अध्यापिका के प्रश्न

रज्जू हमेशा की तरह स्कूल जाने की तैयारी कर रहा था तभी उसकी मां नें रज्जू को आवाज लगाई बेटा जल्दी नाश्ता कर लो ।स्कूल के लिए देरी हो जाएगी ।वह बोला मां मुझे स्कूल नहीं जाना है ।मुझे वहां बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता।पारो बोली, बेटा तू पढ़ाई के बिना कुछ भी हासिल नहीं कर सकता। पढ़ाई किए बिना कोई गुजारा नहीं ।मनुष्य को अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए और बड़ा बनने के लिए पढ़ाई अवश्य करनी पड़ती है। तुम और तुम्हारे दोस्त चौबीस घंटे टीवी के सामने बैठे रहते हो। तुम ना हमसे बातें करते हो और ना ही वक्त पर खाना खाते हो ।मैंने तुम्हें कभी भी पढ़ते हुए नहीं देखा। तुम्हारे एक दो दोस्त हैं तुम उनके साथ स्कूल से आनें के बाद बस बैठ कर टीवी ही देखा करते हो। क्या तुम्हें पढ़ना अच्छा नहीं लगता? मैं तुम्हारी स्कूल आकर तुम्हारी मैडम से शिकायत करूंगी। रज्जू दौड़ा दौड़ा मां के पास आया बोला मां तुझे मेरी सौगंध, मैं पढ़ाई अवश्य किया करूंगा ।तू मेरी स्कूल में शिकायत मत करना। उसकी मां नें उस की बात मान तो ली पर वह रसोईघर में जाते जाते सोचनें लगी।
उस के मानस पटल पर धुंधली तस्वीरे छानें लगी। मुझे आज भी याद है जब रज्जू पैदा हुआ तो तो घर के हालात ठीक नहीं थे ।बड़ी मुश्किल से घर का गुजारा होता था। किसी ना किसी तरह उसकी दो बहनों का तो विवाह कर दिया ,लेकिन रज्जू ही एक घर में ऐसा था जिसको उसके माता-पिता कुछ कहते तो वह उनकी बात पर कभी ध्यान नहीं देता था वह उनकी बात को कभी भी ध्यान से नहीं सुनता था । लाड़ प्यार का परिणाम था।उसकी मां उसे बोल बोल कर थक जाती थी कि बेटा कि मेरी बात तो सुनो लेकिन वह तो किसी और ही धुन में मग्न होता था। काम करना भी उसे अच्छा नहीं लगता था । बहुत देर बाद अपनी मां से कहता था कि मां क्या आपने मुझे कुछ कहा? उसकी इन हरकतों से उसकी मां परेशान हो जाया करती थी। उसके कक्षा के अध्यापक भी उस की इस हरकत से परेशान हो जाता करते थे।

इस साल तो घर में ही मैडम पहुंच गई । वह बोली कि आपका बेटा पढ़ाई नहीं करता है। अगली बार यह पढ़ाई नहीं करेगा तो इसको फेल करना पड़ेगा।
जल्दी जल्दी नाश्ता करके रज्जु स्कूल गया।कक्षा मैं आते ही उसने देखा मैडम तो पहले ही कक्षा में पहूंच चुकी थी।वह मन ही मन घबरानें लगा आज भी मैडम बैन्च पर खड़ा होने के लिए कहेंगी।चुपचाप जा कर पहले ही जा कर बैन्च पर खड़ा हो जाता हूं।मैडम के बोलनें का इंतजार क्यों करूं?। उसने देखा अध्यापिका बच्चों से सवाल पूछ रही थी।वह तो खड़ा हो कर भी ड्राइंग बनानें में मस्त था।वह मैडम की तस्वीर बना रहा था ।मैडम ने दो तीन बार उसका नाम लेकर पुकारा परंतु उसने कोई भी उत्तर नहीं दिया। मैडम निराश होकर उसकी सीट के पास आ गई और कहने लगी कि जब भी मैं तुमसे कोई भी प्रश्न पूछती हूं तो तुम कोरे कागज की तरह एक जगह खड़े रहते हो?शायद तुम्हारे हाथ में विद्या की रेखा नहीं है।तुम्हें डरा कर ,धमका कर सब कुछ कर के देख लिया मगर तुम पर मेरी बातों का कोई भी असर नहीं होता।तुम ढीठ की तरह अपनी जगह बुत बन कर खड़े हो। क्या तुम्हारी समझ में सचमुच ही कुछ नहीं आता है?आज भी देर से आ कर कक्षा में चुपचाप घुस गए।
मैडम उस की सीट के पास आ कर खड़ी हो गई।उस के हाथ में ड्राईगं की कौपी थी जिस पर वह चित्र बना रहा था।मैडम नें उस से कौपी छीन ली।वह कौपी ले कर अपनी सीट पर आ गई।सब बच्चे उस की तरफ देख कर हंसने लगे।वह रज्जू की तरफ देख कर हंसने लगे।बच्चे कहने लगे कि मैडम यह कभी भी पढ़ाई नहीं करता है। यह तो घर में भी सारा दिन टीवी देखा करता है और ड्राइंग बनाया करता है ।सचमुच में ही इसके भाग्य में विद्या की रेखा नहीं है,और आज भी यह देर से स्कूल आया है।
उन सब को इस तरह की बातें कहते सुनकर रज्जू की आंखों में आंसू आ गए लेकिन वह फिर भी कुछ नहीं बोला।
वह चुपचाप अपनी सीट पर खड़ा रहा मैडम उसकी कॉपी को उल्ट पल्ट कर देख रही थी। उसकी कॉपी में मैडम की सुंदर तस्वीर बनी हुई थी। साथ में जानवरों की और फूलों की तस्वीरें बनी हुई थी। मैडम उसकी ड्राइंग देखकर बहुत ही खुश हुई। मैडम नें रज्जु को अपने पास बुलाया और कहा बेटा तुम्हारे हाथ में विद्या की रेखा है लेकिन वह धुंधली है। सुबह उठकर तुम अपने हाथों को जरूर देखा करो। सब बच्चे रज्जू पर जोर जोर से हंसने लगे थे ।अचानक मैडम को गुस्सा आ गया अपने मन में सोचने लगी उस ने यह क्या कर डाला? इस छोटे से बच्चे से कह दिया कि तुम्हारे हाथ में विद्या कि रेखा नहीं है। मैं इस बच्चे को सुधार कर ही रहूंगी।शायद इस बच्चे को परखनें में मैनें कोई गलती तो नहीं कर दी।
रज्जू एकाएक खड़ा होकर बोला मेरे हाथ में विद्या की रेखा है। कौन कहता है मेरे हाथ में विद्या की रेखा नहीं है? मैडम ने उसकी ड्राइंग की कॉपी को खोलकर देखा उसमें बहुत ही सुंदर सुंदर फूल और जानवरों की तस्वीरें बनी हुई थी। मैडम उसकी तरफ देख कर बोली कि तू ने क्या कमाल की ड्राइंग बनाई है ।क्या रंगों का चुनाव भी तुमने खुद ही किया है? रज्जू मैडम की और आश्चर्य भरी नजरों से देखने लगा। वह मुस्कुरा कर बोला हां मैडम जी यह सभी मैंनें ही बनाए हैं ।मुझे टीवी में प्रोग्राम देखना बहुत ही अच्छा लगता है। मैं फूलों से संबंधित और रंगों से संबंधित प्रोग्राम टीवी में देखा करता हूं।
राजू जब घर आया तो वह मन ही मन बहुत ही उदास था क्योंकि आज स्कूल में मैडम ने कहा था कि तुम्हारे हाथ में विद्या की रेखा नहीं है। वह अपने मन में सोच रहा था कि कल से मैं स्कूल नहीं जाऊंगा। वह स्कूल जाने से डरने लगा।उसकी मां उसे उदास देख कर बोली बेटा क्या हुआ है? तुम आज स्कूल जाने से मना क्यों कर रहे हो। वह बोला मां मुझे स्कूल नहीं जाना है ।मेरा स्कूल में पढ़ाई को मन नहीं करता है। उसकी मां ने उसे जोर जबरदस्ती करके स्कूल भेजा। स्कूल में भी उसका मन नहीं लग रहा था।
अचानक मैडम कक्षा में आई। सब बच्चों ने खड़े होकर मैडम को गुड मॉर्निंग कहा। मैडम ने रज्जू को उदास देखा। रज्जू को बोली बेटा मैं अध्यापिका होकर तुम्हारे मन के भावों को समझ नहीं सकी। तुम्हें भी तो बुरा लग सकता है। तुम्हारे हाथ में विद्या की रेखा है मगर वह छोटी है तुम उसे अपनी मेहनत से अच्छा बना सकते हो। मैडम ने प्यार से रज्जू को अपने पास बुलाया और कहा कि तुम टीवी में क्या क्या देखते हो ?वह बोला की मैडम मैं टीवी में फूलों से संबंधित और जानवरो से संबंधित प्रोग्राम देखता हूं।मुझे बाग में सैर करना अच्छा लगता है। चिड़ियाघर देखना भी लगता है।मैं टीवी पर चुपके चुपके देखा करता हूं।मां जब डांट लगाती
है तब मुझे टीवी बन्द करना पड़ता है।मुझे कहानियां अच्छी लगती है।मैडम अपने मन में सोचने लगी क्यों ना इस बच्चे से इनके बारे में ही प्रश्न पूछा जाए? ।मैडम सब बच्चों को इशारा करते हुए बोली कि आज मैं सचमुच ही जानना चाहती हूं कि इस के हाथ में विद्या की रेखा है या नहीं।वह बोला कौन कहता है मेरे हाथ में पढ़ाई कि रेखा नहीं, इन बच्चों का दिमाग तो अवश्य ही खराब हो गया है।
टीवी में मैं यदि प्रोग्राम नहीं देखता तो मुझे भी कुछ भी समझ में नहीं आता। मैडम ने कहा कि बच्चे सुनने और चित्रों द्वारा, और टीवी के माध्यम से सीखते हैं। ।तुम जब कुछ भी टीवी पर देखते हो तो तुम पूरे ध्यान से उसे देखते हो तो वह तुम्हारी समझ में आ जाता है। मैं जब तुम्हें पढाती हूं तब तुम मन लगा कर नहीं सुनते हो। रज्जू बोला की मैडम आप भी पढ़ाते समय उसमें कहानियां बना कर डाला करो ।हमें कहानियों के माध्यम से याद करवाया करो। रज्जू के शब्द मैडम के कानों में गूंज रहे थे। बच्चे ने अनजाने में ही सही आज उसे बहुत बड़ी शिक्षा दे डाली थी। आज से वह भी बच्चों को खेल खेल के माध्यम से जानकारी दिया करेगी। मैडम बोली मैं तुमसे प्रश्न पूछना चाहती हूं तुम नें टीवी से क्या क्या सीखा? क्या हम से बांटना नहीं चाहोगे? मैं तुमसे टीवी में देखी हुई चीजों के बारे में ही प्रश्न करूंगी।
रज्जु खुश होकर मैडम की तरफ देखने लगा वह बोला हां मैडम प्रश्न करिए।रज्जु बोला विद्या का अर्थ है ज्ञान। विद्या तो बांटनें से बढ़ती है।आज मैं टीवी में जो कुछ सीखा है सभी में बांटना चाहता हूं।आप प्रश्न पुछिए।
मैडम ने उस से प्रश्न किया कि अच्छा बताओ बेटा किन रंगों को मिलाने सारे रंग बनतें हैं।? रज्जू बोला मैडम लाल नीले और पीले के संयोजन से ही जितने रंग है वह बनतें हैं। इन तीनों रंगों को प्राथमिक रंग कहा जाता है ।बाकी जो भी रंग हैं वह सब द्वितीय श्रेणी के हैं। जैसे पीले और नीले रंग को मिलाने पर हरा ,और पीले को लाल के साथ मिलाने पर संतरी रंग बनता है। ऐसे ही कई और भी रंग हैं जो अलग-अलग रंगों के संयोजन से बनते हैं ,जैसे संतरी और हरे को मिलाने से भूरा ।लाल और जामुनी को मिलाने से मैजेंटा ।। मैडम हैरान हो कर रज्जु को देख रही थी।
मैडम नें रज्जु से कहा अच्छा बेटा बताओ तुम बताओ पक्षियों के पंख क्यों होतें हैं?वह बोला मैनें टीवी में देखा था। करोड़ों साल पहले पक्षी उड़ते नहीं थे। यह भी उसी तरह रैंग कर चलते थे जैसे कि सांप चलता है। इन सरीसृप जीवों का रक्त ठंडा होता था ।यह सूर्य की रोशनी सी ऊर्जा प्राप्त करते थे।धीरे-धीरे धरती की परिस्थितियां उनके रहने के प्रतिकूल होने लगी। पर्वतों की बर्फ पिघलने से समुद्र का विस्तार होने लगा तो जगह की कमी हो गई तब इन्होंने धरती के बजाय पेड़ों पर रहना शुरू कर दिया ।इसी दौरान उन के पंख भी निकल आए और यह उड़ने लगी ।आज के पक्षियों का रूप ले पाए।
मैडम ने उसकी कॉपी पर सांप की तस्वीर देख कर कहा बेटा क्या तुम्हें सांप के बारे में भी कुछ पता है? मैं तुमसे इस के बारे में कुछ प्रश्न पूछ सकती हूं तो वह बोला हां मैडम में डिस्कवरी चैनल देख कर बहुत कुछ सीख गया हूं। मुझे वह चैनल देखना बहुत ही अच्छा लगता है।
मैडम ने उससे प्रश्न किया अच्छा बेटा बताओ कि सांप वास्तव में दूध पीता है या नहीं। वह बोला कि मैडम जी वह कभी भी दूध नहीं पीता यह प्रकृति से मांसाहारी होता है और मेंढक और चूहे जैसे छोटे-छोटे जीवो को खाकर अपना पेट भरता है। वैसे भी इसकी जीभ बीच में से कटी होती है जिससे वह दूध नहीं पी सकता ।इसका इस्तेमाल यह केवल सुंघनें के लिए करता है। सांप की नाक भी होती है लेकिन ठीक से सूंघनें का काम भी करती है। उसे सुनाई नहीं देता लेकिन आहट से उसे सब मालुम हो जाता है।

मैडम उसके उत्तर को सुनकर बहुत ही प्रसन्न हुई। वह सब बच्चों कि तरफ देखकर बोली कि बेटा कौन कहता है तुम्हें कुछ नहीं आता है?तुम नें मुझे गल्त साबित कर दिया है।तुम तो बहुत ही होशियार हो।आज वह बहुत ही खुश था उसनें अपनी मेहनत से अपनी विद्या की रेखा बना ली थी।मैडम नें भी अपनें पढानें के तरीके में सुधार कर दिया था।वह बच्चों को खेल खेल के माध्यम से पढ़ाई करवानें लगी।
धीरे-धीरे रज्जू कहानी को शौक से सुनता। मैडम नें गणित के प्रश्नों को भी खेल खेल के माध्यम से पढ़ाना शुरू किया। रज्जू सचमुच में होशियार बच्चा बन गया था ।वह पढ़ाई में रुची लेने लग गया था। मैडम ने उसे अपनी क्लास का मॉनिटर बना दिया ।मैडम को समझ आ गया था कि कोई भी बच्चा वास्तव में कमजोर नहीं होता परंतु हम उसकी क्षमता को आंक नहीं सकते आज मैनें जान लिया है।
आगे चलकर वह बच्चा बहुत ही बड़ा चित्र कार बना।

Leave a Reply

Your email address will not be published.