किसी गांव में वैशाली नाम की एक औरत थी। उसके एक बेटा था वह कपड़े सिल सिल कर अपना तथा अपने बेटे का पेट पाल रही थी। उसके पिता नहीं थे ।उसका बेटा आठवीं कक्षा में पढ़ता था। किशन बहुत ही होशियार था उसके गुरुजन उस से बहुत प्यार करते थे वह जो कुछ अध्यापक सिखाते वह उसे ध्यान से सुनता था। एक दिन उनके स्कूल में मेडिकल चेकअप के लिए डॉक्टरों की टीम आई हुई थी, पहले उन्होनें बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां दी । उन्होंने बच्चों को बताया कि कई ऐसे व्यक्ति होतें हैं जो मृत्यु के करीब होतें हैं।हम ऐसे लोंगो कोअपने शरीर का कोई भी अंग दानकर हम किसी ऐसे इंसान को दान दे जो सचमुच ही उनके काबिल हो। तो अंग दान देकर वह अपना जीवन कृतार्थ कर सकता है।हम सब अगर अपने मन में धारणा बना ले कि हम सबको अपना अंग किसी ऐसे इंसान को दे देना चाहिए जो सचमुच में ही उसके काबिल हो। अंग दान देकर अपना जीवन कृतार्थ कर सकता है। जिस व्यक्ति को उनकी बहुत ही आवश्यकता हो ।तुम घरों में भी अपने अभिभावक गुणों को प्रेरित कर सकते हो ।सभी बच्चे डॉक्टरों की बातें ध्यान से सुन रहे थे। आधी छुट्टी तक सारे बच्चों का चेकअप हो गया था ।कुछ एक बच्चों को दूसरे दिन स्कूल में बुलाया था। जिन बच्चों की आंखों का चेकअप होना बाकि था। उन बच्चों के अभिभावको को अस्पताल में बुलाया था। अध्यापक ने सभी बच्चों को कहा कि जिन बच्चों को हमने अस्पताल ने बुलाया है वह बच्चे अपने अभिभावकों के साथ अस्पताल आ जाएंगे। किशन ने भी अपने माता को कहा कि डॉक्टर से मुझे आज टाइम मिला है ।उसकी मां बोली क्या बात है ?किशन बोला डॉक्टरों की टीम हमारे स्कूल में आई थी। उन्होंने कुछ बच्चों को अस्पताल मेंबुलाया है । किशन की मां किशन को लेकर अस्पताल पहुंच गई। डॉक्टरों ने किशन का चेकअप किया , और बोला क्या बात है बेटा तुम्हारा खून तो बन ही नहीं रहा है ।उन्होंने उसको कुछ दवाइयां लिख दी ।उसे दूसरेे दिन बुलाया। दूसरे दिन कृष्ण अपनी मां के साथ अस्पताल गया तो तो भी उसका खून नहीं बन रहा था। डॉक्टर ने अच्छे ढंग से जांच की उन्होंने कहा कि इस बच्चे को तो ल्यूकीमिया है। उन्होंने किशन की माता को अलग से बुलाकर कहा जो बात हम आपको बताने जा रहे हैं उसे ध्यान से सुनो ।आप तो यह बात सपने में भी नहीं सोच सकती ।आपने अपने बेटे को अस्पताल लाने में काफी देर कर दी। किशन की मां बोली मुझे ठीक ठीक बताओ क्या कह रहे हो ?वह बोले मां हम आप को अंधेरे में नहीं रखना चाहते। आपका बच्चा छ: महीने ही जी पाएगा। आप इसकी सभी इच्छाओं को पूरी कर दो अब कोई दवाई काम नहीं कर सकती ।जमीन पर खड़े खड़े उसकी मां को चक्कर आ गया । इतने में किशन आया बोला आपको क्या हुआ ?आप ठीक ढंग से खाना नहीं खाती ।क्या मेरा ही ध्यान रखती हैं?आप अगर अच्छे ढंग से खाना नहीं खाया करोगी तो मैं आपसे नाराज हो जाऊंगा ।मैं कभी आपके पास नहीं आऊंगा मैं सदा के लिए आप से रूठ जाऊंगा । किशन की मां ने उस के मुंह पर हाथ रख दिया। वह रोज भगवान के पास प्रार्थना कर कहती हे भगवान !मेरे बच्चे को यह क्या हो गया ?एक दिन किशन को बैठे बैठे बड़े जोर का चक्कर आया । डॉक्टर ने वैशाली को पहले ही सचेत कर दिया था अब आपके बेटे के पास केवल तीन महीने बाकी है ।वह सोचने लगी मैं अपने बच्चे की इन तीन महीनों में सारी ख्वाहिशें पूरा करूंगी। ठीक है ,मैं भी अपने बच्चे को तब तक देखती रहूंगी जब तक वह जिंदा है। जिस दिन मेरे बच्चे को कुछ हो जाएगा उस दिन मैं अपने बच्चे के पास सदा सदा के लिए चली जाऊंगी ।किशन की मां रात रात को बैठकर आंसू बहाती रहती ।वह सूख कर कांटा हो गई । वह अपने बेटे को बचाने की भरपूर कोशिश करती रही। वह सोचती कि मैं अपने बच्चे की तीन महीनों में सारी ख्वाहिशें पूरी कर दूंगी ।दूसरे दिन किशन की मां ने उसके सारे दोस्तों को अपने घर बुलाया और कहा तुम सब मेरे घर आमंत्रित हाे ।मैं अपने बच्चे को सारी खुशियां देना चाहती हूं । मेरी तनख्वाह बढ़ गई है इसलिए मैं उसे सारी खुशियां देना चाहती हूं ।सभी बच्चे किशन का जन्मदिन मना रहे थे किशन अपनी मां से बोलाकि मां मेरा जन्मदिन तो हमेशा पांच दिसंबर काे आ रहा है।आप मेरा जन्म दिन समय से पहले क्याें मना रहीं हैं?आपकी लॉटरी लग गई है क्या। हां हां मेरे वेतन में बढौत्तरी हो़ गई है ।दस दिन के बाद दिवाली है आज ही हम दिवाली मनाएंगे। किशन मन में ं कुछ सोचने लगा दाल में कुछ काला अवश्य है जो तीन महीने पहले ही मेरी मां दिवाली मना रही है। हर रोज मिठाई और ना जाने क्या-क्या खिलाती है। मेरी मां ने कोई गलत काम धन्धा तो नहीं कर दिया मां आप सच सच बताओ ।आप इतने सारे पैसे कहां से लाए ?एक दिन किशन की मां उसे अस्पताल लेकर गई ।वहां पर डॉक्टरों ने किशन को कहा कि तुम बेटा जरा बाहर जाओ। हम तुम्हारी मां से कुछ आवश्यक बात करना चाहते हैं। किशन बाहर चला गया । लेकिन चुपके से लौट आया ।डॉक्टर मेरी मां से चुपके से क्या बात करे हैं ?वह चुपचाप पर्दे के पीछे -छुप कर उनकी बातें सुनने लगा। डॉक्टर बोले तुम्हारे बेटे के पास अब केवल पन्द्रह दिन शेष है।
आप उसे अस्पताल में भर्ती करवा दो ।यहां पर वह ठीक रहेगा वह पन्द्रह दिन बाद भगवान के पास चला जाएगा। किशन ने सब सुन लिया । वह बाहर बैठकर सब सुन रहा था।उसको पता चल चुका था कि वह अब थोड़े ही दिन का मेहमान है। वह अपनी मां के पास गया और बोला मां क्यों चिंता करती है?ं आप मुस्कुराते हुए ही अच्छी लगती हैंं ।वह बोला मां में अस्पताल चलना चाहता हूं ।मुझे थोड़ी थकान महसूस हो रही है आजकल काम भी अच्छे ढंग से नहीं होता। स्कूल गए बगैर भी बहुत दिन हो गए हैं ।किशन की मां ने कहा ठीक है बेटा ,दूसरे दिन उसकी मां ने उसे अस्पताल में दाखिल करवा दिया। वह बोला मां आप सिलाई का काम जारी रखना ।वह बोली बेटा तुम यह क्यों कह रहे हो? वह बोला मां सिलाई में आप व्यस्त होती हो तब आप खुश रहती हैं । मुझे आपने पढ़ाना भी तो है इसलिए वादा करो आप कभी भी सिलाई करना नहीं छोड़ोगी ।वह बोली ठीक है जब तक मैं जिंदा रहूंगी तब तक सिलाई करूंगी। एक दिन अस्पताल में जब किशन की मां वैशाली अस्पताल में अपने बेटे के लिए पास की केमिस्ट सेें दवाइयां लेने गई किशन सोया हुआ था किशन सोया हुआ नहीं था वह जाग रहाथा जैसे ही उसकी मां दवाईयां लेने गई वह दौड़ा दौड़ा डॉक्टर के पास गया और बोला डॉक्टर अंकल मेरे पास कम समय है मुझे पता चल चुका है मैं मरने वाला हूं ।उस दिन मैंने पर्दे के पीछे से आपकी सारी बातें सुन ली जो कुछ कहना चाहता हूं वह सुनो। डॉक्टर बोला बेटा अभी मैं बहुत जरुरी काम कर रहा हूं जो तुमने कहना है वह इस फोन में रिकॉर्ड हो जाएगा। तुम कहते रहो मैं सुन लूंगा। वह बोला ठीक है मगर आप काम के बाद इसे अवश्य सुन लेना। वह बाेलाा डॉक्टर साहब मेरे मरने के बाद मेरे मरने के 24 घंटे पहले मेरी आंखें किसी भी व्यक्ति को या किसी एसे व्यक्ति जिसको आंखाें की बहुत ही आवश्यकता होगी उसको दान दे देना। हमारे स्कूल में हमारे अध्यापको ने हमें बताया था। मुझे जब पता चल ही गया है कि मैं मरने वाला हूं तब आप नेक काम को अवश्य करना ।मेरी आंखों से अगर कोई दृष्टिहीन व्यक्ति देख पाएगा तो मुझे इससे बड़ी खुशी होगी ।इसके लिए आप फॉर्म भर दो मैं हस्ताक्षर करने के लिए तैयार हूं । किशन की मम्मी दवाई लेकर आई तब किशन बोला मां आज मैं आपसे एक चीज मांगना चाहता हूं ।मैं समझूंगा कि आपने मेरे जन्मदिन का सबसे अमूल्य उपहार मुझे दे दिया है । मेरे सिर पर हाथ रखकर आप कसम खाओ आप मना नहीं करोगी । डॉक्टर बाहर से आ गए थे वह बाहर से आकर इतने छोटे बच्चे के विचारों को सुनकर हैरान रह गए ।वह बोले किशन आज मैं भी तुम्हारी हिम्मत और हौंसले को सलाम करता हूं । तुम जैसे नवयुवक इस तरह आगे आए तो कोई भी यह नहीं कह सकता कि हमारे देश के नागरिकों की सोच सकारात्मक नहीं है ।किशन की मां बोली जरा मैं भी तो सुनूं मेरे बेटे ने ऐसा क्या कहा है? वह बोला मां कसम खाओ ,आप मुझे यह कदम उठाने के लिए मना नहीं करोगी । क्योंकि मैंने उस दिन आपकी सारी बातें सुन ली थी।
मेरे पास अब जीवन के थोड़े से दिन शेष हैं ।आप मेरे मरने के बाद मेरी आंखें किसी अनाथ व्यक्ति को दे देंगे वह भी मेरी मौत के 24 घंटे पहले इस फार्म पर आप हस्ताक्षर कर दो। मेरी मां कमजोर नहीं हो सकती मेरी मौत के बाद अगर मेरी आंखों की ज्योति से कोई अंधा ईंसान देखने लग जाएगा तो मैं अपने आप को खुशनसीब समझूंगा ।यदि मेरी मौत के बाद भी मेरी आंखों से कोई व्यक्ति देखेगा उसे तो जीवनदान मिल जाएगा कमजोर मत पडना। आज एक बीमार बेटा आप से फरियाद कर रहा है आशा है आप मना नहीं करोगी। किशन की मां वैशाली ने उस फार्म पर हस्ताक्षर कर दिए। किशन अब मौत के करीब ही था । डॉक्टरों ने देखा एक एक छोटे से बच्चे को लेकर उसके परिवार के लोग लेकर आए थे। वह बच्चा अंधा था डॉक्टरों ने किशन की आंखें उस बच्चे को लगा दी ।किशन सदा सदा के लिए भगवान के पास जा चुका था। वैशाली फूट-फूट कर रो रही थी। डॉक्टर रस्तोगी ने बताया कि तुम्हारे बेटे की आंखों से इस बच्चे को आंखें मिल गई है ।वह उस बच्चे को अस्पताल देखने गई ।वह किशन की आंखों से संसार देख रहा था। उसकी आंखों की पट्टी खुल गई थी उस बच्चे ने कहा कि जिस बच्चे ने मुझे आंखें दी है है मैं उसकी मां को सबसे पहले देखूंगा ।डॉक्टरों ने किशन की मां को उसके सामने बिठा दिया । जब उसकी पट्टी खुली तो उसने अपने सामने एक महिला को देखा वह बोला। मां अपने आप को कभी अकेला मत समझो मैं वापस आ गया हूं ।आपके बेटे की आंखों से इस संसार को देखूंगा ।मैं दस साल से मैंं बिना आंखों के था मैं समझता हूं मेरे लिए दिन-रात दोनो बराबर थे।मैं सोचा करता था कि मैं कभी देख भी पाऊंगा या नहीं ।आज आप देवी बनकर आई है ।आपके बेटे ने मुझे नेत्रज्योति दी है ।मैं कभी भी आपको अकेला नहीं छोडूंगा ।आज से मैं ही आपका बेटा हूं वह बोली बेटा तुम्हारा क्या नाम है ?वह बोला मेरा नाम श्याम है । श्याम ठीक हो कर घर चला गया था वह एक जमीदार का बेटा था। उसके पास सब कुछ था धन-दौलत थी मगर उसके बेटेे के पास आंखें नहीं थी। घर आकर श्याम अपने पिता शंकर प्रसाद से बोला पिता जी किशन की मां ने अपने बेटे की आंखें दान में दी है ।मैं भी उनके लिए कुछ करना चाहता हूं ।मैं तो अभी छोटा हूं पर आज आप उन्हें कुछ रुपए दे दो ।श्याम प्रसाद ने अपने बेटे को नेत्रज्योति देने के लिए उसकी मां के नाम 30,00000 रुपए दे दिए ।वैशाली बोली 30,00000 रूपये मेरे किस काम के । यह रूपये पा कर भी मैं अपने बेटे को वापिस जिन्दा नंही कर सकती।शंकर प्रसाद ने हठ कर के 30,00000 रुपये वैशाली के खाते में डाल दिए। वैशाली मरना चाहती थी परंतु उसके बेटे के शब्द उसके कानों में गूंज रहे थे ।आप सिलाई करेंगे काफी दिनों तक तो अपने बेटे के वियाेग में कुछ नहीं कर सकी ।कुछ दिनों के बाद उसने 20,00000 रुपए से एक संस्था खाेली। वह भी अपने बेटे किशन के नाम से वहां पर उसने घर पर जाकर ऐसी औरतों की खोज की जिनके पति ने उन्हें छोड़ दिया था उसने एक एक कर पन्द्रह महिलाएं इकट्ठी कर ली थी उसने उन औरतों को मुफ्त सिलाई सिखाई। उसने कुछ रुपयों से दस-बारह मशीन खरीद ली जब वह उन औरतों को सिलाई सिखा रही थी तब उसने उन औरतों को कहा कि तुम वादा करो यहां स सिलाई सीखने के पश्चात एक या दो औरताें को मुफ्त सिलाई की शिक्षा अवश्य दोगी। वह सब बोली हम कसम खाते हैं कि हम सब सिलाई सीखने के बाद एक या एक से अधिक औरतों को सिलाई मुफ्त सिखाएंगे । उसके पास देखते ही देखते पचास के करीब औरतें सिलाई सीखनें आ गई थी। वह उसे फीस भी देने लगी थी ।उस ने फीस को बैंक में जमा करवा दिया अब उसके पास बैंक में ₹20000 इकट्ठे हो गए थे। वह अगले दिन अस्पताल में जाकर किसी ऐसे व्यक्ति को दान देना चाहती थी जिससे किसी बीमार व्यक्ति को बचाया जा सके ।उसने 20000 रूपये डॉक्टर को दे कर कहा कि जिस व्यक्ति के पास बीमारी के इलाज के लिए रुपए नहीं है आप काे उस व्यक्ति का इलाज़ मुफ्त में करना है ।जिसे ब्लड की सख्त जरूरत हो उसे ये रुपये दे देना। किशन की स्कूल में एक दोस्त थी मेताली वह उसे बहुत प्यार करती थी। वह हमेशा उसके साथ साथ स्कूल जाती थी ।उसको बहुत ही प्यार करती थी। वह कहती थी कि बड़ा होने पर मैं तुमसे शादी करूंगी। जब किशन मर गया तो वह अपने आप को बहुत अकेला महसूस करने लगी ।उसने शादी नहीं की वह सोचने लगी की जब मेरा किशन ही नहीं रहा मैं शादी करके क्या करूंगी ? मेताली डॉक्टर बन चुकी थी। मिताली के माता पिता विशाल के पास गए बोले हमने अपनी मेताली के लिए एक लड़का देखा है ।वह भी उसके अस्पताल में डॉक्टर है पर ,वह शादी करना नहीं चाहती। आपके घर में वह डॉक्टर हमेशा आता है आप ही मेताली को समझाए ।वैशाली एक दिन अस्पताल में मेताली के पास आई बोली बेटा हमारा किशन तो इस दुनिया में नहीं है पर डॉक्टर श्याम तो बड़े ही अच्छे हैं। तुम्हें पता है वह वही डॉक्टर श्याम है जिस को किे हमारे किश्न नेंअपनी आंखें दान दी थी। हमारा किश्न डॉक्टर श्याम की आंखों में अभी भी जिंदा है। तुम्हारा प्यार जीत गया बेटा तुम्हारा किश्न तुम्हें छोड़कर नहीं गया। वहआज भी डा० श्याम की आंखों में जिंदा है । तू उससे शादी करने के लिए हां कर दे। मेताली ने जब यह सुना उसकी आंखों से झरझर आंसू गिरने लगे ।वह बोली मां मैं शादी करने के लिए तैयार हूं। वह डॉक्टर श्याम से शादी करने के लिए मान गई। डॉक्टर श्याम से उसकी शादी हो गई किशन की मां ने अपनी संस्था मेताली और डॉक्टर श्याम के नाम कर दी । जिस से उन्होंने क्लीनिक खाेला। वह भी किश्न के नाम से जहां मरीजों का मुफ्त में इलाज किया जाता था। शादी के बाद दोनों आशीर्वाद लेने के लिए वैशाली के पास आये और बोले क्याआप अपनी बहू को आशीर्वाद नहीं दोगी ?आज से आप हमारे साथ रहेंगी ।श्याम मेताली को और मां कोे लेकर खुशी खुशी अपने घर ले आया।