रुपाली एक मध्यमवर्गीय मां बाप की बेटी थी। उसने अपनें माता पिता की इच्छा के विरुद्ध अपनें ही कौलिज के एक लड़के को अपना योग्य वर चुना। उसके माता-पिता इस शादी के बहुत खिलाफ थे। इसलिए नहीं कि वह उनकी बिरादरी का नहीं था बल्कि इसलिए क्योंकि उन्हें उस लड़के का चाल चलन और स्वभाव पसंद नहीं था। रूपाली ने प्यार में पड़कर अपने माता-पिता का साथ छोड़ रईस सेठ के बेटे के साथ शादी कर ली। रुपाली के माता पिता ने अपनी बेटी को बहुत समझाया पर उसने उनकी एक न सुनी। अपने माता-पिता से सारे रिश्ते तोड़ कर वह अपने पति के साथ दूसरे शहर मे आ कर रहने लगी थी।
उसके पति को छोटे मोटे व्यापार के सिलसिले में अक्सर बाहर जाना पड़ता था। कुछ बुरे दोस्तों का संग करनें लगा। उसे शराब की लत लग गई।
रूपाली छोटे-मोटे लोगों से बात करना पसंद नहीं करती थी वह हमेशा अपनी ही अकड़ में रहती थी। वह अपनी 4 साल की छोटी सी कनिका को भी अपने जैसा ही बनाना चाहती थी। उसे कनिका का अपनी से छोटे तबके के बच्चों के साथ खेलकूद करना बातें करना बिल्कुल भी पसंद नहीं था।
उसके घर से थोड़ी ही दूरी पर एक छोटी सी झोंपड़ी थी जिसमें रुचि अपनी बेटी टीना के साथ रहती थी। टीना कनिका की हमउम्र थी। उसकी मां बहुत ही मेहनती और नेक महिला थी। उसने पाई पाई जोड़ कर एक छोटी सी झोंपड़ी बनाई थी।
रुचि अपनी बेटी की खातिर संघर्ष करने के लिए तैयार थी। वह अपने मन में सोचा करती थी कि मेरी बेटी पढ़ लिखकर बहुत बड़ी इंसान बने। उसे किसी भी चीज की तंगी नहीं होने देगी ।स्वयं भूखे रहकर वह अपनी बेटी को अच्छी से अच्छी शिक्षा देगी।
जब भी रुपाली वहां से जाती तो उसको देख कर नन्ही सी टीना मुस्कुराती और अपने हाथों से हाथ जोड़कर उसे नमस्ते कहती। रुपाली इतनी घमंडी थी कि वह उस छोटी सी बच्ची के अभिवादन को ठूकरा दिया करती थी। उस की तरफ देख कर अपना मुंह दूसरी तरफ फेर लिया करती थी। रुपाली अपनी बेटी को कहा करती थी कि छोटे लोगों के साथ दोस्ती नहीं रखनी चाहिए।ये कितने गंदे कपड़े पहनते हैं? साफ सफाई भी नहीं रखते। तुम उनके साथ मत खेला कर।क् छोटी सी कनिका टीना से बात भी नहीं करती थी। वह अपनी सहेलियों के साथ ही खेला करती थी।
रूपाली को जब कोई नौकर काम पर नहीं मिला तो उसने रुची को कहा कि तुम मेरे घर पर सफाई कर दिया करो तो मैं तुम्हें अच्छी रकम दूंगी। रुची उसके घर में साफ सफाई करने लगी। एक दिन रुपाली ,रुची को कहने लगी कि यह साथ वाली जगह हमें दे दे। तू कहीं और जाकर रह ले। मैं दुगुनी कीमत पर यह जगह खरीदना चाहती हूं। रुचि कहनें लगी कि बीवी जी मैं मर जाऊंगी मगर अपनी जगह किसी भी कीमत में नहीं दूंगी। मेरा और मेरी बेटी का यही एक छोटा सा घर संसार है । मैनें अपनी जिंदगी का लम्बा सफर यहीं से शुरू किया। अपनी बेटी को शिक्षा देने के काबिल बनाया । हम गरीबों की झोपड़ी का मोल आप लोग क्या जाने? रूपाली ने कई बार रुची की झोंपड़ी को तुड़वाने के की कोशिश की मगर रुचि की हिम्मत के आगे कुछ भी ना कर सकी।
इसी कारण वह उस के साथ बात नहीं करती थी। उसे रूचि का काम करना भी पसंद नहीं आता था कोई भी उसके पास काम करना पसंद नहीं करता था इस कारण उस को काम पर रखनें से मना नहीं कर सकती थी। वह उसकी बेटी को स्कूल से भी ले आती थी। टीना आओर कनिका दोनों एक ही विद्यालय को पढ़ाई करना अच्छा नहीं लगता था। वह सारे दिन खेल में समय नष्ट कर दिया करती थी।
टीना कक्षा में सबसे आगे रहती थी । एक दिन कक्षा में कनिका ड्राइंग बना रही थी। मैडम ने तीन बार कनिका का नाम पुकारा मगर कनिका नें मैडम की बात का जवाब नहीं दिया। मैडम कनिका की सीट पर पहुंचने ही वाली थी कि टीना नें उसकी ड्राइंग वाली नोटबुक जल्दी से उठाकर अपनें बैन्च पर रख दी। कनिका ने देखा कि टीना ने उसे आज बचा लिया था। मैडम उसके बस्ते की तरफ देख कर वापिस अपनी सीट पर चली गई थी। कनिका कुछ बोली नहीं। आज कनिका को तो टीना पर गुस्सा नहीं बल्कि उस से बातें करने को मन कर रहा था । एक वही लड़की थी जो उसकी भावना को समझती है। क्या हुआ इस के कपड़े गंदे हैं। कोई बात नहीं, यह दिल की बहुत अच्छी है। धीरे-धीरे कनिका टीना के साथ घुलमिल गई ।अपनी मां की आंख बचा बचा कर चुपचाप उसके साथ खेला करती थी।
रूपाली का पति शराब पीता था अपने रुपाली को कभी नहीं बताया था कि वह बुरी संगत में पड़ गया है। कई बार रूपाली ने अपने पति को समझाया मगर उसने शराब पीना नहीं छोड़ा। शराब का ठेका भी उसने खोला हुआ था। व्यापार उस में भी उसे नुकसान ही हुआ। रूपाली को अपना मकान भी गिरवी रखना पड़ा ।उसके पास अब रहने के लिए घर भी नहीं था। उसकी मदद को कोई आगे नहीं आया।उसका बर्ताव भी दूसरे लोगों के साथ अच्छा नहीं था। तीन-चार दिन तक जैसे तैसे कर के उसनें जो कुछ उस के पास रुपये बचे थे उस से होटल में रहकर रात गुजारी । उसके पास अब रुपए भी खत्म हो गए थे । किसी ने भी उसे आसरा नहीं दिया।
रुचीका अपनी बेटी को लेकर बाजार से जा रही थी कि उसकी नजर रुपाली पर पड़ी । उसने कुछ दिन पहले ही रुचि को काम से निकाल दिया था। रुची नें जब रुपाली की ऐसी हालत देखी तो वह उस से बोली बहन आप इधर-उधर मत भटको ।आपको अगर कोई तकलीफ ना हो तो आप मेरे घर में कुछ दिन आराम से रह सकती हैं। जब तक आपका कोई ठौर ठिकाना नहीं मिलता तो आप मेरे यहां रह कर काम कि तलाश करती रहें।।आप तो बहुत पढ़ी लिखी है जल्दी ही आप को कोई न कोई काम मिल जाएगा।
रुपाली सोचनें लगी थी ठीक ही तो कह रही है जब तक उसे आसरा नहीं मिलता उस के पास ही रह लिया जाए।किस मुंह से उस से हां कहूं।मैनें भी तो अपनी हेकडी में रह कर उस से कभी सीधे मुंह बात नहीं की।जब इन्सान के बुरे दिन आतें हैं तो उस का कोई साथ नहीं देता। मैंनें भी घम्मड में चूर हो कर गांव के लोगों के साथ ठीक बर्ताव नहीं किया।उन्हें अपना दुश्मन ही जाना।
आज किस्मत मुझे फिर से उस के पास खींच कर लें आई है जिस से वह सब से ज्यादा घृणा करती थी। इसलिए कि वह बेचारी गरीब है।उस की झोंपड़ी का भी कई बार सौदा करना चाहा मगर उस गरीब का कुछ भी न बिगाड़ पाई।आज वही उस से अपना पन दिखला कर उस को अच्छा मश्वरा दे रही है। तीन दिन हो गए हैं यूं ही उसे घूमते घूमते। कोई काम नहीं मिला।करें भी तो क्या करें? जाए तो कहां जाए।अपनें पति को कैसे जेल से छुड़ाएगी? मेरे पति ने मुझे कहीं का नहीं छोड़ा।
अपने माता-पिता के पास भी नहीं जा सकती वह भी बहुत ही दूर शहर में रहते हैं। उन्होंने ठीक ही कहा था कि बिना सोचे समझे कोई कदम नहीं उठाना चाहिए। मैंने तो कर्ण के लिए अपने माता पिता को छोड़ दिया। माता-पिता अपने बच्चों की भलाई के लिए ना जाने क्या-क्या करते हैं और हम बच्चे उनकी आशाओं का गला घोट देते हैं। मैंने उनकी बात मानी होती तो आज मुझे यह कदम नहीं उठाना पड़ता। आज अपनी बेटी को लेकर कहां जाऊं ।मैंने आज तक किसी से सीधे मुंह बात भी नहीं कि इंसान को कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए। एकदम आज मेरी हालत ऐसी हो गई है जिस की झोपड़ी को मैं हडपना चाहती थी आज वही रूचि मेरे काम आई। वह तो आज मेरे लिए एक मसीहा बनकर आई है।
कनिका को बुखार आ चुका था ।वह वर्षा में काफी भीग चुकी थी। रुचि उसे अपनी झोपड़ी में ले जाकर बोली की कनिका को बुखार आ गया है जल्दी से इसके कपड़े बदला दो ।यहां टीना की फ्रॉक है। यह है तो पुरानी है पर धुली हुई है। रुपाली ने जल्दी से टीना की फ्रॉक उसे पहना दी आज उसे महसूस नहीं हो रहा था कि वह किस स्तर की है? तब तक रूचि चाय लेकर आ गई थी वह बोली बीवी जी आप भी कपड़े बदल लो आपकी साड़ी सारी गीली हो गई है ।मैं आपको अपनी शौल लाती हूं । आप कुछ देर मेरी शौल ओढ लो जल्दी ही आपकी साड़ी सूख जाएगी तब तक आप यह सूट पहल लो। आज उसे जरा भी महसूस नहीं हो रहा था कि रुची उसके स्तर की नहीं है। टीना को ले कर अपने आप नीचे जमीन पर सो गई। कन्नू और उसकी मां को उसनें अपनी चारपाई दे दी। आज रूपाली सच्चाई से अवगत हो चुकी थी।उस की आंखों में पश्चाताप के आंसू थे।रुपाली नें रुचि को कहा कि मैं अपने भाई को फोन मिलाती हूं ।उसने अपनी सारी कहानी रुचि को सुना दी।
रूची बोली की बहन मां बाप तो गुस्से में ना जाने अपने बच्चों को क्या-क्या बोल देते हैं? आपने अपने मां बाप का दिल दुखाया है। आप उन्हें सच सच बता दे। माता-पिता अपने बच्चों की खातिर क्या-क्या नहीं करते? आज आपको पता चला। आप अपनी बेटी की खातिर सब काम करने को तैयार हो गई।रुपाली की आंखों में आंसू आ गए।रूची नें अपनी गुल्लक तोड़ी और कहा बहन इस में थोड़ा थोड़ा कर के कुछ रुपये जमा किए हैं शायद आप को मुझ से ज्यादा आप को इन की जरुरत है।उसने अपनी सोनें की चेन जो उसनें पिछले साल अपनी बेटी के लिए बनवाई थी रुपाली को कहा बहन इस को बेच कर उस से कुछ काम बनता है तो आप अपने पति को जेल से छुड़वा कर लाओ।जब तक आप के पास रहने का बंदोबस्त नहीं है आप खुशी से मेरे यहां रह सकती हैं। आप अपनें भाई को भी फोन मिलाओ।
रुपाली नें अपने भाई को फोन मिलाया। उसके भाई ने कहा कि बहन तेरे साथ इतना सब कुछ हो गया तूने पहले हमें क्यों खबर नहीं की। वह बोली भाई अब मुझे समझ आ गया है। मैं आप सब से माफी मांगना चाहती हूं। उसकी मां बोली बेटा तू जल्दी ही वापिस घर आ जा।रुपाली बोली मुझे कुछ रुपए इस पते पर भिजवा दें। उसने गांव का पता दे दिया अपनी मां को बोली कि मैं अपने पैरों पर खड़ा होकर कुछ बन कर ही वापिस आपके पास आऊंगी ।
रुपाली को उसके भाई ने ₹1,000,00 की राशि भिजवा दी। उसने रुचि को ₹50,000 देकर कहा कि बहन आप इस से अपना घर बना लो। तुमने मुसीबत के समय मेरी सहायता की। एक अच्छी बहन का किरदार निभा कर मुझे समझाया।मैं भटक चुकी थी। रुचिका बोली मैं ये राशि नहीं ले सकती मुसीबत के समय अपने दोस्त का साथ देना तो मेरा फर्ज था । रूपाली ने रुचिका से अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगी और कहा कि तुम्हें झोपड़ी खाली करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
मैं अपनें पांव पर खड़ी हो कर अपना तथा अपनी बेटी का लालन पालन करुंगी ।तुम भी मेरे व्यवसाय में मेरा हाथ बंटाना।आज से ही मैं हर गांव वालों से अपने बुरे व्यवहार के लिए क्षमा मांगूंगी।आज ही तो मेरा नया जन्म हुआ है।आज से मैं स्वार्थी नहीं परमार्थी कहलाऊंगी।तुम्हारी सीख नें ही मुझ में बदलाव लाया है।उस दिन के बाद रुपाली सचमुच आदर्श गुणों वाली बन गई।उस नें अपनें पति को भी जेल से छुड़वा दिया और उस से कहा कि अगर तुम नें शराब को हाथ भी लगाया तो वह अपनी बेटी को ले कर सदा सदा के लिए इस गांव को छोड़ कर चली जाएगी।
कुछ दिनों की कोशिश से कर्ण भी बदल गया ।उस नें शराब पीना सदा के लिए छोड़ दिया।वह भी व्यापार में अपनी पत्नी का हाथ बंटाने लगा।