मोबाईल का हेरफेर

तीन दोस्त थे सनी हनी और बनी। तीनों दोस्तों में पक्की मित्रता थी। सुबह के समय इकट्ठे सैर पर निकल जाया करते थे। एक दिन वे तीनो जब आराम करने के लिए एक पार्क में बैठे तो तीनों आपस में बातें करने लगे। सनी बोला मैं हर रोज गाने गाता हूं। गाने लिखने का अभ्यास करता हूं मगर अपने गानों को अच्छे ढंग से गाने ही नंही पाता हनी बोला मैं कविता लिखता हूं। मेरा भी मेरी भी स्थिति कुछ ऐसी है। हनी बोला दोस्त मेरी स्थिति तो तुम दोनों से बिल्कुल भिन्न है। मैंने रिटायरमेंट के बाद सोचा अच्छी अच्छी कहानियां लिखूंगा। मैंने थोड़ा बहुत टाइप करना सीखा। मोबाइल चलाना भी मैंने तब सीखा जब मेरे बच्चों की शादी हो गई। मोबाइल पर बच्चों से बातें करना

सिखा।

एक दिन मेरे बेटे ने मुझे मोबाइल पर टाइपिंग करना सिखाया। उसने मुझे इस काबिल बना दिया। मैं मन में बड़ा खुश हुआ चलो अब मैं अपनी लिखी हुई कहानियों को मोबाइल में लिखने का प्रयत्न करूंगा। लेकिन एक दिन जब मैं मोबाइल पर अपनी कहानियां डाल डाल कर उन्हें देख रहा था। और समझने का प्रयत्न कर रहा था कि इसमें क्या सुधार किया जा सकता है कि इसका अच्छे ढंग से आकलन कर सकूं। एक दिन मैंने यूं ही अपनी दस कहानियां उसमें लिख कर डाल दी। मुझे सेव करना तो आता नहीं था। जैसे ही मैंने सिलेक्ट का बटन दबाना चाहा पता नहीं कौन सा बटन दब गया। मेरी कहानियां उस मोबाइल से हट गई। मैं बहुत परेशान हो गया। मेरे सारे किए कराए पर पानी फिर गया। उस दिन मेरा किसी से भी बात करने को मूड नहीं था। मेरी पत्नी आकर मुझसे बोली खाना नहीं खाना है क्या। मुझे बड़ा दुख हुआ। बच्चों को फोन किया अपनी स्थिति उजागर करने के लिए। बच्चे अपने काम में इतने मशरूफ थे कि उन्हें मेरी कॉल का पता ही नहीं चला।

 

मेरी पत्नी ने जब बार  बार मुझसे पूछा खाना नहीं खाना है तो मेरी स्थिति शून्य जैसी थी। मेरी पत्नी को गुस्सा आया उसने कहा नहीं खाना है तो मत खाओ। मैं अपने बच्चों को लेकर मायके जा रही हूं। मैंने उसी स्थिति में कहा मै कंहा हूं।  सारी रात मोबाइल के सामने बैठा रहा  शून्य में। मेरी पत्नी आग बबूला होकर बोली ठीक है उसको इस बात से इतना गुस्सा आया कि वह अपने मायके जाने लगी। मुझे खुद नहीं पता मैं कंहा पंहूंच गया था। जब सुबह हुई उसने मुझे झकझोरा तो मेरी तंद्रा टूटी उसने कहा यह लो चाबी। मैं अपने मायके जा रही हूं। वह बोला क्यों? वह चौकी तुम्हें नहीं पता क्या? बड़े अनजान बनते हो। एक तो मुझे कहते हो मायके चले जा। उसे सचमुच ही नहीं पता चला कि वह कहां पहुंच गया था? उसे अपनी करनी पर हंसी भी आ रही थी और रोना भी रोना इसलिए क्योंकि मोबाइल की जानकारी का ना होना। और हंसी इसलिए की सारी उसका उपहास उड़ रहा था। वह क्या करता बेचारा उसने सोचा अब वह कभी कलम उठाने की सोचेगा भी नहीं परंतु अंदरसे लिखने के जून नें उसे रोक दिया। डरते तो कायर है। मैं फिर से मोबाइल पर  अभ्यास करनें लगा। सारे शब्दों को कैसे सिलेक्ट किया जाता है।? कैसे कॉपी की जाती है? फिर उसे कैसे सेव किया जाता है? इस बात की अच्छे ढंग से जानकारी लूंगा। तब अपनी कहानी को फिर से लिखने का प्रयत्न करूंगा। मेरी लेखनी हर रोज मुझे नए नए सुझाव लिखने के लिए प्रेरित करती रहेगी।

 

मेरा बेटा घर जब मुझसे मिलने आया उसने कहा पापा मैं आपको मोबाइल को कैसे उपयोग किया जाता है सिखाऊंगा। आप ये कैसे सोचते हैं हम आपके साथ नहीं हैं। मन में ना जाने क्या-क्या धारणा बना लेते हो। हमें इतना काम होता है कि आपकी कॉल अटेंड नहीं कर पाते। आप हम सब एक समय पर हीआप से बात करने का निर्णय लेते हैं। उसमें आपको जो भी कठिनाइयों उसमे आएगी हम उसे मिनटों में सुलझाया करेंगे। आप अपनी लेखनी को विश्राम मत दो। पापा को अपने बेटे की आंखों में सच्चाई नजर आई उन्हें फिर से कहानियां लिखने का जज्बा उभर् कर सामने आया। दोनों दोस्त उसकी कहानी सुनकर रो पड़े बोले। माफ कर दो भाई। तुम सच्चे पक्के इंसान हो। हम तो झूठ ही कह रहे थे। हम दोनों कुछ नहीं करते। जब तुम ने हमसे पूछा कि तुम क्या करते हो तब हमने तुम्हें चिढ़ाने के लिए यह मनगढ़ंत कहानी बना दी। परंतु तुम्हारी तो सचमुच सच्ची लगन और दृढ संकल्प से तुम एक दिन अपने मकसद में जरूर कामयाब होंगे। उन्होंने अपने दोस्त को गले लगाते हुए कहा हम दोनों दोस्त हरदम तुम्हारे साथ हैं। तुम्हारी अगली कहानी का क्या शिर्षक है। तीनों हंस पड़े और टहलने का लुफ्त उठाने लगे।    

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