- बहुत समय पहले की बात है कि एक गांव में चीनू अपने माता पिता के साथ रहा करती थी उसका स्कूल गांव से बहुत दूर पड़ता था। उसको पैदल ही स्कूल जाना पड़ता था। हर रोज़ दो-तीन किलोमीटर पैदल जाती थी। हर रोज जब स्कूल जाती अपनी सहेली के साथ जाती। उसकी सहेली मीनू का घर भी उसके घर से पांच किलोमीटर की दूरी पर था। दोनों सहेलियां आपस में गप्पे लड़ाते लडा़ते स्कूल जाती थी। काफी देर तक चीनूं उनके घर खेलती रहती थी। मीनू की मां ज्योति अपनी बेटी को बहुत ही प्यार करती थी। ज्योति की मां को जानवरों से बहुत ही लगाव था। उसने अपने घर में तीन खरगोश पाले हुए थे। वह उनको पिंजरे में रखती थी। समय-समय पर उनको दाना डालना उनकी साफ सफाई करना सब ज्योति किया करती थी। ज्योति भी अपनी मां को देखकर ऐसा ही किया करती थी। उसे भी जानवरों से लगाव हो गया था। जब भी मीनू के घर आती खरगोश के साथ खेलकर अपना दिल बहला लेती थी। एक दिन खेल खेल में उस नें देखा कि घर के बाहर बरामदे में एक वैसा ही खरगोश अकेला खेल रहा था। उसको देख कर चीनू नें उस खरगोश को उठा लिया। देखने में वह खरगोश बिल्कुल ही वैसा था मगर वह भूरे काले रंग का था। उसको उठाते देख मीनू ने अपनी सहेली चीनू को कहा मेरी मां नें इसको यहां रख दिया है। मां को यह अच्छा नहीं लगता। चीनू की आंखों से आंसू छलक पड़े इसलिए कि यह काला है। मीनू बोली कि इसका तो मुझे पता। नहीं। यहअपने साथियों के बिना अपनें आप को अकेला महसूस करता है। चीनू बोली तुमने अपनी मां को क्यों नहीं कहा कि इस बेचारे ने क्या बिगाड़ा है? इसे भी वहीं पर रखो जहां उसके साथी हैं। मैं तो आंटी को एक अच्छा इंसान समझती थी। मीनू बोली नहीं उनमें दया भाव है? वे इसे भी खाने को देती है परन्तु उसे अंदर कमरे में नहीं रखना चाहती हैं। चीनू बीच में बात काट कर बोली इसलिए कि इस का रगं काला है मीनू बोली मेरे भाई या बहन आने वाला है। पता नहीं भाई आएगा या बहन। इस कारण मां सब से चिढी-चिढीरहती हैं। चीनूं बोली मैं आंटी से जा कर कहती हूँ आप नें इस सन्तु को कमरे से बाहर क्यों रखा है? वह आंटी को बोली आप नें सन्तु को कमरे से बाहर क्यों रखा है? । मीनू की मां ज्योति बोली बेटा यह मुझे भी अच्छा नहीं लगता। इसका रंग भी मुझे पसंद नहीं है। इसलिए मैंने उसे वहां पर रख दिया है। जाओ बेटा तुम दोनों जाकर अपना काम करो। बाहर जाकर खेलो।
चीनू और मीनू ने उसका नाम संतु रख दिया था। वह दोनों उसके साथ ढेर सारी मस्ती करती थी। एक दिन वह दोनों बोली अगर हम से कोई पूछेगा तुम्हारा सन्तु कितना पढा है तो हम कह देंगी इसने m. a किया है। मीनू की मां के वाक्य सुनकर चीनू बहुत ही दुःखी हुई। मीनू की मां जानवरों से प्यार ही नहीं करती अगर ऐसा होता तो वह उसको भी अपने घर में जगह दे सकती थी। चीनूं हर रोज घर में से सन्तु को खाने को ले आती थी।
वह उस खरगोश के साथ खेलती। वह भी उन से प्यार करता था। चीनू पढाई में बहुत ही होशियार थी। हर बार कक्षा में प्रथम आती थी। सन्तू के साथ वह काफी घुलमिल गई थी। वह भी उसे पहचानता था। एक दिन चुपके से वह खरगोश उस के पीछे पीछे हो लिया। लेकिन अंधेरा होने के कारण रास्ता भटक गया। उसे चीनूं दिखाई नहीं दी।
चीनूं की मां उस से पूछती तुम इतनी देर कहां खेलती हो तो चीनूं कहती मां मेरा एक दोस्त है उसके साथ खेलती हूं। उसकी मां नें पूछा सन्तु कितने तक पढ़ा है वह तो एम ए पास है। यह कहकर वहां हंस पड़ी बोली मां मुझे बातों में मत मत उलझा। स्कूल जाने दो उसकी मां बोली चलो फिर किसी दिन उसके संतु के बारे में पूछूंगी। देखने में कैसा है? जल्दी से चीनूं स्कूल को भाग गई। चीनू जब मीनू के स्कूल पंहूंची मीनू नें उसे बताया सन्तू कल रात से न जानें कहां चला गया है? मिल ही नहीं रहा। चीनू सचमुच ही सन्तु को बहुत ही प्यार करती थी। स्कूल में भी सारा दिन उसका मन नहीं लगा। उसनें मीनूं को भी कुछ नहीं बताया चुपचाप चीनूं स्कूल से सीधे सन्तू को देखने निकल पड़ी। रास्ते में ढूंढते ढूंढते थक गई मगर उसे उसके संतु का कोई सुराग नहीं मिला। उसके अध्यापकों ने बताया कि किसी का कुछ भी गुम हो जाए तो पुलिस थानें जा कर पता करते हैं। वह एक दिन अपनें पापा के साथ पुलिस थाने आई थी।
पुलिस थानें में पहुंचकर वह पुलीस इन्सपैक्टर के पास जाकर बोली इंस्पेक्टर साहब आप मेरी रिपोर्ट दर्ज कीजिए। मेरा संतु खो गया है। वह बोल सन्तू नाम के तो हजारों होंगे। तुम अपने घर का पता लिख कर दे दो। उसने अपना पता लिखकर दे दिया। इन्सपैक्टर बोला घर से पहले बड़ों को लेकर आना तभी हम तुम्हारी रिपोर्ट लिखेंगे। बच्चों के कहने पर हम कोई रिपोर्ट नहीं लिखते। वह रोते-रोते बोली पुलिस अंकल आपको अपनी बेटी की कसम। मेरी रिपोर्ट लिखो। पुलिस इन्सपैक्टर के भी उसी की उम्र की बेटी थी। वह बोला ठहरो मैं फाईल लेकर आता हूं। तुम कुर्सी पर बैठो। चीनूं ने संतु की फोटो मेज पर रख दी। उसने उसी वक्त एक जानवर को दौड़ते देखा। उसने सोचा यही मेरा सन्तु होगा। वह तो एक हिरण का बच्चा था। उसनें हिरण के बच्चे को पुचकारा। उसको प्यार करते देख कर हिरण का बच्चा भी मानों मुस्कुरा कर उसकी तरफ निहार रहा था।
वह जब भी स्कूल जाती रास्ते में घने जंगल को पार कर के जाना पड़ता था। पेड़ों से बातें करती थी। उनको कहती थी पेड़ राजा तुम मेरे दोस्त हो पेड़ राजा। पेड़ से ऐसे लिपट जाती थी जैसे एक बच्चा अपनें पिता से लिपट जाता है। उसको दानें डालती कभी अपनें डिब्बे से बिस्किट नमकीन डाल देती थी। उस की हरकतों को वन के हर प्राणी देखा करते थे। पेड भी उस की तरफ मुस्कुराहट भरी नजरों से कहता कि मैंने खा लिया है। चीनूं को उदास देखकर पेड़ बोला बेटा इतनी उदास क्यों हो?वह रोते रोते बोली मेरा संतु कहीं खो गया है। मेरे मम्मी पापा भी मुझे ढूंढ रहे होंगे।पेड़ बोला तुम चिंता मत करो। जाओ बेटा, अंधेरा हो रहा है। अपने घर वापिस जाओ। तुम्हारे माता-पिता तुम्हारी राह देख रहे होंगे।
वह बोली नहीं मैं जब तक मेरा संतू मुझे नहीं मिलेगा मैं यहां से नहीं जाऊंगी।
चीनू जब घर नहीं पहुंची तो उस की मां चम्पा कोबहुत ही चिंता होनें लगी। मेरी बेटी कभी भी ऐसा नहीं करती थी। । कहीं वह अपने दोस्त संतु के घर तो नहीं चले गई। परंतु वह सन्तु कौन है? शायद वो किसी अमीर परिवार का बेटा होगा जो हमारी प्यारी प्यारी सी बेटी को फुसलाकर ले गया है। भगवान अब मैं क्या करूं? आज तक तो कभी ऐसा नहीं हुआ। मेरी बेटी तो हमेशा पढ़ाई करती थी। दो-तीन दिन से देख रही थी वह बहुत ही उदास थी। खाना भी ठीक ढंग से नहीं खा रही थी।
एक दिन जब मैंने पूछा तो बोली मां मुझे अपनी सहेली की मां बिल्कुल अच्छी नहीं लगती कि वह अपने दो बच्चों को प्यार करती है। एक को नहीं इसलिए कि वह एक काला है। उसकी मां बोली ऐसी बात नहीं है काला है तो क्या हुआ? काला और गोरा दो ही तो रंग होते हैं। वे दोनों उसके भाई हैं। अगर तुम्हारा भाई काला होता है या मेरा बेटा काला होता तो क्या मैं उसे बाहर फेंक देती। चीनूं बोली नहीं मां काला या गोरा से कुछ नहीं होता। मैं तो दोनों को एक समान प्यार करती। उसकी मां इस बात से डर गई होगी कि कहीं उसके भी ऐसा ही काला बच्चा पैदा ना हो जाए? इसलिए शायद डरती हो। चीनू की मां को याद आया चलो रास्ते में उसके सहपाठियों से पूछती हूं। रोहित उनके कक्षा में ही पढ़ता था। चीनूं की मां चम्पा रोहित की मां के पास जाकर बोली हमारी चीनूं घर नहीं लौटी है। तुम्हें पता है कि वह कहां गई है? रोहित बोला वह तो स्कूल से जल्दी ही निकल गई। वह कह रही थी कि मैं संतु को ढूंढने जा रही हूं। उसकी मां की तो मानो मुंह में जबान ही नहीं रही।
मेरी बेटी किसी लड़के के प्यार के चक्कर में पड़ गई है। अभी तो वह छठी कक्षा में ही पढती है। वह कह रही थी कि सन्तु m.a. पास है। यह मेरी बेटी ने क्या गुनाह गुनाह कर दिया? इतनी होशियार बेटी कैसे प्रेम के चक्कर में पड़ गई? कोई बात नहीं मीनूं के घर जाकर पता करती हूं। जल्दी-जल्दी पूछ पूछ कर मीनूं के घर की ओर कदम बढ़ा दिए। मीनूं के घर जाकर पता किया। मीनूं की मां अस्पताल में दाखिल हो गई थी। उसके घर में नन्ना सा चिराग आने वाला था।
मीनूं बोली आंटी संतु हमारे खरगोश का बच्चा था। दो छोटे छोटे खरगोश के बच्चे यहां है। मां उन को अपना बेटा कहती है। उसकी मां को पता चल चुका था कि संतु कोई इंसान नहीं बल्कि एक खरगोश का बच्चा है।
चीनू के माता-पिता पुलिस थाने के पुलिस इंस्पेक्टरके पास जा कर बोले हमारी बेटी गुम हो गई है। पुलिस इन्स्पेक्टर बोला कंही वह छोटी सी बच्ची तो नहीं। हां हां आपको कैसे पता चला? वह यहां पर एक छोटी सी बच्ची-रिपोर्ट लिखाने आई थी। उसने मुझे कहा मेरा संतु गायब हो गया है। पहले तो मैंने उस से कहा कि अपने माता पिता को बुला कर लाओ लेकिन जब उसने मुझे अपनी बेटी की कसम दी तो मैं मान गया लेकिन जब मैं बाहर आया तो वह वहां से जा चुकी थी। आप फिक्र मत करो हम आपकी बेटी को सही सलामत आप के घर पहुंचा देंगे।
चीनू भटकते भटकते थक चुकी थी। अचानक उसी वृक्ष के नीचे उसे नींद आ गई। पेड़ ने उस पर बहुत सारे अपने पत्ते गिरा दिए। सपनों में ही नदी के पास जाकर बोली नदी रानी रानी तुमने मेरे संतू को तो नहीं देखा। नदी बोली पहले मेरा पानी पियो तब तुम्हें हम संतु के बारे में बताएंगे। चीनू ने चुपचाप पानी पिया। नदी बोली हम तुम्हारे संतू को ढूंढ कर तुम्हें वापस कर देंगे। फिर वह आगे बढ़ गई। बाग में पंहूंची गई। वहां सुन्दर सुन्दर पक्षियों फूलों और उडते भंवरो के पास जा जाकर चीनू बोली तुमने भी मेरे संतू को तो नहीं देखा। बाग कहने लगा बेटी हमने तुम्हारे संतु को नहीं देखा परंतु हम तुम्हारी सहायता करेंगे। तुम हमें हर रोज कुछ ना कुछ देती हो। फूलों को कभी तोड़ती नहीं हो बल्कि अपनें साथ हर बच्चे को भी समझाती हो कि बिना वजह हमें फूल और पौधे नहीं तोडनें चाहिए। पेड़ ने सभी जानवरों को बताया कि यह बच्ची बहुत ही प्यारी है। इस की सहायता करना हमारा फर्ज है। जब काफी दिनों तक हमें खाने को नही मिला था तो उसके बच्ची नें हमारी मुसीबत के समय में सहायता की है। वह हमें हर रोज कुछ ना कुछ फेंक देती थी।
जंगल के सारे जानवरों ने उसके आसपास घेरा लगा दिया। नदी चीनू से बोली तुम कभी भी पानी में कूड़ा कर्कट नहीं डालती थी इसलिए हम तुम्हारी सहायता करेंगे। वह सपनों में सब देख रही थी। अचानक उस की नींद खुल गई रात को थक जाने के कारण उसे उसी वृक्ष के नीचे नींद आ गई थी। पेड़ नें सभी जानवरों को हिदायत दी थी कि इस लड़की को कुछ नहीं होना चाहिए। वह अब हमारी शरण में है।
सारे जंगली जानवरों ने उसके आसपास पहरा लगा दिया था। जब उसकी आंख खुली तो बहुत सारे जानवरों को देखकर बहुत खुश हुई सब के साथ वह बड़े बड़े प्यार से खेल रही थी अचानक उसे अपने संतु का ध्यान आया। मेरा संतू, मेरा संतु सिसकती बोली
पेड़ बोला तुम यहां के वन अधिकारी के पास जा कर कहना तुम यहां के बड़े अधिकारी हो। कहना कि पेड़ों को काटना नहीं चाहिए जो कोई भी पेड़ काटेगा उस पर सख्त कार्यवाही की जाएगी अगर पेड़ काटने भी पड़ जाए तो ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए। नदी बोली कि स्वास्थ्य अधिकारी और पानी के बड़े अधिकारी के पास जा कर कहना तुम्हारे इलाके के जितने भी यहां के लोग हैं बावड़ी में लोग गंदा कूड़ा करकट डालते हैं। वह सब साफ करना होगा। स्कूलों में भी बावड़ी को हर महीने जाकर साफ करवाना होगा। जो जलाशय में कूड़ा कर्कट डालेगा उस पर कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए। बाग बोला कि तुम्हें बाग अधिकारी के पास जाकर कहना होगा कि सभी लोग इधर-उधर रास्ते से जाते हुए और पार्क आदि में फूलों को तहस-नहस कर डालते हो। फूलों को तोड़ देते हैं। हम बेजुबान प्राणी मुंह से कुछ कह नहीं सकते। इंसान को तो भगवान ने सब कुछ दिया है। वह सुन भी सकता है। वह फिर भी हम प्रकृति की जीवों के साथ खिलवाड़ करता है। ऐसा नहीं होना चाहिए।
चीनूं बोली मैं सभी अधिकारी महोदय के पास जाकर आप की फरियाद करूंगी। सभी जानवरों ने कहा कि चलो इसके संतु को ढूंढने चलते हैं। चीनूं खुश होकर बोली आप सभी का धन्यवाद।
पुलिस इंस्पेक्टर उस घने जंगल में पहुंच चुका था। उसे पता था कि चीनूं इसी जंगल के रास्ते चीनूं स्कूल जाती है। उसके माता द्वारा मालूम कर लिया था। हो ना हो उसे किसी पेड़ के नीचे नींद आ गई होगी। वह उसे ढूंढ के ही रहेगा। वह भी तो मेरी बच्ची जैसी है। उसे तभी झाड़ियों में काले भूरे- रंग का खरगोश दिखाई दिया। पुलिस इस्पेक्टर का चेहरा खिल उठा जो तस्वीर चीनू नें उसे दी थी उसी फोटो से उसके संतु का चेहरा काफी मिलता था। वह सोचनें लगा कि अगर उसे चीनू नें संतू की तस्वीर नहीं दी गई होती तो मैं कभी भी उसके संतु को ढूंढ कर नहीं ला सकता था।
मैंने भी उसकी मां की तरह ही सोचा था कि अभी छोटी सी लड़की ना जाने इतनी छोटी सी लड़की लड़कों के चक्कर में कैसे फंस गई? पुलिस इंस्पेक्टर थोड़ी दूर गए वहां पर सारे के सारे जानवरों के बीच चीनू को बैठे पाया। चीनूं के साथ सारे के सारे जानवर प्यार से खेल रहे थे। शेर भी चुपचाप उसके पास बैठा था। पुलिस इन्स्पेक्टर की आंखें फटी की फटी रह गई। वह बोला बेटा हमने तुम्हें कहां-कहां नहीं ढूंढा यह लो तुम्हारा संन्तु। चीनू को तो जैसे सब कुछ मिल गया हो। सारे के सारे जानवरों उसे हैरत भरी नजरों से देख रहे थे। अब वह उनका काम नहीं करेगी।
चीनू पुलिस इंस्पेक्टर से बोली यह सब मेरे साथी हैं। इन सब ने मेरी सहायता की है। आप विश्वास नहीं करेंगे मैं जब रात को यहां इस वृक्ष के पेड़ के नीचे सो गई तो पेड़ों ने अपने सारे पत्ते मेरे ऊपर गिरा कर मेरे लिए बिस्तर बना दिया। उसने मुझसे फरियाद की की इंसान जाति को समझाएं कि पेड़ों को काटना नहीं चाहिए। इस तरह पेड़ कटते रहे तो पेड़ पौधे जंगली जीव जंतु और सभी वन्य प्राणी नष्ट हो जाएंगे और हमें शुद्ध हवा भी नहीं मिलेगी। सांस लेना दुभूर हो जाएगा। पानी में कूड़ा कर्कट नहीं डालना चाहिए। पानी को गंदा नहीं करना चाहिए। पानी की एक एक बूंद कीमती होती है। फूलों से लदे पेड़ों को भी तोड़ कर नष्ट नहीं करना चाहिए। जब आपके घर का कोई सदस्य बीमार होता है या मर जाता तो आपको दुःख होता है उसी प्रकार पेड़ पौधों में लगे हुए फूल पौधों का भी यही परिवार होता है। हमें उन्हें नहीं तोड़ना चाहिए। इस्पेक्टर साहब उस छोटी सी बच्ची के मुंह से ऐसी बातें सुनकर हैरान हो गए। ठीक है बेटा हम इस गांव में कड़ी हिदायत दे देंगे कि पेड़ों को कोई नहीं काटेगा। पानी को भी कोई गंदा नहीं करेगा। फूलों को भी कोई नष्ट-नहीं करेगा जो ऐसा करेगा उस पर सख्त कार्यवाही की जाएगी।
चीनू खुश होकर बोली अलविदा मेरे दोस्तों। अपनें संतू को लेकर अपने घर की ओर आ रही थी तो रास्ते में उसे मीनू मिल गई बोली मेरे भैया हुआ है। तुम क्या देखने अस्पताल नहीं चलोगी? पुलिस इन्सपैक्टर नें चीनू के माता पिता को फोन कर के बता दिया कि आपकी चीनू सही सलामत है। उसके माता पिता भी वहां पंहूंच चुके थे। अपनें माता-पिता के साथ नन्हे चिराग को देखने अस्पताल गई।
चीनू की नजर जैसे ही छोटे से बच्चे पर पड़ी वह तो बिल्कुल काले रंग का प्यारा सा बच्चा था। मीनू की मां उसे कलेजे से लगा कर प्यार कर रही थी। चीनू को सामने आते देखकर वह बोली तुम भी क्या नन्हे चिराग को देखने आई हो।
ज्योति आंटी यह भी तो काले रंग का है। आप इसको भी फैेंक दो। उसका इतना कहना था कि मीनू की मां ज्योति को ख्याल आया कि उसने भी तो खरगोश के एक बच्चे को बाहर कर दिया था इसलिए कि वह काले रंग से नफरत करती थी। उसे मन ही मन पछतावा हुआ। वह बोली बेटी तुम ठीक ही कहती हो मैंने तो उस बच्चे के साथ बहुत ही बेइंसाफी की। उसके साथियों के साथ उसे खेलने नहीं दिया इसलिए से बाहर कर दिया कि वह काला भूरे रंग का था। मुझे माफ कर दो बेटी मेरी आंखें खुल चुकी है। एक छोटी सी बच्ची ने मुझे सही मार्ग दिखाया है। जब मैंने अपने बच्चे को पाया तब मुझे एहसास हुआ कि मैं कितनी गलत थी बेटा मुझे माफ कर दो। मानव का असली गहना तो उसका सदाचार है। इन्सान चाहे तो छोटे बच्चों से भी बहुत कुछ सीख सकता है।।
चीनू बोली आंटी आपको अपने किए पर पछतावा है यही बहुत है। आपके संतु को लेकर वह यहां से सदा सदा के लिए जा रही है। अब यह मेरा दोस्त है। मेरी मां नें भी मुझे इसे अपने घर में रखने के लिए इजाजत दे दी है। वह खुशी खुशी अपनें माता-पिता के साथ घर वापिस आ गई।