रंग

छोटू घर आकर अपने पापा से बोला पापा पापा हम कब गांव जाएंगे। वहां मैं अपने चाचा जी के बेटे से मिलूंगा। छोटू के पापा बोले हम जल्दी ही गांव चलेंगे। छोटू खुशी के मारे चिल्ला रहा था। आज हम गांव जा रहे हैं घर के बाहर अपने छोटे-छोटे दोस्तों को कह रहा था मैं अपने गांव बहुत दिनों बाद जा रहा हूं। उसके दोस्त बोले तुम हमारे लिए वहां से क्या लाओगे? वह बोला हमारे गांव में एक अमरुद का पेड़ है वह उसमे सारे अमरुद लगते हैं मैं तुम सबको ढेर सारे अमरूद लाऊंगा। उन्हें गांव जाने के लिए ट्रेन मिल गई थी। छोटू हर स्टेशन को ध्यान से देख रहा था। दूसरे दिन वह अपने चाचा जी के गांव पहुंच गया। चाचा जी का बेटा दौड़ता दौड़ता है भाई आ गया भाई आ गया।

 

लखन और छोटू दोनों हम उम्र के थे। शाम को छोटू ने देखा लखन बड़ी ही सुंदर ड्राइंग बना रहा था। उसके पापा ने उसे बहुत ही रंग ला कर दिए थे। वह बड़ी सुंदर ड्राइंग कर रहा था उसको देखकर छोटू बोला मुझे भी ड्राइंग करने दो। छोटू ने उसे ड्राइंग बनाने दी। उसे बड़ा ही मजा आया। मेरा जन्मदिन कब है? उसके पापा  बोले तुम क्यों पूछ रहे हो?  आप भी मुझे मेरे जन्मदिन पर  रंग ला कर देना। मैं भी सुंदर-सुंदर ड्राइंग बनाकर  दिखाऊंगा। उसके पिता बोले ठीक है बेटा हम तुम्हें  तुम्हारे जन्मदिन पर कलर लेकर आएंगे। उन्हें अपने बेटे को दे देंगे। उसे  अभी तक कोई भी रंग लाकर नहीं दिए  उस तरह एकसाल व्यतीत हो गया। वह हर वक्त पापा को पूछता कि पापा मुझे रंग कब लाओगे? एक दिन छोटू को भी उसकी मां ने पड़ोस के बच्चों के साथ स्कूल भेज दिया। वहां पर बच्चे  ब्लैकबोर्ड परड्राइंग कर रहे थे। उनको ड्राइंग करता देख कर  वह बहुत खुश हुआ। मैं हर रोज स्कूल आया करूंगा। यहां पर आकर मैं वह अपने घर की दीवारों पर ड्राइंग बनाता। स्कूल से  चुपके से चौक उठा कर घर ले आया। गुसलखाने में जहां उसका दिल करता  करता। जब उसको ड्राइंग कॉपी नहीं मिलती तो वह घर के बाहर रास्ते में चौक से चित्र बनाता। उसको ड्राईग का बहुत ही शौक था। उसे नें एकदिन मां को कहा मुझे रंग दिला कर दो। उसकी मां बोली इस बार तुम्हारे जन्मदिन पर हमें तुम्हें रंग अवश्य खरीद कर लाएंगे। उसके पिता ने भी उससे कहा बेटा निराश ना हो। इस बार चाहे कुछ भी हो जाए हम तुम्हारी इच्छा अवश्य पूरी करेंगे।  छोटू  यह सुन करबहुत ही खुश हो गया। कल उसका जन्मदिन आने वाला था। वह सोच रहा था कि बस केवल एक दिन और उसे इंतजार करना है। जहां इतने दिन इंतजार किया वहां एक दिन तो कुछ भी नहीं है। उसे नींद ही नहीं आ रही थी। बार-बार उठकर अपनी मां को कह रहा था मां क्या वक्त हुआ है। वह बोली बेटा आधी रात को उठकर क्या कर रहे हो? वह बोला कुछ नहीं मां मुझे नींद नहीं आ रही है। सुबह हो चुकी थी उसके पापा काम पर जाने के लिए तैयार बैठे थे। वह अपने पापा के पास आकर बोला। आपको मेरा वादा याद है। वह बोले बेटा मुझे याद है।

उसकी बुआ  उनके घर पर आई थी उसकी बुआ बहुत ही परेशान दिख रही थी। वह बोली भाई जी इस वक्त कुछ रुपए उधार दे दो। आपकी बड़ी मेहरबानी होगी। हमारे व्यापार में घाटा हुआ है। वह बोला बहन मेरे पास तुम्हें देने के लिए कुछ भी नहीं है। मेरी स्थिति अच्छी नहीं है। मेरे पास थोड़े से रुपए हैं। मुझसे मेरा बेटा रंग की फरमाइश कर रहा है। वह भी उसे दिला नहीं पा रहा हूं। छोटू चुपचाप घर से बाहर चला गया। चुपचाप रास्ते से चला जा रहा था। रास्ते में उसे उसके दोस्त मिले बोले। तुम तो  गांव से बहुत सारे अमरूद लेकर आए थे। सचमुच में ही बहुत ही मीठे थे। तुम कहां जा रहे हो? उसके दोस्तों में से एक लड़का बोला छोटू कब तक घर में यूं ही पड़े रहोगे स्कूल में दाखिला ले लो। वह बोला मैं पढ़ कर क्या करूंगा?। मुझे पढ़ाई का शौक नहीं है।  मैं तो एक बहुत बड़ा चित्रकार बनना चाहता हूं। उसके दोस्त बोले जब तक तुम पढ़ाई नहीं करोगे तब तक तुम कभी भी अच्छे चित्रकार नहीं बन सकते। इसके लिए भी पढ़ना जरूरी होता है। छोटू घर आ चुका था उसे पता था कि उसके पापा इस बार भी उसे रंग नहीं दिला सके। उसने अपने पिता को कहते सुना  छोटू की ममी से बातें कह रहे थे हमारा बेटा ना जाने कब से रंग मांग रहा है। मैं उसकी इच्छा को पूरी नहीं कर सका। मैं कैसा पिता हूं? मुझे अपनी बहन को भी निराश नहीं करना। क्योंकि मेरी मां ने मरते वक्त मुझ से वचन लिया था कि मैं मेरी बेटी  कीहर हर इच्छा को पूरी करना। मेरे जाने के बाद तुम  ही इसके मां-बाप हो उसे अपनी माता के वे शब्द याद आ गए थे। छोटू की मां बोली दिल छोटा क्यों करते हो हमारा बेटा समझदार है। हम हम उसे समझा देंगे।। वह मान जाएगा।

 

छोटू को उन्होंने स्कूल में दाखिल करा दिया एक बार स्कूल छोड़ चुका था वह तीसरी कक्षा में पढ़ रहा था। स्कूल में अपने दोस्तों के साथ मस्त रहता था स्कूल में जब बच्चों के पास ड्राइंग की कॉपी और कलर देखता तो मन में सोचता क्ई बच्चों के पास तो इतने रंग दे दिए है। इतनी सारी कॉपियां है। हर चीज है परंतु मेरे पापा के पास ना तो बहुत ज्यादा रुपए हैं ना खाने के लिए बढ़िया भोजन और ना ही अच्छे-अच्छे वस्तुए। वह मासूम अपनी मां से पूछता मां हमारे पास सारी चीजें क्यों नहीं है।?  मेरे बहुत सारे दोस्तों के पास अच्छे अच्छे कपड़े हैं। अच्छे अच्छे जूते हैं। खेलने के लिए इतने सारे खिलौने हैं घूमने के लिए कार है। गाड़ी है मेरे पास तो कुछ भी नहीं है। कई बार तो एक रोटी खाकर ही गुजारा करना पड़ता है। मां दूध  वह तो मैंने कभी पिया ही नहीं। मेरा दोस्त कहता है कि आइसक्रीम दूध की बनती है मैंने जब दूध का स्वाद नहीं चखा तो आइसक्रीम तो तो दूर की बात है। उसकी मां नें कहा बेटा बड़े लोगों के पास  ही सब कुछ होता है। हम बड़े लोग नहीं हैं। छोटे लोगों के पास क्यों चीजें नहीं हो सकती।? छोटू बोला हम बड़े क्यों नहीं बन पाते? मां ने कहा भगवान ने उनको सब कुछ दिया है छोटू बोला तो आपने भगवान से अपने भगवान से कहो कि हमें भी सब कुछ दिलवाएं। वह आपकी बात क्यों नहीं सुनता। मुझे बताना मैं उससे फरमाइश करूंगा।

 

छोटू की मां कुछ नहीं बोली वह उसे क्या समझाती। वह बोली भगवान जी तुम्हें बहुत जल्दी रंग दिलाएंगे। आप दिल लगा कर पढ़ना शुरू कर दो। छोटू अपने दोस्तों के साथ स्कूल जाने लगा। एक दिन उसकी अध्यापिका बच्चों से फीस ले रही थी। उसने सारे के सारे रुपए मेज पर रख दिए। छोटू ने यह सब देख लिया वह मन में सोचने लगा कि आज तो मैं यह रुपए चुराकर उसके रंग ले आऊंगा। किसी को भी पता नहीं चलेगा। चुपचाप बैठा रहा। छोटू प्रार्थना सभा में नहीं गया। उसने कहा मेरी तबीयत ठीक नहीं है। सुबह के समय उसनें अपनी कक्षा अध्यापिका को अपना पर्स  कक्षा की मेज पर रखते देख लिया था। उसने कल ही देख लिया था कि मैडम ने ₹50 का एक अलग से नोट रखा था। वह सोच रहा था कि बस मुझे यह नोट मिल जाए तो मैं घर जाकर उसके रंग लूंगा और ड्राइंग करूंगा। मैडम ने सब बच्चों को प्रार्थना करने के लिए मैदान में बुलाया तो छोटू नें कहा कि मेरे सिर में दर्द है। झूठ-मूठ का बहाना बनाकर प्रार्थना में नहीं गया। उसने जल्दी से पर्स खोला उसने जल्दी से ₹50 का नोट निकाल लिया और अपनी जुराब के अंदर छिपा लिया। उसे डर भी बहुत लग रहा था। अगर मुझे किसी ने देख लिया तो मार पड़ेगी। उसने वह नोट अपनी जुराब में छुपा लिया। वह खुश भी था क्योंकि आज वह रंग लेकर ड्राइंग करेगा। स्कूल में मैडम पढ़ाने में व्यस्त हो गई। मैडम ने तो फीस की ओर ध्यान ही नहीं दिया। मैडम ने पर्स को देखा भी नहीं। वह बड़ा ही खुश हुआ घर आकर छोटू बहुत ही खुश था उसकी मां ने छोटू को आवाज लगाई बेटा खाना खा लो वह बोला मां मुझे भूख नहीं है। उसकी मां हैरान थी छोटू तो स्कूल से आते ही सारा घर सर पर उठा लेता था। मुझे रोटी दो। आज उसका बेटा रोटी को मना कर रहा है। शायद वह अपने पापा से नाराज है। बोली बेटा हमें तुझे जल्द ही रंग लेकर आएंगे।

 

छोटू बोला कोई बात नहीं मां आप चिंता मत करो। जब आपके पास रुपए होंगे तब ले लेना। कोई बात नहीं। वह बोला मैं खेलने जा रहा हूं। और चुपचाप घर के पास ही स्टेशनरी की दुकान थी वहां पर चला गया। उस दुकानदार को कहा भैया यह रंग का डिब्बा कितने का है।? वह बोला बेटा यह ₹35 का है और ड्राइंग का ₹15 का है दोनों ₹50 के हैं। वह बोला मेरे पास यही एक नोट है दुकानदार बोला इससे तुम्हारे दोनों चीजें आ जाएगी। वह खुश हो गया जल्दी से उसका ड्राइंग कॉपी और रंग ले कर  सीधा घर आ गया। घर आकर उसने अपने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया और अपने मनपसंद ड्राइंग की। आज तो उसे उसकी मनपसंद वस्तु मिल गई थी। उसकी मां अपने बेटे को खुश देखकर खुश थी। दूसरे दिन जब मैडम स्कूल में फीस देने जाने लगी तो फीस में ₹50 कम थे। मैडम ने छह सात बार गिने  मगर ₹50 कम थे। मैडम नें सोचा मैंने तो कल सब बच्चों से फीस इकट्ठी ले ली थी। सारे रुपये गिने थे। डायरी में भी नोट किया था। ₹50 पता नहीं कहां चले गए।

 

मैडम ने सब बच्चों को पूछा क्या तुमने मेरी मेज पर से रुपए तो नहीं उठाए। सब बच्चों ने कहा मैडम हमने चोरी नहीं की। मैडम ने कक्षा की मुखिया को कहा तुम सब बच्चों की निगरानी करना। शूची बोली मैडम मैं ध्यान रखूंगी। मैडम ने शाम के समय सब बच्चों की तलाशी ली किसी के पास भी रुपए नहीं थे। छोटू नें  चोरी करने के पश्चात  रंग घर में ही रख दिए। सूची नें मैडम को कहा मैडम जी जिस दिन आप नें फीस ली थी छोटू स्कूल में प्रार्थना  सभा में नहीं गया। उसने मुझसे कहा था कि मेरे सिर में दर्द है। वह प्रार्थना में भी नहीं गया कहीं उसी ने ही तो आपके रुपए चोरी तो नहीं कीए।  मैडम बोली बेटा हमें बिना सोचे समझे किसी  पर भी शक नहीं करना चाहिए। जब तक कोई ठोस प्रमाण ना हो। शुची बोली ठीक है। वह सोचनें लगी क्यों ना मैं छोटू से दोस्ती कर दूं? उसने छोटू से दोस्ती करना शुरु कर दिया। उस का घर छोटू के घर के पास ही था। वहअमीर परिवार की लड़की थी।

 

शुची एक दिन छोटू को अपने घर लेकर गई छोटू की आंखें फटी की फटी रह गई इतना सुंदर घर  वह किसी महल से कम नहीं था। वह बोला तुम तो राजकुमारी हो। मेरी मां कहती है जिनका घर बहुत बड़ा होता है वह घर बड़े-बड़े राजाओं का होता है। तुम भी राजकुमारी हो। शुची छोटू की बात सुनकर हंसी बोली मैं कोई राजकुमारी नहीं हूं। यह घर तो मेरे पापा ने बनाया है। जब मैं बड़ी बनकर खूब रुपया कमाऊंगी  तब मैं भी इतना सुंदर घर लूंगी। छोटू बोला मैं भी खूब बड़ा घर लूंगा। अभी तुमको मैं अपने घर पर नहीं ले जा सकता। क्योंकि   एक छोटी सी झोपड़ी में हम तीनों रहते हैं। वहीं पर हम सोते हैं। खाना बनाते हैं। छोटू की बात सुनकर शुची को उस पर दया आ गई। वह छोटू चोरी नहीं कर सकता। एक दिन छोटू ने कहा मां मुझे आज बुखार है। मैं स्कूल नहीं जाऊंगा। छोटू की  मां बोली बेटा स्कूल से छुट्टी नहीं लेनी चाहिए। वह बोला मां सचमुच आज मेरे सिर में दर्द है। वह अकेला बैठकर ड्राइंग बनाना चाहता था। शुची ने जब छोटू को स्कूल में नहीं देखा तो वह बड़ी उदास हो गई अपनी कक्षा में छोटू ही  उसे सबसे अच्छा लगता था। छोटू जब स्कूल में नहीं आया तो वह शाम को सीधा छोटू के घर पहुंच गई। शुची ने देखा छोटू नें  दरवाजा बंद किया हुआ था जैसे ही दरवाजे पर दस्तक हुई उसने सोचा मां होगी उसने जल्दी से अपने रंग पलंग के नीचे रखे और दरवाजा खोलने चला गया। शुची को अपने घर में अचानक देखकर छोटू बड़ा हैरान हुआ। वह बोली तुम आज स्कूल भी नहीं आए तो मैंने सोचा क्यों ना मैं ही चल कर देख लूं कि तुम आज स्कूल में क्यों नहीं आए? छोटू बार-बार अपने पलंग के नीचे की ओर देख रहा था कहीं अगर शुची  नें पलंग के नीचे मेरे रंग देख लिए तो मेरा भांडा फूट जाएगा। वह बोला तुम्हें प्यास लगी होगी मैं तुम्हें  पानी ले कर आता हूं। जैसे ही छोटू पानी लाने गया शुची  नें  अन्दाजा लगा लिया कुछ ना कुछ तो दाल में काला है। जो वह छुपानें की कोशिश कर रहा है। उसने दरवाजा खोलते वक्त उसे कुछ छुपाते देखा। क्या छुपाया होगा वह क्या छुपा रहा था।? उसने पलंग के नीचे देखा ड्राइंग कॉपी और कलर देखे। चौंक गई यह तो कॉपी भी न्ई है और रंग भी नये है। कहीं इसी ने तो चोरी ना की हो। उसने छोटू को कुछ नहीं कहा। जल्दी से पानी पिया बोली अच्छा मैं घर चलती हूं। मेरी मम्मी मुझे देर से आने पर गुस्सा करेगी।

 

छोटू अपने कमरे में ही बैठ गया। शुची जल्दी से अपने घर को जाने लगी। रास्ते में उसे छोटू की मम्मी मिल गई बातों ही बातों में उसने छोटू की मम्मी को बताया कि आजकल छोटू चुपचाप रहता है। वह जानना चाहती थी कि उसकी मां छोटू के बारे में क्या कहती है।? वह बोली बेटा मेरा छोटू बहुत ही भोला है वह कितने दिनों से हमसे रंग लेने की फर्माईश कर रहा था मगर हमने उसे अभी तक उसकी इच्छा पूरी नहीं की। शायद इसलिए वह चुपचाप रहता होगा और क्या कारण हो सकता है। सब कुछ साफ हो गया था।

 

शुची को पता लग गया था कि उसने जो रंग देखे वह छोटू लाया होगा। यह रंग तो उसने दो-चार दिन पहले ही लिए होंगे नहीं छोटू चोरी नहीं कर सकता। मगर उसके पास रंग कैसे आए। उसके मां पिताजी ने तो उसे ले कर नहीं दिए। हमारी मैडम कहती है कि हमें बिना सोचे समझे किसी पर भी शक नहीं करना चाहिए। जब तक मुझे कोई ठोस प्रमाण नहीं मिलता तब तक मैं छोटू को चोर साबित नहीं कर सकती।

 

वह बहुत ही होशियार थी उसने यह किसी न किसी दुकान से लिए होगे। छोटू के घर के पास जो स्टेशनरी की दुकान है उसकी दुकान पर चल कर पता करती हूं। वह जल्दी जल्दी स्टेशनरी की दुकान पर पहुंच गई। आपके पास ड्राइंग कॉपी है। दुकानदार बोला मेरे पास ड्राइंग कॉपी तो खत्म हो गई है। यह एक ही बची थी। वह तो दो  दिन पहले एक लड़का लेकर गया। मैं मंगवा दूंगा। वह बोली कोई बात नहीं अंकल आप से कौन कॉपी लेकर गया।? वह बोला मुझे नाम तो नहीं पता मगर यही नजदीक ही रहता है। उसे मैं जाते हुए हर रोज देखा करता हूं वह बोली अंकल क्या उसने पैंट पहन रखी थी। वह बोला तुम क्यों पूछ रही हो?? तुम तो ऐसे पूछ रही हो जैसे उसने कोई चोरी की हो। वह बोली नहीं अंकल। दूकानदार बोला उस बच्चे का नाम  तो मुझे पता नहीं पर सब लोग उसे छोटू बुलाते हैं। वह बोली अंकल धन्यवाद। वह तो आप से ड्राइंग कॉपी और रंग भी ले गया होगा। वह बोला हां हां।

 

शुची को पता चल चुका था कि चोरी छोटू ने ही की थी। उसके पास ड्राइंग बनाने के लिए रंग नहीं थे इसलिए उसने चोरी की। अगले दिन उसने मैडम को कहा कि मैडम मुझे पता चल गया है कि आपकी रुपए किसने चोरी किए मैडम बोली वह कौन है? जिसने फीस के रुपए चोरी किए। शुची ने कक्षा में सब बच्चों के सामने कहा कि छोटू ने ₹50 चोरी किए। छोटू ने कहा कि मैंने रुपए चोरी नहीं की है। मैडम ने उसे मुर्गा बनाया और कहा बेटा जब तक तुम अपनी चोरी को कबूल नहीं करोगे तब तक हम तुम्हें नहीं छोड़ेंगे। वह फिर भी कुछ नहीं बोला।

 

आज सब बच्चों के सामने उसकी बेइज्जती हुई थी। उसे शुची पर गुस्सा आ रहा था। शाम को शुची उसके घर पर आकर बोली आंटी आपके बेटे ने मैडम के ₹50 चुराया। और उससे रंग ला कर रंग किए। उसके पापा ने जब सुना कि छोटू ने चोरी की तो उन्होंने छोटू की खूब पिटाई की उसके रंग बाहर कूड़ेदान में डाल दिए। छोटू को शुची पर बेहद गुस्सा आ रहा था। उसके पापा ने उसे दो दिन तक खाना नहीं दिया। चार दिन तक छोटू स्कूल नहीं आया। शुची को बहुत ही बुरा महसूस हुआ। वह ड्राइंग ही तो करना चाहता था। उसके पापा के पास इतने रुपए नहीं थे जो उसको रंग ला देते। मेरे पापा के पास तो काफी रुपयें हैं। छोटू के पापा के पास इतने रुपए नहीं है बेचारे कहां से लाते। मेरे पापा भी अगर गरीब होते और वह मुझे रंग नहीं दिलवाते मुझे ड्राइंग करने का शौक होता तो शायद मैं भी चोरी करती।

 

हे भगवान मैंने उस छोटू को यूंही मार पड़वा दी वह जल्दी ही छोटू के घर पहुंची। छोटू ने अपने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया था। उसकी मां रो-रो कर बोल रही थी बेटा मुझे माफ कर दो इसमें तेरा कोई कसूर नहीं है तू ने ना जाने कितनी बार हमसे रंग लाने के लिए कहा मगर हमने तेरी बात को नजरअंदाज कर दिया। छोटू ने सारी रात दरवाजा नहीं खोला। उसे नींद आ गई थी। उसकी मां ने इस तरह दूसरी तरफ से जाकर दरवाजा खोला। पिछली तरफ से भी उनका दरवाजा खुल. जाता था। वहां से उसकी मम्मी ने दरवाजा खोला। शुची ने मैडम को कहा मैडम छोटू को माफ कर दो। उसने स्कूल में सब बच्चों को ड्राइंग करते देखा तो उसका भी मन ड्राइंग करने को हुआ मगर उसके पास रंग नहीं थे। इसलिए उसने आपकी फीस में से चोरी की। मैडम ने जब छोटू की ड्राइंग देखी उसकी आंखें फटी की फटी रह गई। इतनी सुंदर ड्राइंग मैडम ने उसे अपने पास बुलाया और उसके सर पर प्यार से  हाथ फेरते हुए बोली बेटा तुम अगर रंग लेना ही चाहते थे तो हम से कह दे देते। हम तुम्हें रंग दिलवा देते आगे से कसम खाओ कि कभी चोरी नहीं करोगे। नन्हा सा छोटू मान गया। मैडम ने छोटू की फीस भी माफ कर दी। धीरे-धीरे छोटू ने शुची कहा कि तुमने मुझे सही रास्ता दिखाया। तुम सचमुच में ही मेरी अच्छी दोस्त हो। शुची अभी भी खुश नहीं थी। उसका का जन्मदिन आने वाला था। उसने अपने पापा को कहा कि पापा इस बार भी मैं अपना जन्मदिन कुछ अलग ही तरीके से मनाना चाहती हूं। उसने अपने माता पिता को कहा कि पापा मैं अपना जन्मदिन अपने तरीके से मनाना चाहती हूं जन्मदिन पर उसने इस बार बहुत अच्छे कलर लिए और खूब सारी ड्राइंग कॉपी ली। उसने अपने दोस्त छोटू को भी अपने जन्मदिन पर आमंत्रित किया। उसने अपने जन्मदिन पर छोटू को भी उपहार दिया। एक बहुत बड़ा डिब्बा था छोटू डिब्बा पाकर बड़ा खुश हुआ।उसमें बहुत सारे कलर थे और  चार ड्राइंग कॉपी इतने सारे रंग देखकर छोटू बहुत ही खुश हुआ। शुची नें अपने घर के पास ही गरीब बच्चों की झोपड़ियों  में जा कर उन्हें रॉ उपहार में दिए।  झोंपड़ी के बच्चे उसके इर्द-गिर्द आकर बोले दीदी तुम्हारा धन्यवाद। वह सोचने लगी वह अपने हर जन्मदिन पर कुछ अलग सा करेगी। उन लोगों के लिए जो सबसे अलग हैं। छोटू बोला तुमने मुझे इतने सारे रंग दिए। वह बोली तुम्हें देखकर मुझे लगता है कि तुम मेरे भाई हो। मेरे कोई भी भाई नहीं है। जब मैंने तुम्हारी शिकायत लगाई उसके बाद मुझे इतना पश्चाताप हुआ।

 

उसमें तुम्हारी गलती नहीं थी मैं ही समझ नहीं सकी। वह बोला इसमें तुम्हारा कोई कसूर नहीं था।  बच्चे बड़े हो चुके थे।  छोटू एक दिन इतना बड़ा चित्रकार बन चुका था। उसे सम्मान से नवाजा जाना था। उसकी पेंटिंग इतनी मशहूर हुई थी कि उसकी एक एक पेंटिंग करोड़ों रुपए की थी। आज इतना बड़ा सम्मान पाकर बहुत ही खुश था। उसने अपने मम्मी पापा को एक बड़ा बंगला लाकर दे दिया। वह अपने पुराने गांव में जब आया तो वहां शुची का मकान देखकर दंग रह गया। वहां पर जाकर दरवाजा खटखटाया अंदर से शुची के बूढ़े पिता ने दरवाजा खोला। उनका बंगला अब इतना पुराना हो चुका था उसने बातों ही बातों में पूछ लिया अंकल आपने मुझे पहचाना। वह बोले बेटा हां तुम्हें हम कैसे नहीं पहचानते?

तुम शुची के दोस्त हो। शुची ने तो तुम्हें अपना भाई बनाया था। वह शादी करके अपने घर चली ग्ई। । उसके दो छोटे प्यारे प्यारे बच्चे हैं तुम कहां हो?वह बोला मैं भी अपनी पत्नी और बच्चे के साथ रहता हूं। मैं मुंबई में रहता हूं

 

वह बोले हमारी बेटी भी मुंबई में रहती है। वह बेचारी बीमार है। वह अस्पताल में है। शुची के पिता ने  छोटू को अस्पताल का पता दे दिया। छोटू जब मुंबई वापस गया शुची को देखकर हैरान रह गया। यह तो एकदम हड्डियों का ढांचा रह गई थी। वह जल्दी से अस्पताल आया वह छोटे से बच्चे को देखकर चौका। छोटा सा बच्चा बोला अंकल आप हमारी मम्मी को देखने आए हो। मेरी मम्मी बहुत बीमार है। शुची के पति शौर्य से उसकी मुलाकात हुई शौर्य नेंे कहा कि शुची का बचना मुश्किल है उसका हार्ट का ऑपरेशन होगा। उसके ऑपरेशन के लिए 5000000 रुपए खर्च आएगा। हमारे पास इस के इलाज के लिए इतने रुपए नहीं। हमने तो आस ही छोड़ दी है अब तो भगवान का ही भरोसा है। छोटू सूची के पास जाकर बोला तुम्हारे छोटू। तुम्हारा छोटू आ गया है। तुम ही तो मेरी छोटी बहन हो। तुम्हें मैं जरूर बताऊंगा। उसने अपनी पेंटिंग बेच दी। उसकी एक एक पेंटिंग इतनी महंगी बिकी। उसने शुची के ऑपरेशन के लिए अपनी पेन्टिन्ग बेच दी।

 

शुची का ऑपरेशन सफल हो गया। वह मौत के मुंह से बाहर निकल चुकी थी। वहबोली भाई मेरे तुम ने मुझे बचा लिया नहीं तो आज मैं जिंदा नहीं बचती। शौर्य और शुची नें छोटू को अपने घर खाने पर बुलाया। शुची की तरफ हाथ बढ़ा कर बोला यह कलाई अभी भी सुनी है। जब तक मेरी बहन  मेरे हाथ पर राखी नहीं बांधेगी  तब तक मैं समझूंगा कि मेरी बहन  नें मुझे अभी तक माफ नहीं किया। आज राखी के  त्यौहार पर मैं तुम्हें एक अपने हाथों द्वारा बनाई गई पेंटिंग तुम्हें देता हूं। जैसे ही शुची   ने पेंटिंग को देखा उसकी आंखें फटी की फटी रह गई। उसमें उस की बचपन की तस्वीरें थी। वह बोली भाई मेरे तुमने मेरी जिंदगी में रंग भर दिए हैं। मेरी दुनिया आबाद कर दी है। आज नहीं तो मेरे बच्चे अनाथ हो जाते। आज तुमने न्ई जिंदगी दे कर मेरी जिंदगी में रंग भर कर   इन्हें  आबाद  कर  दिया है।

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