(टौमी की निकली बारात) कविता

टॉमी की निकली बारात।

जंगल में सबके लिए थी खुशी की सौगात।।

टॉमी ने जंगल के सभी जानवरों को था बुलाया।

ठुमक ठुमक कर बैंड बाजे वालों के साथ खुशी से था इतराया।।

लोमड़ी भी बधाई देने आई।

उसके साथ उसकी सखियों ने आकर धूम मचाई।।

बिल्ली भी लहंगा पहन कर आई।

हिरनी नें भी गहने पहन कर  थी   मेहफिल जमाई।।

कौवा तोता चिड़िया बने बाराती।

संग में थे उनके घोड़े हाथी।।

बारात में बने थे  भान्ति भान्ति के पकवान। शेर भालू समेत टूट पड़े थे सब मेहमान।।

आगे आगे बैंड बाजा

और हाथी पर थे दूल्हे राजा।।

टॉमी की दुल्हन भी थी लज्जाई।

दुल्हे को सेहरा पहन देख कर थी  सर्माई।

इतने में टॉमी चिल्लाया।

भौं भौं करके सब पर था   भुनभुनाया।।

जल्दी से दुल्हन को पांडाल में लाओ।

जल्दी से फेरों के लिए तैयार करवाओ।

जय माला की रस्म तो करवाओ।

विदा कर दुल्हन को मेरे संग भिजवाओ।।

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