रहस्यमयी हवेली

शेरभ बहुत ही शरारती बालक था। एक दिन उसकी मां ने उसे कहा अगर तुम होमवर्क नहीं करोगे तो तुम्हें बहुत ही मार पड़ेगी। शेरभ ने  अपनी ममी की बात सुनी अनसुनी कर दी वह चिखते चिखते बोला मां पहले मुझे चॉकलेट दो। वह चॉकलेट के लिए जिद करने लगा। शेरभ की मम्मी ने कहा कि आज तो तुम्हें चॉकलेट नहीं मिलेगी। उसके पापा उसे बहुत ही लाड़-प्यार करते थे। उन्होंने  चार चॉकलेट उसे दे दी। शेरभ की मम्मी ने उस से  चॉकलेट छिन ली। शेरभ को बहुत गुस्सा आ रहा था तभी शेरभ की मम्मी ने चॉकलेट मेज पर रखी और फोन सुनने दूसरे कमरे में चली गई।

शेरभ ने सोचा मम्मी पढ़ाई करने बिठा देगी। इसलिए उसने मेज पर से चारों चॉकलेट उठाई और बाहर की ओर भाग गया। घूमते-घूमते बाग में पहुंच गया था। उसका पढ़ाई करने को मन ही नहीं कर रहा था। वह बाग में इधर उधर घूम रहा था। वह केवल दस वर्ष का था। उसे बाग में एक लड़का दिखाई दिया। उसके पीछे पीछे चलने लगा। सोचने लगा के इस बच्चे के साथ दोस्ती कर लेगा। वह उसके साथ ना जाने कितनी दूर निकल आया था। उस बच्चे की मम्मी  तभी उसे  गाड़ी में  ले गई। वह अकेला रह गया था। वह अपने घर का रास्ता भूल चुका था। चलते चलते वह काफी दूर निकल आया। उसे एक कुत्ता दिखाई दिया। वह उस कुत्ते को देखकर खुश हो गया। उसने उस कुत्ते को प्यार किया। वह कुत्ता भी इधर उधर किसी को खोज रहा था। वह कुत्ता उस बच्चे के पीछे चलने लगा। एक जगह शेरभ को बड़े जोर की ठोकर लगी। वह गिर पड़ा और बेहोश हो गया। वहां पर झाड़ियां थी। उसने अपनी मम्मी को सड़क के रास्ते पर चलते देखा था। वह भी पगडण्डी वाले रास्ते से चलते हुए घर पहुंचना चाहता था। अपने पापा के ऑफिस में चले जाना चाहता था। उसे अपने पापा के ऑफिस का पता था।

शेरभ  की मम्मी ने सोचा कि शेरभ अपने पापा के ऑफिस चला गया होगा। आज शेरभ को स्कूल से छुट्टी थी। जब उनके पापा घर आए तो बोले शेरभ कहां है? वह एकदम घबरा कर बोली क्या  वह आप के औफिस नहीं आया। वह जोर जोर से रोने लगी। ढूंढ ढूंढ कर थक ग्ए। वह छोटा सा बच्चा कंहा जा सकता है। उसे तो घर का पता भी मालूम नहीं है। हम अभी अभी ही हम इस मकान में  नये  आए हैं। मेरा बेटा कैसे मिलेगा।

शेरभ के पिता ने कहा कि वह कहां जाएगा। वह मिल जाएगा। शेर को जब होश आया वह नीचे गिरा हुआ था। वह जोर जोर  से रोनें लगा। वह कुता उसे चाटनें लगा। मानों कह रहा हो डरो मत। मैं तुम्हारे साथ हूं। वह कुता उस बच्चे के पास ही बैठा रहा। शेरभ को भूख  भी बड़ी जोर की भूख लग रही थी। । शेरभ ने अपनी जेब से चॉकलेट निकाली। अपनें आप भी खाई  और कुत्ते को  भी डाली।  वह अब धीरे-धीरे  चलनें लग गया था।

वह  रास्ता बिल्कुल सुनसान था। तीन गुंडों की नजर उस पर पड़ी। वह छोटा सा बच्चा और वह भी बिल्कुल अकेला।  वे लोग अपहरणकर्ता थे। उन बच्चों को बेचते थे। जिन लोगों को  बेचते थे उन बच्चों की किडनी निकाल कर किसी की आंख निकाल कर दूसरे देश में जाकर बेच देते थे। उन्होंने सोचा पहले हम अपने बॉस से बात कर लेते हैं। तीनों गुंडों ने अपने बॉस को फोन किया कि हमें एक छोटा सा बच्चा मिला है। आप उसकी कितनी कीमत हमें  देंगें।

उसका  बौस  बोला कि 500, 000रु दूंगा।  तुम तीन लाख पहले आकर ले जाओ और ढाई लाख बाद में दे देंगे  । अपहरण करनें वालों नें कहा कि कहां आना है? उनमें से एक ने कहा कि मुंबई में हमारा  ऑफिस है। तुम कल मुंबई पहुंचो। उन्होंने उस बच्चे का कहा कि तुम कहां जा रहे हो?। बच्चे ने कहा कि  मुझे मां पापा के पास जाना है।   उन्होंनें उस बच्चे को पकड़ लिया।  वे बोले हम तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ देंगें। वह कुत्ता भी उनकी गाड़ी की डिक्की में बैठ चुका था। एक जगह पहुंच कर उन्होंने इस बच्चे को उठाया और एक जगह काफी सुनसान खंडहर  वाली हवेली में बच्चे को बंद कर दिया। और दूसरे दोस्त को कहा कि कल हम यहां पर आकर इस बच्चे को  यहां से ले जाएंगे। कुत्ता भी नीचे उतर चुका था। उसने उस बच्चे को अंदर बंद करते हुए देख लिया था। जबकि वे तीनों किडनैपर चले  गए तो वह बच्चा उस   खंडहर  वाली हवेली में अकेला रह गया। वह जोर जोर से रोने लगा। हवेली के पहरेदार को वे गुन्डे बहुत सारे रुपये  दे कर गए थे। उन्होंने कहा कि  यह हमारा बच्चा है इसको हम कल ले जाएंगे। पहरेदार रात को उस बच्चे को देख कर गए। शेरु  चुपचाप खिड़की के बाहर झांक रहा था। उस छोटे से बच्चे को कुछ नहीं पता था कि वह कहां आ गया है?। उसे रात को डर भी लगने लग गया था। पहरेदार सो गया था वह कुत्ता अब बार-बार उसकी खिड़की के पास मंडरा रहा था। शेरभ  बाहर आने का रास्ता खोज रहा था। रात हो चुकी थी। उस हवेली में कोई नहीं आता था। रात को जोर जोर की आवाजें  आनें लगी थी। आवाजों से वह घबरा गया। उसके सामने एक सुंदर सी स्त्री आकर बोली बेटा तुम क्यों रो रहे हो? वह बोला आंटी मुझे तीन मोटे आदमियों ने यहां बंद कर दिया। मैं अपनी मां से नाराज होकर बाग में घूम रहा था। चलते चलते मैं रास्ता भूल गया। तभी इन गुंडों ने मुझे देख लिया। वे मुझे बेचने की बात करे थे। वह बोली बेटा तुम डरो नहीं। बहादुर बच्चों को मैं कुछ नहीं कहती हूं। ं  यहां पर कोई नहीं आता है। बेटा मैं तुम्हें यहां से निकालूंगी। कुत्ता भौंकने लगा था। कुत्ते ने देखा कि एक गाड़ी में बहुत सारी  रस्सियां रखी हुई थी। उन्होंनें एक रस्सियों का लिफाफा खींच लिया। वह मुंह में रस्सियां  दबाए हुए आया और उसने  रस्सी खिड़की में फेंक दी। वह औरत बोली बेटा यह कुत्ता तुम्हारा है। यह तो बहुत ही समझदार है। वह तुम्हारी रक्षा करना चाहता है। उसने तुम्हारी ओर रस्सी   फैंकी  है ताकि  तुम रस्सी अपने बांध लो और खिड़की के सहारे वह तुम्हें बाहर खींच लेगा। शेरभ ने अपने पेट में रस्सी बांध ली थी। वह बोली बेटा तुम सही   सलामत अपनें घर पहुंच जाओ। शेरभ बोला कि आपके साथ बात करके  मुझे अच्छा लगा। मैं आपको यहां से ले जाऊंगा। मैं अपने पापा को यहां लेकर आऊंगा। मैं अगर अपने घर पहुंच गया। वह बोली बेटा मैं अपनी कहानी तुम्हें फिर  कभी  सुनाएंगी। जब तुम यहां अपनें पापा के साथ आओगे।

उस औरत ने उसे पकड़कर खिड़की पर चढ़ा दिया था। कुत्ते ने उसे खिड़की से बाहर खींच लिया। कुत्ते को बहुत प्यार किया उसने कहा कि तुम सचमुच में ही मेरे प्यारे दोस्त बन गए हो मैं तुम्हें अपने पास ही रखूंगा। शेरभ ने भागना शुरू कर दिया उसका प्यारा दोस्त भी उसके साथ था।

एक  होटल के  मैनेजर ने उसे देख लिया। उसने  उस आदमी को  अपनी सारी कहानी सुनाई। वह  होटल का मालिक बोला बेटा अगर तुम अपने घर जाना चाहते हो तो पहले तुम्हें रुपए कमाने पड़ेंगे। तुमको यहां बर्तन साफ करने पड़ेंगे। वह बोला एक दो बार मैंने अपनी मम्मी को बर्तन धोते देखा था। मैं  बर्तनों को साफ कर  दिया करूंगा। वह उस के बर्तन साफ करने लग गया था। होटल का मालिक  शेरभ को बिल्कुल अलग से काम करवाता था। उसे पता था कि छोटे-छोटे बच्चों का काम करना जुर्म समझा जाता  है। इसलिए  उस बच्चे से जब भी काम करने को कहता था तो वह कमरा बंद कर देता था कि कहीं कोई  उसे बर्तन साफ करते  हुए  कोई देख  ना  ले। है।  वह बर्तन साफ करने लगा। काम करते-करते उसको वहां   दो महीने हो गए थे। उसने सौ रुपए इकट्ठे कर लिए थे। वह  खाना होटल में ही खा लिया करता था। वह बच्चों को बाहर नहीं आने देता था।

शेरभ के मम्मी पापा के पास इतने अधिक रुपए नहीं थे जिससे कि वह अपने बच्चों को छुड़वाने की कीमत अदा करते। शेरभ  की मां तो बहुत ही बीमार हो चुकी थी। उन्होंने अपने बेटे शेरभ को छुड़ाने के लिए लोगों से उधार लिए थे और उन्होंने अखबार में  इश्तहार दिया था कि  जो हमारे बेटे को ढूंढ कर लाएगा उसे  हम  100,00रुपये देंगें।  मैं एक गरीब आदमी हूं। मेरा बेटा अगर मुझे मिल जाए तो मैं ₹100,000 देने के लिए भी तैयार हूं। इस एड्रैस पर आकर मेरे बच्चों को छोड़ जाए उसने अपने घर का पता दे दिया था।

होटल के मालिक ने भी उसके अखबार में फोटो देख ली थी।   होटल मैनेजर नें सोचा कि अभी मैं इस बच्चे से और काम ले लेता हूं।  मैं  इसके घर अभी मैं  इसे नहीं भेजूंगा।  शेरभ वहां से निकलने की योजना बना रहा था। एक दिन उसका दोस्त किटटू  उसकी कमीज खींचकर बाहर की  ओर   घसीट कर ले गया। शेरभ ने बाहर की ओर देखा  वहां पुलिस इंस्पेक्टर चाय पीने के लिए आए थे।

शेरभ को समझ में आ गया था कि यह कुत्ता उसे क्यों खींच रहा है? वह जल्दी से पुलिस इंस्पेक्टर के पास गया। उसने सोचा कि मैं होटल मैनेजर  की  शिकायत इन इन्सपैक्टर से कर देता हूं। वह मुझसे बर्तन साफ करवाता है। मुझे मेरे मम्मी के पास छोड़ दे। पर बाहर कैसे जाऊं? शेरभ ने एक चादर ओढ़ ली और बाहर आ गया। पुलिस इंस्पेक्टर का हाथ पकड़ कर बोला अंकल मेरे साथ बाहर आओ। चुपके से आना। उसको बाहर आते किसी ने नहीं देखा।  अंकल को बोला अंकल यहां नहीं अपनी गाड़ी में बिठाओ।

पुलिस इंस्पेक्टर ने कहा पहले मैं अपना बिल अदा करके आता हूं। सिर्फ बोला अंकल अभी नहीं आप यह मत बताना कि मैं आपकी गाड़ी में हूं। जल्दी से पुलिस इंस्पेक्टर बिल अदा करके आ गया था। वह बोला बेटा बताओ क्या बात है? पुलिस इन्सपैक्टर बोला   अंकल  मैं अपने घर से चलता चलता रास्ता भटक चुका था। यहां पर रास्ते में कुछ चोरों ने मुझे एक खंडहर में बंद कर दिया। मैं वहां से भी निकल कर भाग कर यहां आ गया। यहां पर इस होटल के मालिक ने मुझे बर्तन साफ करने लगा दिया। कृपया करके आप मुझे मेरे माता-पिता के पास  छोड़ दो। अंकल मुझे अपने माता पिता की याद आ रही है।

अखबार में पुलिस इंस्पेक्टर ने  शेरभ के माता-पिता का लिखा हुआ इश्तहार देख लिया था। पुलिस  इन्सपैक्टर  बोला कि  बेटा मैं  तुम्हें  तुम्हारे घर छोड़ दूंगा। तुम  अब बिल्कुल सुरक्षित हो। पुलिस वाले ने कहा बेटा चलो मेरे साथ। पुलिस इन्सपैक्टर ने होटल के मालिक को कहा कि तुम छोटे से बच्चे से बर्तन साफ करवाते हो तुम्हें  इस के लिए हवालात में जाना पड़ेगा। होटल का मालिक बोला बाबू   साहब मुझे छोड़ दो। मैं तुम्हें ₹20, 000 देता हूं। पुलिस स्पेक्ट्रम नें होटल के मालिक से ₹20, 000 ले लिए। पुलिस इंस्पेक्टर  गाड़ी में शेरभ   के  घर की ओर आ रहा था तो रास्ते में  वही हवेली दिखाई दी। पुलिस इंस्पेक्टर को  शेरभ नें ने कहा कि इस  हवेली में एक आंटी रहती है। आप उसे भी  यहां से बाहर निकाल दो।  पुलिस इंस्पेक्टर उस हवेली में उस बच्चे के साथ गया परंतु वहां पर कोई नहीं था। उस बच्चे से बोला शायद उस  आंटी को भी कोई  आ कर यहां से ले गया होगा तभी उस हवेली का पहरेदार  आ कर बोला यहां पर एक औरत की आत्मा भटकती रहती है।  वह  यहां आने वाले हर व्यक्ति से  इन्साफ की फरियाद करती है।  वह बहुत से लोगों का खून भी कर देती है।

पुलिस  इन्सपैक्टर बच्चे से बोला यहां पर ज्यादा देर ठहरना  उचित नहीं है। जल्दी चलो। इंस्पेक्टर  शेरभ के घर पहुंच चुका था। उसका दोस्त  किटटू गाड़ी से निकल कर   शेरभ को चाटने लगा।  पुलिस इन्सपैक्टर नें   उसे उनके घर पहुंचा  दिया था शेरभ के पापा से मिल कर उन से बोला आप अपना ईनाम तैयार रखो। मैं आपके बेटे को लेकर आ रहा हूं।।

 शेरभ को वापस आया देखकर उसके माता पिता ने उसे गले से लगा लिया। पुलिस इन्सपैक्टर अपने घर वापिस जा चुका था। उसनें शेरभ के पिता को अपना परिचय  एक आम आदमी  की तरह दिया। शेरभने कहा कि पापा आपने पुलिस इन्सपैक्टर को खाना नहीं खिलाया। शेरभ के पापा बोले कि वह पुलिस इन्स्पेक्टर नहीं थे।  शेरभ बोला वही तो पुलिस इन्स्पेक्टर थे। शेरभ के पापा को साफ  साफ पता चल चुका था कि वह पुलिस इन्सपैक्टर भी रुपये हासिल करना चाहता था इसलिए उसने अपना  असली परिचय नही दिया।। शेरभ बोला मेरे साथ मेरा दोस्त किटटू भी आया है। शेरभ के पापा खुश थे कि उन्हें उनका बेटा वापिस मिल गया था।

उन्होंनें पुलिस इन्सपैक्टर को ₹100,000 दिए दिए थे। उन्हें अपना बेटा वापिस मिल चुका था इसलिए उनको ₹100,000देने में कोई आपत्ति नहीं थी। अपने मम्मी पापा को शेरभ नें अपनी सारी कहानी सुनाई कि कैसे  इस  किटटू ने मुझे गुंडे से बचाया। और एक हवेली में  आंटी ने मेरी सहायता की। वह आंटी उस पुरानी हवेली के  खंडहर में अकेली रहती है। पापा प्लीज आप भी उस आंटी को बचा लो। आप दोनों मेरे साथ उस हवेली पर चलना। उसके पापा ने सोचा कि जब मेरा बेटा बोल रहा है तो शायद कोई आंटी होगी जो बिचारी  मुसिबत में पड़ी हो।

अगले दिन शनिवार था। शनिवार और रविवार की छुट्टी थी। परिवार सहित शेरभके आने की खुशी में उन्होंने वहां जाना स्वीकार कर लिया था। तीनों गाड़ी में बैठकर उस खंडहर वाली हवेली में पहुंच गए। रात को उन्होंने एक कमरा किराए पर ले लिया। रात को सिर्फ अपनी मम्मी पापा के साथ हवेली में चला गया। रात होने को थी। तभी वहां पर पायल की आवाज़ नें उन्हें चौंका दिया। आंटी को आता   शेरभ ने देख लिया था। शेरभ ने कहा आंटी अब आप बताओ। आज मैं अपने पापा को लेकर  यहां आया हूं। आप मुझे जल्दी बताओ आपको यहां किसने कैद किया हुआ है। वह बोली बेटा तुम बहुत छोटे हो। अपने पापा को मेरे सामने  ले कर आओ  मैं उन्हें अपनी सारी कहानी सुनाती हूं।शेरभ अपनें पापा को उस हवेली में रहने वाली आंटी के पास ले गया।

वह  शेरभ  के पापा से बोली मैं भी एक राजकुमारी की तरह रहती थी। मेरे पिता बहुत ही धनी परिवार के थे। मैं पढ़ लिखकर बड़ा अफसर बनना चाहती थी।  कॉलेज के दिनों में मुझे ठाकुर परिवार के राजकुमार से प्यार हो गया था। उसके पिता ने मेरा रिश्ता  स्वीकार नंही  किया। उन्होंनें मुझे पहाड़ से गिरा कर खाई में फैंक कर मार डाला। मेरी लाश को एक खंडहर में फेंक दिया।  मुझे जब बांध दिया गया था मैंने अपने बचाव के लिए पुलिस इंस्पेक्टर रावत को भी फोन किया। उस ठाकूर ने  इस्पेक्टर के साथ मिलकर मुझे  नीचे गहरी खाई में फेंक दिया। मैं उस ठाकुर परिवार के लोगों को सलाखों के पीछे देखना चाहती हूं।बेटा शेरभ जिस पुलिस इंस्पेक्टर को तुम यहां लेकर आए थे वह रावत पुलिस इंस्पेक्टर उसने ठाकुर परिवार के आदमियों के साथ मिल कर मेरी लाश को  मेरे माता पिता को सौंप दिया था। उस पुलिस इंस्पेक्टर ने मुझे नहीं बचाया। वह लालची है। उसे जरुर दण्ड दिलाना।

शेरभ के पापा बोले वह मुझसे भी 100,000 रुपये ले जा चुका है। कुंवर ने शादी नहीं की। वह अपनी प्रेमिका को भुला नहीं पाया और अपनी प्रेमिका की याद में कोमा में चला गया। अभी तक वह हॉस्पिटल बांद्रा में  जिंदगी और मौत के बीच  झूल रहा था। उसके पिता ने उस की जिंदगी  बचानें वाले को 10, 00, 000 रुपए देने का वादा किया है। तुम उस हॉस्पिटल में जाकर उस कुंवर शैलेंद्र को यहां लेकर आओ। मुझ से मिलकर वह ठीक हो जाएगा। मैं अपनी सारी कहानी उसे  सुना दूंगी। जब वह ठीक हो जाएगा तो तुम्हें 10, 00, 000 रुपए मिल जाएंगे। शेरभ के पापा ने कहा ठीक है। हमको आपकी बात में सच्चाई नजर आ रही है। शेरभ़ के पापा हॉस्पिटल में जा कर हैरान रह गए। वहां पर कुंवर शैलेंद्र जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा था।  शेरभ के पापा ने ठाकुर कुमार रणवीर सिंह को कहा कि मैं आपके बच्चे को बचाऊंगा।  मेरा बेटा   ठीक हो गया  तो मैं वायदे के मुताबिक   तुम्हें 10 लाख रुपये दूंगा। जल्दी बताओ बेटा मुझे क्या करना होगा? आप अपने बेटे को मेरे साथ जानें दो। मैं उसे ऐसी जगह ले जाना चाहता हूं जहां पर जा कर वह बिल्कुल ठीक हो जाएगा। ठाकुर रणवीर सिंह नें  शेरभ के पिता के साथ  अपनें दो साथियों को भिजवा दिया।

शेरभ के पिता शैलेन्द्र को लेकर  हवेली में पहुंचे।  रात का समय था। शालू  ने पायल की आवाज से उसे पुकारा। शालू शालू अचानक शैलेंद्र ने आंखें खोल दी। वह बोला ना जाने कितने दिनों से तुम्हें मैं ढूंढ रहा हूं। तुम भी कैसी दगाबाज हो तुम्हें कोई और तो पसंद नहीं आ गया। वह शालू के गले लग कर रोने लगा। मुझे छोड़कर मत जाना। वह बोली पहले तुम बिल्कुल ठीक हो जाओ जब तक तुम तंदरुस्त नहीं हो जाते मैं आपसे नहीं मिलूंगी। आपको पहले मेरा एक काम करना होगा। आपको मेरे घर जाकर कहना होगा कि मैं शालू से मिला। वह जल्दी ही घर आ जाएगी। मेरे पिता को कहना कि अपना ध्यान रखें। तुम्हें अपने पिता की बात नहीं माननी होगी। अपने पिता के खिलाफ जाना होगा। अपने पिता की सारी संपत्ति और दौलत हॉस्पिटल बनवाने के लिए दान देनी होगी। पुलिस इंस्पेक्टर रावत को सस्पेंड करवाना होगा। और जो इंसान तुम्हें यहां लेकर आए उन्हें अपने पिता से 10, 00, 000 रुपए दिलवाने होंगे। वह बोला मैं यह सब कुछ करूंगा तब तो तुम वापस आ जाओगी। शालू बोली ठीक है आज से 5 महीने बाद मैं तुम्हारे घर में मैं तुम्हारी दुल्हन बन कर आऊंगी। तुमसे मेरा वादा है पर यह राज किसी को भी अगर तुम बताओगे तो तुम्हें मुझ से हाथ धोना पड़ेगा।  तुम्हारे पिताजी से मुझे बड़ी नफरत हो गई है। यह बोलते बोलते वह चुप हो गई। तब वह गायब हो गई शालू के पिता ने यह सारी बातें रिकॉर्ड कर दी थी। कुंवर शैलेंद्र ठीक हो चुका था। उसमें सबसे पहले अपने घर पहुंचते अपने पिता को कहा कि पापा आप बूढ़े हो चुके हैं और मैं सारा कार्यभार मैं संभालना चाहता हूं। आप तो बस घर बैठकर खाना। जिंदगी का क्या भरोसा? उसके पिता ने सोचा मेरा बेटा ठीक ही तो कहता है। उसने सारी की सारी दौलत अपने बेटे के नाम कर दी।

शैलेन्दर ने सारी दौलत हॉस्पिटल बनवाने के लिए दान दे दी।  शैलेन्द्र के पिता के पास कुछ नहीं बचा था। पुलिस इंस्पेक्टर को भी शैलेंद्र ने सस्पेंड करवा दिया था।  वह शालू के घर गया और  उस के पिता से मिला और बोला अंकल आप चिंता मत करो। शालू जल्दी ही घर आ जाएगी। उसने मुझसे वादा किया है कि वह जल्दी ही घर आ जाएगी। शालू के पिता शैलेन्द्र की बातों को सुनकर हैरान रह गए। उनकी बेटी को गए  तीन साल हो चुके थे। वह सोच रहे थे कि शैलेंद्र उनकी बेटी शालू की याद को भुला नहीं पाया इसलिए बहक गया है।  अंकल आपको किसी वस्तु की भी आवश्यकता हो तो मुझे कहना। मैं आपको लाकर दूंगा।

शेरभ के पिता को कुंवर रणवीर ने 10, 00,000  रुपए दे दिए। उसके पिता को शालू ने बताया कि जिस किडनैपर ने शेरभ को पकड़ा था उसी  किडनैपर ने मुझे पकड़ कर मेरे चेहरे की प्लास्टिक सर्जरी करवाई थी। उन्होंने मेरा चेहरा एक ऐसी लड़की को लगाया था। वह लड़की IAS ऑफिसर बन चुकी है। उस लड़की के माता-पिता ने उस की प्लास्टिक सर्जरी कराई थी और मेरा चेहरा उसे लगा दिया था। उस लड़की का नाम भी शालू है। मेरे पिता ने शैलेंद्र को यह कभी नहीं बताया था कि मैं उनकी बेटी नहीं थी। मैं तो महेंद्र प्रताप की बेटी थी जो बचपन में खो गई थी। महेंद्र प्रताप की बेटी की प्लास्टिक सर्जरी हुई थी। उसका नाम भी शालू है। उसको ही मेरा चेहरा लगाया गया है। मैं वास्तव में उन्हीं की बेटी हूं। तुम शालू के साथ मेरे शैलेंद्र की शादी करवा देना क्योंकि मेरे चेहरे को देखकर वह मुझे अपना लेंगे इतना कहते-कहते शालू रोने लगी। तुम सुखी रहो। शेरभ के पिता को गले लगा कि आज मैंने एक अच्छा काम किया। मैंने कुंवर शैलेंद्र से शालू  को  इन्साफ दिलवा कर अच्छा किया। उसकी आत्मा अब कभी नहीं भटकेगी।

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