महेंद्र नाथ और उसकी पत्नी एक छोटे से गांव में रहते थे। उनका एक बेटा था विकी। वह अपने बेटे को बहुत बड़ा इंसान बनाना चाहते थे। वह उसको हर अच्छी शिक्षा दिलवाना चाहते थे उनका बेटा उनकी कसौटी पर कभी खरा नहीं उतरता था। वह साथ ही साथ उसको अच्छे संस्कार भी देना चाहते थे। वह अपने बेटे को बार-बार टोका करते थे कि हमें झूठ नहीं बोलना चाहिए। बेटा होशियार था मगर हर चीज को गंभीरता से नहीं लेता था। पढ़ाई तो थोड़ी देर ही करता था। उसके पापा इसी वजह से उस से चिढ़ते थे। उससे उसके पापा जब पुछते पढ़ाई कर ली तो वह कहता हां पापा हां कर ली। कई बार तो वह झूठ ही कह देता कि पढ़ लिया। स्कूल में मैडम उससे होमवर्क के बारे में पूछती तो गर्व से कहता मैडम आज मेरे अंकल जी की मृत्यु हो गई। इसलिए वह पढ़ नहीं पाया। कभी कहता मैडम जी मैं बीमार था। वह कभी भी काम करके नहीं लाता था उसके अध्यापक भी उससे ज्यादा खुश नहीं थे परीक्षा में थोड़ी सी पढ़ाई करके वह हर परीक्षा में सफल हो जाता था।
एक दिन तो उसके पापा उस पर बहुत गुस्सा हो गए। तुम बुद्धू के बुद्धू ही रहना चाहते हो तुम्हें सब कुछ मिलता है फिर भी तुम पढ़ाई नहीं करते हो। तुम्हें सब क्या कहेंगे? महेंद्र नाथ का बुद्धू बेटा। उसको यह सुनना बहुत ही बुरा लगा। एक दिन वह अपने दोस्त के घर गया हुआ था उसका दोस्त बन्टू उसे अपने घर लेकर गया। कभी-कभी वह उसके घर चला जाता था। थोड़ी देर खेलने के बाद बन्टू के पापा मम्मी ने अपनें बेटे से कहा बेटा इधर आओ। बन्टू अंदर चला गया। बन्टू को कहने लगे हमने जो तुम्हारे पापा की घड़ी खरीदी थी वह नहीं मिल रही है। कहीं तुम्हारे दोस्त ने तो नहीं उठाई है। गौरव सोचनें लगा ये लोग मुझे चोर ठहरा रहे हैं। उसका अपने दोस्त के घर दम घुटने लगा। उसने सब सुन लिया था उसका दोस्त कह रहा था मां मैंने घड़ी नहीं छुपाई
उसकी मां बोली शायद तुम्हारे दोस्त को घड़ी पसंद आ गई हो वह घर ले गया हो। वह शाम को जब घर गया तो बहुत ही उदास था। उसके मम्मी पापा ने कहा कि बेटा क्या हुआ? इतने में बन्टू के मम्मी पापा उसके घर पहुंच गए थे बन्टू बोला तुम उदास हो कर चले आए। मुझे बहुत दुख हुआ। मैंने ही घड़ी छुपाई थी। मैंने अपनी मम्मी पापा से झूठ कहा की घड़ी मैंने नहीं चुराई। मुझे सचमुच में ही दुख हो रहा है।
मेरे दोस्त मैं तुमसे क्षमा मांगना चाहता हूं। मेरे मम्मी पापा ने कहा कि अपने दोस्त के घर चल कर माफी मांगो। गौरव के मन से सारा बोझ हट गया था। उस दिन की घटना ने उसे अंदर से हिला कर रख दिया। उसने कसम खा ली कि वह अब कभी झूठ नहीं बोलेगा।
उसने महसूस किया कि मैं तो झूठ नहीं बोलूंगा क्या मेरे मम्मी-पापा या अध्यापक जो मुझे हर वक्त यही शिक्षा देते हैं कि झूठ मत बोलो झूठ मत बोलो क्या कभी मैंने उन्हें कभी भी झूठ बोलते नहीं देखा? मैं पहले स्वयं महसूस करूंगा। वहअपने मम्मी पापा पर नजर रखने लगा। वह हमें सीख तो देते हैं झूठ मत बोलो
एक दिन मम्मी की सहेलियां आई हुई थी। वह उसी कमरे में बैठकर पढ़ाई कर रहा था। मेरी मम्मी अपनी सहेलियों को अपनी साड़ियां दिखा रही थी। उनकी सहेलियों ने पूछा तुमने यह साड़ी कहां से खरीदी? वह बोली यह मेरे पति ने मुझे मेरे जन्मदिन पर उपहार में दी। उनकी सहेलियों ने कहा यह साड़ी तो महंगी होगी। वह बोली 5000 की है। जब मम्मी की सहेलियाँ चले ग्ई तब वह मन ही मन सोचने लगा मेरी मम्मी भी तो झूठ बोलती है। वह मुझे कहती है झूठ मत बोलो। उस दिन उसने अपनी मम्मी को कुछ नहीं कहा। वह अपने पापा को भी देखना चाहता था कि पापा जो भी कहते हैं वह ठीक है या नहीं। एक दिन उसके पापा बाहर अकेले में जाकर सिगरेट पी रहे थे। उसने पापा को सिगरेट पीते देख लिया। उसने अपनी मम्मी को कहा कि मम्मी बाहर आओ मैं आपको कुछ दिखाना चाहता हूं। वह अपनी मम्मी को बाहर ले कर आया। बाहर अपने पति को सिगरेट पीता देखकर वह हैरान रह गई। वह आते ही अपने पति पर भड़क उठी। आप भी तो मुझसे झूठ बोलते हैं। मुझे कहते हैं कि मैं सिगरेट नहीं पीता। मैंने पीनी छोड़ दी है जाओ मैं आपसे बात नहीं करती। गौरव बोला नहीं मां मैं भी आपसे बात नहीं करूंगा। आप पापा को माफ कर दो। आप भी तो मां कहीं ना कहीं झूठ बोलती हैं।
आज आप अपनी सहेलियों से कह रही थी कि मेरे पति ने मुझे यह साड़ियां उपहार में दी है जब कि यह साड़ी आपको नानी मां ने दी थी। गरिमा चुप हो गई। वह अंदर से बहुत ही दुखी हो रही थी। मैंने तो अपने पति को डांट दिया। मेरा बच्चा ठीक ही कहता है हम अपने बच्चे में अच्छे संस्कार देने की कोशिश करते हैं मगर क्या कभी हम भी उस पर खरे उतरते हैं या नहीं? हमें तभी अपने बच्चों को यह बात कहनी चाहिए। अगर हम भी उनसे झूठ ना बोले। उस दिन दोनों पति-पत्नी ने कसम खा ली कि हम कभी भी झूठ नहीं बोलेंगे।
गौरव स्कूल गया तो उसका मन बहुत ही शांत था। उसके स्कूल में सांस्कृतिक कार्यक्रम था बच्चों को भाषण देने को कहा गया था जो बच्चे अच्छा भाषण देगा वह प्रथम पुरस्कार जीतेगा। सभी बच्चों ने अपने नाम लिखवाएं बच्चों ने अध्यापक ने कहा कि कोई तीन बच्चे ऐसे होंगे जिन्होंने कभी भी भाषण प्रतियोगिता में भाग ना लिया हो। वह भी किसी भी टॉपिक पर पांच मिनट बोलेंगे। उन तीनों में से जो अच्छा भाषण देगा उसे इनाम दिया जाएगा। आज सभी अध्यापक हैरान थे जो गौरव कभी भी बोलता नहीं था उसने भी अपना नाम लिखवा दिया था। सभी बच्चे गौरव को घेरे खड़े थे। वह उससे पूछ रहे थे कि तुम क्या बोलोगे? गौरव बोला मैंने तैयार नहीं किया है। ं आज जो मैं बोलूंगा वह मन की गहराइयों से बोलूंगा। सबसे पहले निरीक्षण महोदय आए उन्होंने सब बच्चों से पूछा बच्चों अपना होमवर्क हर रोज कौन-कौन करता है।? सब बच्चे खड़े होकर कौपियां दिखा रहे थे। मगर गौरव बैठा था। उसको देख कर निरीक्षक महोदय बोले बेटा तुमने काम क्यों नहीं किया? वह बोला सर मैं कभी काम नहीं कर के लाता। मैं मैडम से हर बार झूठ बोलता हूं। आज देर हो गई। आज मेरे सिर में दर्द है। आज मेरे घर में मेहमान आए हैं।
सच्ची बात यह है कि मैंने आज तक काम नहीं किया जो मैडम पढ़ाती है मैं उसे ध्यान से सुनता हूं। वही परीक्षा में लिख देता हूं। आज से मैं सुधर गया हूं। निरीक्षक महोदय उसकी बात सुनकर हैरान रह गए। वह बोला जब आप अगले साल चेकिंग पर आएंगे तो मैं सबसे पहले आपको अपनी कॉपी दिखाऊंगा। निरीक्षक महोदय ने गौरव को तालियां बजवाई गौरव खुश हो गया संस्कृति कार्य में गौरव का नाम पुकारा गया। वह आगे आ गया बोला मेरे अध्यापकगण और मेरे सहपाठियों आज तक मैंने कभी भी अपने अध्यापकों अभिभावकों और किसी की बात को कभी भी गंभीरता से नहीं लिया। मैं आज आपको भाषण की पांच छः पंक्तियां कहना चाहता हूं। मैंने रटा नहीं लगाया। खुद अनुभव किया है जो मैं आप लोगों के समक्ष कहना चाहता हूं। हमें घर में मम्मी पापा हमारे अध्यापक हमारे सहपाठी सभी कहते हैं कि हमें झूठ नहीं बोलना चाहिए। इन पंक्तियों को गहराइयों से महसूस करें तो हम पाएंगे कि हम सब कहीं ना कहीं झूठ बोलते हैं। हमें कहने से पहले हमें सोच लेना चाहिए कि कहीं हम भी तो झूठ नहीं बोल रहे हैं? मैंने इसका जीता जागता उदाहरण अपने मम्मी पापा। मेरी मम्मी भी झूठ बोलती है। उसने अपने मम्मी और पापा का सारा का सारा किस्सा सुनाया। मैडम जी आपने भी मुझे कहा कि तुम झूठ बोलते हो। ंमैडम आप भी एक दिन फोन पर अपनी सहेली को कह रही थी कि मैं आज तुम्हारे साथ बाजार नहीं जाऊंगी क्योंकि मेरे घर में मेहमान आए हैं। उस दिन मैं आपके घर आया आप घर पर अकेली थी। आपने भी झूठ बोला था।
मैं प्रिंसिपल जी के कमरे में गया वह कह रहे थे कि खुराना साहब कल मैं स्कूल नहीं आऊंगा। मेरी बेटी की परीक्षा है। स्कूल में कोई आया तो कह देना बीमार है। क्या आपने कभी सोचा है कि हम बच्चों पर इस बात का क्या असर पड़ता है? कल मैं अपने दोस्त के घर गया उसके पापा की घड़ी नहीं मिल रही थी उसके मम्मी पापा ने मेरे दोस्त को कहा कि तुम्हारे दोस्त ने हमारी घड़ी चुरा ली है जबकि वह घड़ी उसके दोस्त ने चुपके से अपने सिरहाने रख दीथी। उस घटना ने मुझे अंदर से झकझोर कर रख दिया। मुझे सचमुच में ही महसूस हुआ कि हमें झूठ नहीं बोलना चाहिए। सभी को समझना चाहिए इस का पालन करे।
निरीक्षक महोदय ने कहा कि मुझे गौरव का भाषण बहुत पसंद आया। उसने अपने दिल की अंतरात्मा से यह बात कही है। वह बच्चा हर कदम पर सफलता हासिल करेगा। आज आप सभी लोगों से मेरा अनुरोध है कि बोलने से पहले यह देख लो कि हम जो भी बात कह रहे हैं उसका हम भी पालन करतें हैं या नहीं। सभी अध्यापकों के सिर लज्जा से झुक गए थे।सभी उस बच्चे को बुद्धू ठहराते थे। वह बच्चा बडा हो कर एक दिन इतना बड़ा वैज्ञानिक बना और उसने बहुत नाम कमाया।