एक छोटे से गांव में एक व्यापारी रहा करता था। वह छोटी-छोटी वस्तु को बेचने के लिए गांव से दूर दूर तक जाया करता था। व्यापारी का नाम था रोहित। उसका एक छोटा सा बेटा था नीटू। रोहित की मां पुरानी विचारधारा वाली स्त्री थी। कहीं भी जाना हो अगर बिल्ली रास्ता काट जाए तो अपशगुन गिलास टूट जाए तो अपशगुन। वह छोटी-छोटी बातों पर अपने बेटे को कहा करती थी की ऐसी बातें होने पर अपशगुन होता है। उसका बेटा भी अपनी मां की तरह छोटी-छोटी बातों पर यकीन कर लिया करता था। रोहित का एक दोस्त था मोहित। वह दोनों ही व्यापार के सिलसिले में इकट्ठे घर से बाहर जाया करते थे। व्यापार के सिलसिले में गांव से बाहर जाने लगे तो रोहित की पत्नी रीमा उसे पानी देने लगी तो उसके हाथ से शीशे का गिलास नीचे छूट गया। उसकी मां वहां पर आ गई बोली कांच का टूटना अशुभ माना जाता है। रोहित भी कहने लगा हां मां तुम ठीक ही कहती हो।
उसका दोस्त मोहित आकर बोला अरे यार। हर चीज के दो पहलू होते हैं। अच्छा और बुरा जैसा वस्तु के बारे में हम सोच रखेंगे वैसे यह हमें महसूस होगा। कोई अपशगुन नहीं होता तुमने अगर नकारात्मक विचारधारा नहीं रखी रखी हो तो तुम यह भी तो सोच सकते थे कि कोई बात नहीं गिलास ही था। टूटने की वस्तु है। इस बहाने घर में नया गिलास आ जाएगा। उसकी मां बोली गिलास टूट गया तो पैसे भी खर्च होंगे। हमारे सोचने का नजरिया सकारात्मक होना चाहिए। उसकी पत्नी ने उनके सामने खाना रख दिया खाना खा ही रहे थे तभी उसका बेटा दौड़ता दौड़ता आया उसने खाने की प्लेट नीचे गिरा दी। उसमें से थोड़ा सा खाना नीचे गिर गया। उसके बेटे नें यह सब देख लिया। कहीं पापा मुझे मारे ना इसलिए उसने वह अन्न नीचे से उठाकर प्लेट में खाना डाल दिया। उसके पापा बोले बेटा तुम देख कर काम क्यों नहीं करते? आज का दिन शुभ नहीं है। उसकी पत्नी ने जो आज अनाज गिरा था वह किनारे रख दिया। बाकी प्लेट में खूब सारा खाना था उसका पति बोला यह प्लेट तुम लेकर जाओ। मैं गिरा हुआ खाना नहीं खाता। उसकी पत्नी बोली जो नीचे गिरा था वह तो मैंने किनारे रख दिया। वह बोला मैं नीचे गिरी वस्तु किसी भी वस्तु को नहीं उठाता। अशुभ होता है।
उसकी मां ने उसके दिमाग में नकारात्मकता भर दी थी। वह उस विचारधारा से बाहर निकलने का कभी भी प्रयत्न नहीं करता था। मोहित बोला अरे यार जब तुम किसी होटल में खाना खाते हो तुम्हें क्या पता वह होटल का मालिक तुम्हें ना जाने कितने लोगों का झूठा खाना खिलाता है? रोहित बोला मैं खाना नहीं खाऊंगा। उसने अपने प्लेट वापस कर दी। वह अपनी पत्नी और बच्चे को लेकर चल पड़ा।
उसकी पत्नी काफी दिनों से मायके नहीं गई थी वह अपनी पत्नी से बोला चलो तुम्हें और नीटू को साथ ले चलता हूं। तुम हमेशा कहती रहती हो मुझे मायके नहीं ले चलते। आज तुम्हारी इच्छा को पूरी कर ही देता हूं। चारों चल रहे थे काफी दूर निकल आए तो उसकी पत्नी बोली यहां पर किसी पेड़ की छाया में बैठकर विश्राम कर लेंतेंहैं। सर्दियों के दिन थे उसने अपनी गठरी में इतनी स्वेटर दस्ताने और टोपियां रखी थी। उन्हें बेचने जा रहा था। उन्हें कुछ दूरी पर जाने पर एक पीपल का पेड़ दिखाई दिया। वहां पर पहुंच कर वह व्यापारी बोला मुझे तो बड़ी सर्दी लग रही है। हवाएं भी बड़ी तेज चल रही है। घर से मोटे कपडे भी नहीं ले कर आए। सर्दी से हम कांप रहे हैं। काश धूप निकल जाती। कितना अच्छा होता? उस पेड़ के पास ही एक होटल था। उसकी पत्नी बोली यहां पर बैठ कर खाना खा लेते हैं। चारों ने वहां पर होटल में बैठकर खाना खाया। जब वह वापस पीपल के पेड़ के नीचे आए तो देखा उनकी गठरी वंहा नहीं थी। व्यापारी बहुत ही उदास हो गया। मेरी सारी मेहनत पर पानी फिर गया। नीटू बोला पापा इस वृक्ष की शाखा पर देखो। पेड़ पर बंदर उसके स्वेटर और टोपियों का बैग लिए बैठे थे। व्यापारी रोने लगा। उसकी पत्नी बोली रोने से काम नहीं चलेगा। कोई तरकीब सोचो। हम अपनी वस्तुओं को इन से कैसे प्राप्त करें। बच्चा बोला पापा यह तो मैं करके बताता हूं। हमारी मैडम ने हमें बताया था कि बन्दर तो नकलची होतें हैं। वह दूसरों की नकल करतें हैं। नीटू ने अपनी निकर खोल दी और नीचे फेंक दी। बंदरों ने उसे ऐसा करते देखा। उन्होंने उसके स्वेटर नीचे फेंक दिए। व्यापारी दौड़ा दौड़ा गया उसने सारे स्वेटर मफलर दस्ताने अपने बैग में रख दिए। तभी उसका दोस्त बोला भाई जान एक बात पूछूं। आपने तो कहा था कि मैं किसी गिरी वस्तु को नीचे से नहीं उठाता। उसका दोस्त मजाक करते हुए बोला। अब तो तुम इन सारी वस्तुओं को मुझे दे दो। रोहित कुछ नहीं बोला उसके पास कोई जवाब नहीं था।
मैं रास्ते से चले जा रहा था। अपनी पत्नी को स्टेशन पर छोड़ने जाने लगा तो रास्ते में बिल्ली रास्ता काट गई। रोहित फिर रुक कर बोला मेरे साथ कुछ बुरा होगा। मोहित बोला बुरा बुरा बुरा कुछ नहीं होगा। रास्ते से जाते हुए उन्हें एक शुद्र महिला दिखी। उसे देखते ही रोहित बोला। यह महिला ही दिखाई देनी थी। ना जाने आज क्या होगा? मोहित को मालूम हो गया था यह एक शुद्र महिला है। क्यों कि रास्ते में उस से औरतें कह रही थी बीवी जी दूसरी औरत अपनें बच्चों से तुम्हारे बारे में कह रही थी उस सामनें वाली आंटी के घर चाय मत पीना। वह एक शुद्र महिला है। मुझे तो उसकी सोच पर गुस्सा आ रहा था। । उच्च जाति और नीच जाति यह तो मनुष्य की सोच का नजरिया है। सभी जातियां एक जैसी हैं फिर भेदभाव कैसा। उसका दोस्त मोहित बोला मैं तुम्हारे मन में यह नकारात्मक विचार कहां से निकालूं।।
निक्कू आगे-आगे बढ़ता जा रहा था चार-पांच कुत्तों को देखकर वह डर गया उसने एक मोटा सा पत्थर उस कुत्ते पर मार दिया कुत्ते ने उसे काट खाया। मोहित जैसे ही अपने बेटे को बचाने भागा तो उसका पर्स गिर गया और उसकी गठरी भी नीचे गिर गई। उसे कुछ भी ध्यान नहीं रहा। वह तो अपने बच्चे को बचाने के लिए दौड़ रहा था। तीनों के पास रुपए नहीं थे। कहां जाएं? क्या करें? तभी सामने एक घर दिखाई दिया। वह जल्दी से उस घर में चले गए वह बोले क्या कोई घर में है? हमारे बेटे को कुत्ते ने काट खाया है। हम इस गांव में बिल्कुल अजनबी है। हमारा सब कुछ अपने बेटे को बचाते बचाते नीचे गिर गया। क्या कोई पास में ही अस्पताल है? घर की मालकिन आई और बोली साहब आप जाति के क्या हो? मैं आप लोगों की खातिरदारी करती हूं। मगर मैं आपको बता दूं कि मैं एक शूद्र महिला हूं। मोहित ने पहचान लिया। वह तो वही औरत है जो रास्ते में मिली थी। मोहित ने सारी कथा सुना दी कि कैसे मेरे दोस्त की गठरी और उनका पर्स सब कुछ निचे गिर गया। रोहित की पत्नी बोली इनमें के घर में तो हमारे घर से भी ज्यादा सफाई है। मैं तो इनके घर चाय अवश्य ही पी लूंगी।
रोहित की पत्नी बोली बहन क्या एक गिलास पानी मिलेगा? मोहित ने उसे देखकर अपनी पत्नी की तरफ गुस्से भरी नजरों से देखा। जब वह पानी लेने गई तब रोहित बोला तुम्हें क्या यही पानी पीना था? मोहित बोला अरे यार अब तो चुप कर। वह पानी लेकर आई। रोहित ने भी चुपचाप बड़ी मुश्किल से पानी पिया। वह बोली मैं आपको चाय बना कर लाती हूं। मैं अपने पति को कहकर तुम्हें अस्पताल पहुंचाती हूं। तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो।
अतिथि तो भगवान का दूत होता है। जब मैं रास्ते से आ रही थी तो रास्ते में मुझे एक गठरी और पर्स मिला था। बाबू जी यह पर्स सौर गठरी आपकी तो नहीं। वह खुश हो रहा बोला हां यह तो मेरा ही है। बहन जी आप का बहुत बहुत धन्यवाद। रोहित उसकी तरफ हैरान हो कर देख रहा था थोड़ी देर जिस औरत को वह अपशकुन कह कर उसकी शक्ल नहीं देखना चाहता था वह ही उसे अपनी सबसे बड़ी हितैषी नजर आई। उसने सोचा मेरा दोस्त सच ही कहता है हमें अपने मन से नकारात्मक विचारों को स्थान नहीं देना चाहिए। हम किसी भी चीज को अगर सकारात्मक तरीके से देखेंगे तो हमारे मन में सकारात्मक करता की भावना पैदा होगी। वह चाय लेकर आ गई थी।
रोहित बोला भाभी जी पकोड़े तो बहुत ही स्वादिष्ट लगे। मोहित अपने दोस्त की तरफ आश्चर्य भरी नजरों से देख रहा था। थोड़ी देर में ही उसके दोस्त का सोचने का नजरिया बदल गया था। उस शुद्र महिला ने उन्हें अस्पताल पहुंचा दिया। वहां पर डॉक्टरों ने उसे टैटनैस का इन्जैक्शन लगा कर उसे छोड़ दिया। रोहित अपनी पत्नी और बच्चों को छोड़ने जा रहा था तभी उसके बेटे नीटू नें जोर से छींक दिया। मोहित उसकी तरफ मजाक करते हुए बोला अरे यार तुम रुके नहीं । वह भी मुस्कुराया बोला चल हट पगले। अपनी पत्नी और बेटे को हाथ हिला कर उन्हें जाता देखता रहा। आज उसके मन से नकारात्मकता की भावना सदा के लिए मिट गई थी। अपनी पत्नी और बेटे को हाथ हिला कर उन्हें जाते देखता रहा।