चिडि़या और उनके नन्हे बच्चे

, एक पेड़ की शाखा पर चिड़िया ने घोंसला बनाया हुआ था। चिड़िया अपने नन्हे नन्हे बच्चों के साथ रहती थी। चिड़िया जब दाना चुगने जाती तो वह अपने बच्चों को अपने घोंसले में छोड़ कर चली जाती थी। चिड़िया जब दाना चुगकर वापिस आई उसने देखा इसका एक छोटा सा बच्चा चुपचाप गुमसुम बैठा हुआ था। उसके दो तीन बच्चे भी छोटे-छोटे थे। जब चिड़िया दाना चुगने जाती वह अपने बच्चों को घोसले में छोड़ कर चली जाती और दाना चुगने निकल जाती। वह दिन ढले वापस आती। बच्चे थक हार कर सो जाते।

 

एक दिन जब चिड़िया दाना चुग कर वापस आई तो वह देख कर घबराई नन्ना सा चिड़िया का बच्चा ना कुछ खा रहा था ना उससे बात कर रहा था। उसको ना खाते देख चिड़िया भी उदास हो गई। उसने अपने परिवार के सदस्यों  से इसका कारण पूछा। उसके परिवार के अन्य सदस्य भी साथ ही पेड़ों पर रहते थे। उन्होंने चिड़ियों को बताया कि उससे प्यार से बात करो। जब प्यार भरी नजरों से चिडि़या ने नन्हे बच्चे के सिर पर हाथ फेरा तो नन्हा सा बच्चा रोने लगा। बोला मां आप तो सारा दिन दाना चुगनें चली जाती हो। आप तो हमें अकेला घोसले में छोड़ जाती हो। हमारा मन नहीं लगता। हमारे नन्हें नन्हें दोस्त चिड़िया जब हमारे साथ खेलने आते हैं वह हमें बताते हैं हम आज यहां गए वहां गए। यहां उडे वहां उड़े।

 

आप हमें डरपोक समझती हैं वह चिड़िया भी तो हमारी तरह छोटी-छोटी हैं। उनके मम्मी पापा तो उन्हें बाहर जाने से मना नहीं करते। इस डर से कि कोई हमें नुकसान ना पहुंचाएं या कोई हमें खास ही न  डाले। आपने हमारे अंदर डर पैदा कर दिया है। हम डर के मारे घर से बाहर नहीं निकलते कि कोई हमें कोई नुकसान न पहुंचा दे। मां किसी का भी सबसे बड़ा शत्रु उसका डर होता है। अगर वह डर पर काबू पाने ले तो कोई भी ताकत उसका बाल भी बांका नहीं कर सकती। एक छोटा चिडा मेरा दोस्त है। उसने मुझ पर सब बातें कही। मां क्या हुआ? एक न एक दिन तो हमें मरना ही है। डर के अंदर बैठा नहीं जा सकता। मेरा दिल भी उड़ने को करता है। मुझे साहस से मुकाबला करना सीखना है। जब तक आप मुझे बाहर नहीं भेजोगी तब तक मैं अपने डर पर विजय नहीं पा सकता। जिंदगी का क्या भरोसा है आज है या नहीं। आप भी तो हमे अकेला छोड़ कर हर रोज दाना चुगने लेने जाती हो। अगर किसी दिन आपको कुछ हो गया तो हमें अकेला ही रहना पड़ेगा। तब तो हमें और भी मुसीबत हो जाएगी।

 

चिड़िया अपने बच्चे की बात सुनकर हैरान होकर उसे देखने लगी बोली बेटा मुझे तो आज पता चला मेरे नन्हे नन्हे बच्चे बड़े हो गए हैं। कल से तुम भी मेरे साथ दाना चुगने चलना। बच्चों को इतनी खुशी हुई कि पूछो ही मत उनकी खुशी का तो कोई ठिकाना ही नहीं था दूसरे दिन चिड़िया के नन्हे नन्हे बच्चे अपनी मां के साथ उड़ने लगे। जब काफी दूर निकल आए तो चिड़िया ने कहा मैं यहां नजदीक ही दाना चुगने जाती हूं तब तक शाखा पर बैठकर इधर उधर देखो। बच्चे आज मुक्त गगन में उड़ रहे थे। आज से पहले वह कभी भी उड़ना नहीं जानते थे। अपने नन्हें नन्हें परों से दूर तक उड़ने की कोशिश कर रहे थे। वे इतने खुश हो रहे थे मानो आज उन्होंने सारे जहां की खुशियां पाया ली  हों।

 

उन्होंने अपने सामने कुत्तों का झुंड आते देखा। वे उनके ऊपर झपटनें की कोशिश करने लगे। चिड़िया के नन्हे नन्हे बच्चे बोले तुम हमें खाना चाहते हो। जैसे  ही कुत्ते उन्हें पकड़ने की कोशिश करने लगे वह इधर उधर छुप गए।  थक हारकर  एक कुत्ता एक जगह बैठ गया था ताकि छुप कर उन पर वार कर सके। चिडि़या के नन्हे नन्हे बच्चे बोले तुम हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते क्योंकि हम सब मिलकर तुम्हारा तुम्हारा मुकाबला करेंगे। तुम हमारा बाल भी बांका नहीं कर सकते। शाम को चिड़िया ने अपने बच्चों से पूछा तुमने क्या देखा। वह बोले मां आज हमने शिकारी कुत्ते से अपना मुकाबला किया। वह हमारी ओर झपकना चाहता था हमने उसे भगा दिया। चिड़िया बहुत ही खुश हुई। दूसरे दिन चिड़िया फिर अपने बच्चों को दाना चुगने ले गई। शाम को उसने पूछा बेटा आज तुमने क्या देखा। वह बोले

 

आज की घटना तो बहुत ही रोचक है आज हमने देखा सड़क पर मजदूरों के बच्चे खेल रहे थे। वह मिट्टी में खेल रहे थे। अचानक एक बाइक वाला बड़ी तेजी से बाइक चलाता आया। एक नौजवान  नें उस बच्चे को  बचाया आप तो बिना वजह डरती रहती हैं। वह भी इंसान का बच्चा निर्भय होकर सड़क पर खेल रहा था। दूसरा बच्चा  बोला जब आप समीप ही दाना चुनें गई तो हमने देखा एक घर में दो व्यक्तियों ने घंटी बजाई। हम पास ही देख रहे थे। उनमें से एक छोटा सा बच्चा था। कल हमने उसके मम्मी पापा को गाड़ी में जाते देखा था। शायद वह बच्चा भी अकेला रहता होगा। उसके मम्मी पापा भी भोजन की तलाश में जाते होंगे। जिन्होंने घंटी बजाई वे शक्ल से चोर थे। उन्होंने उस बच्चे को अकेला देखकर घंटी बजाई बच्चा तो बहुत ही तेज था। उसने अंदर से पूछा कौन है?उन युवकों ने कहा हम तुम्हारे पापा के अंकल हैं। हमने देखा थोड़ी देर बाद पुलिस वाले उन दोनों को हथकड़ियां पहना रहे थे। वे चोर चोरी करनेंआए थे। उस बच्चे का अपहरण कर  उसे ले जानें की योजना बना रहे थे। चोरी करके खुश हो रहे थे।

 

मां वह छोटा सा बच्चा भी नहीं डरा। उसने भी डर कर चोरों का मुकाबला किया। हम अपने बच्चों को बाहर नहीं भेजते कि वह बच्चा है  उसे कुछ हो जाएगा मगर जब तक  हम अपने मन से डर की भावना को नहीं निकालेंगे तब तक हम डरते हैं रहेंगे। हमें अपने बच्चों को डरना नहीं चाहिए। गिरकर ही वह संभलता है। नहीं तो वह एक दिन मूर्ख इंसान बनकर रह जाएगा। चिड़िया ने अपने बच्चों को कहा बेटा आज तुमने मुझे  साहस का पाठ सिखा दिया है। आज से तुम आजाद हो। मैं तुम्हें मुक्त गगन में आजाद पंछी की तरह उड़ने की अनुमति देती हूं। बच्चों ने अपनी मां के गले लग कर उन्हें चूम लिया। और  उड़कर  अपने निवास स्थान पर पहुंच गए।

Posted in Uncategorized

Leave a Reply

Your email address will not be published.