(रिश्ते तो अनमोल होतें हैं) कविता

रिश्ते तो अनमोल होते हैं।

ये तो भगवान की दी हुई शानदार नियामत होतें हैं।। ।

भाई बहन पति पत्नी सास ससुर और अनेको रिश्वते हैं दिए हुए।

उन रिश्तों में अपनी अपनत्व की मिठास घोल दिजीए।

उन रिश्तों का दामन खूबसूरती से पकड़े रखिए।।

उन की खुशी के लिए अपनी तरफ से कभी पिछे मत हटिए।

ये तो विश्वास की मजबूत डोर होते हैं।

जरा सी असावधानी से बिखर कर टूट जाते हैं।।

अपनें रिश्ते को कभी भी किसी की नजर न लगनें दिजीए।

बिश्वास की डोर को कभी अविश्वास के तराजू में न तोलिए।।

अपनों से बिछुड़ने की   कभी मत सोचिए। दुनिया की कही बातों  पर मत चलिए।।

अपनी विवेक पूर्ण बुद्धि से हर बात को जांच  परख कर ही विचार कीजिए।

अपनी वाणी में मधुरता ला कर आलोचना करनें वालों को भी अपनें व्यवहार से उनके विचारों को भी बदल डालिए।।

 तुम्हारे   मधुर व्यवहार से रिश्तों में भी मजबूती आएगी।

तुम्हारे अपनों के साथ जितनी भी कडवाहट हो वह भी मिट जाएगी।।

टूटे रिश्ते अपनें आप संवर कर जुड़ जाएंगे।

घर परिवार वाले तुम्हें  खुशी भरा आशीर्वाद दे कर तुम्हें सराहेंगे।।

अपनें को बड़ा समझ कर अपना कदम पिछे मत हटाए।

केवल एक बार पहल कर तो देखिए।।

हर टूटे रिश्तों में अहंकार आडे आता है।

अहंकार को मिटा कर खुशी का दामन थाम लिजीए।

अपने लिए जिए तो क्या जिए।

दूसरों की खुशी के लिए खुद को जमानें के  अनुकूल बदल डालिए।।

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