पैसा या रुपैया

बाप बड़ा ना भैया।

इस दुनिया में सबसे बड़ा रुपैया।।

पैसा है इस दुनिया में सबको प्यारा।

इसके बिना  किसी को भी जीना नहीं गंवारा।।

पैसे की चमक इंसान को अंधा बना देती है।

उसकी आंखों पर काला नकाब पहना देती है।।

कलयुग में पैसे को ही  अहमियत है दी जाती।

जिसके पास नहीं है पैसा उसकी कोई कद्र नहीं होती।।

लोग पैसे वालों से ही संपर्क बढ़ाते हैं।

पैसा नहीं  हो तो पैरों तले दबाते हैं।।

पैसों के लालच में कईयों ने अपनी जाने गंवाईं।

कई महिलाओं बच्चियों नें अपनी आबरु तक लुटाई।।

पैसा कमाने की होड़ में लोग बेईमानी करके अपना जमीर तक बेच देते हैं।

यहां तक कि अपने पुरखों की संपत्ति को भी दांव पर लगा देते हैं।।

यह तो है एक लालच की तृष्णा।  

केवल यह है एक मृगतृष्णा।।

जितना आता है इससे ज्यादा पाने की ललक है छाई रहती।

गुमनामी के जीवन को जीने की ओर अग्रसर है करती।।

पैसे के पीछे बेई मानी करना अपना ईमान खोना  यह है बड़ी शर्म की बात।

इसकी आड़ में और ना जाने क्या-क्या घोटालों की है सौगात।।

पैसा इंसान से क्या क्या करवाता है।

उसे कठपुतली बना कर नचाता रहता है।।

इंसान रात दिन पैसा पैसा करता रहता है।

गल्त धन्धे में  पड़ कर अपना जीवन नष्ट करता रहता है।।

सभी को चाहिए यह पैसा।

चाहे  नेकी करके या बेईमानी कर के,

सभी की मजबूरी है यह पैसा।

नेकी कर के कमाया  ही फलताफूलता है ये पैसा।।

इन्सान की छवि को चार चांद लगाता है।

उस को तरक्की के मार्ग पर पहुंचाता है।।

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