इतना अमीर हो जाने पर भी लोगों की नजरों में भी नहीं आया ।मेरे दोस्त तो अब भी मुझ से ज्यादा मेरे दोस्त की ही प्रशंसा किया करते हैं।वह तो दिन प्रतिदिन भगवान की पूजा करने लगा।
एक दिन भगवान उसके सपने में आए बोले अब क्या बात है? तुम अपने दोस्त से ज्यादा अमीर बन गए हो ।अब क्या चिंता है? वह बोला मेरे दोस्त की सब बढ़ाई करते हैं। मेरी कोई भी प्रशंसा नहीं करता। क्या बात है ?तुम हर वक्त चिन्ता में घुलते था रहे हो।?भगवान बोले। बेटा अपने आप को बदलो। अपने व्यवहार को बदलो सब कुछ ठीक हो जाएगा। रामू तो इस बात को भूल ही गया। उसे तो बस अपनी प्रशंसा सुनना ही अच्छा लगता था ।तुम्हारा वरदान मुझे याद है सब ठीक ही होगा।यह कह कर भगवान अंतर्ध्यान हो गए।
एक दिन दोनों दोस्त गाड़ी में सामान लाने शहर जा रहे थे। वापस आते वक्त गाड़ी के ब्रेक फेल हो गए। गाड़ी पेड़ से जा टकराई। श्यामु को तो इतनी गंभीर चोट नहीं लगी मगर रामु को इतनी भयंकर चोट लगी डौक्टरों ने कहा कि इसका बचना मुश्किल है ।रामु का दोस्त श्याम जब थोड़ा ठीक हुआ तो उसने अपने दोस्त को अस्पताल के बिस्तर पर तड़पता पाया।वह बच तो गया था मगर कुछ बोल नहीं पाता था। वह किसी की बात को सुन तो पाता था मगर मुंह से कुछ भी बोल नहीं पाता था। उसका दोस्त उसके सामनें रात दिन रात बैठ कर उसकी मदद करता था।
रामू ने एक दिन सुना कि उसका दोस्त डॉक्टर को कह रहा था कि मेरे दोस्त को बचा लो। इसके बदले में मेरे पास जो कुछ भी धन दौलत है वह सब ले लो।दौलत तो फिर भी कमाई था सकती है लेकिन अगर मैनें अपनें दोस्त को नहीं बचाया तो मुझे भी जीनें का भी कोई अधिकार नहीं है। पहले मैं अपने दोस्त को बचाना चाहता हूं। मेरे धन धन से बढ़कर मेरे दोस्त की जान ज्यादा प्यारी है।डाक्टर बोले कि हमें इन्हें बचानें कि बहुत कोशिश कर रहे हैं देखिए क्या होता है? इसका ब्लड ग्रुप ही नहीं मिल रहा है। श्यामु बोला कि मेरे दोस्त से बढ़कर मुझे कोई प्यारा नहीं है आप मेरा खून लेकर देख लीजिए ।शायद यह मिल जाए।
रामू अपने दोस्त की बात सुन रहा था।वह फफक फफक कर रोने लगा एक वह है जो उसके लिए अपना सब कुछ दाव पर लगा रहा है और एक वह है जो अपने दोस्त से ईर्ष्या कर बैठा। वह प्रशंसा और धन के लालच में अपने अनमोल दोस्त को खो रहा था। एक वह जो मेरे लिए अपना सब कुछ दाव पर लगा रहा है भगवान ना जाने? यह सोच ही रहा था कब उसकी आंख लग गई ?
सपने में इक बार फिर भगवान नजर आए। वह बोला कि हे भगवान अगर आप आज मैं आपसे कुछ मांगू तो आप क्या मुझे दोगे ?भगवान बोले कि हां जरूर दूंगा, मगर उसके बाद तुम मुझसे कुछ मत मांगना रामु बोला कि आज के बाद मुझे आप से मांगने की जरूरत नहीं पड़ेगी। आप मेरा एक काम कर दे मेरे दोस्त को मुझसे ज्यादा देना। मैं लालच की चकाचौंध में पड़कर अपने दोस्त की अनमोल दोस्ती को ठूकरा रहा था आज मैं जान गया हूं कि ईर्ष्या का मार्ग इंसान को बुराइयों के दलदल में फंसा देता है ।आप मेरे शब्द वापस ले लीजिए। वह जोर-जोर से कह रहा था।
उसका दोस्त श्यामू हंसते हुए बोला चलो तुम्हारी जुबान तो खुली क्या शब्द वापिस लो? वह मुस्कुरा कर बोला कुछ नहीं आ दोस्त गले लग जा तेरी दोस्ती से बढ़कर मेरे लिए कुछ नहीं है।रामु बोला मेरे दोस्त तुझे इतना मिले जितना दुनिया में किसी के पास न हो।मैं तुम्हें किसी भी कीमत में खोना नहीं चाहता।मैनें बहुत ही भंयकर सपना देखा।मुझे खुशी है कि मैं भटकनें से बच गया।श्यामु बोला कहां भटक गए थे।रामु बोला कुछ नहीं भाई अच्छा जल्दी करो तुम्हारे भोजन का समय हो गया है।

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