दो दूनी चार

बहुत समय पहले की बात है कि नूरपुर के एक छोटे से कस्बे में एक ठग रहता था। वह हर घर में ठगी करके अपना तथा अपने परिवार वालों का पेट भरता था। वह एक 2 साल से अधिक किसी भी जगह पर नहीं रहता था। वह ठगी करके अपनी आजीविका चलाता था। जब उसे लगता था कि यहां रहना खतरे से खाली नहीं है तब वह बहुत सारा धन लोगों से लेकर कर दूसरी जगह चले जाता था। वह गांव वालों को कहता था कि तुम बैंक में अपना रुपए मत डालो। मैं तुम्हें इन रुपयों को दुगना कर दूंगा। अगर किसी ने ₹500 दिए तो वह उस व्यक्ति को 3 महीनों में हजार रुपये देता था। इस तरह उसके ऐसा कर  के जिंदगी के दिन बड़े मजे से कट रहे थे,। वह जगह जगह पर जाकर ठगी करता। एक दिन उसको अपनी तरह का एक ठग मिल गया वह बोला मैं तुमसे एक शर्त लगाता हूं तुम धामपूर नामक कस्बे में जाओ। अगर तुम वहां के लोगों को बेवकूफ बना दोगे  तो मैं समझूंगा तुम सचमुच में ही शातिर खिलाड़ी  हो।

 

जगदीप दूसरे कस्बे में चला गया वहां पर  भी उसनें लोगों को कहा कि मैं तुम्हारे रुपयों को डबल कर दूंगा। पहले तो लोग उसकी बातों में नहीं आए। लोगों ने सोचा सचमुच में ही देखते हैं वह लोंगों को रुपये डबल करके देता है या यूंही लोंगों का बेवकूफी बना रहा है। एक आदमी को उस ठग के घर पर भेजा। वह ₹500 लेकर आया मैंने सुना है कि आप रुपयों को डबल करते हैं। मैं आपके पास  500रुपये दे कर जा रहा हूं। 3 महीने बाद मैं आप से  इन के डबल रुपये ले लूंगा। लोगों ने शिब्बू को कहा कि एक महीना हो चुका है। तुम सेठ जी के पास जाकर ₹500 के ₹1000 ले आओ।

 

वह व्यापारी  के पास जाकर बोला मुझे मेरे रूपए दे दो। मैंने पिछले महीने रुपये डबल करने के लिए दिए थे। व्यापारी नें कहा ठीक है ले लो। उसने गल्ले में से निकालकर शिब्बू को हजार रुपये दे दिए। वह खुश होकर जब घर को वापिस आया बोला बाबूजी भगवान आपका भला करें। वह खुशी-खुशी घर आ गया। उसको कस्बे वाले लोगों ने पूछा तुम्हे सेठ नें रुपये डबल कर के दे दिए। वह बोला हां। लोग खुश हो गए।वे आपस में बोले सच में यह तो बहुत खुशी की बात है हम अपने बैंक में रुपए क्यों रखेंगे? वहां तो ना जाने क्या क्या कार्यवाही करनी पड़ती है। अपने रुपए इन सेठ जी के पास ही जमा करवाया करेंगे। लोगों को नकली सेठ बनकर  उस गांव वाले लोगों का  सेठ नें विश्वास जीत लिया। लोग उसके पास  रुपए जमा करवाने आने लगे। इस तरह 6 महीने व्यतीत हो गए।

 

एक दिन एक आदमी उसकी दुकान पर गया बोला सेठजी मैंने आपके पास हजार रुप्ए दुगना करने के लिए दिए थे। मुझे पैसों की सख्त जरूरत है। मुझे दे दो। सेठ बोला हजार रुपये मैं तुम्हें अभी नहीं दे सकता। कल आना। दूसरे दिन जब वह अपने रुपए मांगने गया तो वह सेठ बोला देख भाई इस बार मेरा भी व्यापार मंदा चल रहा है। अगले हफ्ते लेकर जाना। वह उसको हर रोज टालता  रहा। लोग घबराने लगे। उन सब ने ना जाने इस सेठ के पास अपने कितने ही रुपए इकट्ठे कर दिए थे। कुछ लोग तो उसके पास लालच करके इसलिए रुपए जमा करवाने गए क्योंकि रु 500, 000 के हमें रु100,000 मिल जाएंगे। यह तो सचमुच में ही हमारे रुपए डबल करके देगा। वह लालच में आकर  उसके पास रुपए डबल करने के लिए जाने लगे। कुछ दिन तो उसने उनके रुपए डबल करके दिए। जब उसने उनका विश्वास जीत लिया तो वह उन्हें टालने लगा।

 

गांव के सभी लोगों ने एक जगह मिलने का वादा कर लिया। उनको पता चल गया था कि वह लोगों को मूर्ख बना रहा था। वह अपना व्यापार उनके रुपयों से आगे बढ़ा हरा था। लोगों को उसकी करतूत पर बड़ा गुस्सा आया।

 

एक बहुत ही होशियार आदमी ने उन लोगों को राय दी कि तुम इस तरह से करना। उस ने समझा-बुझाकर एक आदमी को सेठ के पास भेज दिया। वह आदमी जब सेठ जी से रुपए मांगने आया तो दुकान पर जाकर बोला सेठजी मेरे घर पर जरुर आना। मेरे बेटे का जन्मदिन है। आपको मेरा निमंत्रण है।सेठ सोचने लगा कि ठीक है। इसके घर पर जरूर जाना चाहिए। बेचारा घर पर आ कर अपनें बेटे के जन्म दिन का निमंन्त्रण  देने स्वयं चल कर मेरे घर आया है। वह उसके घर पर चला गया। जैसे ही वह सेठ उस आदमी के घर बताये पते पर पहुंचा दरवाजे पर दस्तक दी। उसको अंदर से रोने की आवाज आई। उसने अंदर जाकर देखा वह आदमी सेठ से बोला। सेठजी मैंने अपने बेटे के जन्मदिन के लिए रुपए इस मटके में रखे थे। ना जाने कब जैसे चोर उठा कर ले गये। हम अपने बेटे का जन्मदिन कैसे मनाएं। । मेरी पत्नी  तो  रो रो कर बेहोश हो गई है। वह मुझसे कह रही है कि साल में एक बार तो बेटे का जन्मदिन मनाते हैं वह भी हम मना नहीं सकते। कुछ रुपये आपके पास जमा किए थे। कुछ रुपये चोर चुरा कर ले गया। अब हम क्या करें? सेठजी उन को रोता हुआ देखकर बोले रो मत तुम अपने बेटे का जन्मदिन जरूर मनाओ। उसने अपने जेब से ₹2000 लेकर उन्हें  दे दिए। पति ने अपनी पत्नी को चुपचाप इशारा करते हुए कहा मुस्कुराते हुए चुपके से कहा। देखा भाग्यवान हमने अपने रुपए इस सेठ जी से कबूल कर लिए। व्यापारी उस आदमी से बोला। मैं चलता हूं। तुम्हारे घर में फिर कभी खाना खा लूंगा। आज मुझे कोई जरूरी काम याद आ गया है। जैसे ही व्यापारी गया पति  अपनें पत्नी से बोला। उसने सोचा होगा यही हमें मुर्ख बना सकता है हम गांव वाले इसकी चिकनी-चुपड़ी बातों में आने वाले नहीं है। आज मैंने तो अपने  रुपए  इस से वापस प्राप्त कर लिए।इस तरह लोग किसी ना किसी तरह से रुपए वापस लेते रहे। एक दिन एक आदमी जिसने सेठ जी को ₹200000 दिए थे वह आकर बोला सेठजी मैं आपको अपनी बेटी की शादी का कार्ड देने आया हूं कृपया करके मेरी बेटी की शादी में जरूर आना। व्यापारी सोचनें लगा कहीं पर यह भी तो मुझे बेवकूफ तो नहीं बना रहा है। बाद में उसने सोचा लड़की की शादी में भला यह क्यों झूठ बोलेगा? वह उसकी बेटी की शादी में पहुंच गया। जैसे ही शादी समाप्त होने वाली थी लड़की और लड़के फेरों के लिए जा रहे थे तो लड़के वालों ने लड़की वालों से मांग रखी कि अगर आप हमें ₹200000 नहीं देंगे तो हम तब तक बारात लेकर नहीं जाएंगे। हमने अपने बेटे की पढ़ाई में ₹200000 खर्च किए हैं। हम तुम्हारी बेटी की साथ शादी तभी करेंगे अगर आप हमें ₹200000 देंगे। यह सुन कर जीतराम और उसकी पत्नी फूट-फूट कर रोने लगे। हमारे पास ₹200000 कहां है?  भी हम बड़ी मुश्किल से  यह रुपये उधार लेकर शादी कर रहे हैं। मैंने उस व्यापारी के पास ₹200000 इकट्ठे करने के लिए दिए हैं।  किसी ने भी  जब उसे रुपए नहीं दिए तो उसने अपनी पगड़ी लड़के वालों के पैर के पास रख दी। यह सब वह व्यापारी देख नहीं सका। उसने कहा रुको। उसने अपने घर  नौकर को फोन किया ₹200, 000 लेकर जल्दी  से इस घर  के पते पर आ जाना। सेठ का नौकर ₹200, 000 लेकर आ गया। उसने जीतराम को कहा तुम रो मत। यह लो ₹200, 000। लड़की के पिता ने ₹200, 000 लड़के के पिता को दे दिए। लड़की वाले बहुत ही खुश हुए। लड़की का पिता हंस कर चुपचाप चुपके से अपनी पत्नी से बोला देखा मैं भी मुर्ख नहीं बना। मैंने अपने ₹200, 000 सेठ से प्राप्त कर लिए। मैंने उसे झूठ-मूठ में ही कहा कि मेरी बेटी की शादी है। ना मेरी बेटी की शादी थी

 

यह सारे आदमी तो मैंने रुपया देकर खरीदे थे। कुछ मेरे रिश्तेदार थे। जिन्होंने मेरा साथ दिया था। तब मैं अपना ₹200, 000 इस से लेने में कामयाब हो गया। गांव वाले लोग खुश हो गये। हम सब को भी उस व्यापारी से जल्दी से रुप्ए वापिस लेंने की योजना बनानी होगी जिससे  सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे।

 

जब व्यापारी अपने घर पहुंचा तो उसका दोस्त पहले ही वहां पहुंच चुका था। वह बोला मेरे यार तुम घर आ गए। मैं तुमसे शर्त जीत गया हूं। मुझे मेरी शर्त के ₹10000 दे दो। वह बोला मैं समझा नहीं। उसने कहा कि  एक आदमी को जब मैंने पता करने भेजा जहां पर शादी थी तो उन्होंने हंसकर कहा कि हमने तो उस सेठ को भी मूर्ख बनाया।  उन्होंने तो हमें बुद्धू बनाया। हमने उन्हें भी उन्हीं की भाषा में करारा जवाब दिया। हमारे गांव में इतनी हेराफेरी नहीं चलेगी।

 

व्यापारी के घर के पास ही एक बड़ा क्लीनिक था। उस क्लीनिक में वह व्यापारी अपना चेकअप वगैरह करवाता था। उस क्लीनिक में काम करनें वाले डॉक्टर के साथ उसकी खूब पटती थी। वह उसका दोस्त था। जब कभी भी उसके पत्नी बीमार होती थी तो वह उस क्लीनिक में उसे लेकर जाता था। एक दिन सारे गांव के लोग मिलकर  उस क्लीनिक में डॉक्टर के पास जाकर बोले। डॉक्टर साहब डॉक्टर साहब आपको तो यहां पर क्लीनिक खोले इतने साल हो  गये। यहां पर आकर आप यही के निवासी हो गए हैं। हम सब आपके पास फरियाद लेकर आए हैं अगर आप आज हमारा साथ देंगे तो हम समझेंगे कि  आप कहीं ना कहीं हमारे हितैशी हो। हम आपको बता दें कि यह व्यापारी इसको आए अभी 6 महीने ही हुए हैं। यह लोगों को रुपए डबल करने का वादा करता है। लोग इसके पास रुपए डबल करने के लिए जाते हैं। कुछ दिन तक तो यह लोगों को डबल करके रुपए दे देता है। इसने लोगों का विश्वास जीत लिया है। लोग इस पर आंख मूंदकर विश्वास करते हैं।  बेवकूफ  लोग नहीं जानते हैं कि यह कितना बड़ा फ्रॉड है? वह लोगों को बेवकूफ बनाकर उनके साथ धोखाधड़ी कर रहा है। डॉक्टर साहब अगर आप हमारा साथ दोगे तो हम सब समझेंगे कि आप जैसा देवता हमारे कस्बे में और कोई नहीं है। आपको हम इस नेक काम के लिए  ₹20, 000 देंगे। आप हमारा साथ देना। डॉक्टर ने कहा कि मुझे क्या करना होगा? वह बोले इस व्यापारी के बच्चे के साथ आपका बेटा पढता है।

 

आज जब आपकी पत्नी अपने बेटे को लेने जाएगी तो आप उसके बच्चे को कहना कि आपके मम्मी पापा  दो दिन तक कहीं बाहर गए हैं। उन्होंने कहा है कि तुम आंटी के घर पर ही रहना। हम दो-तीन दिन तक तुम्हें वापस आकर ले जाएंगे। जैसे ही माधवी अपने बच्चे को लेने गई उसने राजू को कहा आपके मम्मी पापा  दो दिन के लिए कहीं बाहर गए हैं। वह कह गए हैं कि आप यही राजू के साथ खेलना। वह रवि का दोस्त था। रवि उसके साथ खुशी-खुशी उनके घर पर रह गया। शाम के समय जब रवि घर नहीं पहुंचा तो माधवी घबरा गई। मेरा बेटा ना जाने कहां चला गया। वह अपने पति से फोन करके बोली हमारा बेटा घर वापस नहीं आया। कृपा करके हमारे बेटे को जल्दी वापस लाओ।।

शाम के समय व्यापारी को एक आदमी का फोन आया आपका बेटा हमारे पास है। आप अपने बेटे की ख़ैरियत चाहते हो तो  दो करोड  ले  कर आओ। दो करोड़ का नाम सुनकर उसके पांव तले  जमीन खिसक गई। रोते-रोते अपनी पत्नी से  बोला।  हम ढेर सारे  रुपये हम कहां से लाएंगे? उसने देखा उसकी दुकान के पास कुछ लोग अपने  रुपये लेने आए थे।

 

उसको यूं रोता देख कर बोले बाबू जी हमें बताओ क्या हुआ है? वह बोला मेरे बेटे का किसी ने  अपहरण कर लिया है। वे लोग मुझ से दो करोड़  रुपये की मांग  कर रहे हैं। मैं दो करोड़  रुपये  कहां से लाऊंगा। वह अपनी पत्नी को बोला एक-दो दिन तक इंतजार करते हैं। अगर हमारे बेटे को वह नहीं लौटाता  है तो रुपयों का कहीं  न कंही से इंतजाम तो करना ही पड़ेगा।  दो दिन व्यतीत हो गए। उसके बेटे का कोई पता नहीं चला। उसने पुलिस में भी फोन कर दिया। पुलिस वाले बोले हम आपके बेटे को ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं। माधवी अपने पति से बोली। आप तो लोगों के रुपए डबल करने का झूठा नाटक करते थे। आज आपको पता लग गया रुपए डबल करने का नतीजा

 

लोग व्यापारी के पास आकर बोले।  सेठसाहब आपके पास तो दो करोड़  होंगे ही। आपने तो ना जाने लोगों के कितने रुपए डबल करके रखें होंगें। अगर आज हमारे बच्चे का इस तरह   अपहरणकर्ता होता तो हमारे पास तो अपने बच्चों को बचाने के लिए रुपये  नहीं होते। हम तो खून के घूंट  पीकर रह जाते।

 

सारे  के सारे गांव वाले लोग मुझे माफ कर दो। मैं तुम सब से आज तक झूठ बोलता रहा। मैं तुम्हारे रुपए तुम से लेकर अपना व्यापार आगे बढ़ाना चाहता था। मैंने तुमसे छल कपट करना चाहा। जिसका मुझे यह परिणाम मिला है। तुम सब लोग मुझे माफ कर दो। मेरे पास भी अपने बेटे को बचाने के लिए  दो करोड़ रुपए नहीं है। वह जोर जोर से रोने लगा।

 

व्यापारी की पत्नी बोली आज तो यह गांव के लोग भी आपकी मदद नहीं करेंगे। व्यापारी की सारी बातें गांव का एक आदमी रिकॉर्ड कर रहा था। सच सामने आकर बोला व्यापारी साहब आपके बेटे का कोई अपहरण नहीं हुआ है। यह तो आप को सबक सिखाने के लिए हमारी सोची समझी चाल थी।

 

आपका बेटा सही सलामत घर पहुंच जाएगा वह आपके दोस्त डॉक्टर के घर पर खूब मजे में है। उसे कोई चोर  चुराकर नहीं ले गया। आप जल्दी से जल्दी हमारे रुपये वापस कर दो अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो हम आपकी सारी रिकॉर्डिंग पुलिसवालों को सुना देंगे। व्यापारी अपनी करनी पर पछता कर बोला मैं कभी भी किसी के रुपए डबल करने की कभी सोचूंगा भी नहीं। मुझे माफ कर दो। उस दिन के पश्चात उसने रुपए डबल करना छोड़ दिया। वह उसी गांव में रहने लगा और उसने धीरे-धीरे सभी गांव वालों के रुपए वापस कर दिए। उसने बेईमानी करके रुपए कमाना छोड़ दिया और एक अच्छा इंसान बन गया। उसनें अपने दूसरे ठग दोस्त को कहा ये लो अपने दस हजार रुपये। तुम भी कसम खाओ कि आज के बाद तुम भी ठगी करके रुपया नहीं कमाओगे।

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