एक छोटे से गांव में पारो और उसका पति नत्थू रहता था। उनके एक बेटी थी रानी ।रानी को उसके माता पिता बहुत ही प्यार करते थे। वे उसे पढ़ाना चाहते थे ताकि वह पढ़ लिखकर अपने पैरों पर खड़ा हो सके लेकिन रानी इतने लाड प्यार में पली थी कि वह बात बात पर रुठ जाती थी। काम भी अपनी मर्जी का ही किया करती थी ।उसे काम करने से कोई लगाव नहीं था। उसकी बहुत ही सहेलियां थी। वह सारा दिन उनके साथ खेलने चली जाती। वह सभी सहेलियां इकट्ठे स्कूल जाया करती थी उसे बात बात पर शक करने की आदत थी। उसकी सहेलियां ही उसे ऐसी मिली थी। कहते हैं कि जैसी संगत करो वैसे ही इंसान बन जाता है उसकी सहेलियां उसे कहती आज हमारे घर में एक छमिया ताई आई थी वह जादू टोना करती है। उनके घर में जब भी कोई मेहमान आता तो वह उसके हाथ से एक गिलास पानी पीना भी पसंद नहीं करती थी।
एक बार उसकी मुंह बोली ताई सविता उनके घर आ गई ।उसको अपनें घर आते देखकर वह कभी भी बाहर नहीं निकलती थी। उसे ऐसा महसूस होता था कि वह उसे कोई ऐसी वैसी चीज ना खिला दे जिससे वह बीमार हो जाए। उस पर कोई जादू टोना न कर दे। उसको कमरे में बंद देख सविता पारो से बोली तुमने अपनी बेटी को सिर पर चढ़ा दिया है। उससे भी घर के दूसरे सभी काम करवाया करो। कल को वह ब्याह कर दूसरे घर जाएगी तो उसे भला-बुरा सुनना पड़ेगा। अपने ज्येष्ठ भाई को सविता बोली भाई तुमने अपनी बेटी को कुछ ज्यादा ही छूट दे रखी है ।उस पर थोड़ा सा तुम्हारा नियंत्रण तो अवश्य होना चाहिए। रानी शेन यह सब सुन लिया था।वह अपनें गुस्से पर नियंत्रण रखना नहीं जानती थी।
रानी बाहर आकर अपनी ताई को बोली आप ऐसा क्यों कहती हो? मेरी मर्जी मेरा जब काम करने को मन करेगा तभी मैं काम करूंगी। आप तो चुप ही रहो। इस बात पर सविता को गुस्सा आ गया वह बोली तू जोर से बोलेगी तो तुझ पर थप्पड़ भी लगा दूंगी। तुझे पहले ही थप्पड़ पड़ा होता तो तू सुधर जाती। तेरे माता पिता तो दोनों भोले भाले हैं। मैं जब तक तुझे सुधार न लूं यहां से जाने वाली नहीं।
रानी कुछ कहनें ही जा रही थी कि उसके पिता ने आकर उस के मुंह पर हाथ रख कर उसे रोक दिया। वह झगड़ा बढ़ाना नहीं चाहते थे। वह चुपचाप जल भून कर अपने कमरे में चली गई। उस दिन तो वह कुछ भी नहीं बोली ।अपनी ताई उसे एक खलनायिका दिखने लगी। वह सोचनें लगी इस ने तो आते ही मेरे माता-पिता को ना जाने क्या पट्टी पढ़ा दी है दोनों मूर्ख बने बैठे हैं। इनके इशारों पर नाचते हैं। वह जब दोपहर को अपनी सहेलियों से मिली तो उसने अपनी सहेलियों को सारी बातें बताई। उसकी सहेलियां कहने लगी कि तुम्हारी ताई तो जादू टोना करना जानती होगी। उसने तुम्हारे माता-पिता पर जादू कर दिया है। डर के मारे वह थरथर कांपने लगी। चुपचाप घर में जब आती वह किसी से कुछ भी बात नहीं करती।
एक दिन उसके माता-पिता किसी काम से बाहर गए हुए थे ।रानी के पेट में बहुत जोर से दर्द उठा। घर में उसकी ताई ही घर पर थी। उन्होंने बड़ी ही मुश्किल से उसे दवाई खिलाई। उससे भी उसका दर्द ठीक नहीं हुआ। वह सोचने लगी कि उन्होंने मुझे ना जाने क्या खिला दिया? वह मन ही मन डरने लगी। पढ़ाई में अब उसका मन नहीं लगता था ।
उसके मम्मी पापा ने उसे हॉस्टल में डाल दिया।वह हॉस्टल में रहने लगी। उसके पिता ने उसे जहां उसकी ताई अमृतसर शहर में रहती थी उन के नजदीक ही थोड़ी दूरी पर उसे हौस्टल में डाल दिया था। उसके पिता नें उसे समझाया था कि जब भी तुझे किसी वस्तु कि आवश्यकता हो तो तुम अपनी ताई से बिना किसी संकोच से कह सकती हो।उसकी ताई का घर हौस्टल से दस किलोमीटर कि दूरी पर था। उसने अपनी मम्मी पापा को बताया कि आप ताई के पास मुझे मत ठहराना मैं तो हॉस्टल में ही रहना चाहती हूं। उसे यही डर लगा रहता था कि उसकि ताई यहां पर भी ना आ धमके।
एक दिन उसके पेट में अचानक दर्द हुआ। हॉस्टल वार्डन ने उसकी ताई को फोन करके बुला लिया, क्योंकि उसके माता-पिता तो बहुत ही दूर रहते थे ।उसकी ताई उसके सिराहनें बैठ कर उसे दवाइयां देती रही ।बीमारी के कारण वह तो उठने में असमर्थ थी।वह अपनी ताई के हाथ से दवाइयां खाने में हिचकिचा रही थी ।उसे दूर से आते देख कर रानी आंखें बंद कर लिया करती थी। एक दिन जब उसकी ताई हौस्पिटल आई तो रानी नें उसे दूर से आते देख चादर से अपना मुंह ढक लिया। उसकी ताई ने समझा कि वह सो रही है ।उसे जगाना उचित नहीं लगा।डाक्टर आते ही बोली कि इस बच्चे को कोई मानसिक परेशानी है। इसके पेट में पथरी है। पत्थरी का इलाज ऑपरेशन ही करना पड़ेगा। सविता बोली डाक्टर साहब शायद यह मुझे अपना शत्रु समझती है । उस पर मैं बार-बार टोका टाकी करती रहती थी। मैं तो इसके भले के लिए उसे सुनाया करती थी ताकि हमारी बेटी बड़ी होकर एक बहुत ही अच्छी कामयाब ऑफिस बनें। मेरे भाई भाभी की एक ही संतान हैं। उनको मैं कभी दुखी नहीं देख सकती।हे भगवान! इसकी सारी परेशानियां मुझे दे दे।हे भगवान !इसे जल्दी से ठीक कर दे, चाहे मुझसे मेरी जिंदगी ले ले ।
मैंने तो अपने बच्चों की शादियां कर दी है। मेरे भाई के नसीब में शायद दुःख ही लिखा है ।रानी ने जब ऐसा सुना तो उसे अपने पर बहुत ही पछतावा हुआ ।वह सारी उम्र अपनी ताई को कोसती रही। अपने आप इस खौफ में जीती रही कि उसे उसकी ताई ने कुछ कर तो नहीं दिया है। मेरी बीमारी तो पथरी है। हे भगवान! मुझे माफ कर दे ।अचानक उसे सुबकता देखकर कि उसकी ताई ने उसके ऊपर से चादर हटाई।उसे प्यार से गले लगाते हुए कहा क्या हुआ? मैं जो तेरे पास हूं।तुझे कुछ भी नहीं होगा। सब कुछ ठीक हो जाएगा।
वह अपनी ताई के गले लग कर जल्दी से रोते रोते बोली मुझे मौफ कर दो। आज ही तो उसे बहुत सकून मिला था। उसके मन से अंधकार और बुरे विचारों का नाश हो गया था ।
डॉक्टर ने कहा कि पथरी का ऑपरेशन हो चुका है ।रानी के पेट में अब कभी दर्द नहीं होगा। यह सुनकर रानी को बहुत ही अच्छा लगा। मेरी सहेलियां मुझे अचानक ही मनगढ़ंत कहानियां सुनाकर मेरे मन में शक का बीज बो दिया।
मैं अपनी ताई को ही अपना दुश्मन समझती रही । मैंने अगर समय पर दवाइयां ली होती तो पहले ही इसका इलाज हो जाता। अच्छा ही हुआ जो मुझे सब कुछ मालूम हो गया डर हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है। इस डर को खत्म करके वह खुशी से जी रही थी। वह ठीक हो कर घर आ चुकीं थीं। घर में आते ही वह अपनी ताई से बोली ताई जी में आपके लिए चाय बनाती हूं। उसकी ताई बोली हां ,अच्छी सी चाय बना अगर तू अच्छी चाय नहीं बनाएगी तो मैं तुझे डांटूंगी। उसे सच्चाई काआ आभास हो चुका था ।वह अपनी पुरानी बात को याद करके अकेले ही हंस पड़ी। उसने अपनी ताई के बारे में क्या-क्या राय कायम की थी ।आज वह बिल्कुल आजाद थी। उसने अंधविश्वास को छोड़कर मुस्कुराना शुरू कर दिया था। इस कहानी से हमें यह भी शिक्षा मिलती है कि हमें अच्छी संगत करनी चाहिए। बुरी संगत करने वालों में बुरी संगत करने वालों के साथ रहकर इंसान बुरा बर्ताव करने लग जाता है। हमें बुरी संगत से बचना चाहिए। और अपने विचारों को सकारात्मक बनाना चाहिए।