कौवी की सूझबूझ

एक नदी के किनारे पर बहुत दूर से एक संपेरा सांप पकड़ने आया हुआ था। उस संपेरे नें तालाब पर खाना खाया पानी पिया। उसे वहां पर तभी एक सांप आता दिखाई दिया। उसने सांप को पकड़ने के लिए जैसे ही वह उछला पानी के दलदल में वह नीचे गिर गया। उस ने सांप को वृक्ष की कोटर में जाते देख लिया। वह सहायता के लिए चिल्लाने लगा। मगर उसे बचाने वाला वहां पर कोई नहीं था।

संपेरा जोर-जोर से चिल्लाने लगा। मुझे बचाओ मुझे बचाओ। उसके चिल्लाने की आवाज एक किसान ने सुनी जो कि वहां से जा रहा था। वह किसान नदी में कूद गया और उसने संपेरे को बचा लिया। संपेरे ने कहा कि आज तुमने मेरी जान बचाई है मैं भी तुम्हारी सहायता करूंगा। जब भी तुम मुझे पुकारोगे मैं तुम्हारी सहायता करने अवश्य आऊंगा। उसने किसान को अपने घर का पता दे दिया। वह सांप उस तालाब के पास एक पीपल के पेड़ पर रहता था। उस पेड़ पर कौवा और कौवी का जोड़ा भी रहता था। सांप बड़ा ही दुष्ट था वह कौवी के अंडो को खाने के लिए उस वृक्ष की कोटर में आ जाया करता था। और पानी में मछलियों को पकड़ने के लिए चला जाता था। कौवा और कौवी यह देखकर बड़े ही दुखी होते थे। कौवे सोचने लगी कि इस सांप से कैसे बचा जाए। इस सांप से मैं अपने बच्चों की रक्षा कैसे करूं? एक दिन की बात है कि राजा अपने बेटे के साथ वहीं पर तालाब पर नहाने आया हुआ था। शाम का समय था। राजा जल्दी से नहा कर चलने ही लगा था उसके बेटे ने कहा पिताजी आप घर चलो। मैं थोड़ी देर बाद अपने दोस्तों के साथ खेल कर आता हूं। राजा घर वापिस आ गया उसके दोस्त दौड़ते-दौड़ते आए उन्होंने देखा पानी में सूरज की परछाई पड़ रही थी। उसके दोस्त बोले देख राजू सूरज तालाब में गिर गया है। वह दौड़ लगाने लगा। सचमुच में ही सूरज पानी में डूबा हुआ है। सबके सब बोले हमें सूरज को पानी से निकालना चाहिए। सब ने बहुत अधिक उपाय किये मगर उसको निकाल ही नही पाये।

बच्चों को भूख भी बड़े जोरों की लग रही थी तभी उन्होंने खेत में अपने पिता को खाना दे कर वापिस आते हुए अपनें दोस्त रघु को देख लिया बोले। हमें बड़ी जोंरों की भूख लगी है। उसके पास कुछ खाना बचा था। उसने वह खाना सब बच्चों में बांट दिया। बच्चे बोले चलो पानी पीते हैं। उसके दोस्त के पास एक छोटी सी बाल्टी थी उन्होंनें उस बाल्टी से पानी निकाला और पीने लगे। सारे के सारे दोस्त बोले हमें देरी हो रही है घर ना पहुंचने पर अमा हमें मारेगी। रामू ने अपने दोस्त को कहा कि इस बाल्टी को मुझे दे दो। मैं तुम्हारे घर पर यह बाल्टी दे दूंगा। बच्चे उस तालाब के पास ही एक मैदान था वहां पर रस्सा कस्सी खेलते थे। राजू नें देखा रोहित अपनी रस्सी वही भूल गया था। रस्सी मिलते ही उसके दिमाग में एक विचार आया क्यों न मैं बाल्टी में रस्सी डाल कर सूरज को निकाल लूंगा। उसनें जैसे ही बाल्टी मे रस्सी बांध कर उपर खींचा बाल्टी किसी चीज में फंस गई थी। वह जोर लगा कर खींचने लगा तभी सूरज भी डूब चुका था। वह पानी में देख कर मुस्कुराया वाह मैंने तो आज सूरज को निकाल ही लिया। बाल्टी को खींचा बाल्टी तो एक ओर गिर गई। वह दलदल में फंस चुका था। वह बिल्कुल तालाब मे गिरने वाला था। उसने बहुत ही कोशिश की मगर उपर नहीं निकल पाया। वह तालाब में गिर गया।

सारे के सारे बच्चे अपने घरों को वापस चलने लगे। रामू भी मानने वाला नहीं था। उसने बाल्टी में रस्सी बांधी और अपने हाथों से बाल्टी को खैंचनें लगा। एक बार उसे धक्का लगा। उसने देखा की बाल्टी ऊपर आ रही थी वह खुशी से उछल पड़ा उसमें सूरज को पानी से निकाल दिया है वह खुशी के मारे चिल्ला उठा था अंधेरे में सूरज डूबने वाला था सूरज दिखाई नहीं दे रहा था। राजू ने सोचा कि उसने सूरज को निकाल दिया है परंतु अचानक ही वह पानी के तालाब में गिर गया। उस तालाब में सांप मछलियों को पकड़ने के लिए आया हुआ था। सांप ने रामू को डस लिया। जब राम घर नहीं पहुंचा तो उसके सारे दोस्त और उसके पिता नें उसे ढूंढने की कोशिश की। तब उन्हें याद आया कि वह तो तालाब पर उनके साथगया था।

अपने बेटे को बहुत देर तक आते ना देखकर राजा उसी तालाब पर पहुंच गया। वहां पर पंहुच कर उसनें अपनें बेटे को तालाब में गिरे देखा। राजा जोर जोर से रोने लगा। मेरे बच्चे को कोई बचाए। वहां से एक किसान गुजर रहा था किसान ने देखा कि कोई व्यक्ति जोर जोर से रो रहा है। उसने उससे पूछा तुम क्यों रो रहे हो? उसने कहा मेरे बेटे को तालाब से बाहर निकालो। किसान नें जल्दी से पानी में से उसके बेटे को बाहर निकाला। उसने देखा कि इस बच्चे को सांप ने काट खाया है। उसने किसान को कहा मैं यंहा का राजा हूं। मेरे बच्चे को जो बचा देगा उसे ढेर सारे इनाम दूंगा। उसके चिल्रानें पर बहुत से लोग ईकटटठा हो गए थे। किसान को याद आ गया कि उसने एक सपेरे को उस तालाब से बचाया था। उस पर के पास मणि है। किसान नें राजा को कहा कि मैं एक सपेरे को जानता हूं। वह आपके बच्चे की जान बचा सकता है। वह किसान सपेरे के घर पहुंचा। किसान को देखकर सपेरा बोला मेरे दोस्त तूने मुझे एक बार बचाया था तेरे लिए मैं अपने प्राणों की बाजी भी लगा सकता हूं। किसान बोला आज मुझे तेरी जरूरत है। राजा के बेटे को सांप ने डस लिया है। उसे जल्दी बजाओ। सपेरा उसके साथ चलने के लिए तैयार हो गया।

सपेरा राजा के दरबार में पहुंचा। कौवी भी उड़ती उड़ती वहां पर पहुंच गई थी। कौवी भी सांप से बदला लेना चाहती थी। कौवे ने सूझबूझ से काम लिया जैसे ही संपेरे ने अपना थैला नीचे रखा कौवे उसका थैला लेकर उड़ गई। संपेरा चिल्लाया मेरी मणि मेरी मणि। राजा चिल्रानें लगा आज तो मैं अपने बच्चे को बचा नहीं पाऊंगा। उन्होंने कौवी को वृक्ष की कोटर में उड़ते देख लिया था। कौवे नें वह थैला उस पेड़ की शाखा पर रख दिया। राजा के सैनिक उस वृक्ष की शाखा पर चढ़ गए। जैसे ही थैला निकालने लगे वहां पर एक भयानक सांप को देखा। उन्होंनें लाठी से सांप को मार दिया। जल्दी से राजा के सैनिकों ने अपना थैला उस कोटर में से निकाल लिया और देखा मणि उसमें सुरक्षित थी।

संपेरा उस बच्चे को वहीं तालाब के किनारे पर ले आया था। उसने वहां पर मणि बच्चे के शरीर से लगाई जहां सांप नें काटा था। मणि ने सारा का सारा जहर चूस लिया। राजा का बेटा बच गया। कौवी ने अपनी सूझबूझ से अपनें बच्चों की रक्षा की।

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