अंकित और आशिमा के परिवार में उनकी नन्ही सी बेटी श्वेता और साहिल थे। दोनों ही बच्चे बड़े प्यारे थे। दोनों का बचपन बड़े ही आराम से गुजरा। धीरे-धीरे बचपन की दहलीज को पार करके उन्होंने जवानी में कदम रखा। एक दिन श्वेता अपने पापा की गाड़ी लेकर कॉलेज गई। उनकी गाड़ी एक सेठ के बेटे आदित्य से टकरा गई। वह जोर से आदित्य को ऊंची आवाज करके बोली तुम्हें मेरी गाड़ी की भरपाई करनी पड़ेगी। आदित्य ने अपनी जेब से ₹1000 का नोट निकाला और श्वेता को देखकर बोला अपनी गाड़ी ठीक करवा लेना। श्वेता ने नोट उसकी तरफ देखते हुए बड़े रोबिले अंदाज में कहा बड़े आए नोट की धौंस दिखानें वाले।
श्वेता सोच रही थी कि बड़ी मुश्किल से उसके पापा ने अपनी गाड़ी आज उसे चलाने के लिए दी थी और आज ही गाड़ी का थोड़ा सा नुकसान हो गया। श्वेता के पिता एक मध्यम वर्गीय परिवार से संबंध रखते थे। आदित्य के पिता और अंकित के पिता दोनों दोस्त थे। एक ही कार्यालय में काम करते थे। आदित्य के पिता के अंकित के पिता से अच्छे संबंध थे। उनके ऑफिस में उनके की देखरेख अंकित के पिता ही करते थे। वह अपने कार्यकर्ताओं में सबसे ज्यादा विश्वास अपने दोस्त अंकित पर ही करते थे। एक दिन अंकित अपनी पत्नी आशिमा के साथ उनके घर आए हुए थे। व्यापार की बढ़ोतरी में सबसे ज्यादा योगदान उनके दोस्त अंकित का था। उन्होंने अपने घर में एक दावत का आयोजन किया था। उसने अपने सभी रिश्तेदारों मित्रों को बुलाया था। अंकित और उसकी पत्नीआसिमा भी वहां पर पहुंच गए थे। जैसे ही पार्टी खत्म हुई उन्होंने कहा कि आज मैं इस खुशी के अवसर पर अपने बेटे आदित्य का रिश्ता अपनी दोस्त की बेटी श्वेता के साथ करना चाहता हूं। सभी परिवार के लोग बहुत ही खुश थे। अंकित बोले देखो दोस्त आज तुम्हारे समक्ष मैं अपने घर की स्थिति पहले ही उजागर कर देना चाहता हूं। मैंने अपनी बेटी को बड़े नाजों से पाला है। वह हर काम बड़ी चतुराई से करती है। वह मेरी शानों शौकत है। मेरा बेटा और बेटी दोनों ही मेरी शान हैं। उन दोनों को मैंने किसी चीज की कमी नहीं होने दी। मैंने अपने दोनों बच्चों को यही शिक्षा दी है कि बड़ों का सम्मान करो और अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाओ। चुप बैठे मत रहो। आप अगर अपने बेटे की शादी सचमुच ही मेरी बेटी श्वेता से करना चाहते हैं तो आपको मेरी बात का मान रखना होगा। नहीं तो आप आज इस रिश्ते से इंकार कर देना। हमें बुरा नहीं लगेगा।
हमने अपनी बेटी को अच्छी शिक्षा दी है जो कुछ हमसे बन पड़ेगा हम अपनी बेटी को शादी के वक्त दे देंगे। आप लोगों की फरमाइश नहीं होनी चाहिए। मैं दहेज के सख्त खिलाफ हूं। मैं अपनी बेटी के साथ कुछ भी दहेज नहीं दूंगा मैं अपने घर में जिस किसी की बेटी को ब्याह कर लाऊंगा उससे भी कुछ दहेज नहीं लूंगा। आपको मेरी इस बात का मान रखना होगा आपको अगर मंजूर है तो यह रिश्ता पक्का वर्ना फिर भी हम दोस्त ही रहेंगे। इन बातों से हमारी दोस्ती में कोई अंतर नहीं आएगा।
प्रकाश बोले कि मैं कुछ भी दहेज नहीं मांगूंगा जैसी तुम्हारी बेटी वैसे मेरी बेटी। रिश्ता पक्का हो गया था। अंकित और आशिमा दोनों खुश थे कि उनकी बेटी का रिश्ता पक्का हो गया था। घर आकर अंकित ने अपनी बेटी श्वेता को बुलाया श्वेता पी एच डी कर रही थी। वह डॉक्टर बनना चाहती थी उसके पापा बोले की बेटी हमने तुम्हारा रिश्ता तय कर दिया। अपने दोस्त के बेटे आदित्य के साथ। आज वे तुम्हें देखने आ रहे हैं। वह सोच रही थी कि मेरे पापा बिना मुझसे पूछे मेरा रिश्ता भी तय कर आए। वह लड़का अगर शराबी या मुझ से लड़ाई करने वाला हुआ। उसने मेरे पापा से दहेज मांग लिया तो क्या होगा? उसनें अपनें पापा से कहा पापा आपने मुझसे बिना पूछे रिश्ता पक्का कर दिया। उसके पापा बोले मेरे दोस्त का बेटा है वह उच्च-खानदान का है। तुम वहां बहुत खुश रहोगी। वहां पर नौकर-चाकर होंगे। गाड़ी होंगी, बंगला होगा। धन दौलत से क्या होता है? धन-दौलत तो इंसान कभी भी कमा सकता है। इंसान के पास अच्छी योग्यता हो।इंसान का सबसे पहला गुण तो उसकी अच्छाई होती है। वह सकारात्मक विचार वाला होगा तो ठीक है। पापा आपने पहले उन को परख लेना चाहिए था। उन्होंने अगर दहेज की मांग कर दी तो आप दहेज कहां से लाएंगे? मैं अपने पापा की छवि को धूमिल नहीं होने दूंगी। मैं तो उस इंसान के साथ भी शादी करने के लिए तैयार हूं जो मुझे हर तरह से खुश रखे मेरी जरूरतों का ध्यान रखें। मेरे परिवार वालों की इज्जत करे। वह चाहे किसी गरीब परिवार का ही हो। शादी में दोनों परिवार की मर्यादाओं का ध्यान रखना जरूरी होता है। ।
शादी इंसान जीवन में एक बार ही करता है पहली बार ही गलत चुनाव हो गया तो सारी जिंदगी पछताना पड़ेगा। उसके पापा बोले मेरी बेटी नें ना जाने इतनी बड़ी बड़ी बातें कहां से सीखी। मैं तो अभी तक तुझे बच्ची ही समझता था। हां अगर तूने अपने लिए कोई न कोई पहले से ही पसंद किया है तो तुम मुझसे साफ-साफ बता दे। मैं उसी लड़के से तुम्हारी शादी कर दूंगा जिससे तू चाहेगी। क्योंकि तुम अब बड़े हो गए हो? अपने भले बुरे का ज्ञान तुम में हम हमसे हम ज्यादा है। हम हंसते हंसते तुम्हारी शादी उस लड़के से कर देंगे जिस व्यक्ति के साथ तुम शादी करना चाहती हो।
श्वेता बोली कि आपकी बेटी अपने पापा के खिलाफ कभी नहीं जाएगी। आपने मेरे लिए जिसे चुना होगा तो ठीक ही होगा। उसके पापा अपनी बेटी की बात सुनकर खुश हो गए। धीरे-धीरे समय बीतता गया। वह दिन भी आ गया जिसका कि हर लड़की को इंतजार होता है शादी को केवल सात दिन रह गए थे। प्रकाश के दोस्त सक्सेना उनके घर आए हुए थे। वह अपने बेटे के लिए श्वेता को बहु बना कर लाना चाहते थे। उन्होंने एक चाल चली। उन्होंने प्रकाश को कहा कि श्वेता की चाल चलन ठीक नहीं है। वह तो लड़कों के साथ घुल मिलकर बातें करती है। वह भी शाम के समय। आपको यकीन ना हो तो आप सात बजे कोलाबा रेस्टोरेंट के पास मिलना। वहां अपनी आंखों से देख लेना। सक्सेना नें श्वेता की सहेली रूही को बुलाया और कहा कि अगर तुम इस बार अपनी फीस भरने के लिए रुपयों का इंतजाम करवाना चाहती हो तो मैं तुम्हें ₹10000 दूंगा। तुम अपनी सहेली श्वेता को फोन करके कहना कि सात बजे कोलाबा रेस्टोरेंट में शाम को आकर मैं तुमसे नोट्स लेना चाहती हूं। मैंने जो नोट्स बनाए हैं वह तुम्हें देना चाहती हूं। तुम उसे वहां पर बुला लेना । उस रेस्टोरेंट में तुम मत जाना। अपने भाई राजू को भेज देना कहना कि कृपया मेरी सहेली से नोट्स ले कर आ जाना।
शाम को सात बजे रूही ने अपनी दोस्त श्वेता को कोलाबा रेस्टोरेंट में बुलाया। श्वेता ने अपने पिता को कहा कि मैं कोलाबा रेस्टोरेंट जाना चाहती हूं। वहां से मैं अपनी दोस्त से नोट्स लेकर आना चाहती हूं। उसके पिता बोले बेटा इसमें पूछने की क्या बात है? जरूर जा। मुझे तुम पर पूरा विश्वास है। वह अपने दोस्त से मिलने चली गई।
काफी देर तक होटल में शाम साढे सात बजे के करीब राजु आ कर बोला शायद आप रुही को ढूंढ रही हैं। उसकी तबीयत अचानक खराब हो गई। राजू ने चाय का आर्डर दे दिया। उसने कहा कि दीदी ने यह नोट्स भेजें हैं। वह बोली तुम अपना घर का पता बता देते तो मैं वहीं आ जाती। राजू बोला कोई बात नहीं। इस बहाने चाय भी पी लेंगे। जब जाने लगे तो अचानक श्वेता का पैर फिसला नीचे गिरने ही वाली थी तभी राजू नें उसे ऊपर ऊठा लिया। सक्सेना के आदमियों ने उन दोनों की तस्वीरें खींच ली।
प्रकाश ने स्वयं उन दोनों को वहां पर होटल में चाय पीते देखा। उनको शक हो गया कि उसके दोस्त की बेटी का चरित्र अच्छा नहीं है। जब सक्सेना नें उन्हें तस्वीरें दिखाई तो वह हैरान हो गए। उन्होंने सोचा कि हम ऐसी लड़की को अपने घर की बहू नहीं बनाएंगे। वह अपने दोस्त के साथ भी खफा खफा रहने लगे।
सक्सेना ने कहा कि आप जरा भी क्रोधित ना हो। ठीक ही हुआ आपको शादी से पहले ही इस बात की जानकारी हो गई नहीं तो आपके बेटे का जीवन नष्ट हो जाता। आप शादी से इंकार मत कीजिए। आप जब बारात लेकर जाएंगे तब आप 10, 00000 रुपए दहेज मांगना वह 10, 00000 रुपए दहेज नहीं दे पाएंगे। आपका बेटा भी बच जाएगा। प्रकाश मान गए। शादी की तैयारियां चल रही थी। बरात भी पहुंच चुकी थी। सारी रस्में हो चुकी थी। केवल फेरे बाकी थे। सभी खुश नजर आ रहे थे।
अंकित ने अपने छोटे से घर को बहुत अच्छे ढंग से सजाया हुआ था। श्वेता भी खुश नजर आ रही थी। आज वह अपने घर को छोड़कर अपने बाबुल के आंगन को अलविदा कह कर पराई हो जाएगी।
अंकिता को जोर का शोर सुनाई दिया। उसे शादी के लिए तैयार किया जा चुका था। लाल जोड़े में बहुत ही सुंदर नजर आ रही थी। उसकी सहेलियाँ उसे तैयार करती हुई कह रही थी कि नजर का टीका लगा दो। बाहर दूल्हे के पिता ने मांग रख दी थी कि 10, 00000 रुपए दहेज में दो तभी हम बारात लेकर जाएंगे। उसके पापा को चक्कर ही आ गया किसी न किसी तरह उन्होनें अपने आप को संभाला। अंदर आकर आशिमा को बोले आज अचानक मेरे दोस्त ने 10, 00000 रुपए दहेज की मांग रख दी। मैंनें पहले ही अपनी स्थिति उनके सामने उजागर कर दी थी।। आज अचानक शादी के मौके पर मेरा जो अपमान होगा अब मैं क्या करूंगा? कैसे सब को मुंह दिखाऊंगा?
आज वह अपने आप को एक बहुत ही छोटा सा इंसान समझ रहे थे। श्वेता ने अपने पापा को चुप कराया बोली पापा चुप हो जाइए। मां पापा आपको कुछ कहने की जरूरत नहीं है। मैं जा कर देखती हूं। अंकिता अपनी बेटी को रोकते रहे। श्वेता बाहर आकर बोली मेरे पापा से दहेज में 10, 00000रुपये मांगने की कोई जरूरत नहीं है। मैं अभी इसी समय आप लोगों से रिश्ता तोड़ती हूं। जो दहेज की खातिर मुझसे झूठा रिश्ता करना चाहते थे। आपको पहले ही मेरे पापा ने सब कह दिया था। आज अचानक हमारी बेइज्जती करने की आपको क्या सूझी? आप मेरे पिता को क्या समझते हो? उन्हें कुछ नहीं होगा। उन्होंने मुझे और मेरे भाई को अच्छी शिक्षा दी है। मैं आज चुप नहीं रहूंगी। आप अपनी बारात खुशी से लेकर वापिस जाओ। हम आपको कुछ भी दहेज नहीं देंगे। मैं पढ़ी-लिखी लड़की हूं। यह मत सोचना मैं रो रो कर अपना नष्ट कर लूंगी। समझदार हूं अपने लिए कोई योग्य वर ढूंढ सकती हूं। ऐसे रिश्ते से तो कूंवारी रहना मुझे मंजूर है। अच्छा हुआ पहले ही जानकारी हासिल हो गई। नहीं तो सारी उम्र भर पछताना पड़ता। अभी तो कुछ भी नहीं बिगड़ा है।
मेरे माता-पिता भी रोने वालों में से नहीं है। हमें कोई फर्क नहीं पड़ेगा। श्वेता ने आदित्य को बुलाकर कहा कि तुम भी दहेज की मांग करते हो। वह बोला मैं अपने माता पिता के खिलाफ नहीं जा सकता। बरात वापिस जा चुकी थी? थोड़ी देर पहले जहां खुशियां ही खुशियां थी वहां चुप्पी छाई थी।
बारात में आए हुए लोग चुपचाप एक दूसरे को देख रहे थे। सुनीता ने घोषणा की कि कोई भी मेहमान खाना खाए बगैर यहां से नहीं जाएगा। आप आप सभी सोचो आपके घर में भी बेटियां होगी। हम दहेज के लालची लोगों के हाथों कब तक अपनी बेटियों को यूंही नष्ट करवाते रहेंगे? क्यों हमें उनकी कठपुतली बनकर उनके इशारों पर नाचना होगा? नहीं। आजकल की बेटियां बेटों से कम नहीं है। वह भी इज्जत में अपने लिए रोटी का जुगाड़ अच्छे ढंग से कर सकती हैं । हम सब नारी शक्ति दहेज लेने वालों के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठाएं तो कोई भी बहन अपने घर से बेघर नहीं होगी। इसके लिए हमें अपनी बेटियों को पढ़ाना बहुत ही जरूरी है। रिश्ता टूटता है तो इसका अफसोस नहीं मनाना चाहिए। रिश्ता तो फिर भी कहीं भी किसी से भी जुड़ सकता है।
हमें अपनी बेटियों को अच्छे संस्कार और अच्छे गुण उनमें विकसित करने हैं। सभी परिजन खाना खाने लग गए थे। वह उठकर श्वेता को शाबाशी देने लगे थे। कुछ एक लोग बीच में भीड़ में ऐसे भी होते हैं जो कहने लगे अब क्या होगा? यह सारी उम्र भर कुंवारी रहेगी। श्वेता भी चुप बैठने वालों में से नहीं थी वह बोली नकारात्मक सोच वाले लोगों के लिए मेरे घर में कोई जगह नहीं है। आप जा सकते हैं।
श्वेता ने अपने आप को जल्दी संभाल लिया। वह एक जगह कॉलेज में पढ़ाने का काम करने लग गई थी। कॉलेज के विद्यार्थियों को पढ़ाना। एक दिन उसकी मुलाकात साक्षी से हुई। वह बहुत ही उच्च खानदान की लड़की थी। वह भी प्रोफेसर शुक्ला से ट्यूशन पढ़ रही थी। वह प्रोफेसर श्वेता के कॉलेज में थे । उनकी पत्नी बीमार थी। अपनी पत्नी को देखने के लिए विदेश जा रहे थे।
प्रोफेसर शुक्ला ने श्वेता को कहा कि तुम्हें मेरी एक विद्यार्थी को ट्यूशन पढ़ानी है। वह भी एक लेक्चरार बनना चाहती है। मुझे पता है तुम बहुत होशियार लड़की हो। उस से तुम्हें मैं मिलाना चाहता हूं। डॉक्टर शुक्ला ने उसे साक्षी से मिलाया।
डॉक्टर शुक्ला ने साक्षी को कहा कि तुम श्वेता से अपनी ट्यूशन जारी रखना। यह केमिस्ट्री बहुत अच्छा पढ़ाती है। मैं छः महीनें की छुट्टी जा रहा हूं। तुम इनके पास अपनी ट्यूशन जारी रख सकती हो।
साक्षी श्वेता से ट्यूशन लेने लग गई थी। श्वेता जो कुछ भी पढाती उसे अच्छी तरह से समझ आ जाता था। वह उन्हें अपना गुरु और एक अच्छी दोस्त मानने लग गई थी। कॉलेज के बाहर ऐसा लगता मानों वे दोनों सहेलियां हों। उनमें उम्र में 5 साल का ही अंतर था।
एक दिन साक्षी ने श्वेता को कहा कि मेरी शादी तय हो चुकी है। आपको मेरी शादी में अवश्य आना है। आप मेरी गुरु हो। अच्छी दोस्त हो। मेरे मम्मी पापा ने मेरे लिए एक अच्छे परिवार में मेरा रिश्ता तय किया है। उसने शादी का कार्ड श्वेता को थमा दिया। शाम को अंगूठी की रस्म पार्टी थी।
उसने अपनी अध्यापिका श्वेता को भी सगाई में बुलाया था। जब आदित्य ने साक्षी को अंगूठी पहनाई तो वो आदित्य को देखकर हैरान हो गई? आदित्य की नजर उस पर नहीं पड़ी। श्वेता बीमारी का बहाना करके वहां से खिसक गई। शाम को आकर श्वेता ने अपने माता पिता और भाई साहिल को सारी कहानी सुनाई किस प्रकार पापा के प्रकाश अंकल आदित्य का रिश्ता मेरी शिष्या के साथ जोड़ना चाहते हैं।
दूसरे दिन शाम को साक्षी पूछते पूछते अचानक श्वेता के घर आ गई। वहां पर उनकी मुलाकात साहिल से हुई। वह साहिल को देख कर खुश हुई। शाहिल बोला कि श्वेता तो घर पर नहीं है। अचानक साक्षी बोली शाम को वह अचानक जल्दी ही पार्टी छोड़ कर निकल गई। मैं सगाई की मिठाई लेकर आई हूं।
साहिल बोला मैं आपसे कुछ भी छुपाना नहीं चाहता जहां पर आप की शादी हो रही है वहीं पर पहले मेरी बहन का रिश्ता आदित्य से होने जा रहा था। आदित्य के पिता और मेरे पिता दोनों एक ही कार्यालय में काम करते हैं। उन्होंने शादी के समय हमसे 10, 00000 रुपये की मांग रखी। पहले उन्होंने कहा कि हम कुछ भी दहेज में नहीं लेंगे। अचानक शादी वाले दिन उन्होंने 10, 00000 रुपए मांगे। मेरी बहन बड़ी खुद्दार है। वह बोली आपने मेरे पिता को गुमराह किया। जब हमने अपनी स्थिति पहले ही उजागर कर दी थी तब तो आपने कहा था कि हमें दहेज नहीं चाहिए। अचानक ऐसा क्या हुआ जो आपने शादी वाले दिन हमारे साथ हंगामा खड़ा किया।
साक्षी को उसकी बातें सुनकर बड़ा दुःख हुआ। वह सोचनें लगी कि वह भी तो ऐसे इंसान के साथ शादी करने जा रही थी जो दहेज के लालच में एक बार अपनी बारात वापस लौटा चुका है। मेरे पापा तो धनी है। श्वेता का इसमें क्या कसूर था? ठीक ही किया श्वेता ने। वह साहिल को बोली अच्छा हुआ तुमने मुझे आदित्य की सच्चाई बता दी। यह बात मेरे और तुम्हारे अलावा कोई ना जान पाए
साहिल बोला ठीक है। आदित्य की बरात सेठ रूप दास की कोठी में ठीक समय पर पहुंची। कोठी को इतनी भव्य तरह सजाया हुआ था। चारों ओर शादी का माहौल था। बारात आ गई थी। सब लोग बारातियों का स्वागत कर रहे थे। बारात का स्वागत करने के उपरांत फेरों का मुहूर्त निकाला जाना था। साक्षी ने दो पुलिस अधिकारियों को भी फोटोग्राफर बनाकर सारी सच्चाई अवगत करवाने के लिए वहां पर बुलाया था। फेरों के लिए वर-वधू दोनों पहुंच गए थे।
श्वेता भी साक्षी की शादी में आई थी। प्यारी सी साड़ी में लिपटी बहुत ही सुंदर लग रही थी। साक्षी ने जोर से कहा मैं शादी करने से पहले दूल्हे और उसके माता-पिता से कुछ सवाल पूछना चाहती हूं। पूछने की इजाजत है। दूल्हे के माता-पिता बोले पूछो बेटी। वह बोली पहले आप बताओ कि आपने पहले किसी को शादी का झूठा वादा दे कर तो नहीं छोड़ा। मैं आज भरी महफिल में पूछना चाहती हूं। आदित्य के माता-पिता बोले मेरे बेटे ने तो किसी के साथ भी रिश्ता नहीं रखा। वह बोली मां पापा आज आप मेरे सास-ससुर बनने जा रहे हो। क्या कभी भी आप ने किसी को भी नहीं ठुकराया? वह बोले नहीं।
साक्षी बोली कि आप अपनी बरात लेकर वापिस जा सकते हो। मैं आपसे शादी नहीं करूंगी। आप लोगों ने 10, 00000 रुपए का दहेज मांगने की इच्छा की थी। आपने मेरी सहेली की बरात मंडप से वापस लौटाई थी। साक्षी बोली कि मैं ऐसे झूठे लोगों के साथ में कभी भी रिश्ता नहीं करूंगी जो दहेज के लालची हो।
आदित्य के पापा बोले हमें यह सब सक्सेना जी ने कहा था कि वह अच्छी लड़की नहीं है। आपने मेरी सहेली के चाल-चलन में क्या बुराई देखी? प्रकाश बोले कि वह शाम को किसी से मिलने होटल गई थी और उसकी फोटो किसी लड़के के साथ थी। वह मुझे अच्छा नहीं लगा। आपने इस बात पर रिश्ता तोड़ दिया। आप असलियत तो पता करते। आपके बेटे ने भी तो श्वेता के साथ शादी करने के लिए इंकार कर दिया।
आजकल तो रिश्ता तोड़ने के लिए किसी भी लड़की का फोटो लेकर किसी भी लड़के के साथ जोड़कर झूठी मूठी कहानी गढ़ देते हैं। आपको जरा भी विश्वास होता तो आप उन दोनों को अच्छे ढंग से पूछ लेते। उस लड़की में तो कोई बुराई नहीं है। मैं भी आपसे शादी करने से इंकार करती हूं। आप अभी के अभी इसी वक्त बरात वापस लेकर जाओ।
साक्षी बोली कि मैं अपने लिए लड़का खुद ढूंढ लूंगी। उसकी नजर साहिल पर पड़ी और वह साहिल की तरफ देख कर बोली कि आज आपको मैं अपना साथी चुनती हूं। क्या आप शादी के लिए तैयार है? शाहिद बोला मैं एक गरीब परिवार का लड़का हूं। मैं आपको वह खुशियां तो नहीं दे सकता जो आप यहां प्राप्त करती थी लेकिन मैं एक अच्छा साथी साबित हो कर आप को हर खुशियाँ देनें की कोशिश करुंगा। दोनों की शादी उसी वक्त हो जाती है।
आदित्य अपना सा मुंह लेकर अपने माता-पिता के साथ लौटने लगता है तभी पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने लगती है। तुम को दहेज मांगने के जुर्म में एक साल की कैद कैद हो सकती है। श्वेता आकर पुलिस को कहती है कि आप इनको माफ कर दो। अब इस बात को बहुत समय हो चुका है। श्वेता की सहेली आदित्य को सारी सच्चाई बताती है उसे दस हजार रुपये दे कर अपनी सहेली के खिलाफ जानें के लिए कहा गया था। मैंने अपने भाई राजू को नोट्स देने भेजा था। उन दोंनो का कोई कसूर नहीं था। आदित्य श्वेता को कहता है कि मुझे माफ कर देना मैंनें बिना सोचे समझे तुम पर इतना बड़ा इल्जाम लगाया। मुझे माफ कर दो। मै तुम से शादी करनें के लिए तैयार हूं। वह बोली मैं उस इन्सान से शादी नहीं करना चाहती जो अपना फैसला खुद नहीं ले सकता। श्वेता नें पुलिस इंस्पेक्टर को कहा कि इन्हें माफ कर दो। वह अपना सा मूंह ले कर वहां से चले जातें हैं।