नीमों हर रोज की तरह रसोईघर में खाना बनाने में व्यस्त थी। उसके भाई धनीराम एक बहुत ही बड़े व्यापारी थे। उनके पास सब कुछ था। गाड़ी और बंगला था। जिंदगी की सभी खुशियाँ थी। धनीराम ने आवाज दी बहना कहां हो? जल्दी आओ मुझे बड़ी जोर की भूख लग रही है। खाना लाओ।वह रसोईघर… Continue reading हेराफेरी
Author: Meena
रहस्यमयी हवेली
शेरभ बहुत ही शरारती बालक था। एक दिन उसकी मां ने उसे कहा अगर तुम होमवर्क नहीं करोगे तो तुम्हें बहुत ही मार पड़ेगी। शेरभ ने अपनी ममी की बात सुनी अनसुनी कर दी वह चिखते चिखते बोला मां पहले मुझे चॉकलेट दो। वह चॉकलेट के लिए जिद करने लगा। शेरभ की मम्मी ने कहा… Continue reading रहस्यमयी हवेली
हॉस्टल और कॉलिज की मधुर यादें
दसवीं की परीक्षा के बाद परिणाम निकलने की उत्सुकता हरदम बनी रहती थी। इस बार अच्छे अंक आए तो ममी- पापा मुझे कॉलिज और हौस्टल में प्रवेश दिलाना चाहते थे। अपने मन में हौस्टल का सपना संजोए जल्दी से परिणाम निकलनें का इन्तजार करनें लगी। मुझे पता ही था कि मैं अच्छे अंक ले कर… Continue reading हॉस्टल और कॉलिज की मधुर यादें
लक्खू धोबिन का करिश्मा
किसी गांव में एक लक्खू नाम का धोबी अपनी पत्नी के संग लोगों के कपड़े धोने का काम करता था। साथ साथ ही कपड़ों को डाई करने का काम भी करता था ,धोबी बहुत ही नेक इंसान था। वह हमेशा अपना काम ईमानदारी से करता था। काम करते-करते अगर किसी व्यक्ति की कोई भी वस्तु… Continue reading लक्खू धोबिन का करिश्मा
गुरु
स्कूल के ग्राउंड में बच्चे शोर कर रहे थे। सभी बच्चे खेल के ग्राउंड में उपस्थित हुए थे। आज अपने नए अध्यापक के आने का बेसब्री से इंतजार करें थे। बड़ी बड़ी मूछों वाले, चश्मे पहने हुए, लंबे,चौड़े कंधे वाले, और पाँव में स्पोर्टस शूज़ पहने एक व्यक्ति को अचानक स्कूल के ग्राउंड की ओर… Continue reading गुरु
मां की सीख
मां बेटे से बोली। तेरे संग है बच्चों की टोली।। तुम हरदम उपद्रव क्यों मचाते हो? अपनी चीजें हर जगह क्यों फैलाते हो।। रिंकू बोला मैं तो हूं आपका राज दुलारा। आपका सदा ही रहूंगा आंख का तारा।। मां बोली तू अगर मगर क्यों करता है? मुझे परेशान कर अपना राग अलापता है।। चुन्नू बोला… Continue reading मां की सीख
कब क्यों और कैसे
तीन दोस्त थे अंकित अरुण और आरभ। तीनों साथ-साथ शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। वह तीनों 12वीं की परीक्षा के बाद पढ़ाई भी कर रहे थे। और नौकरी ढूंढने का पर्यास भी कर रहे थे। उनके माता पिता चाहते थे कि वे नौकरी करके हमारा भी सहारा बने। अंकित अरुण और आरभ तीनों मध्यम वर्गीय… Continue reading कब क्यों और कैसे
रहस्यमयी गुफा भाग(2)
भोलू राजा के साथ गुफा के बाहर पहुंचा तो सबसे पहले अपने दोस्त को उठाने का प्रयत्न करने लगा। अपने दोस्त को झिझोंडनें लगा। भोलू भोलू उठो गोलू का दोस्त स्वपन में ही सपना देख रहा था। वह पूरी तरह से नींद से जगा हुआ नहीं था। वह बोला हमारी भूरी कहां है? उस गाय… Continue reading रहस्यमयी गुफा भाग(2)
दोस्ती का अनुभव
दो दोस्त थे पंकज और विवेक। आस पास के कस्बे में ही रहा करते थे। वे दोनों पक्के दोस्त थे। उनका घर एक दूसरे के घर के समीप ही था। विवेक सुशील स्वभाव का था और पंकज थोड़ा चंचल स्वभाव का था। विवेक भोला भाला था। स्कूल में चुप चुप रहता था। उसके पापा ने… Continue reading दोस्ती का अनुभव
बेटियां
बेटियों से संसार में बहार होती है। बेटियां तो जहां की दिलदार होती हैं।। बेटियों से ही घर की शोभा महकती है। बेटियां तो रुतबा शोहरत और तख्तो-ताज की हकदार होती है।। बचपन में मां-बाप की दहलीज पर पली। युवा होने तक उन से महकी जीवन की हरकली।। बेटियां तो खुशी का एक लम्हा होती… Continue reading बेटियां