इंतकाम

एक छोटे से गांव में जमुना नाम की औरत रहती थी। किसी को भी उस औरत के बारे में जानकारी नहीं थी। वह कौन है? और कहां से आई थी? उसके साथ उसका छोटा सा 9 साल का बच्चा था। अनु स्कूल जाता उसकी मां उसे प्यार से स्कूल भेजती। वह अपने बेटे को सुबह 4:00 बजे उठा देती। वह उसको अंगारों पर चलाती थी। वह उस से कसरत करवाती थी। उस छोटे से बच्चे को उसने अंदर से इतना फ़ौलादी बना दिया था कि उस पर किसी भी मार का कोई असर नहीं होता था। अपने बेटे को हर रोज नई नई चुनौतियों से लड़ना सिखाती थी। वह जब भी विद्यालय जाता स्कूल में सब के सब बच्चों की वस्तुओं में से कुछ ना कुछ चुरा कर ले आता था। रास्ते में चलते चलते राहगीरों की जेबकतर देता। वह चोरी करने लग गया था। वह कभी किसी की पकड़ में नहीं आता था।

एक दिन जमुना ने अपने बेटे को अपने पास बुलाया और कहा कि आज तुम 15 साल के हो गए हो। तुम्हें आज मैं जो बात बता रही हूं आज से तुम छोटी-छोटी चोरी नहीं करोगे। आज से तुम बड़े घरों में चोरी किया करोगे। मैं तुम्हें हर बार चोरी करने पर शाबाशी देती थी। आज जब तुम चोरी करके आओगे तो मैं तुम्हें और भी ज्यादा शाबाशी दूंगी। मुझे उस राजमहल से नफरत है। उनकी किसी महंगी सी चीज पर हाथ साफ करना। इस गांव से लगते राज्य में एक राजमहल है। ंवहां पर तुम चोरी करना। वह बोला मां मैं आप की सीख को गले से लगा कर ही मैं बड़ा हुआ हूं।

जमुना ने उसे बता दिया था कि राज महल राजा भानुमल के दरबार में चोरी करने जाना है। वहां पर एक पुराना नौ लक्खा हार है। उसे लाकर तुम्हें मुझे देना है। वह तैयार हो गया।उसनें सुबह सुबह के समय चोरी करना उचित समझा। वह राजा के दरबार में पहुंच गया और अंदर उसे वजीर और राजा दिखाई दिए। रानी शायद महल में आराम कर रही थी। राजा अपने वजीर के साथ उद्यान में टहल रहे थे। उसने देखा महल के दूसरी तरफ से भी महल में घुसा जा सकता था। वहां पर दो पहरेदार नियुक्त किए गए थे। उसकी मां ने उसे नशे वाली पुडिया दे रखी थी। उसने जल्दी से उन दोनों पहरेदारों को वह नशे वाली पुडिया खिला दी। थोड़ी देर बाद दोनों पहरेदार चित्त होकर नीचे लुढ़क गए थे। वह राजमहल के अंदर घुस गया। उसने देखा अंदर राजमहल में एक कमरा था जहां पर सोने चांदी के आभूषण थे। एक कीमती हार पर उसकी नजर पड़ी। उसने वह कीमती हार उठा लिया। वह हार बहुत ही महंगा था। उसने जल्दी से वह हार उठाया और भागनें लगा परंतु भागते-भागते उसका पैर लोहे की तार में फंस गया। पहरेदारों ने उसे पकड़ कर राजा के सामने पेश किया। राजा ने देखा वह तो रानी का बहुत ही कीमती हार था। जिसको चुरा कर वह भाग रहा था। राजा ने अपने पहरेदारों को आज्ञा दी कि इस चोर को तुरंत पकड़ो। आज तक किसी ने भी इस महल में घुसने की हिम्मत नहीं की थी। यह पहला इंसान है जो चोरी करने आया। वह भी इतनें किमतीे हार को चुरानें।राजा नें जब उसे पकडने का आदेश दियाऔर उसे पहरेदार राजा के समक्ष पकड कर लाए तो राजा नें देखा वह तो बहुत ही छोटा बालक है। सिपाहियों नें राजा को बताया कि उसने केवल एक हार चुराया है।

राजा ने उससे प्यार से पूछा बताओ तुम चोरी करने क्यों जा रहे थे? अनु कुछ ना बोला उसने तो चुप्पी साध रखी थी। पहरेदारों ने उस पर कितने कोड़े मारे मगर उस पर उसका कोई असर नहीं हुआ। राजा ने अपने पहरेदारों को कहा कि तुम हट जाओ। मैं ही उससे पूछ लूंगा। राजा उसको प्यार भरी नजरों से देख कर बोला बेटा चोरी करना बुरी बात है। तुम सच-सच बताओ तुमने यह हार क्यों चोरी किया ? महल में चोरी करने के लिए यह हार ही क्यों चुना। यहां और भी चोरी करनें के लिए इस हार से भी किमती आभूषण थे। मेरी मां नें मुझे केवल हार ही चुरानें के लिए ही कहा था। वह बोला मुझे तो आज तक कभी किसी ने चोरी करने के लिए नहीं डांटा था और ना ही कहा था कि चोरी करना बुरी बात है। मेरी मां तो जब भी मैं कोई वस्तु चुरा कर लाता था तो मुझे हमेशा शाबाशी देती थी।

आप पहले इंसान है जिसने मुझे कहा कि चोरी करना बुरी बात है। वह बोला राजा जी मेरी मां ने मुझे चोरी करने के लिए प्रेरित किया। राजा बोला चोरी करने में तुम्हारा हाथ नहीं है। इसमें तुम्हारी मां भी शामिल है । तुम दरबार में अपनी मां को बुलाकर लाओ। वह अपनी मां को बुलाकर लाया। उसकी मां को देख कर राजा हैरान हो गया। उस बुढिया को पहले भी शायद उसने कहीं देखा है। राजा के सामने जमुना को पेश किया गया।

जमुना के सामने 5 साल पुरानी घटना ताजा हो गई। उसे ऐसे लगा जैसे कि सभी यादें चलचित्र की भांति उसके दिमाग में घूमने लगी। एक दिन वह अपने छोटे से बच्चे को लेकर राजमहल मे आई। रानी जी रानी जी मेरा बच्चा बुखार से तप रहा है। मुझे कुछ रुपयों का इंतजाम कर दो। भगवान आपका भला करेगा। मैं एक गरीब परिवार की हूं। मैं अपने बेटे के साथ सामने वाले गांव में रहती हूं कृपया मुझे दवाई के लिए रुपए दे दो। रानी जैसे ही आई उसके हाथ में कुछ असर्फियां थीं। उसने जमुना को असर्फियां देते हुए कहा जाओ अपने बेटे का इलाज कराओ। जब जमना जाने लगी तो उसने रानी को धन्यवाद कहा। वह अपने बेटे को लेकर चले गई। रानी का वह कीमती हार गायब हो गया था। वजीर की पत्नी की नजर उस कीमती हार पर थी। आज उसे वह वजह मिल गई थी। उसने रानी का नौलखा हार चुरा लिया और चंपत हो गई। उसने जमुना को देख लिया था। उसने सोचा अगर मैं पकड़ी जाऊंगी तो चोरी का इल्जाम जमुना पर डाल दूंगी।महल में हंगामा मच गया रानी का नौ लक्खा हार चोरी हो गया। रानी से सब ने पूछा कि कौन आया था? रानी ने जमुना का नाम ले लिया। चोरी का इल्जाम जमुना पर लग गया। उस बेचारी पर चोरी का इल्जाम लग गया जो चोरी उसने की ही नहीं थी। उसे झूठ-मूठ के इल्जाम में कारागार में डाल दिया। वजीर की पत्नी को खुशी हुई। उसने सारे सबूत पेश करके जमुना को दोषी ठहरा दिया था। उसे रानी का नौलखा हार चुराने के जुर्म में 5 साल की कैद हुई थी।

वजीर की पत्नी जमना से कारागार में मिलने आती थी। वह उससे बोली तुम ऐसे भी गरीब हो और तो तुम्हें कारागार से कौन बाहर निकालेगा? मैंने हार चुरा कर तुम्हें जेल में डलवा दिया। मुझ पर तो किसी को भी शक नहीं होगा। कोई बात नहीं तुम्हारे बच्चे के साथ 5 सालों में कुछ बुरा नहीं होने दूंगी। यहां पर झुग्गी झोपड़ी में एक आदमी कालेखां पास में ही रहता है। उसके पास तेरे बेटे को रख देंगे। उसे कुछ नहीं होगा। जब तुम जेल से वापस आओगी तब तुम यहां पर काम पर वापिस आ जाना।

वजीर की पत्नी ने सोचा कि अगर उसने जेल में सबके सामने उस पर इल्जाम लगा दिया तो मैं क्या करूंगी? मेरा तो अपमान हो जाएगा। उसने रानी को कहा कि जमुना तुम्हारा हार ले कर भाग रही थी। वह मुझ से टकराई थी। मैंने उससे वह हार छीन कर ले लिया था और उसे जेल में डलवा दिया। जमुना सोचने लगी कैसे वजीर की पत्नी नें रानी को झूठीमूठी कहानी सुना दी। उसे कारागार में डलवा दिया।
रानी अपना हार पाकर बहुत ही खुश हुई और उसने वजीर की पत्नी को खूब सारा ईनाम दिया। उसकी आंखों के सामने वह सब बातें चल चित्र की भान्ति दिखाई देनें लगी मानों कल ही की बात हो। वह खून के घूंट पीकर रह गई थी।

जेल की सजा काट आने के बाद वजीर की पत्नी ने उसे मरवाने की कोशिश की मगर इतने सालों बाद जेल में रहने के बाद उसने अपने मुंह पर इतना पक्का घाव कर लिया कि कोई भी उसे पहचान नहीं सकेगा कि वह कि वह वही जमुना है जो अपना बदला लेने के लिए वापस लौटी थी। वह उस राज्य से लगते गांव में अपनें बेटे के साथ रहने लगे गई थी। उसी कीमती हार की वजह से आज उसका बेटा पकड़ा गया। कोई बात नहीं आज तो दूध का दूध और पानी का पानी साफ हो जाएगा। वह भी कोई कमजोर कड़ी नहीं है। अपने बेटे को तभी उसने चोरी करने के लिए प्रेरित किया दिया था ताकि वह अपना बदला ले सके।

राजा ने जमुना को बुलाया। तुमने अपने बेटे को चोरी करने के उपरांत भी उसे चोरी करने से क्यों नहीं रोका? जमुना बोली जहांपनाह आप ठहरे राजा। आपको तो अपने महल में भी यह नहीं पता होता है कि आपकी महल में कौन किस से दगा कर रहा है? आप कहते हैं कि तुमने अपने बेटे को चोरी करने से क्यों नहीं रोका? तुम सजा के लिए तैयार हो जाओ। राजा जी मैं सजा से नहीं डरती। इंसान चाहे कितना भी ईमानदार हो। ईमानदारी से कुछ नहीं बताया। ईमानदार बनकर भी उस पर सजा का झूठा इल्जाम लगा दिया जाता है। आप लोगों का काम होता है असली गुनहगार को सजा दो। मगर यहां तो नकली गुनहगार को सजा भुगतने के लिए जेल में बंद कर दिया जाता है।

राजा बोला मैं समझा नहीं घुमा फिरा कर बातें ना बनाओ। जो कहना चाहते हो जल्दी कहो। वर्ना अंजाम भुगतने के लिए तैयार हो जाओ। वह बोली आपके महल में ही इस कीमती हार चोरी करने के लिए मुझे पांच साल जेल की सजा हुई थी। जो हार मैंने चुराया ही नहीं था।

मैं आपकी रानी के पास मदद मांगने आई थी। मेरे बेटे को बुखार था। वह बुखार से तप रहा था। मैं सोच रही थी कि इस वक्त मेरी मदद रानी के इलावा और कोई नहीं करेगा। मुझे रानी जी ने कुछ असर्फियां दी। मैं जैसे ही जाने लगी मुझसे वजीर की पत्नी टकरा गई। वह कोई वस्तु ले कर भाग रही थी। मैंने एक हार को वजीर की पत्नी के हाथ में देखा। उसने मुझे देखकर वह हार छिपा लिया। कहीं वह मुझ पर चोरी का इल्जाम ना लगा दे। मैंने वजीर की पत्नी को हार चुराते हुए देख लिया था। उसने मेरी बाजू पकड़ी और कहा कि अगर तुमने किसी को भी कुछ कहा तो तुम पर यह इल्जाम लगा दूंगी। मैं डर के मारे कांप गई। मैंने अपने बच्चे को लिया और वहां से चली गई।।
उसने हार चुराने के इल्जाम में मुझे पांच साल कैद कर करवा दिया। जेल से लौटने के बाद काले खान से अपने बेटे अनु को लिया और उसका शुक्रिया अदा किया। वह बोला बहन मेरे साथ रहो। मैंने अपने बच्चे को इतना फौलादी बनाया और उसे चोरी करने के लिए प्रेरित किया। ईमानदारी से जीवन बिताने का मुझे यह सिला मिला था। उसने सारा का सारा वृत्तांत राजा को कह सुनाया।

राजा यह सुनते ही आग बबूला हो उठा। उसने अपने वजीर और उसकी पत्नी को बुलाकर कहा कि तुम ही बताओ कि इसकी मां को क्या सजा दूं। तुम ही बताओ वजीर की पत्नी बोली चोरी करने वाले को कठोर से कठोर दंड देना चाहिए। यह बचके नहीं जाना चाहिए। राजा बोला क्या दंड देना चाहिए? वह बोली राजा जी इसे कोडे मार मार कर यहां से निकाल दो और अपने राज्य से बाहर कर दीजिए। राजा बोला ऐसा ही होगा।

सारे के सारे लोग फैसला सुनने के लिए उत्सुक थे। राजा ने अनु को बुलाया और कहा कि जाओ मैं तुम्हें छोड़ता हूं। तुमने चोरी खुद नहीं की तुम्हें तुम्हारी मां ने चोरी करने के लिए प्रेरित किया था। मैं तुम्हारी मां को भी चोरी करने के अपराध में दंड की भागीदार नहीं समझता। वह भी दंड की भागीदारी नहीं है। उस बेचारी को पांच साल जेल में डाल दिया गया था जिस कीमती हार का इल्जाम उस पर लगा दिया गया था जो कि उसने नहीं चुराया था। वह तो वजीर की पत्नी ने वह हार चुराया था और चोरी का इल्जाम बेचारी जमुना पर आ गया था। उसने अपने छोटे से बच्चे को पांच साल अलग रखा। वह भी बिल्कुल सही है। तुम दोनों को मैं माफ करता हूं।

राजा ने वजीर की पत्नी को बुलाया और कहा कि तुम्हें मैं अपने राज्य से बेदखल करता हूं। तुम यहां से इस राज्य को छोड़कर सदा के लिए चली जाओ। तुम ने इस गरीब औरत को चोरी के दलदल में तुमने ही फंसाया। तुम्हें हम कभी भी माफ नहीं कर सकते। उसने कोड़े लगवाकर वजीर की पत्नी को अपने महल से निकाल दिया। और जमना के बेटे को वह किमती हार ईनाम में दे दिया और कहा कि आज से तुम अपना जीवन सच्चाई के रास्ते पर चलकर गुजारो। जमुना और उसका बेटा खुशी-खुशी वहां से चले गए।

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