राजू एक बहुत ही शरारती बच्चा था। वह हमेशा शरारती करने में माहिर था कहीं भी कुछ भी देखता वहां पर तोड़फोड़ करना उसकी आदत बन गया था। रास्ते में चलते हुए कभी पक्षियों पर पत्थर फेंकता, कभी रास्ते में से जो भी ग्रामीण गुजरता या औरतें चलती हुई नजर आती उनकी मटकी फोड़ देता ।कभी साइकिल वाला गुजरता या गाड़ी वाला उसकी साइकिल का पंचर कर देता। वह ये सभी काम इतनी होशियारी से करता था कि सामने वालों को भी इसकी भनक नहीं लगती थी। मां उसकी शरारतों से परेशान थी। वह उसे हमेशा कहती बेटा तुम्हारी इतनी शिकायतें आती है फिर भी तुम्हारी कान में जूं तक नहीं रेंगती। मैं तो तुम्हारी शिकायतें सुन सुन कर तंग आ गई हूं ।
उसके पिता जब घर आए और उससे बोले कि अगर तुम अपनी शर्तों से बाज नहीं आए तो तुम्हें हॉस्टल में डाल देंगे। वह उनकी बातों को गंभीरता से नहीं लेता था ।कुछ दिन तक तो ठीक चलता रहा मगर फिर कुछ दिन बाद फिर वैसा ही कर सिलसिला जारी रहा। एक दिन उसके पापा उसके लिए एक तोते वाले से उसके लिए एक तोता ले आए। शायद तोते के साथ रहकर वह अपनी शरारतें भूल जाए । वह अपने तोते के साथ काफी समय बिताए गा तब उसे यह सब करने के लिए समय ही नहीं मिलेगा।
तोते को अपने घर में रखे हुए उसे छ महीने हो चुके थे ।तोता उसकी हर बात का जवाब देता था । वह जब कभी पक्षियों को पत्थर मारने लगता उसका तोता उसे नाराज हो जाता। तोते से वह अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगता था। उसके घर के पास ही एक पीपल का पेड़ था। जिस पर चिड़ियों ने अपना घोंसला बनाया हुआ था। एक दिन राजु घर कि बालकनी के साथ बनें बाग में टहल रहा था। राजू घर के आंगन में आया और उसने अपने गूलेल से चिड़ियों के बच्चे पर निशाना लगाया ।चिड़िया का बच्चा लहूलुहान हो चुका था।
सारी चिड़िया के बच्चे के इधर उधर मंडरा रहे थे। वह चिड़िया का बच्चा मर चुका था। पेड़ पर गूलेल मारते होते हुए राजू को तोते नें देख लिया था।तोते नें सारा दिन उस से बात नहीं कि वह एक ओर गुमसुम हो कर बैठ गया। तोता सोनें लगा ऐसे शरारती बच्चे के साथ वह अब कभी नहीं रह सकता ।शाम को भी तोता उसके बुलानें पर भी नहीं आया।उसने दाना भी नहीं खाया। बार बार आग्रह करनें पर तोता बोला आज तो तुम ने चिड़िया के बच्चे को मारा है कल तो तुम मुझे भी मार सकते हो जब कोई मुझ पर पत्थर मारेगा तो तुम क्या करोगे? राजू बोला तो मैं उसका सिर फोड़ दूंगा ।तोता बोला जितना प्यार तुम मुझसे करते हो उतना ही प्यार इसके परिवार वाले भी उससे करते थे। तुमने इनको बहुत ही सताया है । वह पीपल के पेड़ पर कभी भी अपना घौंसला नहीं बनायेंगे यह पीपल का पेड़ भी इनकी चहक से खुश रहता था ।यह भी तुम्हें देख कर नाराज है ।
एक दिन तोता बोला मैं एक दिन चिड़ियों के मुखिया से जाकर मिला तो उन्होंने कहा कि राजू बहुत ही बुरा लड़का है ।इसे भी हम नुकसान पहुंचाएंगे। एक दिन राजु अपने बरामदे में खेल रहा था सो एक पक्षी की चोंच में से आकर एक सांप राजू के ऊपर गिर पड़ा। सांप को देखकर राजू एकदम दूसरी ओर हट गया ।सांप के पीछे बहुत सी चिड़ियों के बच्चे थे सांप के मुंह से वह चिड़िया का बच्चा जमीन पर गिर गया। वह बहुत ही डर चुका था ।वह लहूलुहान हो गया था।राजू ने चुपचाप अपना फर्स्ट एड बॉक्स निकाला। उसनें डिटेल निकाला और उस के ज़ख्म को वो कर साफ़ किया। उसे ड्रापर कि सहायता से पानी पिलाया।उसे डॉक्टर के पास ले जाकर उसका इलाज करवाया ।वह चिड़िया का बच्चा मौत के मुंह से बच गया था।
तोता यह देखकर बहुत खुश हुआ था कि राजू ने आज चिड़िया के बच्चे को नया जीवनदान दिया था। उसने जब यह बात पीपल पर रहने वाली चिड़ियों को बतानी चाही जहां चिड़ियों के झुंड अपने बच्चे की तलाश कर रहे थे। जब उन्होंने अपने बच्चे को कुशल पाया तो उनके जान में जान आई।
राजू एक डोंगे में उस चिड़िया के बच्चे को पानी पिला रहा था उसे दाना भी खिला रहा था।वह चिड़िया राजू को देख कर खुश हो रही थी कि राजू सुधर चुका था। उन्होनें राजू को क्षमा कर दिया था।पीपल पर रहने के लिए अपने घोंसले में आ गई थी। पीपल का पेड़ भी मुस्कुरा कर राजू को क्षमा कर रहा था कि चलो तुमने अपनी भूल स्वीकार कर ली। पेड़ भी खुशी से मुस्कुरा दिया। चिड़ियों को चहकता देख कर अपनें पतों को हिला हिला कर उनका स्वागत कर रहा था।