दुष्ट जादूगर

  1. यह कहानी बहुत वर्ष पुरानी है दो दोस्त थे सलिल और पुनीत। सलील के पिता आदिवासी थे उन दोनों में इतनी गहरी दोस्ती थी ऐसा लगता था कि उन दोनों का पुनर्जन्म का संबंध हो ।सलिल नटखट शरारतों से भरपूर और पुनीत एक दम शांत और गंभीर स्वभाव का था वक्त पड़ने पर एकदम दोनों एक दूसरे के लिए मर मिटने को आतुर रहते थे। उनके गांव में कोई हाई स्कूल नहीं था इसलिए उन दोनों को नदी पार करके स्कूल जाना पड़ता था ।बरसात का मौसम था उनकी अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं आने वाली थी दोनों ही पढ़ाई में मस्त े एक दिन उन दोनों को ना जाने क्या सूझा की छुट्टी वाले दिन नदी के पार चलकर पढ़ाई की जाए

दोनों ने घर में कहा कि आज हमारी एक्स्ट्रा क्लासेस लगेगी दोनों ही तैयार होकर घर से झूठ बोलकर स्कूल के लिए रवाना हो गए चलते-चलते रास्ता भटक गए उनके गांव में चारों तरफ से बियाबान जंगल था । उन्हें समझ ही नहीं रहा था कि घर कैसे पहुंचा जाए ।चलते चलते हुए जंगल में बहुत ही दूर आ गए उन्होंने सुना था कि उनके गांव में एक ऐसी गुफा है जिसमें से अंदर जाकर दूसरी तरफ से निकल कर अपने घर के रास्ते में पहुंचा जा सकता है ।वे गुफा की खोज कर रहे थे वह गुफा हमें मिल जाए और अपने घर पहुंचा जाए अचानक सलिल का पैर एक तीखी चीज से टकराया। वह एक बहुत ही नुकीला पत्थर था उन दोनों की हिम्मत जवाब दे चुकी थी। उन्हें प्यासऔर भूख बड़े जोरों की लग रही थी ।शाम होने को थी उन्हें अपने घर का रास्ता ही नहीं मिल रहा था। सलिल के पैर से खून निकल आया था वह एक जादू का पत्थर था पुनीत ने वह पत्त्थर अपने जेब में रख लिया कोई अगर उन्हें मारने आए तो उसे चुभा कर उससे बच सकें। अंधेरा होने को था दोनों का डर के मारे बुरा हाल था दोनों सोच रहे थे कि हम पता नहीं कहां फंस गए वे दोनों डरपोक नहीं थे ।उन्होंने फिर भी हिम्मत नहीं हारी सोचने लगे अब क्या किया जाए वह चलते-चलते बहुत दूर निकल आए दोनों ने देखा सामने ही एक पुराना खंडहर था ।उसमें वह जाकर रात बिता देना चाहते थे ।वह वहां पहुंच गए रात को उन दोनों को डर लगने लगा वे दोनों सोचने लगे कि हमारे मम्मी पापा हमारे लिए परेशान हो रहे होंगे अब क्या किया जाए। सामने ही एक बड़ा घर था दोनों उस घर में घुस गए अंदर जाकर देखा वह बिल्कुल खाली था। एकदम अंदर घुस केदेखा े वहां कोई नहीं था जैसे ही आधी रात हुई| खमडहर  सेें जोर जोर से आवाज आने लगी हमें बचाओ उन्होंने देखा आवाज कहां से आ रही है उन्हें कुछ भी पता नहीं चला की आवाज कहां से आ रही है वह एक के बाद एक कमरे में गए वहां पर बहुत सारे कमरे थे एक कमरे में एक पलंग बिछा था उस पर एक तकियाथा। तकिए के नीचे एक चाबी थी वंहा एक खंडहर था उस खंडहर का मालिक एक राक्षस था वह हर एक मासूमों को मारकर खा जाता था उसने वह चाबी तकिये केे नीचे इसलिए छुपा कर रखी थी जैसे ही कोई उस चाबी को हाथ लगाएगा उसे मालूम हो जाएगा कि उसके जादुई खंडहर में कोई आ गया है इसलिए वह मौके की तलाश में रहता था कि कब कोई शिकार आए और उसे मारकर अपनी भूख मिटा सके जब भी कोई भूला भटका वहां आता था तकिये केे नीचे चाबी को देख कर उसे छूता था तब उस राक्षस को मालूम हो जाता था पुनीत ने जैसे ही तकिया उठाया उसके नीचे से उसे चाबी दिखाई दी उस दैत्य को पता चल गया कि उसके घर में कोई आ गया है उसने जोर जोरसे हुंकार भरी  आदम बू दोनों दोस्त डर के मारे एक कोने में छिप गए े।  उनको  छिपते देख कर उस  दैत्य ने अपने आप से कहा  कोई बात नहीं अंधेरे में उस राक्षस    को दिखाई नहीं देता था मैंे सुबह के समय इन बच्चों को खाऊंगा वह सोचने लगा े कि इस दैत्य से कैसे छुटकारा मिले अचानक पुनीत को उस पत्थर का ख्याल आया उसने उसे निकालने के लिए हाथ बढ़ाया उसके कमीज के बटन की रगड़ाहट से एक  जिन्न प्रगट हुआ उसने कहा क्या हुक्म है अपने सामने एक जिन्न को खड़ा देख कर बहुत ही डर गए वह जिन्न कहने लगा कि मेरे बच्चों बताओ मैं तुम्हारे लिए क्या कर सकता हूं उसने कहा मैं इस इलाके का जिन्न हूं अब मुझे बताओ क्या करना है वह बोले कृपया हमें हमारे घर पहुंचा दो जिन्न ने कहा मैं तुम्हें तुम्हारे घर तो पहुंचा नहीं सकता मगर जहां तुम्हारे पैरों में ठोकर लगी थी उसी रास्ते तक पहुंचा सकता हूं उन्होंने कहा कि ठीक है जल्दी करो वरना हम दोनों को  वह दानव मार डालेगा उस जिन्न नेअपनी जादू की शक्ति से उन्हें उसी रास्ते पर पहुंचा दिया डर के मारे अचानक एक पेड़ पर चढ़ गए रात को जंगली जानवरों के डर से पेड़ पर चढ़ गए। उस पर एक मैना अपने बच्चों से कह रही थी दो मासूम बच्चे जाने कहां फंस गए यहां पर एक खंडहर में एक राक्षस रहता है वह ना जाने कितने मासूम बच्चों को उस ने मार डाला है इन दोनों बच्चों को अब कौन बचाएगा राक्षस इन बच्चों को जरूर खा जाएगा ।इस जंगल से निकलना बच्चों का खेल नहीं है सलिल को पक्षियों की भाषा आती थी क्योंकि उसके पिता आदिवासी थे ।वह पक्षियों की बोली जानते थे मैंना कहने लगी कि वह अभी एक किलोमीटर चले ता उन्हें े एक घर दिखाई देगा उस घर में अगर वह चले गए तो वे दोनों बच्चे बच सकते हैं। सलिल ने जब यह सुना तो उसने अपने दोस्त पुनीत को सारी बात कही दोनों दोस्त  पेड पर से नीचे उतरे और आहिस्ता आहिस्ता रास्ता पार करने लगे डरते डरते उस घर में पहुंच ही गए उस घर के अंदर चले गए अंदर जाने पर उन्हें एक बुढ़िया मिली ।बुढ़िया ने उन्हें उन्हें खाना खिलाया अचानक उसकी आंखें भर आ गई। वह कहने लगी मुझे पता है कि तुम उस दानव के चुंगल से बचकर आ गए हो ।उस देत्य के चंगुल से बचना मुश्किल है ।बुढ़िया ने उन्हें खाना खिलाया अचानक उस बूढिया की आंखें भर आई। वह कहने लगी उस दैत्य को जादुई शक्तियां प्राप्त है ।उसने मेरी मुंह बोली बेटी को कैद किया हुआ है ।मैंने उसे बचपन से पाल पोस कर बड़ा किया ।उसके माता-पिता चन्दरगढ  के राजा-रानी थे।उनके पास जादू की तलवार थी। दुष्ट जादूगर को कहीं से उस जादू  की तलवार के बारे में पता लग गया था उसे यह भी पता लग गया था कि यह जादू की तलवार  है। वह तलवार राजा रानी की इकलौती बेटी के पास है। उसकी धाय मां को यह पता चल गया था कि वह दैत्य राजकुमारी से जादू की तलवार प्राप्त करने के लिए आएगा।  उसने राजकुमारी के पलंग पर अपनी बेटी को सुला दिया और दूसरे कमरे में अपनी बेटी को उस राक्षस ने जब राजकुमारी को सोया देखा तो उन्होंने उसे  राजकुनारी समझकर मार दिया और जादुई तलवार को लेकर चंपत हो गया। जब सुबह राजकुमारी उठीऔर अपनी सहेली को देखने गई तो उसे सारा माजरा समझ में आया ।धाय़ मां  ने उससे कहा बेटी मेरी कुर्बानी जाया नहीं गई। उसके माता पिता ने उसे एक जादू का शीशा दिया था । कहा था कि यह तुम्हारी हमेशा मदद करेगा। उस बुढ़िया ने उन दोनों को कहा कि तुम दोनों बच्चे बहादुर तो हो तुम मेरी बिटिया को उस राक्षस के चुंगल से छुड़ा सकते हो ।उस बुढ़िया ने उन्हें एक अंगूठी दी और कहा जब भी तुम पर कोई मुसीबत आए तो तुम इस को तीन बार रगडना मुझे पता चल जाएगा कि तुम मुझे याद कर रहे हो ।तुम जल्दी से यहां से चल चले जाओ वरना उस राक्षस से तुम्हारा भी बचना संभव नहीं है ।वह दोनों जाने को ही थे कि उन्हें उस नुकीले पत्थर का ध्यान आया ।उन दोनों दोस्तों ने उस जिन्न को बुलाया कुछ जिन्न ने कहा  मैं तुम्महारी क्या मदद कर सकता हूं।बच्चों इस इलाके से बाहर मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता ।  पत्थर से जंहा तुम्हें ठोकर लगी थी उसी रास्ते तक पहुंचा सकता हूं उन्होंने कहा ठीक है। जल्दी करो वरना वह राक्षस हम दोनों को मार डालेगा उस जी ने अपनी जादुई शक्ति से उन्हें उसी रास्ते पर पहुंचा दिया ।वह डर के मारे अचानक एक पेड़ पर चढ़ गए। रात को जंगली जानवरों के डर से पेड़ पर चढ़ गए ।उस पेड़ पर एक मैनाअपने बच्चों से कह रही थी दो मासूम बच्चे जाने कहां फंस गए ।पुराने खंडहर में एक राक्षस रहता है उस राक्षस ने ना जाने कितने मासूम बच्चों को मार डाला है इन दोनों बच्चों को उस राक्षस से कौन बचाएगा। राक्षस सुबह इन बच्चों को जरूर खा जाएगा। इस जंगल से निकलना बच्चों का खेल नहीं है सलिल को पक्षियों की भाषा आती थी ।उसके पिता आदिवासी थे वे पक्षियों की बोली जानते थे मैना कहने लगी कि वह अभी 1 किलोमीटर चले तो उन्हें एक घर दिखाई देगा ।उस घर में चले जाए तो वह दोनों बच्चे बच सकते है।ं सलिल ने जब यह सुना तो उसने अपने दोस्त पुनीत को सारी बात कही ।दोनों उस पेड़ से नीचे उतरे और आहिस्ता आहिस्ता रास्ता पार करने लगे। उस बुढिया ने उन्हें बताया जब  तकतुम जादुई शंख ,जादू की तलवार, जादू की माला और जादू का बक्सा जब तक नहीं लाओगे तब तक वह राक्षस मरने वाला नहीं है ।दोनों ने जिन्न सेे कहा कि हमें एक उड़ने वाला घोड़ा दे दीजिए जिन्न ने उन्हें एक उड़ने वाला घोड़ा दे दिया ।घोड़ा पाकर वे दोनों बहुत ही खुश हुए उन दोनों ने ठान लिया था कि अब वह उस राक्षस को मार कर ही दम लेंगे जब तक उन्हें यह चारों वस्तुएं नहीं मिल जाती तब तक चैन से नहीं बैठेंगे मन में दृढ़ संकल्प लिए वहां से निकल पड़े ।आधी रात में ही घोड़े पर सवार होकर वे वहां से निकल गए चलते चलते उन्हें सुबह हो चुकी थी ।वह एक गांव में पहुंचे  वहां पर जोर जोर से एक आदमी आवाज लगा रहा था कि जो कोई मेरा खेत जोत देगा उसे 100 अशर्फिया दूंगा ।उन दोनों ने सोचा क्यों ना आज के दिन इस आदमी का खेती जो त दें उन्हेें १०० अशर्फियां  मिल जाएगी ।उन्हें धन की बहुत आवश्यकता थी इसलिए उन दोनों ने आवाज लगाई। हम बहुत दूर से आए हैं हम दोनों तुम्हारा खेत जोत देंगे ।उस आदमी ने कहा तुम शक्ल से ताे शरीफ   घराने के लगते हो तो चलो अभी से अपना काम करना शुरू कर दो ।पहले कुछ खा पी लो उन दोनों ने  पेट भर  कर खाना खाया ।उस आदमी ने उन्हें अपना खेत दिखा दिया।  दोनों अपने अपने काम में लग गए ।शाम होने को आई थी वे खेत जोतते काफी थक चुके थे ।वे सोचने लगे अब थोड़ा सुस्ता लिया जाए उनकी नजर उस खेत में दबेे  एक कुत्ते के बच्चे पर पड़ी । उन्हाेंने उसे बाहर निकाला उन्होंने उस कुत्ते के बच्चे को पानी पिलाया वह बच्चा बच चुका था। उन्होंने सारा खेत जोत दिया था खेत जोत कर खेत के मालिक के पास आए। खेत का मालिक  े उनकी मेहनत देख कर  उस खेत के मालिक ने उन्हे १०० अशर्फियां दे दी।वह खुशी खुशी वहां से आगे निकल पड़े जहां भी जाते कुत्ते का बच्चा भी उन दोनों के साथ चल पड़ता। वह भी उनका उनका दोस्त बन चुका था ।चलते चलते उन्हें काफी दिन हो चुके थे सात समुद्र पार जाने के लिए वे जादुई शंख जादू की तलवार ,जादू की माला और जादू का बक्सा प्राप्त करना चाहते थे ।वे चलते ही जा रहे थे 7 किलोमीटर की दूरी पर उन्हें एक बहुत ही सुंदर बगीचा दिखाई दिया ।पुनीत ने बाग में फलों को देख कर खुश होते हुए अपने दोस्त से कहा इस बाग की सुंदरता को निहारते हुए कहा इस बाग  की महक हमारे मन को लुभा रही है इस  बगीचे के फल भी इतने ही स्वादिष्ट होंगे जैसे ही उसने उन फलाेंको हाथ लगाया दोनों दोस्त खाने ही वाले थे कि कुत्ता जोर-जोर से भाैंकने लगा ।उनको  भीैंकते देख कर दोनों ने सोचा  वे किसी मायावी नगरी में पहुंच गए है।ं उन्होंने उन फलाें को नहीं खाया । वह थकान मिटाने के लिए वही विश्राम करने लगे तो उन्हें पता ही नहीं चला कि कब वह निद्रा देवी की गोद में थे ।़जब जागे तो उन्होंने अपने आप को एक हवेली में पाया ।उस हवेली की संचालिका एक दुष्ट जादूगरनी थी ।वह दुष्ट जादूगरनी उस राक्षस की बहन थी ।वह हर पूर्णमासी को एक आदमी को मारकर खा जाती थी ।एक एक आदमी को पकड़कर कैद कर लेती थी और उन्हें मारकर अपनी पिपासा को शांत करती थी ।जादूगरनी कहने लगी की बच्चाे तुम कहां से आए हो ।उन्होंने उस जादूगरनी को अपनी कहानी सुना दी कि हम अपने घर का रास्ता भूल गए हैं अपने घर जाना चाहते हैंं उसने कहा कि वह उन्हें सुरक्षित तुम्हारे घर पहुंचा देगी ।रात को सोने के लिए उन्हें एक साफ-सुथरा कमरा दे दिया। उन्होंने देखा सुबह के समय उस जादूगरनी को सीढ़ियां उतरते देखा जब वह जादूगरनी नजरों से ओझल हो गई तो कुत्ता जोर जोर से भाैंकने लगा उन दोनों ने सोचा जरूर दाल में कुछ काला है जब वह जादूगरनी किसी काम से बाहर गई तो उन दोनों ने साेचा चल कर देखे तो इस घर में क्या है ।इस हवेली का मुआयना किया जाए ।सीढ़ियां उतरनें लगे सबसे नीचे वाले कोने में एक छोटी सी काेठरी के सामने अंधेरा था वहां  परकुत्ता जोर जोर से भाैंकने लगा । पुनीत ने कहा कि मैं देखता हूं यहां क्या है जब उन्होंने खिड़की में से देखा तो वहां एक आदमी सोया पड़ा था और कुत्ता जोर-जोर से  रोने लगा उनकी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए तब उन्होंने बुढिया द्वारा दी गई अंगूठी को तीन बार रगडा । बुढ़िया ने कहा तुमने मुझे  क्याें ेंयाद किया। सलिल ने कहा कि हम ना जाने किस मायावी नगरी में पहुंच गए है।ं बुढ़िया ने कहा कि तुम सही दिशा में जा रहे हो मेरे बच्चे यह तुम्हारा पहला पडा़व है यहां की संचालिका एक दुष्ट जादूगरनी है जिसने मेरी बेटी को कैद कियाा है ।मेरी बेटी को भी इस जादुई शंख के बारे में पता है इसलिए वह उसको नहीं मारती परंतु उसका रहस्य मालूम करना चाहती है लग्न और मेहनत से काम करोगे तो तुम्हें तुम्हारी मंजिल अवश्य मिलेगी। तुम दोनों उसके दिए हुए भोजन को मत खाना तुम्हें भी वह मार देगी । शाम को जादूगरनी ने खाना दिया जा कर उन दाेनाें ने खाने को फेंक दिया और सोने का नाटक करने लगे।आधी रात हुई तब बुढ़िया जादूगरनी उठी अपने कमरे में गई जैसे बुढ़िया अपने कमरे में गई उन्होंने देखा खिड़की में से झांक कर देखा बुढ़िया ने अपने कमरे में एक घड़ा रखा था उसने उसने एक बोतल में  से जल लिया और अपने पलंग के नीचे एक बक्से में से एक छडी निकालकर और दरवाजे को खोल कर े  जाने लगी जैसे ही वह बुढ़िया सीढ़ियां  उतरने लगी चुप चाप छिप के उसके पीछे हो लिये। वहां जाकर उन दोनों ने देखा बुढ़िया ने हवेली की सबसे नीचे की मंजिल में जाकर उस काेठरी काद्वार खोला े।े जल्दी से बूढ़ी जादूगरनी के कमरे में गए वहां एक लोटा लिया और उस घड़े में से एक जल का गिलास लिया और पलंग के नीचे से उसके बॉक्स में  से उस छड़ी को निकाला जल्दी-जल्दी सीढ़ियां उतरने लगे। उन्होंने उस नुकीले पत्थर सेे उस कोठरी के द्वार को खोला और अंदर घुस के वहां जाकर उन्होंने देखा एक बहुत ही सुंदर राजकुमारी  बेहोशी की अवस्था में थी ।पुनीत ने उस पर जल की बूंदें खिड़की और छड़ी को उसके बालों पर घुमाया वह देखकर दंग रह गई कि वह उठकर बैठ  गई।उन दोनों युवकों  को आश्चर्य से देखने लगी। उन दोनों ने कहा कि डरो मत हम तुम्हें छुड़ाने  आए हैं।तुम्हारी मां ने हमें यहां भेजा है ।उस राजकुमारी ने कहा कि जल्दी करो नहीं तो वह दुष्ट जादूगरनी हमें मार कर ही दम लेगीं ।उन्होंने उस राजकुमारी को वहां से छुड़वाया उस राजकुमारी ने कहा कि मेरी तरह एक आदमी को भी उस दूसरे तहखाने में बंद कर के रखा है जल्दी से उसे भी निकालो। कल पूर्णमासी के दिन उसे भी वह दुष्ट जादूगरनी खा जाएगी जैसे इन्होंने दूसरे तक आने के द्वार खुला तो वहां एक आदमी को मृत्यु शैया पर पड़े हुए देखा कुत्ता उसके पास जाकर उसके पैरों    के पास लेाटने लगा । सलिल ने पानी की दाे तीन बूंदें उस आदमी पर छिड़की और छड़ी उस पर घूमाई। मै परी भानुमति को ढूंढते-ढूंढते यहां आ पहुंचा वह तो मुझे नहीं मिली परंतु मैं यहां फंस गया ।वह आदमी उठ खड़ा हुआ वह अपने कुत्ते टॉमी को देख कर बहुत खुश हुआ अपने मालिक को जीवित देखकर कुत्ता बहुत खुश हुआ उस आदमी ने कहा कि पता नहीं चलते चलते यहां उस बाग में पहुंच गया अचानक रास्ता भटक जाने से और चट्टानों पर किस करने से मेरा टाॉमी ताे मुझसे बिछड़ गया मगर उस दुष्ट जादूगरनी ने मुझे यहां बंदी बना लिया। आज अगर तुम दोनों ना होते तो मैं यहां से कभी वापस अपने घर नहीं जा सकता था उसने उन दोनों दोस्तों का शुक्रिया अदा किया और जल्दी-जल्दी अपने कुत्ते टॉमी के साथ वहां से चला गया ।राजकुमारी ने उन दोनों को कहा कि जल्दी हमें यहां से निकलना चाहिए नहीं तो वह दुष्ट जादूगरनी आकर हमें मार देगी। उस राजकुमारी ने कहा कि तुम दोनों जैसे ही दुष्ट जादूगरनी यहां पर आएगी तुम दोनों उसे बंद कर देना जैसे ही वह दुष्ट  जादुगरनी अपने कमरे में चारपाई पर जाकर  अपने पंलंग पर लेट गई उन दोनों ने उसको अंदर से बंद कर दिया और ताला लगा दिया ।अभी तीनों घोड़े पर सवार हो कर चल दिए। राजकुमारी ने कहा कि जिस ने तुम्हें कैद किया था उस दानों की बहन है ।वह जल्दी ही बुढ़िया की बेटी कहने की कि मेरे मां बाप चंद्र गढ़ के राजा रानी थे जिस बुढ़िया मां ने मुझे पाला में प्यार से उन्हें धाय मां बुलाती हूं। उनकी भी एक बेटी थी उस दुष्ट दानव ने चुपके से धोखे से मेरे मां-बाप को मार डाला एक दिन वह ढूंढते मुझे भी मारने आया। उस धाय मां ने मुझे बचा डाला धाय मां ने मेरी जगह अपनी बेटी को सुला दिया ।धोखे में उस ने धाय मां की बेटी को मार डाला वह धाय मां मुझे लेकर चुपके से उस शहर से दूर आ गई ।वहां उन्होंने मुझे पाल पोस कर बड़ा किया उस दुष्ट जादूगरनी को मेरे जीवित होने का पता चल गया और वह ढूंढते-ढूंढते मुझे भी मारने आ गया मेरी मां ने मरते वक्त मुझे जादुई तलवार के बारे में बताया था। वहां पर पहुंचना कोई आसान बात नहीं है ।इसलिए उस जादूगरनी ने मुझे यहां पर कैद कर लिया था ।राजकुमारी बोली ठहरो उसने अपनी जेब से एक शीशा निकाला उसने मंत्र पढ़ा और सीसे से पूछा हमें आगे का रास्ता बताओ। ।उसके सामने अचानक एक सीधा रास्ता बन गया ।उसने उन दोनों दोस्तों से कहा जहां से यहां यह रास्ता खत्म होगा वहां जो भी मकान हमें मिलेगा हम वही विश्राम करेंगे चलते चलते हुए तीनों थक गए थे उन्होंने अपने घोड़े को दौड़ाया अचानक उन्होंने देखा कि रास्ता समाप्त हो चुका था उन्हें वहां पर एक हवेली नजर आई। वहां पर तीन मकान थे तीनों मकान इतने सुंदर थे कि तीनों उस मकान की सुंदरता को देखकर   क्योंकि इतना सुंदर घर उन्होंने अपनी जिंदगी में जिंदगी में कभी नहीं देखा था। बहार फूलों का एक सुंदर बगीचा था ।वह मीठे मीठे फल लगे हुए थ।े राजकुमारी ने बताया कि हम तो खुशनसीब है हम 3 हैं तीनों अलग-अलग घर में रहेंगे सुबह हम तीनो एक ही जगह पर मिलेंगे हम तीनो में से कोई भी अगर मुसीबत में होगा तो हम इस घर के बाहर हरे रंग से प्लस का निशान बना देंगे ।उस राजकुमारी ने कहा कि यह घर तीन परियों का है तीनों परियां तीनों सभी बहने हैं मुझे मां ने इस इनके बारे में थोड़ा थोड़ा बताया था तीनो एक दूसरे को अलविदा कहते हैं ।पहले सलीम ने पहले घर में प्रवेश किया जैसे उसने दरवाजे पर दस्तक दी अंदर से एक आवाज आई  ठहराे। हम बाहर से आने वाले अजनबी  पर विशवास नहीं करते तुम्हें हमारे इम्तहान से गुजरना होगा ।तुम अपनी बहादुरी की मिसाल  देना चाहते हो तो तुम्हें हमारे सैनिकों के साथ लड़ना होगा। सलिल ने अचानक उसके साथ लड़ाई करके अपनी वीरता की मिसाल दी तब परी ने उससे कहा तुम काे अंदर आने की ईजाजत है ।परी ने उससे पूछा आप क्या लेना पसंद करेंगे शरबत या फल ।उसने कहा मुझे अभी कुछ नहीं चाहिए मैं  विश्राम करना चाहता हूं ।मैं थक गया हूं परी ने कहा जैसी तुम्हारी मर्जी उसने उसे रहने के लिए एक सुंदर कमरा दे दिया उसने देखा कि एक नौकर ने आकर उसे खाना लगा दिया है ।उसने देखा कि एक चूहा आकर उस खाने को खाने लगा वह वही मर गया। वह सोचने लगा कि यह कोई जादुई परी नहीं वह जादूगरनी के जाल में फंस गया है ।परी आई उसने देखा खाना समाप्त हो गया था खाने को चुपके से उसने बाहर फेंक दिया। था वह वहां से चली ेगई। रात  के समय परी नेे सोचा कि अब वह मर चुका होगा ।मेरे विष का असर उस पर हाे हो गया होगा ।उस परी ने पिंजरे में से एक तोते को निकाला और उससे पूछा मेरे मियां मिट्ठू मेरे मियां मिट्ठू मुझे जल्दी बताओ जादुई तलवार के रहस्य के बारे में अचानक उसने कहा मेरी प्यारी परी जिस मनुष्य को तुमने  जहर देकर मारना चाहा उसने तुम्हारे खाने को नहीं खाया वह बहुत बहादुर है ।उसके साथ दोस्ती कर लो वह तुम्हारी जरुर मदद करेगा, तभी तुम अपने मनपसंद राजकुमार से मिलोगी। यह सब सलिल देख रहा था वह चुपके से अंदर आया और चुपचाप सोने का नाटक करने लगा जब आधी रात हुई तो वह परी जोर जोर से रोने लगी ।उसे रोता देखकर सलिल बाहर आया और बोला  तुम क्यों रो रही हो ।वह बोली शायद लगता है तुम मेरा काम कर सकते हो ।हम तीनों बहनों को एक विषधर सांप रूपी दैत्य ने अपने वश में कर रखा है ।जब हम उस के चुंगल से छूटेंगे तभी हम अपने घर सही सलामत पहुंच जाएगी। हम तीनों परियों काे भी   जादू  आता था। उस विष रूपी दैत्य ने,हमें अपने वश में कर लिया है। इसलिए हम बिल्कुल असमर्थ हैं तुम जब जादुई तलवार को  प्राप्त कर लोगे तो उस विषधर रूपी दैत्य को मारकर जादुई तलवार से वह दैत्य तो  मर जाएगा और जब वह मर जाएगा तब हम भी आजाद हो जाएंगी। सलील बोला मैं तुम पर यकीन नहीं करता तुमने मुझे अभी मारने की कोशिश की थी मैं मर ही गया होता अगर मैंने वह खाना खा लिया होता तो परी ने उस से माफी मांगी मेरे तोते ने मुझे सब कुछ बता दिया ह। सलिल ने कहा पहले मेरे दोस्त पुनीत और राजकुमारी को भी यहां बुला लो तब हम तीनों मिलकर इस समस्या का हल ढूंढ़ते हैं। पहली परी उसको दूसरी परी के पास ले गई। परी ने अपनी बहनों को सारी बातें कहीं ।  हमारा जादू अब उसके सामने नाकाम है । जब दूसरी परी ने उसे भानुमति कह कर पुकारा तब पुनीत चाैंका वह युवक ही तो उस भानुमति को ढूंढते-ढूंढते यहां आया हो ।दोनों दोस्त और बुढ़िया की बेटी उसके साथ चलने लगे ।एक बड़े से  वृक्ष के पास जाकर वहां पर बोली वह रात को इस वृक्ष  के नीचे अपना वेश धारण करता है ।सुबह के वक्त तो वह सोया होगा हमने तुम्हें यह जगह बता दी ।तीनों वापिस आ गए ।वे तीनो बहुत थक चुके  तीनाे, रात को आराम से सो गए ।तीनों चुपके से रात के समय आए और उस वृक्ष की ओट के पीछे से छुपकर सारा माजरा देखने लगे । आधी रात के समय वह विषधर नाग रुपी दैत्यके रूप में बदल गया ।उसने परी को आवाज दी आदमबू आदमबू कहते हुए दैत्य ने हुंकार भरी और परियों को बुलाया। पुनीत ने देखा उसके गले में मोतियों की माला चमक रही थी उसने उन मोतियों की माला में से एक मन का निकाला और कहा जंतर मंतर छली छलंतर 3 बार  यह मंत्र  बाेला।वंहाएक गुफा बन गई और उसने फिर उस मनके को अपनी माला में डाल दिया। उसने अपने सिर का एक बाल तोड़ा और फिर वही मंत्र धराया तंत्र मंत्र छली छलंतरअचानक उन्होंने देखा अंदर जाने के लिए एक रास्ता बन गया । जब वही मंत्र उन्होंने तीसरी बार दोहराया तो वह  गुफा गायब हाे गई।वह दानव े भी दिखाई नहीं दिया ।तीनों दोस्त देखते ही रह गए। उस देत्य से मुकाबला करना इतना आसान नहीं तीनों ने उसी मंत्र को दानव को बोलते हुए सुना था परियों द्वारा उन तीनों को पता चला कि वह दारू पी कर दिन को सोता रहता है ।दिन को वह किसी को कुछ नहीं करता दिन को उसके जादू का किसी पर असर नहीं होता ।उन तीनो ने मिलकर अंदर जाने का निश्चय कर लिया। पुनीत सलीम और राजकुमारी  तीनाें अन्दर जाने वाले थे ।उन्होंने अपने दिमाग पर जोर देकर वही मंत्र याद किया ।उन्होंने कहा तंत्र मंत्र छली छलंतर  कहा कुछ नहीं हुआ तब उन्होंने 3 बार वही तंत्र मंत्र तीनाें ने कहा उन्होंने देखा एक विषधर नाग रुपी दैत्य आराम से वहां खर्राटे ले रहा था ।ऐसे तो वह सांप दिखाई देता था उन्होंने देखा कि उसके गले में मोतियों की माला है वह सोचने लगे कि इसके गले से कैसे माला ली जाए ।उन्होंने उस जादूगरनी से लिए हुए जल की बूंदें उस  दैत्य पर फेंकी सांप रुपी दैत्य अचेतन अवस्था में गया था। उन्होंने चुपके से उसके गले से माला निकाली उस माला को उसनेअपने  गले में चारों ओर  से लपेटा हुआ था ।सलिल ने वह मोतियों की माला उसके गले से ले ली ।उसनेवह मोतियों की माला में से एक मनका लियाऔर फिर कहा तंत्र मंत्र छली छलंतर वही मंन्तर  दाेहराया।चुपके से उस दै्त्य का एक बाल तोड लिया जैसे हीउन्होंने उस के बाल को हाथ लगाया उस  दैत्यको होश आ गया उसको होश में आता देखकर जैसे ही वह दैत्य रुप में प्रवेश होने लगा तीनों दोस्तों की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई।  बुढिया की लड़की को याद आया कि जादुई शीसेसे पूछा  अब क्या किया जाए ।उसने जल्दी से पूछा। दैत्य होश में आ रहा है कृपया कर उससे बचने का उपाय बताओ ।शीशे से आवाज आई अच्छा हुआ तुम ने एक बाल खैंचा है।तुम वही मंतर  दाेहराओ तुम्हें अपने आप रास्ता मिल जाएगा नहीं तो वह दानव तुम्हें मार देगा। जल्दी से उन्होंने वही मंत्र बोला वह गुफा गायब हो गई। वह मोतियों की माला उनके हाथ लग गई थी ।वह तीनों परियों के पास आए और बोले हमें जादू की माला प्राप्त हो गई है। हमने अभी उस राक्षस को नहीं मारा है तीनों परियों ने कहा पहले तुम्हें जादू की छड़ी को प्राप्त करना होगा और जादू की तलवार से उस राक्षस को मारना होगा वह जादू की तलवार यहां से 5 किलोमीटर दूर एक खंडहर है ।वहां पर सीधी हलाल नाम का एक डाकू रहता है ।वह बहुत खूंखार है उसके विष सांप रुपी देत्य का   उस सिद्धीहलाल नामक डाकू पर  असर हो गया है। वह डाकू जो कोई भी आता है वह सीधी हलाल नाम का डाकू उस बक्से की रखवाली करता है। उस बॉक्स में वह जादू  की तलवार रखी हुई है। जादू  की तलवार को प्राप्त करने के लिए तुम्हें एक विशाल समुद्र को पार करना होगा । तुम जब इस विशाल समुद्र को पार कर लोगे तो इस समुदर् में अनेक प्रकार के विषैले कीड़े मकोड़े हैं ।इनका विष इतना खतरनाक है कि व्यक्ति वहां तक पहले पहुंच ही नहीं सकता अगर पहुंच भी गया तो वहां से जिंदा बचकर नहीं आता ।तीनों अपने घोड़े पर बैठे और चलने लगे।े चलते चलते वे बहुत ही थक चुके थे अचानक उन्होंने अपने सामने एक सुंदर बाग देखा ।वहां पर सुंदर फूल लगे थे। वहां कोई नहीं था। वह अंदर जैसे ही जाने लगे उन्होंने देखा एक किनारे पर एक छोटी सी कुटिया थी। वहां पर एक साधु बाबा तपस्या कर रहे थे ।वह साधु बाबा पता नहीं कितने दिन से तपस्या कर रहे थे ।उन्होंने उनकी  बहुत सेवा की परंतु वह साधु बाबा कुछ नहीं बोले। उन्होंने उनको हिलाया  डुलाया। पुनीत ने देखा वह साधु बाबा की सांसें तो चल रही थी उन्होंने उनकी खूब सेवा की वे सोचने लगे कि हम इन्हें कैसे हो उसमें लाएं उन्होंने उन साधु बाबा पर दो तीन बूंदे उस जल की  उंडेल दी।बाबा ओम नमो करते हुए उठ गए उन्होंने आश्चर्य से उन बच्चों की तरफ देखा और कहा मेरे प्यारे बच्चों, ना जाने मुझे किसी दैत्य ने क्या सुंघाया था की मेरे कुछ भी बोलने की शक्ति मुझसे छीन गई थी। मैं  एका साल से ऐसे ही यहां प़डा हूं तुमने मुझे फिर से जीवनदान दिया है अब मेरे प्यारे बच्चों मांगो तुम क्या मांगना चाहते हो ।पुनीत बोला बाबा हमें कुछ नहीं चाहिए ।हम तो अपने मक्सद में कामयाब होना चाहते है,ं कृपया हमें अपना आशीर्वाद दे दीजिए। बाबा बाेले तथा अस्तु बाबा बाेले तुम्हारा मकसद क्या है ।तब पुनीत बोला कि मैं जादुई तलवार प्राप्त करना चाहता हूं जिससे मैं दानव को मार कर उस राजकुमारी को उसके राजकुमार से मिलाना चाहता हूं परियों को उनके देश वापस भेजना चाहता हूं और खुशी-खुशी अपने घर वापिस जाना चाहता हूं ।मुझे इसके अलावा कुछ नहीं चाहिए बाबा बोले बच्चों जिस इंसान में धैर्य, साहस, लग्न और सच्ची निष्ठा होती है कामयाबी उसे जरुर हासिल होती है ।तुम्हारा ईरादा नेक है तुम दोनों में वह सभी खुबिया हैं तुम अपने मार्ग में आने वाली कठिनाइयों से मुकाबला करते हुए तो तुम्हें एक दिन विजय जरूर हासिल होगी ।साधु महात्मा ने कहा तुम अपनी मंजिल के आखिरी पड़ाव पर हो । तुम जैसे ही आगे बढ़ोगे तुम्हें वहां पर जोर जोर से रोने की आवाजें सुनाई देगी बचाओ-बचाओ तुम दोनों आगे ही बढ़ते रहना। तुमने पीछे मुड़कर जरा भी देखा तो तुम दोनों पत्थर के बन जाओगे तुम इस राजकुमारी को यहीं पर छोड़ दो ।वापस आने पर यहां से तुम इन्हें उनके घर सही सलामत पहुंचा देना वह राजकुमारी अब यहीं पर रहेगी ।दोनों ने राजकुमारी को अलविदा कहा और जाते जाते उनकी आंखों में खुशी के आंसू थे राजकुमारी ने उन दोनों को जादू का शीशा दे दिया। वह धीरे धीरे अपने यात्रा की ओर बढ़ने लगे अचानक पुनीत ने माला को अपनी गर्दन में डाल दिया ।पुनीत गायब हो गया सलीम कहने लगा परंतु उसका दोस्त कुछ भी बोल नहीं रहा था सही सोच लगा वह पत्थर बन गया है वह पीछे मुड़कर देखना नहीं चाहता था वह सोचने लगा कि मैं अगर पीछे मुड़कर देख लूंगा तो मैं भी पत्थर का बन जाऊंगा ।उसका दोस्त उसका दोस्त ही नहीं भाई के जैसा था वह उसे अपनी जान से भी ज्यादा प्यारा था।  उसकी भी हिम्मत अब जवाब दे चुकी थी ।उसने देखा आगे सिढियां ही सिढीयां थी वह उनको चढने लगा चुप-चाप वहीं पर बैठ गया । वह अपने दाेस्त काे ढूंडने लगा।उसकी आंखें रो रोकर सूज गई थी। अचानक उसे शीशे का ध्यान आया उसने सीसे् से कहा मुझे सही राह दिखाओ ।जादू  के सीसे ने कहा तुम्हारा दोस्त मरा नहीं है जीवित है तुम सीढ़ियों की तरफ सीसा लगाओ। शीशे में से उसने देखा उसका दोस्त  वंहा बेहाेश पडा हुआ था।,तुम उसके गले से माला निकालो ,पर पीछे मुड़कर मत देखना। उसने बांए हाथ से उसके गले से माला निकाली सलिल ने पीछे से घुमाकर माला निकाली। उसका दोस्त उठ खड़ा हुआ दोनो दोस्त गले मिले ।वहअब आगे चलने लगे सीढ़ियां चढ़ते चढ़ते उन्हें एक पुल को पार करना था ।पुल को पार करते करते हुए नीचे उतरने लगे वहां पर पहुंचते ही एक सुंदर बाग दिखा दिया। बाग में फूल लगे थे उन्हें भूख भी बड़े जोरों की लग रही थी उन्होंने खूब भरपेट कर खाना खाया खाते ही उन्हें अपने शरीर में अधिक उर्जा का आभास हुआ ।वह आगे चल रहे थे उन्होंने एक तोता और मैना को बातें करते सुना मैना कह रही थी कि इस विशाल समुद्र में एक विशाल मगरमच्छ रहता है उसके पेट में वह जादुई शंख है जिसको प्राप्त करने पर व्यक्ति के पास बहुत धन-दौलत आ जाती है ।उस जादुई शंख से बीमार व्यक्ति ठीक हो जाता है। यह दोनों बच्चे अपनी मंजिल के बहुत करीब है यहां पर सामने ही सीधी हलाल नाम का डाकू पहरा दे रहा है डाकू को मार कर अंदर प्रवेश कर ले तो उन्हें रहस्यमई तलवार को प्राप्त करने में आसानी हो जाएगी ।अंदर सात दरवाजे हैं तो दोनों में से एक द्वार में चाभियां पड़ी है और उस रहस्यमइ तलवार को जिस कमरे में रखा गया है इन साताें द्वाराें

ं में से किसी एक  दरवाजे में चाबी है। रहस्यमई तलवार को जिस कमरे में रखा गया था  साताें दरवाजाेंं में से एक द्वार में चाबी थी ।वह रहस्यमई बॉक्स के अंदर वह तलवार रखी गई थी दोनों सोचने लगे कि सातों ं में किस में चाबी होगी उन्होंने नुकीले पत्थर को रगड़ा और जिन्न से पूछा कि किस दरवाजे में चाबी है जिन्न ने कहा जिस द्वार में लाल निशान लगा है उस द्वार में चाबी है।ं उन्होंने जल्दी से जाकर वहां से चाबी ले ली और सारे द्वार खाेले मगर उन्हें कहीं बॉक्स नजर नहीं आया ।उन्हें सातवें द्वार पर बिस्तर के नीचे जादू का बॉक्स मिल गया जिसमें जादुई तलवार पड़ी थी ।पुनीत ने जल्दी से तलवार निकाली और जल्दी से उस विशाल समुद्र की ओर गया जहां पर एक बड़ा अजगर था उसके पेट में एक विशाल जादू का शंख था वह अजगर नहीं था वास्तव में वह एक दानव था जो दिन  में अजगर बन जाता था और रात को एक खूंखार  दानव े का रूप धारण कर लेता था उसके पेट में जादुई शंख था जादू के शंख को कोई प्राप्त कर ले तो बीमार व्यक्ति भी ठीक हो जाता था जिस शंख को प्राप्त कर व्यक्ति बहुत धनवान हो जाता है ।यहां पर सीधी हलाल नाम का डाकू पहरा दे रहा था वह डाकू अजगर  रूपी दानव का पहरेदार था अगर सिद्धि हिलाल डाकू को मार कर अंदर प्रवेश कर ले तो इस रहस्यमई तलवार को प्राप्त करने में हमें सफलता मिल जाएगी सलिल और पुनीत जैसेही आगे बढ़ेउन्होंने विशाल समुद्र को पार कर लिया। लाल नाम का डाकू अजगर के रूप में था क्योंकि दिन के समय वह दानव का रूप धारण नहीं कर सकता था उन्होंने चुपचाप सीसे को जेब से निकाला और पुनीत ने माला पहन पहन ली जिससे वह दोनों अदृश्य हो गएे सीसे मेंे से सामने वाला कोई भी व्यक्ति देख नहीं सकता था। चुपचाप वे दोनों उस अजगर के पास पहुंच गए उन्होंने अजगर पर उसने  नुकिले पत्थर से वार किया उसकी आंखों में नुकीले पत्थर को चुभा दिया। जैस हीे उन्होंने वह पत्थर रगड़ा एक जिन्न प्रगट  हुआ र सलिल और पुनीत को कहा कि यह अजगर ऐसे नहीं मरेगा तो इसके पेट में पत्थर  चुभा कर उसे बेहोश कर दो ।वहां उन्होंने उस अजगर को पत्थरों पर पटक कर मार दिया और जादुई शंख प्राप्त कर लिया जपुनीत ने भानुमति को उस राजकुमार से मिला दिया क्योंकि वह वही राजकुमार था जिसने कि अपने कुत्ते को पहचान लिया था भानुमति अपने राजकुमार को पाकर बहुत ही खुश हुई परी का जादू वापिस आ गया था उसने उन दोनों दोस्तों को बुढिया की बेटी तक पहुंचा दिया धाय मां भी अपनी बेटी को पाकर बहुत खुश हुई ।परियों ने उन्हें उनके घर वापस भेज दिया ।सलिलऔर पुनीत अपने घर में पहुंच कर बहुत खुश हुए। उनके माता-पिता अपने बच्चों को देखकर बहुत ही खुश हुए ं

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